मालेगाँव ब्लास्ट (फाइल फोटो)
2008 के मालेगाँव ब्लास्ट केस (Malegaon Blast Case 2008) में एक और गवाह कोर्ट में अपने बयान से मुकर गया। इतना ही नहीं इस गवाह ने महाराष्ट्र एटीएस (Maharashtra ATS) पर गंभीर आरोप भी लगाते हुए कहा कि संघ के नेताओं के नाम लेने के लिए उसे प्रताड़ित किया गया। इस तरह इस मामले में अब तक 17 गवाह अपना बयान बदल चुके हैं।
गवाह ने आरोप लगाया कि एटीएस ने उसे बंधक बनाकर तीन-चार दिनों तक अवैध हिरासत में रखा था। इस दौरान ATS ने उसे प्रताड़ित किया और RSS के नेताओं का नाम लेने का उस पर दबाव बनाया। इससे पहले 16 गवाह अपने बयान से मुकर चुके हैं। एक गवाह ने तो अपने बयान से पलटते हुए कोर्ट में एटीएस पर आरोप लगाते हुए कहा था कि एटीएस ने उस पर दबाव बनाया था कि वो योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) का नाम इस मामले में ले। इसके अलावा आरएसएस के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार और स्वामी असीमानंद का नाम लिए जाने का दबाव डालने का आरोप लगाया था।
Correction: Another witness turns hostile* in the Malegaon blast case 2008 trial. This is the 17th hostile witness. He told the court that he was kidnapped by ATS and was kept in illegal custody for three-four days, and was forced to take names of RSS leaders in the case.
— ANI (@ANI) February 3, 2022
Same group of people were incarcerated for multiple things like ajmer Hyderabad malegaon samjhauta.
— Shandilya Brahmin (@CyclingAddicted) February 3, 2022
— Ishita Sharma (@FightCorona101) February 3, 2022
इसके बाद इंद्रेश कुमार ने तत्कालीन संयुक्त प्रगितशील गठबंधन (UPA) सरकार पर भगवा के खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “कॉन्ग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए ने ‘भगवा’ के खिलाफ साजिश रची। इसे आतंकवाद से जोड़ा। धार्मिक नेताओं को बदनाम करने और लोगों को गिरफ्तार करने के लिए एजेंसी का दुरुपयोग करने का प्रयास किया। लेकिन वे बुरी तरह विफल रहे।”
साल 2008 में 29 सितंबर की रात नौ बजकर 35 मिनट पर मालेगाँव में शकील गुड्स ट्रांसपोर्ट कंपनी के ठीक सामने एक बम धमाका हुआ था। यह धमाका एलएमएल मोटरसाइकिल में हुआ था। इस धमाके में छह लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक लोग घायल हो गए थे। मस्जिद के पास एक मोटरसाइकिल में बाँधे गए विस्फोटक से धमाके को अंजाम दिया गया था।
चूँकि यह मामला आतंक से जुड़ा हुआ था, इसलिए इसकी जाँच की जिम्मेदारी महाराष्ट्र एटीएस को दी गई। बता दें कि मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह उस वक्त एटीएस के एडिशनल कमिश्नर थे। एटीएस ने इस मामले में शुरुआती जाँच की थी। तीन साल बाद 2011 में इस केस को एनआईए के पास ट्रांसफर किया गया था। मालेगाँव धमाका मामले में अब एनआईए की स्पेशल कोर्ट सुनवाई कर रही है।
No comments:
Post a Comment