ICICI बैंक की पूर्व CEO और MD चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर के 3250 करोड़ के Videocon Loan Fraud Case में बॉम्बे हाई कोर्ट के जस्टिस रेवती मोहिते खेरे और जस्टिस पीके चह्वाण ने पहले 9 जनवरी, 2023 को दोनों अंतरिम जमानत देते हुए CBI को फटकार लगाईं कि उनकी गिरफ़्तारी कानून के प्रावधानों के अनुरूप नहीं की गई। गिरफतारी का आधार केवल जांच में “असहयोग एवं पूरी तरह जानकारी न देना बताया गया” जबकि यह गिरफ़्तारी का पर्याप्त कारण नहीं माना जा सकता।
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CRPC का section 41 पुलिस के सामने पेश होने के नोटिस देने की बात करता है और section 46 वर्णन करता है गिरफ़्तारी किस तरह की जाए। यानी इन दो छोटे छोटे तकनीकी मुद्दों पर पहले हाई कोर्ट के 2 जजों ने जमानत दे दी और अब अन्य 2 जजों ने सवा साल लगा दिया उस आदेश की पुष्टि करने के लिए जिसकी मेरे विचार में कोई आवश्यकता थी ही नहीं।
पहले 9 जनवरी को कोचर दंपति को जमानत दी गई थी हाई कोर्ट से और उसके बाद 21 जनवरी, 2023 को Videocon के मालिक वेणुगोपाल धूत को भी जमानत दे दी गई थी।
लेकिन अचरज की बात है कि सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस बेला त्रिवेदी की पीठ ने CBI से 11 अक्टूबर, 2023 को इस बात के लिए नाराज़गी जताई थी कि वह (CBI) कोचर दंपति की अंतरिम जमानत को बार बार बढ़ाने का विरोध क्यों नहीं कर रही जबकि CBI ने बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की हुई थी। इसका मतलब यह भी निकलता है कि सुप्रीम कोर्ट की नज़र में एक तरह कोचर दंपति को अंतरिम जमानत देना गलत था जबकि हाई कोर्ट एक के बाद एक फैसले में कोचर दंपति को राहत दे रहा है।
इतने बड़े घोटाले को भी लगता है बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक तरह दबाने की कोशिश की है। 3250 करोड़ रुपए की रकम कोई छोटी रकम नहीं होती जो Technical Issues पर हाई कोर्ट के जज आरोपियों की गिरफ़्तारी भी रोकने के लिए आमादा हो गए। Technicalities में कमी रह गई, तो उन्हें पूरा करने के लिए कहा जा सकता है न कि गिरफ़्तारी को ही अवैध बता दिया जाये।
Any person of prudent mind can reach at a conclusion that some corrupt practices are going on in the high court to protect the culprits - यदि कोई समझे कि बड़े पैमाने पर हाई कोर्ट में “न्यौछावर” चल रही है तो कुछ गलत नहीं होगा। 3250 करोड़ के मामले में कुछ भी हो सकता है।
कोचर दंपति के वकील ने अपनी दलील में कहा कि वह FIR रद्द करने की मांग नहीं कर रहे, अभी वह केवल गिरफ्तारी को अवैध कह रहे हैं। कल को हाई कोर्ट के जज कोई नया Technical Ground तलाश कर सारा केस ही ख़त्म करने के आदेश दे सकते हैं।
जिस तरह कोचर दंपति का यह “fraud case” बॉम्बे हाई कोर्ट डील कर रहा है, वह निंदनीय है। सुप्रीम कोर्ट को चाहिए कि वह तुरंत संज्ञान ले कर उन सभी आरोपियों की जमानत खारिज करे जिन्होंने जनता के पैसे को लूटा है। अदालत इस तरह प्रधानमंत्री मोदी के भ्रष्टाचार पर उठाए जा रहे क़दमों में रोड़े बिछाने का काम न करे।(लेखक के निजी विचार हैं)


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