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NCPCR के संज्ञान के बाद दारुल उलूम देवबंद की वेबसाइट से हटाए गए 'बहिश्ती जेवर' के फतवे (साभार- ABP न्यूज़ और हिंदुस्तान) |
शासन द्वारा की गई कार्रवाई की जानकारी देते हुए NCPCR के चेयरपर्सन प्रियंक कानूनगो ने रविवार (22 अक्टूबर, 2023) को पोस्ट किया, “नाबालिग बच्चियों के यौन शोषण के तौर तरीक़े बताने वाली मौलाना अशरफ़ अली थानवी की किताब बाहिश्ती ज़ेवर,मदरसा दारुल उलूम देवबंद सहारनपुर द्वारा फ़तवे जारी करने व बच्चों को सिखाने के काम में ली जा रही थी। जिस पर NCPCR ने संज्ञान ले कर ज़िला प्रशासन को नोटिस जारी किया था। ज़िला प्रशासन सहारनपुर ने तत्परता पूर्वक कार्यवाही करते हुए अवगत करवाया है कि उक्त किताब का उपयोग बंद करवा दिया गया है व संबंधित फ़तवे भी दारुल उलूम देवबंद की वेबसाइट से हटवा दिए गए हैं। शेष जाँच जारी है।”
नाबालिग बच्चियों के यौन शोषण के तौर तरीक़े बताने वाली मौलाना अशरफ़ अली थानवी की किताब बाहिश्ती ज़ेवर,मदरसा दारुल उलूम देवबंद सहारनपुर द्वारा फ़तवे जारी करने व बच्चों को सिखाने के काम में ली जा रही थी।
— प्रियंक कानूनगो Priyank Kanoongo (@KanoongoPriyank) October 22, 2023
जिस पर @NCPCR_ ने संज्ञान ले कर ज़िला प्रशासन को नोटिस जारी किया था।
ज़िला… pic.twitter.com/jWcn79sLUX
और ऐसी शिक्षण संस्थानों को सरकार द्वारा हमारे टैक्स से पोषित किया जाता है।
— Sanjay singh (@sanjay698456806) October 22, 2023
ये सब क्या हो रहा है ???
Where are Taslim Rehmani, @zoo_bear @khanumarfa @_sabanaqvi @_sayema @ReallySwara
— lmaheswa (@lmaheswa) October 22, 2023
दरअसल, दारुल उलूम के मदरसों में ऐसा पाठ्यक्रम पढ़ाया जा रहा था, जिसमें कई विवादित संदर्भ व फतवे शामिल थे। जैसे जानवरों से रेप, मृत महिलाओं और नाबालिग बच्चियों से यौन सम्बन्ध के तौर तरीके बताए गए थे एवं उन्हें जायज ठहराया गया था। यहाँ तक कि नहाना भी जरुरी नहीं था। जिस पर दिल्ली की सामाजिक संस्था मानुषी सदन ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग में शिकायत की थी। इसके बाद ही NCPCR की नोटिस के बाद अब इसे वेबसाइट व पाठ्यक्रम से हटा दिया गया है।
मानुषी सदन संस्था ने गत 7 जुलाई, 2023 को शिकायत की थी कि इस्लामिक विद्वान दिवंगत मौलाना अशरफ अली थानवी की 100 साल पुरानी किताब “बहिश्ती जेवर” के जरिए दारुल उलूम छात्रों को नाबालिगों पर आपराधिक हमले, अवैध संबंध, दुष्कर्म और नाबालिगों की शादी की पढ़ाई करा रहा है।
जिसके बाद राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सहारनपुर के डीएम व एसएसपी को जाँच करने व दारुल उलूम की वेबसाइट पर उपलब्ध ऐसी विवादित सामग्री को हटाने के लिए कहा था। साथ ही अधिकारियों को आयोग में तलब भी किया था।
आयोग की तरफ से जारी नोटिस में कहा गया था कि बच्चों को दारुल उलूम की तरफ से जारी फतवों को पढ़ाया जा रहा है। बच्चों को वो फतवे पढ़ाए जा रहे हैं जो वेबसाइट पर मौजूद हैं। और यह बाल अधिकार के खिलाफ है।
आयोग ने कहा कि उन्हें दारुल उलूम देवबंद की तरफ से जारी फतवों के खिलाफ एक शिकायत भी मिली है। फतवे में ‘बहिश्ती जेवर’ नामक पुस्तक का जिक्र है, जो बच्चों के लिए आपत्तिजनक, अनुचित और अवैध है।
इसी मामले में 19 जुलाई, 2023 को बाल संरक्षण आयोग के निर्देश पर एसडीएम संजीव कुमार के नेतृत्व में सीओ रामकरण सिंह, डीआईओएस योगराज सिंह, डीएसओ डॉ. विनिता, बीईओ डॉ. संजय डबराल की टीम दारुल उलूम पहुँची थी। टीम ने संस्था के नायब मौलाना अब्दुल खालिक मद्रासी और सद्र-मुदर्रिस मौलाना अरशद मदनी से मुलाकात की थी और पूरे मामले की जाँच की थी।
इस मामले में दारुल उलूम के जिम्मेदारों ने टीम को बताया था कि पुस्तक से संस्था का कोई वास्ता नहीं है। जिसके बाद उन्हें वेबसाइट से हटवा दिया गया। वहीं अब 19 अक्टूबर, 2023 को आयोग में प्रस्तुत होकर अधिकारियों ने बताया कि चार सदस्यीय टीम की जाँच के बाद विवादित सभी फतवों और पुस्तक को दारुल उलूम समेत अन्य सभी वेबसाइट से हटवा दिया गया है।
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