हिंदी पट्टी में बनी हुई है पकड़, दक्षिण में भी मिलेगी बढ़त, बंगाल-ओडिशा में सबसे बड़ी पार्टी होगी बीजेपी : प्रशांत किशोर

                    प्रशांत किशोर ने पीटीआई संपादकों के साथ की बातचीत (फोटो साभार : PTI)
बीजेपी को सत्ता में लाने का श्रेय बीजेपी को नहीं, विपक्ष को जाता है। जिस तरह सावन के अन्धे को हर तरफ हरा ही हरा दिखाई देता है, ठीक वही स्थिति विपक्ष की है। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री मनोनीत होते ही विपक्ष मोदी को केवल गाली देता रहा, कभी गोधरा मुद्दे को उठाकर मुसलमानों में डर बैठा डराता रहा। मौत का सौदागर, नीच और चाय बेचने वाला कहकर अपमानित करता रहा, लेकिन ये सभी मिथ्या साबित होकर मोदी की राह में फूल बिछाते रहे। कोई अन्य नहीं, मुसलमान ही इनसे पूछे की 2002 से पहले गुजरात में कितने दंगे हुए और कितने हज़ार मुसलमान मारे गए? मलियाना(उत्तर प्रदेश) में कितने मुसलमान मारे गए? 

मोदी की डिग्री पर प्रश्न करने वालों ने कभी सोनिया गाँधी की डिग्री पूछने की हिम्मत नहीं की। मोदी को चाय बेचने वाला कहने वालों ने कभी यह पूछने का साहस नहीं किया कि राजीव गाँधी से शादी से सोनिया इटली में क्या करती थी। फिर उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने पर शोर मचाना शुरू कर दिया कि बीजेपी धर्म को राजनीति में लाकर जनता को गुमराह कर रही है। जबकि सच्चाई यह है कि सनातन शास्त्रों में राजनीति ज्ञान होने के कारण पहले अपने पुत्रों को गुरुकुलों में मुनियों से शिक्षा लेने भेजते थे। मुस्लिम तुष्टिकरण करने वाले पाखंडी सेक्युलरिस्ट्स को क्या मालूम जीवन में गुरुकुल का क्या महत्व है? 

जो पुरुषोत्तम श्रीराम को मिथ्या बता दे, उनसे सनातन का ढोंग रचने के अलावा कुछ नहीं अपेक्षा नहीं की जा सकती। सेकुलरिज्म के नाम पर केवल हिन्दुओं अधिकारों का हनन, जातियों में विभाजित करने की तुच्छ सोंच से आज तक बाहर आने की हिम्मत नहीं कर पा  रहे। इन पाखंडी सेक्युलरिस्टों से पूछो कि सेकुलरिज्म का मतलब क्या होता है, क्या परिभाषा है? हिन्दुओं को जातियों में विभाजित करने से पहले बताओ दूसरे धर्मों को जातियों में बाँटने की हिम्मत कर के दिखाने के लिए माँ का दूध पीकर आओ। हिन्दुओं में एक ही मंदिर है एक ही शमशान है, लेकिन अन्य धर्मों में हर जाति के अलग कब्रिस्तान, मस्जिद और चर्च क्यों हैं?  

राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने माना है कि बीजेपी लगातार तीसरी बार पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आ रही है। प्रशांत किशोर का मानना है कि भारतीय जनता पार्टी दक्षिण और पूर्वी भारत में जोरदार पकड़ बना चुकी है और दोनों ही क्षेत्रों से अपनी सीटों को काफी बढ़ाने में सक्षम होगी, यहाँ तक कि तमिलनाडु में बीजेपी का मत प्रतिशत दहाई अंक में पहुँच सकता है। प्रशांत किशोर ने कहा कि कॉन्ग्रेस और विपक्षी दलों को बीजेपी और नरेंद्र मोदी को रोकने के लिए कम से कम 3 बड़े मौके मिले थे, लेकिन विपक्षी दल इन मौकों को भुनाने में असफल रहे।

पीटीआई के संपादकों के साथ विशेष चर्चा में प्रशांत किशोर ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी तेलंगाना में सबसे बड़ी या दूसरे नंबर की पार्टी हो सकती है, जबकि ओडिशा और पश्चिम बंगाल में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी। आप को भले ही ये बात अभी आश्चर्यजनक लग रही हो, लेकिन हकीकत में ऐसा होने जा रहा है। प्रशांत किशोर ने कहा कि दक्षिण के राज्यों में कर्नाटक में कॉन्ग्रेस मजबूत है, लेकिन बाकी राज्यों में बीजेपी अच्छा प्रदर्शन करने जा रही है।

प्रशांत किशोर ने एक आँकड़ा दिया। उन्होंने कहा कि तेलंगाना, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, बिहार और केरल में कुल मिलाकर 543 लोकसभा सीटों में 204 सीटें हैं। इन राज्यों में बीजेपी न ही साल 2014 में और न ही 2029 में अच्छा प्रदर्शन कर पाई। बीजेपी 2024 सीटों में से 50 सीटें भी नहीं जीत पाई थी। साल 2014 में ये आँकड़ा 29 सीटों का था, तो 2019 में 47 सीटों का, लेकिन इस बार ये आँकड़ा बढ़ेगा। उन्होंने बताया कि ओडिशा, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना में बीजेपी बेहतरीन प्रदर्शन करने जा रही है।

इस दौरान उन्होंने कहा कि बीजेपी ने भले ही 370 से ज्यादा सीटों का लक्ष्य रखा है, लेकिन वो इसे पार नहीं कर पाएगी। हालाँकि इस बार भी वो 300 से अधिक सीटों पर जोरदार जीत दर्ज कर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने चल रही है। उन्होंने कहा कि बीजेपी को परेशानी तब होती, जब विपक्षी दल खासकर कॉन्ग्रेस उसे उत्तर और पश्चिम भारत में 100 से अधिक सीटों पर हराने की स्थिति में होती, लेकिन ऐसा नहीं होता दिख रहा है। बीजेपी की इन इलाकों पर मजबूत पकड़ है।

बीजेपी करेगी अच्छा प्रदर्शन

प्रशांत किशोर ने कहा कि पिछले कुछ सालों में दक्षिण और पूर्वी भारत में बीजेपी ने काफी मेहनत की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने इन राज्यों का लगातार दौरा किया है, जबकि विपक्ष के नेता अपने घरों में रहे। उन्होंने एक तुलनात्मक बात जोड़ते हुए राहुल गाँधी पर कटाक्ष भी किया। उन्होंने कहा, “पिछले 5 सालों में राहुल गाँधी और सोनिया गाँधी कितनी बार तमिलनाडु गए? आपकी लड़ाई यूपी, बिहार और एमपी में है, लेकिन आप मणिपुर और मेघालय का दौरा कर रहे हैं, तो सफलता कैसे मिलेगी?”
साल 2019 में अमेठी से हार के बाद राहुल गाँधी ने वायनाड पर ध्यान केंद्रित किया। वो अकेले केरल में पार्टी को जिता भी लेंगे, तो भी पूरे देश में उनकी हालत खराब रहेगी। अमेठी से भागने का मतलब है पूरे देश में गलत संदेश जाना, जबकि अभी तक कॉन्ग्रेस रायबरेली और अमेठी से अपने उम्मीदवार तक तय नहीं कर सकी है और न ही राहुल गाँधी अमेठी को लेकर बहुत ज्यादा इच्छाशक्ति ही रखते हैं।
प्रशांत किशोर ने कहा कि दिल्ली का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है, लेकिन राहुल गाँधी वायनाड में जोर लगा रहे हैं। वहीं, नरेंद्र मोदी ने गुजरात छोड़कर उत्तर प्रदेश को चुना, क्योंकि अगर आप हिंदी पट्टी को नहीं जीतेंगे, तो फिर आप लड़ाई में ही नहीं होंगे। नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बीजेपी ने हिंदी पट्टी में अपनी पकड़ बनाकर रखी है।

विपक्षी दलों खासकर कॉन्ग्रेस को मिले थे तीन बड़े मौके

प्रशांत किशोर ने कहा कि कॉन्ग्रेस और विपक्षी दलों को बीजेपी को रोकने के तीन बड़े मौके मिले थे, लेकिन हर बार वो चूक गए। उन्होंने कहा कि साल 2014 के बाद जब भी बीजेपी बैकफुट पर गई, विपक्षी दल उस मौके को भुनाने में असफल रहे। साल 2015 और 2016 में बीजेपी लगातार चुनाव हारी, असम को छोड़कर, लेकिन विपक्ष ने बीजेपी को वापसी करने का मौका दिया। इसी तरह से साल 2017 में नोटबंदी के बाद यूपी में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद बीजेपी एक बार फिर से हारने लगी थी। वो गुजरात में लगभग हार गई थी, एमपी-राजस्थान-छत्तीसगढ़ में बुरी पराजय हुआ, लेकिन बीजेपी ने 2019 में वापसी कर ली।
किशोर ने आगे कहा कि इसी तरह से कोरोना के समय बीजेपी की हालत खराब हुई। बीजेपी पश्चिम बंगाल में बुरी तरह से हारी, लेकिन विपक्ष के नेता नरेंद्र मोदी की चुनौती का सामना करने की जगह अपने घरों में बैठ गए और नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बीजेपी फिर से वापसी करने में सफल रही। उन्होंने कहा, “अगर आप किसी बल्लेबाज का कैच बार-बार छोड़ते रहेंगे, तो वो शतक बनाएगा, खासकर जब वो नरेंद्र मोदी जैसा अच्छा बल्लेबाज हो।”

इंडी गठबंधन प्रभावी नहीं

प्रशांत किशोर ने कहा कि बीजेपी से मुकाबले के लिए विपक्षी दलों का जो गठबंधन बना है, न तो उसकी जरूरत थी और न ही वो प्रभावी है। उन्होंने कहा कि देश की 350 लोकसभा सीटों पर तो बीजेपी और किसी अन्य दल की सीधी टक्कर है। ऐसे में गठबंधन का यहाँ कोई मतलब नहीं बनता। वैसे भी बीजेपी इसलिए जीत रही है, क्योंकि गठबंधन की पार्टियाँ कॉन्ग्रेस, सपा, आरजेडी, एनसीपी और टीएमसी अपने ही इलाकों में बीजेपी का मुकाबला करने में सक्षम नहीं हैं। इस पार्टियों के पास ही कोई नैरेटिव है, न ही कोई मजबूत चेहरा और न ही कोई ढंग का एजेंडा।

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