क्या भारत का विपक्ष इंटरनेशनल भिखारी है? CAA विरोधी प्रदर्शन में हिंसा भड़काने के लिए NewsClick ने चीन के पैसे का किया इस्तेमाल, अमेरिका के रास्ते तीस्ता सीतलवाड़ को मिला पैसा: रिपोर्ट

न्यूजक्लिक के तीस्ता सीतलवाड़ और नेविल रॉय सिंघम के संबंधों पर चार्जशीट में बड़ा खुलासा
70 के दशक में निर्माता-निर्देशक रामानंद सागर की बहु-चर्चित फिल्म "आंखें" में महमूद पर फिल्माया बहु-चर्चित गीत "दे दे अल्लाह के नाम पर, इंटरनेशनल भिखारी आये हैं..." हमारे दिशाहीन विपक्ष की क्या ऐसी स्थिति हो गयी है? भारत में जब कभी सरकार के विरोध में शाहीन बाग बनते हैं, जनता भी केंद्र सरकार के विरुद्ध चर्चा करने लगते हैं, लेकिन जब उनकी जाँच में विदेशी धन का खेल सामने आता है, उसे देख सोंचने को विवश होना पड़ता है कि क्या जिन्हे जनहितैषी नेता मानकर वोट देते हैं, मालूम पड़ता है कि वह नेता नहीं, सफेदपोशी भिखारी है। CAA विरोध से लेकर तथाकथित किसान आंदोलन तक विदेशी धन का खुलासा हुआ। जिस तरह भिखारी का काम सिर्फ भीख मांगना और उससे आगे भिखारी कुछ सोंचता ही नहीं, वही हालत हमारे नेताओं की हो गयी है। विदेशों में बैठे मोदी विरोधी तो इन नेताओं को फंडिंग कर रहे हैं, ऊपर से George Soros भी आ गया जो 1000 करोड़ रूपए खर्च कर रहा है। 

अगर जनहित में काम करने की बजाए विदेशी भीख पर काम करने वाले नेता और उनकी पार्टियां क्या इन हरकतों से देश का नाम रोशन कर रहे हैं? जिस खालिस्तान के कारण तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी की जान गई, वही खालिस्तान किसान आंदोलन में नज़र आया, और कांग्रेस समेत सारा विपक्ष उस आंदोलन अपना-अपना समर्थन देता नज़र आया, क्यों? लाल किला पर चढाई कर दी, इस विपक्ष को तब भी शर्म नहीं आयी। अगर इन नेताओं और पार्टियों में देशप्रेम भावना होती, तुरंत इस आंदोलन का बहिष्कार कर केंद्र के साथ खडा होना चाहिए था, लग गया मालपुए खाने। क्या ऐसे नेता और पार्टियां एक भी वोट की हक़दार हैं? 

न्यूज़क्लिक केस में बड़ा खुलासा हुआ है। न्यूजक्लिक के साथ काम करने वाले लोगों ने जाँच के दौरान चौंकाने वाले बयान दर्ज कराए हैं। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल द्वारा दाखिल की गई चार्जशीट में इन गवाहों के बयान को रखा गया है, जिसमें बताया गया है कि न्यूजक्लिक ने CAA विरोधी हिंसा के दौरान मुस्लिमों को हिंसा और दंगों में शामिल होने के लिए उकसाने के लिए उन्हें ‘आदेश’ दिया था। इसके लिए उन्हें सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों तक पैसे पहुँचाने के लिए भारी मात्रा में नकदी दी गई थी।

इन गवाहों ने बताया है कि दिल्ली के हिंदू-विरोधी दंगों में इस्तेमाल किए गए हथियारों को खरीदने के लिए न्यूजक्लिक के माध्यम से चीनी पैसों का इस्तेमाल किया गया। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, कश्मीर में आतंकवादियों को भी पैसे पहुँचाए गए थे।

इन गवाहों की पहचान छिपाई गई है। ये गवाह न्यूजक्लिक में काम करते थे। यूएपीए की धारा 41 के तहत इनकी पहचान को छिपाते हुए दिल्ली पुलिस ने इनके बयानों को चार्जशीट के माध्यम से कोर्ट में पेश किया है। इन गवाहों ने बताया है कि उन्हें धर्म विशेष (हिंदुओं) के खिलाफ हिंसा भड़काने के लिए सीएए विरोधी और शाहीन बाग के प्रदर्शनों में भेजा गया था। इसके लिए न्यूजक्लिक ने अपने कर्मचारियों को पैसे देकर बाँटने के लिए कहा, ताकि अराजकता और हिंसा को भड़काया जा सके।

इस दौरान कई वॉट्सऐप ग्रुपों का इस्लेमात किया गया, खासतौर पर 2 ग्रुपों के बारे में बताया गया है, जिसमें एक ग्रुप का इस्तेमाल CAA विरोधी प्रदर्शनों, किसानों के प्रदर्शनों और शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों को हिंसा के लिए उकसाया गया। दूसरा ग्रुप कश्मीर में हिंसा और तनाव भड़काने में लगा था। ये लोग न्यूजक्लिक में पत्रकार के रूप में काम कर रहे थे और न्यूजक्लिक का एजेंडा आगे बढ़ा रहे थे। इन्हीं लोगं ने संवेदनशाली कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश के नक्शों में छेड़छाड़ भी की थी।

जिन लोगों तक पैसे पहुँचाए गए, उसमें से एक नाम शरजील इमाम का है। वो सीएए-विरोधी प्रदर्शनों के दौरान हिंसा का मुख्य आरोपित है। उसने प्रबीर पुरकायस्थ से पैसे लिए और अपने नापाक एजेंडे को आगे बढ़ाता रहा। इस चार्जशीट में सभी गवाहों के बायन दर्ज हैं और उन्हें दिल्ली पुलिस कोर्ट में पेश कर चुकी है।

नेविल रॉय सिंघम से मिला पैसा तीस्ता सीतलवाड तक पहुँचाया

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, न्यूजक्लिक को विदेश से आए पैसों को तीस्ता सीतलवाड़ तक पहुँचाए गए। चार्जशीट में पुलिस ने बताया है कि अमेरिका से मिले पैसों को तीस्ता सीतलवाड़ के पोर्टल ‘सबरंग इंडिया’ को नया जीवन देने में किया गया। चार्जशीट के मुताबिक, ‘न्यूज सिंडिकेशन स्कैम’ के माध्यम से आर्टिकल लेखकों और स्तंभकारों को न्यूजक्लिक से मिले पैसे दिए गए और इन लेखों का इस्तेमाल सबरंग इंडिया पर प्रकाशित करने के लिए किया गया।
खास बात ये है इन आर्टिकल्स को सबरंग इंडिया पर प्रकाशित करते समय इन्हें ‘सबरंग इंडिया’ द्वारा लिखा दिखाया गया, और असली लेखकों के नाम छिपा लिए गए। चार्जशीट के मुताबिक, इससे तीस्ता सीतलवाड़ को करीब 3 लाख, 1 करोड़ से ज्यादा रुपए उनके कर्मचारियों के लिए और 39 लाख रुपए उनके परिवार के निजी खर्च के लिए मिले।
दिल्ली पुलिस ने अपनी चार्जशीट में बताया है कि जाँच एजेंसियों के रडार पर होने के बावजूद तीस्ता सीतलवाड़ द्वारा दागी विदेशी धन पाने का यह “सबसे सुविधाजनक तरीका” था। पुलिस ने कहा कि ई-मेल, गवाहों की जाँच, वित्तीय उकसावे और संरक्षित गवाहों की गवाही के विश्लेषण से यह स्थापित हुआ कि तीस्ता सीतलवाड, प्रबीर पुरकायस्थ और नेविल रॉय सिंघम एक “खास तिकड़ी” का हिस्सा थे। बता दें कि नेविल रॉय सिंघम न्यूजक्लिक के संस्थापक-संपादक प्रबीर पुरकायस्थ का लंबा समय से साथी है और एक अमेरिकी करोड़पति है। उसका जुड़ाव चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से है और वो चीनी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए प्रबीर पुरकायस्थ और न्यूजक्लिक के माध्यम से भारत के अंदर काम कर रहा था।
चार्जशीट के मुताबिक, तीनों लोग (प्रबीर पुरकायस्थ, तीस्ता सीतलवाड़ और नेविल रॉय सिंघम) एक-दूसरे की जरूरतों को पूरा करते हुए साथ में काम कर रहे थे। इसमें नेविल रॉय सिंघम की ओर से पैसा आता और सभी लोग मिलकर लेफ्ट विंग अतिवाद (LWE) एजेंडे को आगे बढ़ा रहे थे। पुलिस के मुताबिक, तीस्ता सीतलवाड़ और नेविल रॉय सिंघम के बीच ई-मेल्स का जो आदान प्रदान हुआ, उसमें इस बात का खुलासा हुआ है कि नेविल रॉय सिंघम ने तीस्वा सीतलवाड़ के पोर्टल सबरंग इंडिया और तीस्ता के एनजीओ सिटिजन्स फॉर जस्टिस एंड पीस (CJP) को प्रबीर पुरकायस्थ के माध्यम से फंडिंग दी।
चार्जशीट के मुताबिक, इस मामले की जाँच के लिए 13 दिसंबर 2023 को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की टीम ने मुंबई जाकर जाँच की और तीस्ता सीतलवाड़ और उसके शौहर जावेद आनंद को नोटिस भी थमाया था। जावेद आनंद सबरंग इंडिया का सह-संपादक भी है। स्पेशल सेल ने इन लेन-देन की जानकारी भी माँगी। स्पेशल सेल ने सबरंग इंडिया और न्यूजक्लिक के फाउंडर-एडिटर के बीच मैनपॉवर शेयरिंग, सैलरी डिटेल्स और आर्टिकल/वीडियो के प्रोडक्शन को लेकर साइन हुए एग्रीमेंट की भी जाँच की।
न्यूजक्लिक पर चीनी माध्यम से 80 करोड़ प्राप्त करने के आरोप हैं। एफआईआर में इस बात का जिक्र है कि न्यूजक्लिक ने भारत की संप्रभुता पर चोट करने और देश में नफरत का माहौल तैयार करने के लिए चीनी संगठनों से पैसे लिए। कुछ दिन पहले ही दिल्ली की कोर्ट ने प्रबीर पुरकायस्थ की 10 दिनों की कस्टडी बढ़ा दी थी। बता दें कि इस मामले में अमित चक्रवर्ती, जिसे प्रबीर के साथ ही गिरफ्तार किया गया था, वो अब सरकारी गवाह बन चुका है।
दिल्ली पुलिस ने पिछले साल 3 अक्टूबर को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत न्यूज़क्लिक के संस्थापक और संपादक प्रबीर पुरकायस्थ और एचआर प्रमुख अमित चक्रवर्ती को गिरफ्तार किया था। इस दौरान दिल्ली पुलिस ने न्यूजक्लिक के दफ्तर को छापेमारी के बाद सील कर दिया गया था। पुलिस ने बताया कि अक्टूबर 2023 में दिल्ली और सात अन्य राज्यों में 88 स्थानों पर छापे मारे गए, जिसमें एफआईआर में शामिल व्यक्तियों के साथ-साथ डेटा विश्लेषण के दौरान सामने आए लोगों को भी निशाना बनाया गया। इसके अलावा, प्रबीर पुरकायस्थ पर 2019 के लोकसभा चुनावों में तोड़फोड़ करने की साजिश रचने और पीपुल्स अलायंस फॉर डेमोक्रेसी एंड सेक्युलरिज्म (पीएडीएस) के साथ सहयोग करने का आरोप है।

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