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रामनवमी के अवसर पर रामलला का 'सूर्य तिलक', वैज्ञानिकों का प्रयास सफल |
मान्यता है कि श्रीराम के जन्म के समय एक महीने तक भास्कर(सूर्य) देवता निरन्तर चमकता रहा, लेकिन समस्त ब्रह्माण्ड सुचारु रूप से चलता रहे, श्रीराम ने आग्रह किया कि अपने नियमानुसार ही धरती पर अवतरित हुआ करो, अन्यथा सारी व्यवस्था चरमरा जाएगी। उसके बाद से भास्कर विष्णु के आदेशानुसार अपने निर्धारित समय पर ही धरती पर चमकते हैं। लेकिन अपनी प्रथम किरण विष्णु(श्रीराम) के माथे पर डालते थे, और आज उसी प्राचीनतम प्रथा को प्रदर्शित करने का सफल प्रयास किया गया।
ये कोई नई चीज नहीं है, बल्कि प्राचीन काल में ही कई मंदिरों में इस तरह का आर्किटेक्चर होता था कि सूर्य की किरणें देवता का अभिषेक करती थीं। अबकी IIT रूड़की के शोधकर्ताओं को ये जिम्मेदारी सौंपी गई थी। तिलक का आकार 58 mm का था और दोपहर 12 बजे ढाई मिनट तक अभिषेक चला। गर्भगृह की छत से सूर्य की किरणों को मंदिर में प्रवेश कराया गया, जिसके लिए IR फ़िल्टर से लैस अपर्चर का इस्तेमाल किया गया। दक्षिण दिशा से ये किरणें अंदर आईं।
इसके बाद 4 लेंस और 4 दर्पणों का एक नेटवर्क तैयार किया गया था, जिन्हें खास ऐंगल्स पर सेट किया गया ताकि रामलला के ललाट तक तिलक पहुँचे। पहले ही इसका ट्रायल कर लिया गया था। इसके लिए उच्च गुणवत्ता वाले लेंस और दर्पणों का इस्तेमाल किया गया है। इन्हें उक्त उपकरण के गियरबॉक्स में लगाया गया था। पीतल और कांस्य की धातु का उपयोग किया गया था। इस गियरबॉक्स को सूर्य पंचांग के हिसाब से सेट किया गया है, ताकि हर साल रामनवमी पर सटीक तरीके से ‘सूर्य तिलक’ का कार्यक्रम संपन्न हो सके।
सत्यसंधान, निर्वानप्रद, सर्वहित, सर्वगुण-ज्ञान-विज्ञानशाली।
— Yogi Adityanath (मोदी का परिवार) (@myogiadityanath) April 17, 2024
सघन-तम-घोर-संसार-भर-शर्वरी नाम दिवसेश खर-किरणमाली॥
सूर्यकुल भूषण श्री रामलला के ललाट पर सुशोभित भव्य 'सूर्य तिलक' आज अखिल राष्ट्र को अपने सनातन गौरव से आलोकित कर रहा है।
जय जय श्री राम! pic.twitter.com/t0dO26tS1F
500 वर्ष बाद अयोध्या से सूर्यवंशी का सूर्यतिलक के LIVE दर्शन कर लीजिये...
— Harish Mali (@HarishMali06) April 17, 2024
इस अद्भुत नजारे को देख के आँखे नम हो गई 🥹🙏pic.twitter.com/Rw3onpqNsl
नलबाड़ी की सभा के बाद मुझे अयोध्या में रामलला के सूर्य तिलक के अद्भुत और अप्रतिम क्षण को देखने का सौभाग्य मिला। श्रीराम जन्मभूमि का ये बहुप्रतीक्षित क्षण हर किसी के लिए परमानंद का क्षण है। ये सूर्य तिलक, विकसित भारत के हर संकल्प को अपनी दिव्य ऊर्जा से इसी तरह प्रकाशित करेगा। pic.twitter.com/QS3OZ2Bag6
— Narendra Modi (@narendramodi) April 17, 2024
भगवान राम सूर्यवंशी थे, अर्थात उनका जन्म सूर्य के कुल में ही हुआ था। रामनवमी के अवसर पर राम मंदिर को सजाया गया था, गर्भगृह को फूलों से सजाया गया था। रामलला का दुग्ध एवं चन्दन से अभिषेक हुआ, उनका विशेष शृंगार किया गया। शंख की ध्वनि, घड़ियाल की नाद, मंत्रोच्चार और आरती के बीच जब पर्दा हटा तो रामलला के मस्तक पर सूर्य तिलक देख कर लोगों ने प्रणाम किया। आध्यात्मिक और ऐतिहासिक रूप से भी ये एक महत्वपूर्ण दृश्य था, क्योंकि सन् 1527 के बाद पहली बार रामलला अयोध्या में भव्य मंदिर में विराजे हैं।
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