कुछ दिन पहले CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा था क़ि “CBI जैसी जांच एजेंसियों को दक्षता बढ़ाने अपनी लड़ाई का चयन खुद करना चाहिए और उन अपराधों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जो वास्तव में देश की सुरक्षा, आर्थिक सेहत व सार्वजनिक व्यवस्था के लिए खतरा है।
बात तो सही कही चंद्रचूड़ जी लेकिन जांच एजेंसियों को ऐसे प्रवचन देने से पहले ऐसी अपराधों पर खुद भी ध्यान देना चाहिए और देखना चाहिए कि क्या आप और सुप्रीम कोर्ट देश की सुरक्षा को खतरे में डालने वालों को ठीक से निपट रहे हैं।
कल बंगाल के मेदिनीपुर जिले के भूपति नगर के 2022 के बम विस्फोट कांड में 2 आरोपियों को गिरफ्तार कर वापस कोलकाता लौट रही NIA की टीम पर TMC के गुंडों ने जमकर हमला किया, जबकि NIA तो CBI भी ज्यादा महत्वपूर्ण जांच एजेंसी है देश की सुरक्षा के लिए खतरों पर ध्यान देने के लिए।
इस पर ममता बनर्जी NIA पर बरस पड़ी है कि वह भाजपा का काम करने आई थी जबकि वह हाई कोर्ट के आदेश पर उस क्षेत्र में हुए बमकांड की जांच कर रही थी। लेकिन ममता और उसकी पार्टी का अन्य विपक्षी दलों की तरह एक ही रोना है कि चुनाव के समय में गिरफ़्तारी क्यों हो रही है? मतलब है हमारे लोगों को मनमर्जी करने दो पर कोई जांच एजेंसी कार्रवाई न करे।
इसके पहले 5 जनवरी को संदेशखाली के राशन घोटाले में आरोपी शाहजहां शेख के घर रेड करने गई ED की टीम पर भी हमला किया गया जबकि शेख के खिलाफ जांच भी हाई कोर्ट/सुप्रीम कोर्ट ने approve की थी। 2016 में भी शारदा घोटाले की जांच कर रहे एक ED अधिकारी पर भी हमला हुआ था।
2019 में तो कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार की CBI द्वारा गिरफ़्तारी की कोशिश करने के खिलाफ तो ममता बनर्जी धरने पर बैठ गई थी और CBI अधिकारियों को ममता की पुलिस ने गिरफ्तार ही कर लिया था।
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मणिपुर में एक फोटो आने पर CJI चंद्रचूड़ ने Suo Moto लेकर केंद्र को लपेट दिया था कि अगर सरकार कुछ नहीं करेगी तो हम करेंगे। बंगाल में तो महिलाओं पर एक से बढ़ कर एक भयंकर अपराध हुए है और राजस्थान में भी हुए लेकिन चंद्रचूड़ को कभी Suo Moto लेने का ख्याल नहीं आया।
दरअसल मुझे लगता है कि 220 से ज्यादा विधायकों के साथ ममता अपनी सरकार को निरंकुश समझती है जबकि हालात उसने ऐसे बनाए हुए हैं कि केंद्र कभी भी राष्ट्रपति शासन लगा सकता है।
चंद्रचूड़ बस इसी काम के लिए मोदी को Instigate कर रहे हैं खुद चुप रह कर और ममता पर कुछ कार्रवाई ना करके कि जैसे ही मोदी बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाए, सुप्रीम कोर्ट उसे असंवैधानिक बता कर खारिज कर दे और मोदी की बदनामी हो लेकिन मोदी इतना कच्चा खिलाड़ी नहीं है।
मणिपुर मामले में तो चंद्रचूड़ ने पत्रकारों द्वारा “झूठी” ख़बरें प्रकाशित करने को भी जायज बताया था। रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने 2022 में कानून बना दिया था कि कोई पत्रकार “fake news” चलाएगा और उसे सही साबित नहीं कर पाया तो 15 साल की जेल होगी। इसलिए सारे विदेशी पत्रकार रूस छोड़ कर भाग गए। बस हमारा सुप्रीम कोर्ट ही “fake news” को जायज कहता है और सरकार के PIB की Fact Check unit को भी बंद कर देता है।
मीलॉर्ड बंगाल पर suo moto लीजिए अन्यथा लोग आपको माफ़ नहीं करेंगे।
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