मी लॉर्ड की टिप्पणी ही नहीं, IMA की मंशा पर भी उठ रहे सवाल: पतंजलि पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, ईसाई बनाने वाले पादरियों के ‘इलाज’ पर चुप्पी क्यों? जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह को रामदेव के विरुद्ध सड़कछाप भाषा इस्तेमाल करने से पहले प्राचीनतम हिन्दू ग्रंथों को पढ़ना था ; मीडिया खामोश क्यों?
पतंजलि के खिलाफ दिखाई जा रही ज्यादा सख्ती, ईसाई पादरियों पर कार्रवाई क्यों नहीं? (फोटो साभार: Hindupost)
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की शिकायत पर सुप्रीम कोर्ट बाबा रामदेव और पतंजलि के खिलाफ सुनवाई कर रहा है। IMA ने साल 2022 में याचिका दायर करते हुए पतंजलि पर भ्रामक विज्ञापन देने का आरोप लगाया था। 10 अप्रैल 2024 को भी इस मामले में सुनवाई हुई और इस दौरान केस में काफी सख्त टिप्पणी की गई।
जब बाबा रामदेव ने प्रेस कांफ्रेंस कर 'नहीं झुकेंगे' बोलने पर माफ़ी मांग ली, तो क्या रामदेव की जान लोगे? जस्टिस होकर सड़कछाप भाषा बोलोगे? कम से कम अपने पद की गरिमा का मान रखा होता? जस्टिस अमानुल्लाह आयुर्वेद को संजीवनी देने का काम रामदेव ने ही किया है, वरना तुम्हारी जैसी गिरी हुई मानसिकता वालों ने तो सनातन को अपमानित करने के साथ-साथ आयुर्वेद को भी इतिहास ही बना दिया था।
IMA ने हमदर्द के रूहअफजा पर बांग्लादेश लेबोरेटरी द्वारा दी गयी रिपोर्ट का संज्ञान क्यों नहीं लिया? उत्तर प्रदेश सरकार को हमदर्द उत्पादकों की जाँच करनी चाहिए, क्योकि बांग्लादेश ने जिस रूहअफजा को जनता के स्वास्थ्य के विरुद्ध बताया वह 'halala certified' था। IMA और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने जिस वीणा के तारों को छेड़ा है, इसकी गूंज बहुत दूर जाने वाली है। किसी जस्टिस द्वारा रामदेव के विरुद्ध सड़कछाप भाषा इस्तेमाल करने पर मीडिया क्यों खामोश है?
IMA और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह को यह भी मालूम होना चाहिए कि जिस टूटी हड्डी को जोड़ने में हॉस्पिटल 2/3 महीने का समय लेते हैं, कटनी में बजरंगबली मंदिर में जड़ीबूटियों को खिला कर केवल 15 मिनट में जोड़ दी जाती है। जिस महिला के किसी कारणवश संतान न होने पर आधुनिक चिकित्सा पर हज़ारों रूपए लूट लेती है, एक माता का मंदिर ऐसा भी है जहाँ महिला के लेटते ही गर्भवती हो जाती है और लिंग भी पता लग जाता है। लगा दो पाबन्दी इन मंदिरों पर। तुष्टिकरण छोड़ वास्तविकता को पहचानो।
रिपोर्टों के मुताबिक, जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह इतने नाराज हो गए कि उन्होंने ‘बखिया उधेड़ देने’ जैसी बात कही। इसके अलावा पतंजलि द्वारा जो हलफनामा दिया गया कि वो बिन शर्त मामले में माफी माँगने को तैयार हैं, उसे भी कोर्ट द्वारा खारिज कर दिया गया। कोर्ट का कहना है कि वो इस मामले में कोई उदारता नहीं दिखाने वाले।
जस्टिस की ऐसी टिप्पणी सुनने के बाद पतंजलि के मामले में दिखाई जा रही सख्ती पर सवाल उठने लगे हैं। पूछा जा रहा है कि IMA की शिकायत के बाद पतंजलि के साथ जो हो रहा है, उसके पीछे कारण भ्रामक प्रचार ही है या मंशा अलग है?
यूजर्स उन उत्पादों के नाम बता रहे हैं जिन्हें फर्जी दावों के साथ बेचा जाता है, जो शरीर के लिए नुकसान दायक हैं लेकिन फिर भी कभी IMA ने उनके खिलाफ कोई कार्रवाई करने की नहीं सोची। इन उत्पादों में लाइफब्वॉय जैसे प्रोडक्ट के उदाहरण हैं, जो कीटाणु मारने का दावा करता है; ऐसी खतरनाक ड्रिंक जिन्हें एनर्जी ड्रिंक कहकर बेचा जा रहा है।
Sting is like poison and is marketed as "Energy Drink"
Adults should not drink more than 2 bottles per day. But they do.
Children should not drink a drop of it. But they do.
IMA didn't file a plea against Pepsi who owns Sting.
इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय ने भी उठाया है। 10 अप्रैल 2024 को उनके एक्स अकॉउंट पर साझा वीडियो में वो कहते हैं कि इस मामले में कुछ लोगों को लग रहा है कि सुप्रीम कोर्ट पतंजलि को बोलकर गलत कर रहा है, तो कुछ को लगता है कि बाबा रामदेव ने कुछ ऐसा कर दिया है जिससे उन्हें फटकार लग रही है।
इसके बाद उन्होंने कार्यक्रम में साल 1954 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा बनाए गए कानून का जिक्र किया। उन्होंने बताया इस कानून में कहा गया था कि कुछ बीमारी ( जैसे अंधापन, बहरापन, हकलाना, तुतलाना, कैंसर, मोटापा, डायबिटीज, पागलपन, लकवा, नपुंसकता, बाझपन, टीबी, टयूमर ) के लिए प्रचार नहीं हो सकता।
अश्विनी उपाध्याय दावा करते हैं कि ये कानून नेहरू उस लॉबी के दबाव में लेकर आए थे जिनके पास इन बीमारियों का इलाज नहीं था। लॉबी ने उनसे कहा कि ऐसा कानून बनाओ और इनका प्रचार करने को अपराध बनाओ… आज चूँकि पतंजलि ऐसी बीमारियों का इलाज बता रहा है और अपना प्रचार कर रहा है तो उनके विरुद्ध सख्ती दिखाई जा रही है।
उन्होंने ये बात भी गौर करवाई कि जिन बीमारियों को ठीक करने के दावे करने पर IMA ने बाबा रामदेव और पतंजलि की शिकायत कर दी, उन्हीं बीमारियों को ठीक करने के दावे पंजाब में हो रहे हैं, और धर्मांतरण करवाया जा रहा है।
अश्विनी उपाध्याय का ऐसा आरोप पतंजलि मामले में सामने आया है लेकिन IMA का ईसाई धर्म के प्रति झुकाव की खबरें बहुत पहले से आती रही हैं। इसके अध्यक्ष ने क्रिश्चियनिटी टुडे को दिए गए एक इंटरव्यू में कह दिया था– “मैं मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर हूँ, और यह मेरे लिए एक अच्छा मौका है कि मैं ईसाई धर्म की उपचार पद्धतियों का प्रसार कर सकूँ।” जबकि जब बात आयुर्वेद को बढ़ावा देने की आई थी तो उन्होंने आरोप लगाया था कि भारत में हिन्दू पद्धति पर सरकार ज़ोर दे रही है।
IMA को निष्पक्ष होकर जनहित में बताना होगा कि आयुर्वेद यूनानी से उच्चतम क्यों है? पिछली सरकारों और पूर्व में रहे IMA अधिकारियों से पूछना होगा कि आयुर्वेद को क्यों गड्डे में डाल यूनानी को प्रोत्साहित किया गया? लेकिन हिम्मत नहीं, क्योंकि आयुर्वेद चिकित्सा का हिन्दू ग्रंथों में उल्लेख है।
ऐसे समय में जब IMA की शिकायत पर पतंजलि के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट अपनी सुनवाई कर रहा है और ऐसी ईसाई संस्थाओं पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही, तब सोशल मीडिया के यूजर्स लोगों का ध्यान इस ओर खिंचवा रहे हैं।
‘नो कन्वर्जन’ नाम के एक्स हैंडल ने पादरी अंकुर नरूला की वो वीडियो को शेयर की जिसमें वो दावा कर रहे थे कि उन्होंने उन महिलाओं को ठीक कर दिया है जिनका यूटरेस बाहर आ रहा था। इस वीडियो में वो साफ कह रहे हैं कि उन्होंने प्रार्थना करके महिलाओं को वाशरूम में भेजा कि वो चेक करें कि वो ठीक हुईं या नहीं। उन महिलाओं ने बाहर आकर बताया है कि वो ठीक हो गई हैं। इसमें पादरी कहता है ये भी कहता है कि परमेश्वर आज ठीक करने के लिए आया है आपको।
Pastor Ankur Narula has fixed problem of Uterus coming out of body ? LISTEN to this idiot ... so this FRAUD is allowed in Punjab ... MiLord? pic.twitter.com/7nqFCJxFZ8
विजय गौतम लिखते हैं, “IMA का अध्यक्ष ईसाई है और उसने पतंजलि के खिलाफ केस किया है। बाबा रामदेव के पीछे बड़ी लॉबी पड़ी है। ये कोर्ट आखिर क्यों पादरियों के खिलाफ एक्शन नहीं लेती तो खुलेआम कहते हैं कि वो एड्स और कैंसर चर्च में प्रार्थना से ठीक कर सकते हैं।” उन्होंने इस मामले को पतंजलि बनान आयुर्वेद विरोधी गैंग कहा है।
IMA chairman is a Christian and he has filled this case against Patanjali . Huge lobby against Baba Ramdev
This same court will not take action against Pastors who are openly advertising that they can cure AIDS, CANCER etc through prayers in a Church.
इसी प्रकार दक्षिणपंथी रतन शारदा इस मुद्दे को उठाते हैं और कहते हैं- “आईएमए पतंजलि के पीछे हाथ धोकर पड़ गया। हां, पतंजलि पर जुर्माना लगना चाहिए, लेकिन आईएमए ने एक असोसिएशन के तौर पर ज्यादा बड़े उल्लंघनकर्ताओं पर चुप्पी साध रखी है। इसका अध्यक्ष डॉ. जयलाल भी रहा था। उसने एक इंटरव्यू में क्या कहा था, देख लीजिए।”
#IMA went hammer & tongs after #Patanjali. Yes Patanjali oversold & should face panelty. But IMA an association kept quiet on worse offenders. It was headed by Dr Jiyalal. This is what Dr Jiyalal, Chairman of #IMA said in an interview. Quoting from @firstpost. Do read - pic.twitter.com/wItw5NOiDo
— Ratan Sharda 🇮🇳 रतन शारदा (@RatanSharda55) April 10, 2024
My point when I talked of Remsidivir was that everything medicine can't make mistakes or do trial & error
— Ratan Sharda 🇮🇳 रतन शारदा (@RatanSharda55) April 11, 2024
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