और राम आ गए - राम क्या हैं, उनकी महिमा क्या है, इसका बखान जो मोदी ने किया, वो कोई संत महात्मा और शंकराचार्य भी नहीं कर सकता

सुभाष चन्द्र

सभी आसुरी शक्तियां विफल हुई, देखती रह गईं और भगवान राम अपनी अयोध्या लौट आए।  क्या भव्यता थी भगवान की मूर्ति की, ऐसी मनमोहक छवि जो देखते ही बनती थी, मूर्तिकार ने गज़ब किया जो ऐसी मूर्ति बनाई जो लगता है अभी बोल पड़ेगी

और उस मूर्ति में विराजमान भगवान राम के बारे में मोदी ने बताया कि राम क्या हैं, उनकी महिमा क्या है, उनके जैसा बखान कोई संत महात्मा और शंकराचार्य भी नहीं कर सकता। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा -

“ये मंदिर, मात्र एक देव मंदिर नहीं है, ये भारत की दृष्टि का, भारत के दर्शन का, भारत के दिग्दर्शन का मंदिर है, ये राम के रूप में राष्ट्र चेतना का मंदिर है, राम भारत की आस्था हैं, राम भारत का आधार हैं”

“राम भारत का विचार हैं, राम भारत का विधान हैं, राम भारत की चेतना हैं, राम भारत का चिंतन हैं, राम भारत की प्रतिष्ठा हैं, राम भारत का प्रताप हैं, राम प्रभाव हैं, राम प्रवाह हैं, राम नेति भी हैं, राम नीति भी हैं, राम नित्यता भी हैं, राम निरंतरता भी हैं, राम व्यापक है, विश्व हैं, विश्वात्मा हैं इसलिए जब राम की प्रतिष्ठा होती है तो उसका प्रभाव शताब्दियों तक नहीं होता, उसका प्रभाव हज़ारों वर्षों तक होता है”

लेखक 
आज हमारे राम आ गए हैं, राम सदियों की प्रतीक्षा के बाद आए हैं, इस मौके पर मेरा कंठ अवरुद्ध है, अब रामलला टेंट में नहीं बल्कि दिव्य मंदिर में रहेंगे। आज से हज़ार साल बाद भी लोग इस तारीख की, आज के इस पल की चर्चा करेंगे, ये कितनी बड़ी राम की कृपा है कि हम सब इस पल को जी रहे हैं और साक्षात घटित होते देख रहे हैं”

प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि लोग कहते थे कि राम मंदिर बना तो आग लग जाएगी लेकिन राम आग नहीं ऊर्जा हैं, राम विवाद नहीं समाधान हैं, राम सिर्फ हमारे नहीं सबके हैं, राम अनंत हैं, रामलला की प्राण प्रतिष्ठा, वसुधैव कुटुंबकम के विचार की भी प्रतिष्ठा है, ये साक्षात मानवीय मूल्यों और सर्वोच्च आदर्शों की भी प्राण प्रतिष्ठा है

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज पूरे पवित्र मन से महसूस कर रहा हूं कि कालचक्र बदल रहा है, यह सुखद संयोग है कि हमारी पीढ़ी को एक कालजयी पथ के शिल्पकार के रूप में चुना गया है, हज़ारों वर्ष बाद की पीढ़ी राष्ट्र निर्माण के हमारे आज के कार्यों को याद करेगी और इसलिए मैं कहता हूं यही समय है, सही समय है

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि लंकापति महाज्ञानी थे पराक्रम के धनी थे पर आप जटायु को देखिए, उन्हें पता था कि लंकापति को परास्त नहीं कर पाएंगे, फिर भी वह भिड़ गए। यही भारत के निर्माण का आधार बनेगा 

प्रधानमंत्री ने राम के प्रति समर्पण को राष्ट्र के प्रति समर्पण से जोड़ देने का संकल्प दिलाया और कहा कि प्रभु को जो भोग चढ़ेगा वह भारत के परिश्रम की पराकाष्ठा का प्रसाद भी होगा। यह भारत के विकास का अमृतकाल है, आज भारत युवा शक्ति से भरा हुआ है, ऐसी परिस्तिथियाँ न जाने कितने समय बाद बनेंगी, हमें अब बैठना नहीं, चूकना नहीं है

मोदी जैसे ऐसे व्यक्तित्व के विरोध में यदि विपक्ष विलाप करता है तो यह मूर्खता ही होगी

No comments: