आरोप लगते ही दूसरे नेताओं के इस्तीफा मांगने वाला दिल्ली शराब घोटाले में तिहाड़ से जमानत पर बाहर आने पर भी अपने आपको ईमानदार बताकर जनता को पागल बनाने का मौका नहीं चूक रहा। माना अभी आरोपित ही है, दोषी नहीं, लेकिन interim bail मिलने का स्पष्ट सबूत है कि कोर्ट भी केजरीवाल को दोषी मान रही है। अब किस दबाव और कारणों से जमानत मिली यह तो गंभीर जाँच का विषय है। क्योकि यदि इसकी गंभीरता से जाँच नहीं हुई, तो वह दिन अधिक दूर नहीं जब हर कोर्ट में खुले आम भ्रष्टाचार फैल जाएगा।
माना कानून अँधा होता है, सबूत मांगता है। लेकिन कई केस ऐसे भी होते हैं, जो चीख-चीखकर फर्जी केस होने का सबूत दे रहे होते हैं। लेकिन जज केस फाइल को गंभीरता से देखते ही नहीं। और बेकसूर को अपने आपको बेकसूर साबित करने अपनी बचत और समय की बर्बादी करनी पड़ती है। मृतक को पार्टी बना दिया जाता है, जब पहली ही तारीख पर साबित हो जाये कि एक पार्टी मुकदमा दर्ज होने से लगभग दो साल पहले ही स्वर्ग सिधार चुकी है, जबकि केस दर्ज करने वाला अपने आपको उसी मकान में रहने का दावा कर रहा है। जब बचाव पक्ष के वकील ने कोर्ट में खड़े होते ही कोर्ट से पूछा कि 'क्या अब मुर्दों को भी समन दिए जाएंगे?' सारी कोर्ट स्तब्ध। केस फाइल करने वाला और वकील एक दूसरे की शक्ल देखते रहे। क्यों नहीं उसी समय झूठा और बेकसूर को डराने और ब्लैकमेल करने के इरादे से दर्ज केस को dismiss किया गया? क्या कोई मृतक जीवित से झगड़ा कर सकता है? क्यों नहीं ऐसे केस फाइल करने वाले को ब्लैकलिस्टेड किया गया? वकील तो His Master's Voice होता है।
हकीकत में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा न देने की असली वजह है कि 'वह मुख्यमंत्री की हैसियत से सुख-सुविधाएं प्राप्त करना चाहता है। लेकिन केजरीवाल को नहीं मालूम एक दिन वही सुप्रीम कोर्ट ही डांट पिलाकर इस्तीफा देने के लिए बोलेगी। काठ की हांड़ी ज्यादा दिन आग पर नहीं रह सकती।
शराब घोटाले में अंतरिम जमानत पर बाहर आए आम आदमी पार्टी (AAP) के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने एक प्रेस कांफ्रेंस करके बताया कि उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री पद क्यों नहीं छोड़ा। केजरीवाल ने कहा कि वे 50 दिन बाद जेल से लौटे हैं, क्योंकि उन पर बजरंग बली की कृपा है। बजरंग बली ने उन्हें दिल्ली और देश की राजनीति में परिवर्तन लाने के लिए भेजा है। वे तानाशाही से लड़ रहे हैं। जबकि तानाशाह होने का वह खुद वही सबसे बड़ा सबूत है।
केजरीवाल ने कहा, “कई लोगों का सवाल है कि आखिर केजरीवाल ने अपने पद से इस्तीफा क्यों नहीं दिया? सबसे ज्यादा बीजेपी वाले यह सवाल उठा रहे थे। आज मैं आपको इसके पीछे की सच्चाई बताता हूँ।” उन्होंने कहा कि बीते 75 साल में भारत में कितने ही राज्यों में चुनाव हुए, लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ कि दिल्ली जितनी ऐतिहासिक जीत किसी पार्टी को मिली हो।
राजनीतिक नाटक रचने हुए अरविंद केजरीवाल ने कहा, “दिल्ली में ऐतिहासिक अंतर से AAP की सरकार की बनी। इतनी भारी बहुमत से जीतने के बाद वह (भाजपा वाले) जानते थे कि केजरीवाल यहाँ से अगले 20 साल तक चुनाव नहीं हार सकता। इसलिए उन्होंने साजिश रची कि झूठे केस में उन्हें फँसा दो। वह खुद जेल चला जाएगा और उसे इस्तीफा देना पड़ेगा। उसके बाद उसकी सरकार चली जाएगी।”
केजरीवाल ने आगे कहा, “मैंने ठान लिया था कि मैं जनतंत्र जेल से चलाकर दिखाऊँगा। सरकार जेल से चलाकर दिखाऊँगा। इसलिए आज अगर मैं जेल से इस्तीफा नहीं दे रहा हूँ तो इसका एक कारण है कि मैं तानाशाह से लड़ रहा हूँ। अगर कल इनकी सरकार बनी तो ये अन्य राज्यों के सीएम को झूठे केस में फँसाकर जेल में डाल देंगे और उनकी सरकार गिरा देंगे। मैं इनकी यह मंशा पूरी नहीं होने दूँगा।”
दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा कि वे पूरे तन-मन-धन से तानाशाह के खिलाफ लड़ रहे हैं। ये लड़ाई सिर्फ उनके लड़ने से नहीं होगा। उन्होंने कहा कि इसलिए वे लोगों से साथ देने की भीख माँगने बाहर आए हैं। उन्होंने कहा, “मैं मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री बनने नहीं आया हूँ। मैं इनकम टैक्स कमिश्नर की नौकरी करता था। ये नौकरी छोड़कर मैंने एक-दो साल नहीं, 10 सालों तक दिल्ली झुग्गियों में काम किया है।”
केजरीवाल ने आगे कहा, “मुझे पद का लालच नहीं हैं। जब पहली बार सीएम बना तो मैंने 49 दिन में खुद पद छोड़ दिया था। ऐसे सीएम का पद हजार बार कुर्बान। लेकिन, आज मैं इसलिए सीएम पद से इस्तीफा नहीं दे रहा, क्योंकि मुझे राजनीतिक षडयंत्र रचकर जेल भेजा गया। मेरी लड़ाई तानाशाही के खिलाफ है। मेरे जेल जाने से लोग बहुत भावुक हुए हैं। मैं सभी का आभार जताता हूँ।”
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