जिस कांग्रेस पर भ्रष्टाचारी होने का आरोप लगा और तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के विरुद्ध 370 आरोप लेकर घूम जनता को भ्रमित कर सत्ता हथियाने वाले अरविन्द केजरीवाल को भाजपा नहीं कांग्रेस ठिकाने लगाएगी। कांग्रेस को भाजपा ने नहीं कांग्रेस पोषित केजरीवाल पार्टी ने ही नुकसान पहुँचाया है। कांग्रेस नेता अजय माकन एक चोट तो मारने में सफल हो गए हैं, बस कांग्रेस अध्यक्ष खड़के से समस्त पार्टी के लिए एक आदेश करवा दें, कोई कांग्रेस कार्यकर्ता एवं समर्थक किसी भी सूरत में आम आदमी पार्टी को वोट नहीं देगा। क्योकि जहाँ-जहाँ कांग्रेस कमजोर हुई है, केजरीवाल पार्टी हावी हुई। केजरीवाल पार्टी के औंधे मुंह गिरने से कांग्रेस मजबूत होगी। जो एक लोकतंत्र के लिए जरुरी है।
माकन को दिल्ली शराब घोटाले पर भी पेनी नज़र रखनी होगी। पंजाब कांग्रेस को भी केजरीवाल सरकार को नज़रअंदाज नहीं करना होगा। माकन को इस चोट की गूंज समस्त भारत में पहुंचा कर क्रांति लानी होगी।
दिल्ली में सरकार चला रही आम आदमी पार्टी (AAP) के सामने दफ्तर सील होने का खतरा पैदा हो गया है। सूचना और प्रचार निदेशालय (DIP) ने करीब 164 रुपए जमा करने का निर्देश पार्टी को दिया है। सूत्रों के अनुसार इसके लिए आपको 10 दिनों का समय दिया गया है। ऐसा नहीं होने पर दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है। यह मामला सरकारी पैसे से राजनीतिक प्रचार करने से जुड़ा है।दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दिसंबर 2022 में 97 करोड़ रुपए आप से वसूलने के निर्देश दिए थे। इसे देखते हुए डीआईपी ने 163.62 करोड़ रुपए जमा करने का आदेश दिया है। बताया जा रहा है कि इसमें से 99.31 करोड़ रुपए मार्च 2017 तक का मूलधन है। 64.31 करोड़ रुपए इस पर ब्याज लगाया गया है।
Delhi | The Directorate of Information and Publicity (DIP) issued a recovery notice of Rs 164 crores to the National convenor of the Aam Aadmi Party, Arvind Kejriwal. The amount needs to be paid within 10 days: Sources
— ANI (@ANI) January 12, 2023
रिपोर्ट्स की मानें तो यदि आम आदमी पार्टी ने तय वक्त पर राशि का भुगतान नहीं किया तो उन पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है। कार्रवाई के तहत AAP की संपत्तियाँ कुर्क हो सकती हैं। यहाँ तक कि दिल्ली स्थित आम आदमी पार्टी का मुख्यालय भी सील किया जा सकता है।
सूचना और प्रचार निदेशालय ने 2017 में आम आदमी पार्टी को 42.26 करोड़ रुपए सरकारी खजाने को तुरंत जमा करने और 54.87 करोड़ रुपए की बकाया राशि विज्ञापन एजेंसियों या संबंधित प्रकाशनों को 30 दिनों के भीतर सीधे भुगतान करने का निर्देश दिया था। लेकिन, AAP ने आदेशों का पालन नहीं किया।
इसके बाद उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मुख्य सचिव को निर्देश दिए थे कि वे सितंबर 2016 के बाद के सभी विज्ञापनों को कमेटी ऑन कंटेंट रेग्युलेशन इन गर्वनमेंट एडवरटाइजिंग (CCRGA) के पास जाँच के लिए भेजें। साथ ही यह भी सुनिश्चित करने को कहा था कि सभी विज्ञापन सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुरूप हैं या नहीं।
अवलोकन करें:-
सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के बाद CCRGA का गठन हुआ था। उसने आम आदमी पार्टी को 97 करोड़ 14 लाख रुपए ब्याज के साथ सरकारी खजाने में जमा करने का आदेश दिया था। कमिटी ने अपने आदेश में कहा था कि राजनीतिक विज्ञापनों को सरकारी विज्ञापन के तौर पर प्रकाशित किया गया, जिससे एक राजनीतिक दल को लाभ मिला। यह सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के आदेशों की अवमानना है।
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