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’17 साल की उम्र से तुम्हारी बेटी का रेप कर रहा हूँ, जो करना है कर लो’: क्रिकेट कोच महबूब ने कराया हिन्दू लड़की का धर्मांतरण

आरोपित कोच महबूब बुखारी (बाएँ), पीड़िता के माता-पिता (दाएँ) (फोटो साभार: भास्कर)
गुजरात के राजकोट में हिंदू लड़की का बलात्कार और धर्मांतरण के आरोप में महबूब बुखारी नामक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया। आरोप है कि महबूब बुखारी क्रिकेट कोचिंग के बहाने 17 साल की उम्र से पीड़िता का बलात्कार कर रहा है। यही नहीं, उसने लड़की का धर्मांतरण कराकर उसका नाम नाजनीन रख दिया था। पीड़िता गत 26 जून से लापता है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पीड़िता का परिवार मूल रूप से भावनगर जिले के तलाजा का रहने वाला है। लेकिन वे लंबे समय से राजकोट में रह रहे हैं। क्रिकेटर बनने का सपना लिए पीड़ित लड़की ने 17 साल की उम्र में महबूब बुखारी नामक व्यक्ति की क्रिकेट कोचिंग जॉइन की थी। जहाँ महबूब ने इउसे अपने प्रेम जाल में फँसा लिया। इसके बाद बीते 4 साल से वह पीड़िता को अपनी हवस का शिकार बना रहा था। पीड़ित लड़की के परिजनों का आरोप है कि उनकी बेटी गत 26 जून को महबूब बुखारी के घर से लापता हुई है।  

‘जय द्वारकाधीश बोलने वाली लड़की लगाती थी अल्लाहु अकबर के नारे’: पीड़ित परिवार

पीड़िता के परिवार ने शिकायत में कहा है “हमारी बेटी कुंडलिया कॉलेज में पढ़ रही है। उसे बचपन से ही क्रिकेट का शौक था। इसलिए हमने क्रिकेट कोच महबूब अंसारी से बात करके उसे कोचिंग भेजना शुरू कर दिया। वह 17 साल की उम्र से क्रिकेट सीखने जा रही है। लेकिन महबूब बुखारी ने कोचिंग में क्रिकेट सिखाने के बजाय नाबालिग बेटी को प्रेम जाल में फँसाया और उसका ब्रेनवॉश कर दिया। महबूब ने उसका नाम बदलकर नाजनीन रख दिया था। ‘जय द्वारिकाधीश’ बोलने वाली हमारी बेटी ने ‘अल्लाह-हू-अकबर’ के नारे लगाने लगी। यही नहीं उसने नमाज पढ़ना भी शुरू कर दिया था।”
पीड़ित लड़की के पिता का कहना है उनकी बेटी अब 21 साल की हो चुकी है। घर पर रहने के दौरान वह अक्सर मस्जिद जाकर नमाज पढ़ती थी। परिवार ने उसे कई बार समझाने की कोशिश की। लेकिन महबूब के दबाव के आगे वह सब करती जा रही थी। जब पीड़ित लड़की के पिता महबूब बुखारी से बात करने गए तो उसने उन्हें हाथ-पैर तोड़ने और जान से मारने की धमकी दी। साथ ही कहा, “मैं तुम्हारी बेटी के साथ तब से बलात्कार कर रहा हूँ जब वह 17 साल की थी। अब तुम जो कर सकते हो कर लो”
महबूब बुखारी की हवस का शिकार हुई पीड़ित हिंदू लड़की के परिजन का कहना है, “मेरी बेटी अक्सर कहती थी कि अब जिंदगी बर्बाद हो गई है। अगर मैं किसी और से शादी करूँगी तो महबूब मुझे मार देगा और अगर मैं महबूब के साथ रही तो वह मेरी जिंदगी नर्क बना देगा। क्रिकेटर बनने का मेरा सपना भी एक तरीके से खत्म हो गया है।” परिजनों का यह भी कहना है कि महबूब के उकसाने और धमकी देने के चलते पीड़ित लड़की ने अपने घर से डेढ़ लाख रुपए के सोने के गहने चुराकर महबूब को दे दिए।
पीड़िता के परिजनों की शिकायत और बयानों के आधार पर मामला दर्ज करते हुए पुलिस ने आरोपित कोच महबूब बुखारी को गिरफ्तार कर किया है। हालाँकि, गत 26 जून से लापता हिंदू लड़की का अब तक कोई सुराग नहीं मिल सका है। पुलिस लगातार उसकी तलाश में जुटी हुई है।

‘लड़की चीज ही ऐसी होती है…’: सरवर चिश्ती, अजमेर दरगाह का खादिम

राजस्थान के अजमेर में 90 के दशक में 100 से ज्यादा लड़कियों के साथ रेप हुआ। देश के सबसे बड़े उस रेप कांड में मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह के खादिम तक शामिल थे। उस घटना पर ‘अजमेर 92’ नाम से फिल्म आ रही। अब इस्लामी संगठन दरगाह का हवाला देकर फिल्म का विरोध कर रहे हैं। वहीं, दरगाह के खादिम ने एक बेहद आपत्तिजनक बयान दिया है।

वास्तव में हिन्दुओं की हो रही दुर्गति के लिए हिन्दू ही जिम्मेदार हैं। जिस दिन हिन्दू कब्रों पर जाना छोड़ देगा, हिन्दू महिला का यौन शोषण नहीं होगा। ये कब्रें हिन्दुओं के लिए बनती हैं, इस्लाम में कब्रों को नहीं पुजा जाता। हिन्दुओं के चढ़ाये धन पर ये लोग ऐश करते हैं, जिस दिन से हिन्दू कब्रों पर जाना छोड़ देगा, इनके सारे ऐश-ओ-आराम की अर्थी निकल जाएगी। इतना विश्वास अगर हिन्दू अपने ही देवी-देवताओं पर करे, देखिए कितना सम्मान मिलता है। 

मंदिर में पुजारियों की तरह दरगाहों में खादिम होते हैं। अजमेर शरीफ दरगाह के खादिमों की संस्था अंजुमन सैयद जादगान के सचिव सरवर चिश्ती ने अपने विवादित बयान के जरिए अजमेर रेप कांड को सही ठहराने और इसके लिए पीड़ित लड़कियों पर दोष मढ़ने की कोशिश की है।

चिश्ती ने कहा कि ‘लड़की चीज ही ऐसी होती है… बड़े से बड़ा फिसल जाता है’। इस मामले को हिंदुओं से जोड़ते हुए चिश्ती ने कहा, “आदमी पैसों से करप्ट नहीं हो सकता, मूल्यों से करप्ट नहीं हो सकता। लड़की चीज ही ऐसी है कि बड़े से बड़ा फिसल जाता है। वो थी ना… नाम क्या था… जो पेड़ के नीचे बैठे थे, विश्वामित्र जैसे भटक सकते हैं।”

चिश्ती ने आगे कहा, “अच्छा… जितने भी बाबा लोग जेल में हैं, ये सिर्फ वो हैं जो लड़की के मामले में फँसे हैं। यह ऐसा सब्जेक्ट है कि बड़े से बड़ा फिसल जाता है।” चिश्ती ने इसमें मुस्लिम मौलवियों का नाम ना लेकर एक नैरेटिव गढ़ने की कोशिश की।

बताते चलें कि इस रेप कांड में लगभग सभी लड़कियाँ हिंदू थीं और उन्हें ब्लैकमेलिंग एवं बलात्कार को अंजाम देने अधिकतर समुदाय विशेष के थे। इस घटना के मुख्य आरोपित थे- फारुक चिश्ती, नफीस चिश्ती और अनवर चिश्ती। तीनों युवक कॉन्ग्रेस में महत्वपूर्ण पदों पर थे और अजमेर दरगाह के खादिम परिवारों से आते थे।

इस फिल्म के विरोध में अजमेर दरगाह कमेटी ने कहा था कि फिल्म के जरिए एक खास समुदाय को निशाना बनाने की कोशिश की गई है। फिल्म से अजमेर दरगाह और मोइनुद्दीन चिश्ती की छवि को नुकसान पहुँचाने की कोशिश हुई तो वे कानूनी कार्रवाई करेंगे। रिलीज से पहले फिल्म दरगाह कमेटी को दिखाने की भी की गई है।

सरवर चिश्ती वही शख्स है, जिसने नूपुर शर्मा मामले में लोगों को भड़काने का काम किया था। उसने कहा था, “इस वक्त मुल्क में जो हालात हैं। नामूस ए रसूल सललल्लाहु अलेही वसल्लम की शान में गुस्ताखी हो रही है। ये हम कभी कबूल नहीं करेंगे। ऐसा आंदोलन करेंगे कि पूरा भारत हिल जाएगा।” चिश्ती ने जिस अंदाज में यह ऐलान किया था, वह उसके इरादों को साफ तौर पर जाहिर कर रहा था।

चिश्ती पर प्रतिबंधित कट्टरपंथी इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) से कनेक्शन होने का भी आरोप है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरवर चिश्ती खुद को पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का सदस्य बताता है। उसे इस संगठन के सदस्यों के साथ कई बार देखा जा चुका है। वह मंचों से कई बार पीएफआई की तारीफ कर चुका है। 2020 में, उसने यह कहते हुए पीएफआई का बचाव किया था कि संगठन ‘भारत के संविधान को बचा रहा है’। 

पीएफआई के नेताओं के साथ बैठे सरवर का एक वीडियो सामने आया था। इस वीडियो में सरवर चिश्ती कहता है, “हम मुसलमानों के हामी हैं, मददगार हैं, उनके तरफदार हैं और ये तंजीमें- PFI-SDPI मुसलमानों की आवाज उठाती है।” इस दौरान SDPI नेता तस्लीम रहमानी भी सरवर चिश्ती के साथ बैठा था। साथ में PFI का अनीस, SDPI का जनरल सेक्रेटरी मोहम्मद शफी, राजस्थान PFI अध्यक्ष आसिफ भी था। सरवर चिश्ती इनकी तारीफ कर रहा था।

इतना ही नहीं, 10 साल पहले कर्नाटक में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के मंच से भाषण देते हुए सरवर चिश्ती ने नरेंद्र मोदी को लेकर आपत्तिजनक बात कही थी। तब नरेंद्र मोदी को PM उम्मीदवार बनाने की अटकलें लग रही थीं।

उस समय सरवर चिश्ती ने कहा था, “अगर नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बन गया तो कोई ताज्जुब नहीं होगा कि सभी मुसलमान आतंकवादी बन जाएँ।” चिश्ती के इस बयान के बाद कर्नाटक में उसके खिलाफ मामला दर्ज हुआ था। हालाँकि, उस मामले का क्या हुआ, किसी को ज्ञात नहीं है।

सरवर का बेटा आदिल चिश्ती हिंदू-देवताओं का मजाक बनाते हुए 23 जून 2022 को कहा था, “333 करोड़ खुदाओं का अस्तित्व कैसे माना जाएगा? यह कैसे तार्किक है? एक खुदा का तो समझ में आता है, लेकिन 333 करोड़ खुदा, थोक में देवता (Wholesale of Gods), उसको कैसे माना जाएगा? मैं सोचता हूँ कि अगर व्यक्ति को हजार साल की जिंदगी मिले तो भी वह सभी 333 करोड़ खुदाओं को राजी नहीं कर सकता है।”

फिल्म ‘अतरंगी रे’ में रामायण-राधा का मजाक : ‘बेचारे मुस्लिम’ को हिन्दू लड़की से प्यार की सज़ा, ज़िंदा जला कर मार डालते हैं ‘भगवान राम के वंशज’

                                                                                                                           साभार: T-Series 
छद्दम धर्म-निरपेक्षों की तरह बॉलीवुड में भी हिन्दू धर्म का अपमान करना जन्म सिद्ध अधिकार बना हुआ है। लेकिन इनमें से किसी में किसी अन्य धर्म का मजाक बनाने का साहस नहीं। हिन्दुओं को भी ऐसी फिल्में ही नहीं बल्कि इन फिल्मों में काम करने वालों का उसी तरह अपमान करना चाहिए। दर्शकों को मनोरंजन के नाम पर पागल बनाकर उनके ही धन पर शहंशाही ज़िंदगी जीते हैं, क्यों न हिन्दू धर्म का मजाक उड़ाने फिल्म वालों को कंगाल बनाया जाए। जब ‘तनु वेड्स मनु (2011)’, ‘राँझना (2013)’ और ‘तनु वेड्स मनु रिटर्न्स (2015)’ जैसी फ़िल्में बना चुके आनंद एल रॉय कोई फिल्म लेकर आते हैं तो दर्शकों को एक उम्मीद रहती है। ये अलग बात है कि उनकी पिछली फिल्म ‘जीरो (Zero)’ फ्लॉप रही थी। अबकी उनकी फिल्म ‘अतरंगी रे’ में अक्षय कुमार, धनुष और सारा अली खान जैसे बड़े अभिनेता हैं। अक्षय कुमार ने ‘सज्जाद’ का किरदार निभाया है इसमें। जबकि सारा अली खान हिन्दू लड़की ‘रिंकू’ होती हैं।

आगे इस समीक्षा में हम आपको फिल्म की कहानी भी बताएँगे, क्योंकि बॉलीवुड के प्रोपेगंडा को बेनकाब करने के लिए ये आवश्यक है। जैसा कि आरा अली खान खुद इस फिल्म में कहती हैं, वो ‘सूर्यवंशी ठाकुर’ होती हैं, जिनका भगवान राम के वंश से सीधा ताल्लुक है। अब एक हिन्दू ठाकुर परिवार को दिखाया गया तो उसे क्रूर बताना ज़रूरी हो जाता है। उस घर की महिलाएँ हो या पुरुष, सबका क्रूर और ‘प्यार से घृणा करने वाला’ होना ज़रूरी है।

बिहार का परिवार होता है, इसीलिए यहाँ थोड़ी बदनामी बिहार की भी हो जाए तो फिल्म में और मसाला लग जाता है। इसीलिए, ‘जबरिया शादी’ का कॉन्सेप्ट लाया गया है। रिंकू के परिवार वाले जबरन उसकी शादी एक तमिल लड़के से कर देते हैं, जिसे बाँध कर लाया जाता है। अब शुरू होता है तमिल भाषा का मजाक बनाना। तमिल बोलते विशु (जिसका असली नाम तमिल में कुछ लंबा सा है और रिंकू बोलती है कि ये भगवान वाला नाम है, इसीलिए धरती वाला नाम बताओ) को एक कॉमिक कैरेक्टर की तरह पेश किया गया है।

कुछ इसी तरह की चीज हमने ‘चेन्नई एक्सप्रेस’ में देखी थी, जहाँ तमिल बोलने वालों को कॉमेडी के लिए इस्तेमाल किया गया था। दूसरी भाषा का मजाक बना कर आप ये कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि वो उनका सम्मान करें? खैर, इस फिल्म में तमिल अभिनेता धनुष भी हैं जो दक्षिण में अपनी अच्छी फिल्मों के लिए जाने जाते हैं लेकिन ये भी कहा जाता है कि उन्हें हिंदी ठीक से नहीं आती। इससे पहले वो ‘राँझना’ के अलावा आर बल्कि की ‘शमिताभ (2015)’ में दिखे थे। ये उनकी तीसरी हिंदी फिल्म है।

फिल्म का सबसे बड़ा सस्पेंस ये होता है कि रिंकू जिस काल्पनिक लड़के से पूरी फिल्म प्यार कर रही होती है और अपनी बॉयफ्रेंड समझ रही होती है, वो उसके अब्बा होते हैं। फ्लैशबैक में पता चलता है कि इस शादी से रिंकू की माँ (जिसके किरदार में वो खुद हैं) के परिवार वाले इस शादी से खुश नहीं थे और जादूगर सज्जाद को ज़िंदा जला कर मारने के लिए उन्होंने साजिश रची। फिर जादू दिखाते हुए बच्ची रिंकू के सामने ही सज्जाद आग से जल कर मर जाता है।

स्पष्ट है, जलाने वाले वही ‘भगवान श्रीराम के वंशज सूर्यवंशी ठाकुर’ हैं और मरने वाला एक मुस्लिम जिसने एक हिन्दू लड़की से शादी कर ली। नैरेटिव ये है कि मुस्लिम पीड़ित है और हिन्दू अपराधी। गुंडे भगवान की पूजा न करें, चंदन न लगाएँ और भगवान का नाम न लें तो भला वो बॉलीवुड के विलेन कैसे हुए? इसीलिए रिंकू के परिवार वालों को भी हवन वगैरह करते हुए दिखाया गया है। रिंकू बार-बार घर से भागती है, लेकिन उसकी नानी जबरन उसकी शादी करवा देती है।

और हाँ, फिल्म के एक दृश्य में ‘सज्जाद (असली में रिंकू का अब्बू लेकिन अब काल्पनिक बॉयफ्रेंड)’ उसे एक ‘रामायण’ भी समझाता है, जिसमें वो खुद को राम बोलता है। साथ ही जिस विशु से रिंकू की शादी हुई होती है, उसे रावण बताता है। फिर बताता है कि किस तरह वो ‘रावण’ इस ‘राम’ को ‘सोने का हिरण’ मारने भेजना चाहता है, ताकि वो ‘सीता’ का हरण कर सके। ‘अब रामायण शुरू होता है’ – इस डायलॉग के साथ ही इंटरवल की घोषणा होती है।

बॉलीवुड का शुरू से ऐसा ही रहा है। सज्जाद को ‘सेक्युलर’ दिखाने के लिए कृष्ण जन्माष्टमी पर गाना गाते हुए और मटका फोड़ते हुए भी दिखाया गया है। वो रामायण की बातें करता है। साथ ही राधा वाला एक गाने का तड़का हो जाए तो फिल्म की संगीत में चार चाँद लग जाते हैं। फिल्म के गाने जब एआर रहमान ने बनाएँ हों और लिरिक्स इरशाद कामिल ने लिखे हों, तो इस पर आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि ‘राधा’ को फूहड़ ढंग से पेश किया जाने वाला है।

इस बिना सिर-पैर की कहानी वाली फिल्म में बॉलीवुड वालों ने वही किया है, जो वो वर्षों से करते आ रहे हैं। ठाकुर, ब्राह्मण या वैश्य समाज का विलेन, मुस्लिम पीड़ित, हिन्दू देवी-देवताओं का नाम लेकर फूहड़ गाने, हिन्दू धर्म ग्रन्थ का नाम लेकर मजाक। इन सबके अलावा एक लव ट्रायंगल और किसी कॉलेज का कैम्पस हो जाए तो सोने पर सुहागा। पुरानी बोतल में पुरानी शराब डाल कर उसमें नीम्बू गाड़ देने का ही नाम है – ‘अतरंगी रे’।

‘माननीय CM योगी जी, मेरी बेटी की अश्लील फोटो बनाकर जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया, मेरी मदद करें’

उत्तर प्रदेश, धर्म परिवर्तन, योगी आदित्यनाथ
बेटी को बचाने के लिए पिता ने लगाई सीएम योगी से गुहार
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले से धर्म परिवर्तन का एक घिनौना सच सामने आया है। जहाँ एक पिता ने अपनी बेटी के अपहरण और उसका जबरन धर्म परिवर्तन कराने के आरोप में एक स्कूल प्रबंधक सलमान सुहेल के ख़िलाफ़ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से न्याय की गुहार लगाई है। साथ ही पुलिस को भी तहरीर देकर मामले को थाने में दर्ज करवाया है। अब पुलिस मामले की छानबीन कर रही है।
लड़की के पिता का नाम राजेश कुमार है और पूरा मामला दरियाबाद थाना क्षेत्र के कमोली गाँव का है। राजेश ने मुख्यमंत्री को लिखे अपने पत्र में बताया है कि वह सनातन हिंदू धर्म को मानने वाले व्यक्ति हैं। उनकी आर्थिक स्थिति बहुत दयनीय है।



उनकी मानें तो उनकी बेटी खुशबू श्रीवास्तव (19 वर्ष) हरिहर सिंह विमला देवी महिला महाविद्यालय जगदीशपुर बजूरी बाराबंकी में बीए द्वितीय वर्ष की छात्रा है। लेकिन इसके अलावा वह खंसा हाजी तुफैल अहमद इंटर कॉलेज उदईमऊ में बतौर शिक्षक भी पढ़ाती है। पिता के मुताबिक उनकी बच्ची 27 अगस्त को अपने घर से निकली थी, लेकिन उसके बाद वह वापस नहीं आई। परिजनों ने उसको खोजने की खूब कोशिश की लेकिन वह जब नहीं मिली तो 28 सितंबर को थाने पहुँचकर एफआईआर दर्ज करवाई।
उन्होंने बताया कि स्कूल के प्रबंधक सलमान सुहेल ने बहला-फुसलाकर उनकी बच्ची को धर्म परिवर्तन के लिए और अपने साथ या किसी अन्य मुस्लिम युवक के साथ शादी कराने के लिए अगवा कर लिया है। बच्ची भी किसी डर में उसी के पक्ष में बात कर रही है। लेकिन सलमान उन्हें फोन करके धमका रहा है। वह कह रहा है कि अगर वह लोग उसके ख़िलाफ़ कोई भी कार्रवाई करेंगे तो वह उनके पूरे परिवार को जान से मार देगा।
हालाँकि, फिलहाल परिवार की तहरीर पर मामले को धारा 366 के तहत दर्ज कर लिया गया है और कहा जा रहा है कि अपहरणकर्ताओं की जल्द ही गिरफ्तारी होगी। लेकिन फिर भी पिता ने मुख्यमंत्री को इस मामले में पत्र लिखकर प्रार्थना की है कि इस प्रकरण में वह अतिशीघ्र कार्रवाई करने की कृपा करें। ताकि उनके धर्म की रक्षा मुस्लिम जेहादियों से हो सकें।
काश स्थिति विपरीत होती, समस्त छद्दम धर्म-निरपेक्ष, #intolerance, #award vapsi, #not in my name और #metoo आदि गैंगस्टरों ने आसमान सिर पर उठा लिया होता, लेकिन यह अत्याचार एक हिन्दू लड़की के साथ होने पर सब मुँह में दही जमाए और सूरदास बने बैठे हैं।