हिजाब पर फैसला हुआ नहीं, रायता जरूर फ़ैल गया। जिस पर हर मुस्लिम को गहन चिंतन करने की जरुरत है। एक तरफ भारत में कट्टरपंथी हिजाब को इस्लामिक प्रथा बता रहे हैं, जबकि दूसरी तरफ ईरान में इसके विरोध में प्रदर्शन हो रहे हैं। स्विट्ज़रलैंड में पब्लिक में चेहरा ढकने पर 85000 रूपए का जुर्माना लगाने का प्रस्ताव वहां की संसद में भेज दिया गया है, जिसके जल्दी पारित होने की सम्भावना है। ईरान में हो रहे प्रदर्शन से अन्य देशों ने सचेत होना शुरू कर दिया है, जबकि भारत में मुल्लावाद विदेशी खैरात पर मुस्लिम समाज को अपनी दुकान चलाए रखने के लिए भड़का रहे हैं।
समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर्रहमान ने लड़कियों के पर्दा को लेकर फिर बयान दिया है। बर्क के बयान ने पूरे देश में हलचल पैदा कर दी है। उनका कहना है कि लड़कियां अगर बेपर्दा घूमेंगी तो आवारगी बढ़ेगी। हिजाब विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट 13 अक्टूबर(करवाचौथ के दिन) को अपना फैसला नहीं सुना पाया। सुप्रीम कोर्ट के दोनों ही जजों की राय इस मामले में अलग-अलग थी। जिसके बाद मामले को बड़ी बेंच को सौंपने की सिफारिश की गई है। अब समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने कहा कि सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं के लिए हिजाब अनिवार्य है। उन्होंने दावा भी किया कि सार्वजनिक रूप से हिजाब नहीं पहनना पूरे समाज के लिए हानिकारक है।
बेपर्दा रहने पर आवारगी बढ़ती है, हिजाब पर बोले सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क @NavbharatTimes pic.twitter.com/U2oqS7yO8z
— NBT Uttar Pradesh (@UPNBT) October 13, 2022
सपा सांसद इससे पहले भी विवादित बयान दे चुके हैं। इससे पहले उन्होंने कहा था, ‘इस्लाम के मुताबिक हिजाब इसलिए भी जरूरी है कि बच्चियां कंट्रोल में रहें, जिससे हालात भी संभले रहेंगे। हिजाब पहनने से दूसरे लोग उन पर बुरी नजर नहीं डाल सकेंगे।’ इस बार बर्क ने कहा है कि हिजाब इस्लाम का मामला है। हमें भरोसा है कि सुप्रीम कोर्ट इसमें सही फैसला करेगा।
After Shaheen bag’s ‘Kudarati Biryani’, now its time for ‘Kudarati kids’…. Regarding population control law, SP MP Shafiqur Rahman Burke said – humans don’t produce children, they are ‘kudarati’.. ☛ https://t.co/LNgrXO3HHY
— Kreately.in (@KreatelyMedia) July 14, 2022
Aww pic.twitter.com/i3LGj3GKA1
— Twiter User (@Twiterapril2022) July 15, 2022
इससे पहले सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर कहा था कि औलाद इंसान नहीं कुदरत पैदा करती है। बर्क ने कहा था, ‘औलाद पैदा करने का ताल्लुक इंसान से नहीं कुदरत और अल्लाह से है। अल्लाह-ताला जब किसी बच्चे को पैदा करने का इरादा करता है तो उसके साथ ही उसके खाने का इंतजाम भी करता है।”
जब टीवी पर लाइव शो में मौलाना रशीदी की जबरदस्त बेइज्जती हुई
हकीकत यह है कि तीन तलाक से लेकर अब हिजाब पर जब किसी भी कट्टरपंथी के पास कोई जवाब नहीं होने पर अंधे होकर हिन्दू धर्म पर प्रहार शुरू कर देते हैं। चाहे वह मुग़ल काल में हिन्दू मंदिरों को मस्जिद अथवा दरगाह बनाने की सच्चाई सामने आने की बात हो। कट्टरपंथियों ने समझा था कि जिस तरह शाहबानो केस को तत्कालीन राजीव गाँधी सरकार ने दबा दिया गया था, उसी तरह वर्तमान मोदी सरकार भी दबाव में आकर मुद्दों को दफ़न कर देगी, लेकिन हो एकदम विपरीत रहा है। नूपुर शर्मा की बात को तूल देने से कट्टरपंथी जेहादियों ने इस्लाम की कुरीतियों को उजागर करवाने को मजबूर कर दिया। खैर, अक्टूबर 13 को News18 पर वेदों का ज्ञान नहीं होने पर शो में मौलाना रशीदी की जिस तरह बेइज्जती की गयी, अगर शर्म हो कभी किसी डिबेट में नहीं आना चाहिए। ऋग्वेद में अग्नि देवता के लिए वर्णन को घूँघट पर बताने पर क्रोध में शब्दों के तीखे बाणों से प्रहार किये जाने पर बेशर्म दूसरी मुस्लिम महिला भी उसी व्हाट्सअप को पढ़ती दिखी। देखिए वीडियो:-
अवलोकन करें:-
एक दिन में फैसला हो जायेगा
जिम्मेदार रिटायर्ड CJI रमना -अदालतों में मुस्लिम महिला वकील काला कोट उतार कर “हिजाब” में जाना शुरू कर दें - एक दिन में फैसला हो जाएगा।
हिज़ाब पर दो जजों ने अलग अलग फैसले देकर न्याय करने की बजाय रायता फैला दिया - जब 2 जज आपस में एक राय नहीं बना सकते तो विभिन्न वर्गों और धर्मों के समाज में समरसता कैसे हो सकती है। जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सभी अपीलें खारिज कर दी जबकि जस्टिस सुधांशु धुलिया ने कर्नाटक सरकार के नियमों को ख़ारिज किया है।
इस तरह के फैसले से मसला सुलझा नहीं बल्कि और उलझ गया - फ़िलहाल तो हिज़ाब पर बैन को जारी रखने के आदेश दिए हैं और मामला CJI यू यू ललित के पास भेज दिया गया है जिससे बड़ी या संविधान पीठ बनाई जा सके सुनवाई के लिए।
मसले का बंटाधार करने वाले फैसले के लिए जिम्मेदारी तो पूर्व CJI रमना की बनती है क्योंकि उन्हें पहले ही 3 जजों की बेंच गठित करनी चाहिए थी ना कि 2 जजों की और अगर 3 जजों की बेंच गठित होती तो संभवतः फैसला 2 - 1 से होता।
आज भी फैसला आने के बाद कुछ मुस्लिम वक्ता वही इस्लाम की दुहाई देते हुए कह रहे हैं कि हिजाब इस्लाम के अनुसार पहनना जरूरी है - क्या भारत का इस्लाम अलग है क्योंकि ईरान में अपने इस्लाम के इसी हिजाब के खिलाफ महिलाएं देश की इस्लामिक सरकार से टकरा रही है। महिलायें अपने बाल कटवा रही हैं, नायिका सारे कपडे उतार रही है। इसीलिए कहते हैं "अति हर बात की बुरी होती है।"
आर्टिकल 14 और आर्टिकल 25 का हवाला दिया गया है मुस्लिम लड़कियों की तरफ से और अभी भी उसी पर जोर दिया जा रहा है - आर्टिकल 14 कानूनी तौर पर सबको बराबरी का अधिकार देने की बात करता है - मगर ड्रेस कोड की अवहेलना कर किसी एक वर्ग को अलग ड्रेस की अनुमति कैसे दी जा सकती है - इससे बराबरी का हक़ नहीं मिलेगा बल्कि गैर बराबरी कायम होगी - (Inequality is created because of so called Equality)
आर्टिकल 25 कहता है all persons are equally entitled to freedom of conscience and the right freely to profess, practise and propagate religion subject to public order morality and health - इसका मत्लाफ साफ़ है कि आप अपने धर्म का प्रचार अपनी कौम के बनाये गए स्कूलों में करने के हक़दार है लेकिन जहाँ सभी धर्मो के लोग या बच्चे हों, तब उन सस्थानों के नियमों का पालन करना होगा -
अब CJI ललित नई बड़ी बेंच बनाते हैं या संविधान पीठ बनाते है ये देखना होगा और बनाते हैं भी या नहीं यह भी देखना होगा क्योंकि हो सकता है वो ये मसला चंद्रचूड़ के लिए छोड़ जाएँ - एक सम्भावना मुझे जरूर दिखाई देती है कि जो भी बेंच बनेगी, उसमे चंद्रचूड़ और अब्दुल नज़ीर जरूर होंगे और कोई सेकुलर फैसला आएगा इस मसले में जो इस्लाम के नाम पर हिजाब की वकालत कर रहे हैं और जस्टिस धुलिया ने भी हिजाब को सही ठहरा दिया, उन्हें बताना होगा कि ये हिजाब केवल शिक्षण संस्थाओं में क्यों चलाना चाहते हो, उर्फी जावेद को कपड़े पहनाने की कोशिश क्यों नहीं करते -
सुप्रीम कोर्ट और अन्य सभी अदालतों में आज ही अगर मुस्लिम वकील और मुस्लिम जज काला कोट उतार कर हिजाब पहन कर जाना शुरू कर दें, तो मैं देखता हूँ कौन सी अदालत उन्हें आर्टिकल 14, 19, 21 और 25 में ऐसा करने की अनुमति देती है - दिन में तारे नज़र आ जायेंगे हर कोर्ट के चीफ जस्टिस को।
सेकुलरिज़्म का दूसरा नाम फरेब है।
इमरजेंसी में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने विपक्ष की गैर-मौजूदगी में संविधान में secular शब्द डालकर कट्टरपंथियों को शक्तिशाली बनाकर हिन्दुओं के साथ बहुत बड़ा छल किया।
कोई शक़ अगर हो...तो इन तथ्यों पर ध्यान दीजिये...!
सेक्युलर कहते हैं कि...करवाचौथ नारी उत्पीड़न है, तीन तलाक़ धार्मिक आस्था..!
सेक्युलर कहते हैं कि...देवदासी प्रथा वेश्यावृत्ति थी, हलाला पवित्र नारी-शुद्धिकरण...!
सेक्युलर कहते हैं कि...बहु विवाह एक अनैतिक प्रथा थी, चार-निक़ाह ईश्वरीय आदेश...!
सेक्युलर कहते हैं कि...यज्ञोपवीत पहनना धार्मिक कट्टरवाद है, लेकिन अरबी लबादा ओढ़ना धार्मिक पहचान है...!
सेक्युलर कहते हैं कि...कर्ण छेदन असभ्य क्रूरता है, ख़तना अलौकिक प्रक्रिया...!
सेक्युलर कहते हैं कि...पितृपक्ष तर्पण एक ढोंग है, लेकिन मरहूमों की मज़ारों पर चढ़ावा चढ़ाना श्रद्धा...!
सेक्युलर कहते हैं कि...तीर्थ-यात्रा पैसा कमाने का मनुवादी ढोंग, लेकिन लाखों रुपये फूँककर हज़-उमरा पवित्र ईश्वर का दर्शन...!
सेक्युलर कहते हैं कि...जल्लीकट्टू पशु उत्पीड़न है, लेकिन पशुओं की गला रेतकर क़ुर्बानी धार्मिक आस्था...!
सेक्युलर कहते हैं कि...गौरक्षा मांसाहार के अधिकार का हनन है, लेकिन सूअर खाने वाले शैतान हैं...!
सेक्युलर कहते हैं कि...दही-हांडी ख़ेल ख़तरनाक़ है, लेकिन छाती-पीट कर ख़ूनी मातम करना धार्मिक आस्था...!
सेक्युलर कहते हैं कि...संस्कृत गुरुकुल कट्टरवाद सिखाते थे, लेकिन मदरसों में आधुनिक वैज्ञानिक शोध होते हैं...!
सेक्युलर कहते हैं कि...व्रत-उपवास दकियानूसी ढोंग हैं,लेकिन रोज़े वैज्ञानिक शारीरिक तपस्या है...!
सेक्युलर कहते हैं कि...हिंदुओं में खानपान की छुआछूत अमानवीय है,लेकिन शिया-सुन्नी-अहमदिया का आपसी क़त्लेआम स्नेहिल भाईचारा है...!
सेक्युलर कहते हैं कि...हज़ारों साल पुरानी सारी इंसानी किताबें झूठी-बकवास हैं, लेकिन धरती को चपटी बताने वाली 1400 साल पुरानी आसमानी किताब में ब्रह्माण्ड का सारा ज्ञान-विज्ञान है...!
सेक्युलर कहते हैं कि...गुजरात में दुनिया का सबसे बड़ा दंगा हुआ, लेकिन हज़ारों कश्मीरी पण्डित मारे खुशी के स्वर्ग सिधार गए और लाखों ने हँसते हुए कश्मीर में अपना घरबार सब छोड़ दिया...!
सेक्युलर कहते हैं कि...बाक़ी मज़हबों पर संविधान लागू होता है, लेकिन हुज़ूर का मज़हब ख़ुद में संविधान है...!
सेक्युलर कहते हैं कि...रोहिंग्या मुसलमान शरणार्थी हैं, लेकिन पाकिस्तानी-अफगानी शरणार्थी हिन्दू भारत के लिए बोझ हैं...!
कहने को तो और बहुत कुछ है, लेकिन शालीनतावश सब कुछ नहीं लिख सकते..... लेकिन इतना ही काफी है ये समझने और समझाने के लिए कि सेकुलरिज़्म का ही दूसरा नाम फरेब है।

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