हिन्दू विरोधी कांग्रेस manifesto : क्या कांग्रेस भारत में शरीयत लागु करने का जाल बिछा रही है? मुस्लिम पर्सनल लॉ से समझिए कांग्रेस का खेल; कांग्रेस मैनिफेस्टो हिन्दुओं के लिए है या मुस्लिमों के लिए? क्या मुस्लिम कट्टरपंथियों ने तैयार किया है? सिर्फ हिंदुओं (गैर-मुस्लिमों) की 55% संपत्ति पर कब्जा करेगी, इस्लाम मानने वालों के पास रहेगी 100% दौलत, क्यों?

जो हिन्दू-जैन, बौद्ध,आदि- भारत में दोबारा मुगलों का राज स्थापित करना चाहते हैं, जरूर कांग्रेस को वोट दें। बिल्ली थैले से बाहर आ चुकी है। बहुसंख्यकवाद के विरुद्ध राहुल अक्सर बोलता रहता है। और कांग्रेस में परिवार भक्त हिन्दू चुप्पी साध लेते हैं। देश इन्ही जैसों की वजह से गुलाम बना था। भारत में बहुसंख्यक हिन्दू ही है। लोक सभा चुनाव में जारी अपने मैनिफेस्टो में कांग्रेस साबित कर दिया है कि इसे हिन्दुओं से कोई मतलब नहीं, वापस मुग़ल राज स्थापित करके रहेंगे। जिस तरह हिन्दुओं को मुग़ल राज में जजिया देना होता था, ठीक उसी तर्ज पर हिन्दुओं के खून-पसीने की कमाई पर हिन्दू विरोधी कांग्रेस गिद्ध की नज़र रखे हुए हैं। क्या कांग्रेस और इसको समर्थन करने वालों के बहिष्कार करने का समय आ गया? ऐसी परिवार की गुलामी भी क्या कि चुनाव घोषणा पत्र जारी करने से कांग्रेस में बुद्धिजीवियों ने क्यों नहीं देखा? क्यों राहुल के भाषणों पर लगाम लगाई? इन कांग्रेसियों से पूछो क्या इसका नाम सेकुलरिज्म है? राहुल को अध्यक्ष बनाये जाने पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ठीक ही कहा था कि 'जितनी जल्दी हो राहुल को अध्यक्ष बनाओ'।   
मैनिफेस्टो में जो लिखा है, सो लिखा है, वही बात राहुल के भाषण में सुन लो। 

हर हिन्दू को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद करना चाहिए, जिन्होंने कांग्रेस के इस हिन्दू विरोधी चेहरे को बेनकाब कर दिया। यह मैनिफेस्टो हिन्दुओं के लिए नहीं, मुस्लिम कट्टरपंथियों और टुकड़े-टुकड़े गैंग के मंसूबे पुरे करने के लिए बनाया है?

मोदी के खिलाफ चुनाव आयोग जाने वालों को ही नहीं मालूम कांग्रेस मैनिफेस्टो में क्या लिखा है और रा

कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने वादा किया है कि वो सत्ता में आएँगे, तो अमीरों से पैसे छीन लेंगे और गरीबों में बाँट देंगे। कांग्रेस पार्टी सत्ता में आने के बाद लोगों की संपत्ति की जाँच कराएगी और अगर संपत्ति ज्यादा होगी, तो उसे सरकार अपने कब्जे में ले लेगी। फिर इस संपत्ति को उन्हें दे देगी, जिनके पास संपत्ति कम है। वैसे सुनने में ये बड़ा क्रांतिकारी आईडिया लगता है, लेकिन हकीकत में कितना खतरनाक है, इसका अंदाजा ही किसी को नहीं है।

इस बीच, राहुल गाँधी ही नहीं, उनकी माँ सोनिया गाँधी के करीबी और कांग्रेस थिंक टैंक के बड़े चेहरे सैम पित्रोदा ने जले पर नमक छिड़कने और नए जख्म देने की कोशिश करते हुए भारत में अमेरिकी कानून की बात कह दी। उनके मुताबिक, अमेरिका में किसी व्यक्ति के मरने के बाद उसकी संपत्ति का 45 प्रतिशत हिस्सा ही उत्तराधिकारियों को मिलता है, बाकी सरकार ले लेती है। उन्होंने कहा कि सत्ता में आने के बाद कांग्रेस इस पर भी सोचेगी।

ओवरसीज कांग्रेस के मुखिया सैम पित्रोदा ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “अमेरिका में एक विरासत कर (इनहेरिटेंस टैक्स) है। अगर किसी व्यक्ति के पास 100 मिलियन डॉलर है और जब वह मरता है तो वह केवल इसका 45% ही अपने बच्चों को दे सकता है, 55% सरकार के खजाने में जाता है। इस कानून के अनुसार, आपने अपने समय में सम्पत्ति बनाई और अब इसे जनता के लिए छोड़ दीजिए। पूरी नहीं तो कम से कम आधी तो जनता के लिए छोड़ ही दें। मुझे ये एकदम सही लगता है।”

इसके बाद सैम पित्रोदा ने इस कानून की वकालत में कहा, “भारत में ऐसा कोई कानून नहीं है, भारत में अगर किसी के पास 10 बिलियन डॉलर (लगभग 82,000 करोड़ रूपए) हैं और वह मरता है तो उसके बच्चों को पूरे 10 बिलियन डॉलर मिलते हैं। जनता को उसमे से कुछ नहीं मिलता। यह कुछ मामले हैं जिन पर बहस और विचार होगा। जब हम सम्पत्ति दोबारा से बाँटने के बारे में बात करेंगे तो इसका मतलब नए कानून और नीतियों पर बात करना होगा।”

सैम पित्रोदा ने आरोप लगाया कि भारत के लोग अपने नौकरों को पैसा नहीं बांटते बल्कि उस पैसे से दुबई और विदेश घूमने टहलने जाते हैं। उन्होंने बताया कि कांग्रेस यदि सत्ता में आती है तो वह नौकरों और घर में काम करने वालों को कितना पैसा दिया जाए इसके लिए भी नियम बनाएगी।

सिर्फ हिंदुओं पर ही असर?

कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में दावा किया है कि वो सारे ‘वर्सनल लॉ’ वापस लाएगी। वो शरिया के भी पक्ष में है। वो तीन तलाक के भी पक्ष में है और तमाम वो गैर-हिंदू कानून, जिस पर कोर्ट रोक लगा चुकी है और मोदी सरकार कानून बना चुकी है, वो उन्हें वापस लाएगी। वो आर्टिकल 370 भी वापस लाएगी और 35ए भी। इसका सीधा सा मतलब है कि पहले की तरह ही जम्मू-कश्मीर में पूरे देश से अलग कानून चलने लगेगा। मुस्लिमों के सारे विवादों, जिसमें उत्तराधिकार कानून भी है, वो सब पर्सनल लॉ के दायरे में आ जाएँगे, जबकि इससे उलट बीजेपी यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिका संहिता की बात कर रही है।
कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद हिंदुओं (क्योंकि मुस्लिमों के कानून अछूते रहेंगे) के उत्तराधिकार नियम में बदलाव लाया जाएगा, जिसमें हिंदुओं की मौत की सूरत में उसका 55 प्रतिशत हिस्सा सरकार के हाथ में चला जाएगा। और वेल्थ री-डिस्ट्रीब्यूशन के नाम पर वो अन्य लोगों में बाँट दिया जाएगा। ये तो वही बात हो गई, जिंदगी के साथ भी कॉन्ग्रेस की वसूली और मरने के बाद भी वसूली। यानी फर्क सिर्फ हिंदुओं पर पड़ेगा और उन समुदायों पर, जिन पर हिंदुओं के कानून लागू होते हैं। खासकर संपत्ति का मामला, जिसमें हिंदू, सिख, बौद्ध और जैन धर्म जैसे सनातनी हैं।

इस्लाम में इस तरह से होता है विरासत का बंटवारा

इस्लाम में संपत्ति का बंटवारा शरीयत एक्ट 1937 के जरिए होता है। इसके लिए उत्तराधिकारी पर्सनल लॉ के तहत तय होते हैं। किसी व्यक्ति की मौत के बाद उसकी संपत्ति में बेटे, बेटी, विधवा और माता-पिता को हिस्सा मिलता है। बेटी को बेटे से आधी संपत्ति देने का प्रावधान है। विधवा को संपत्ति का छठाँ हिस्सा मिलता है। ये चौथाई या आठवाँ हिस्सा भी हो सकता है। कोई सीधा उत्तराधिकारी न होने की सूरत में चौथाई, बेटा-पोता होने पर आठवाँ हिस्सा।
वैसे मुस्लिम परिवार में जन्मे बच्चे को जन्म के साथ ही संपत्ति में अधिकार नहीं मिलता है। इसके लिए जरूरी है कि किसी व्यक्ति की मौत के बाद उसके उत्तराधिकारी अंतिम संस्कार करें। उसके सारे कर्ज चुकाए। इसके बाद संपत्ति की कीमत या वसीयत निर्धारित की जारी है और फिर शरिया कानून के अनुसार संपत्ति को रिश्तेदारों में बाँटा जाता है। एक बात और खास है, वो है संपत्ति का सरकार के कब्जे में न जाना। न ही कोई व्यक्ति अपनी पूरी संपत्ति का वसीयत कर सकता है और न ही सरकार किसी मुस्लिम की पूरी संपत्ति को कब्जा कर सकती है, क्योंकि मुस्लिमों में उत्तराधिकार के लिए पति-पत्नी, माता-पिता, बेटा-बेटी, दूसरी-तीसरी पत्नी, पोता-पोती सबकी हिम्मेदारी लग सकती है, लेकिन पूरी संपत्ति वसीयत नहीं की जा सकती।
हालाँकि अब कांग्रेस सैम पित्रोदा के बयान से पलड़ा झाड़ती दिख रही है। एक तरफ तो जयराम रमेश सैम पित्रोदा को गुरु और मार्गदर्शक बताकर उनके बयान को ‘निजी’ बता रहे हैं, तो दूसरी तरफ सैम अपने बयान को तोड़ने मरोड़ने का आरोप लगा रहे हैं, साथ ही कह रहे हैं कि वो बस उदाहरण दे रहे थे। ये अलग बात है कि उदाहरण देने के बाद उन्होंने साफ तौर पर कहा था कि हम भारत में इस तरह की चीजों के बारे में सोच सकते हैं। खैर, अब लोकसभा चुनाव का मंच सज चुका है। जनता के हाथ में फैसले की ताकत है। अब ये जनता ही तय करेगी कि उसे पूरे देश में एक समान कानून व्यवस्था चाहिए या फिर बहुसंख्यकों की संपत्तियों को छीनने की बात करने वाली पार्टी की सत्ता।

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