भारत और मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए विदेशी ताकतें तरह-तरह के नैरेटिव बनाती हैं। और बिना तर्क के इस नैरेटिव को आगे बढ़ाने में भारत का विपक्षी दल आगे आ जाता है। इसी तरह का एक नैरेटिव बनाया गया कि ईवीएम को हैक किया जा सकता है। लोकसभा चुनाव के रिजल्ट आने के 11 दिन बाद ईवीएम को लेकर यह झूठ फैलाया गया। सबसे पहले दुनिया के सबसे अमीर बिजनेसमैन एलन मस्क ने 15 जून को लिखा- EVM को खत्म कर देना चाहिए। इसे इंसानों या AI द्वारा हैक किए जाने का खतरा है। इसके एक दिन बाद 16 जून, 2024 को मिड डे ने एक सनसनीखेज रिपोर्ट प्रकाशित की कि ईवीएम को हैक किया जा सकता है, जिसने राजनीतिक हलकों और आम जनता में विवाद खड़ा कर दिया। इसके बाद एक चुनाव अधिकारी ने मिड-डे की एक रिपोर्ट को ‘झूठी खबर’ कहकर खारिज कर दिया। अधिकारी ने कहा कि पब्लिकेशन को मानहानि का नोटिस जारी किया गया है। नोटिस मिलते ही मिड डे ने माफीनामा प्रकाशित कर दिया लेकिन इंडी अलायंस के नेता राहुल गांधी, उद्धव ठाकरे समेत विपक्षी नेता इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की नाकाम कोशिश करते रहे। उधर ध्रुव राठी और अन्य लेफ्ट लिबरल एजेंडा चलाने वालों ने इसे जोर-शोर से उठाकर मोदी सरकार को बदनाम करने की कोशिश की। ईवीएम को लेकर जनता में भ्रम पैदा करने के लिए अब कांग्रेस नेता राहुल गांधी, शिवसेना-यूबीटी नेता उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे, संजय राउत और यूट्यूबर ध्रुव राठी के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही की मांग को लेकर बंबई हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है।
राहुल गांधी, उद्धव ठाकरे, ध्रुव राठी के खिलाफ अवमानना कार्यवाही की मांग
कांग्रेस नेता राहुल गांधी, शिवसेना-यूबीटी नेता उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे, संजय राउत और यूट्यूबर ध्रुव राठी के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही की मांग को लेकर बंबई हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। इस याचिका में इन नेताओं के खिलाफ EVM को लेकर झूठ फैलाने और जनता में भ्रम पैदा करने का आरोप लगाया गया है। याचिका में कहा गया है कि उक्त लोगों ने अपने ‘छुपे एजेंडे’ के तहत ईवीएम को लेकर अलग-अलग धारणाएं बनाई और लोगों में भ्रम पैदा किया।
आरोपियों पर चले आपराधिक अवमानना का मामला
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि ध्रुव राठी और अन्य लोग लगातार फेक न्यूज फैलाकर आम जनता को भ्रमित करते हैं, ये उनकी आदत में शुमार है। ऐसा करना नीलेश नवलखा बनाम भारत संघ (2021) में बंबई हाई कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है। उक्त आदेश में मीडिया को ‘मीडिया ट्रायल’ का सहारा लेने से बचने के लिए दिशा-निर्देश दिए गए थे। याचिका के अनुसार, राहुल गांधी, ध्रुव राठी समेत सभी आरोपितों ने उस आदेश का उल्लंघन किया है, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि जिन मामलों की सुनवाई चल रही हो, उस पर कोई राय बनाकर जनता के बीच गलत बातें फैलाने पर आपराधिक अवमानना की श्रेणी में आएगा। ऐसा करना कोर्ट की अवमानना अधिनियम की धारा 2(सी) के तहत दंडनीय अपराध है।
आरोपियों की ‘छिपी मंशा’ की जांच के लिए बने एसआईटी
इस मामले की सुनवाई बॉम्बे हाई कोर्ट में जस्टिस श्याम चांडक और जस्टिस मोहिते-डेरे की बेंच में हुई। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में CBI, IB और ED सहित विशेष जांच दल (SIT) के गठन की भी मांग की है, ताकि राहुल गांधी, ध्रुव राठी, उद्धव ठाकरे व अन्य लोगों की ‘छिपी मंशा’ की जांच की जा सके। याचिकाकर्ता ने कोर्ट की अवमानना अधिनियम 1971 की धारा 2(बी) और 12 के तहत राहुल गांधी, उद्धव ठाकरे, ध्रुव राठी, आदित्य ठाकरे और संजय राउत के खिलाफ कार्यवाही की मांग की। इसके अलावा याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट से पुलिस को आईपीसी की धारा 192, 193, 107, 409, 120(बी) और 34 के तहत लंबित जांच के संबंध में सार्वजनिक मशीनरी का दुरुपयोग करने और झूठे सबूत बनाने के लिए उपरोक्त लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया।
जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे से इस मामले से अलग होने की अपील
इस दौरान याचिकाकर्ता ने जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे से इस मामले की सुनवाई से अलग होने की भी अपील की, क्योंकि जस्टिस डेरे की बहन शरद पवार की एनसीपी से जुड़ी हुई हैं। हालाँकि, पीठ ने इस मामले की सुनवाई करने से इनकार किया। साथ ही कहा कि इसे गलत तरीके से उसके समक्ष रखा गया। याचिकाकर्ताओं से कहा गया कि वे चीफ जस्टिस से संपर्क करें और अपनी याचिका को उचित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने का अनुरोध करें।
विपक्षी दलों और लेफ्ट लिबरल एजेंडा चलाने वालों ने किस तरह ईवीएम पर लोगों को गुमराह करने की कोशिश की
मिडडे ने ईवीएम को लेकर झूठी खबर छापी
मिडडे अखबार ने 16 जून 2024 को एक खबर छापी थी, जिसमें ईवीएम मशीन को ओटीपी के जरिए अनलॉक करने का दावा किया गया था। विपक्षी नेताओं ने उसका इस्तेमाल देश के लोकतंत्र पर सवाल खड़ा करने के लिए किया। 16 जून को मिड डे समाचार पत्र में प्रकाशित 5 कॉलम की रिपोर्ट में दावा किया गया था पुलिस ने अपनी जांच में पाया है कि एनडीए के प्रत्याशी रवींद्र वायकर के रिश्तेदार ने मतदान के वक्त फोन इस्तेमाल कर रहे थे जो कि ईवीएम से कनेक्ट था। इस रिपोर्ट में पुलिस के हवाले से कहा गया था कि प्रत्याशी का रिश्तेदार ओटीपी के जरिए ईवीएम अनलॉक कर रहा था। पुलिस उसका फोन फॉरेंसिक जांच को भेज चुकी है। हालांकि बाद में मिड-डे ने अपनी खबर का खंडन छापा था और कहा था कि ये खबर गलत थी। ऐसा होना मुमकिन नहीं है
ध्यान भटकाने के लिए निकाला गया ईवीएम का जिन्न!
लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान राहुल गांधी ने गरीब महिलाओं के खाते में हर महीने 8500 और सालाना एक लाख रुपए भेजने की गारंटी दी थी। 4 जून को रिजल्ट आने के बाद 5 जून से देश के कई इलाकों में मुस्लिम महिलाएं कांग्रेस का गारंटी कार्ड लेकर पहुंच रही हैं और एक लाख रुपए की मांग कर रही हैं। देश के कई शहरों में महिलाओं की लगातार जुटती भीड़ से कांग्रेस की काफी बदनामी होने लगी। यह गारंटी कांग्रेस के गले की फांस बन गई। कांग्रेस को इस गारंटी से पार पाने का रास्ता नहीं सूझ रहा था तो लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के 11 दिन बाद ईवीएम का जिन्न बाहर निकाला गया। मोदी विरोधी ग्लोबल पावर्स और डीप स्टेट ने इसके लिए एलन मस्क का इस्तेमाल किया। मस्क ने अमेरिका के संदर्भ में कहा कि EVM को हैक किए जाने का खतरा है इसलिए इसे खत्म कर देना चाहिए। इसके बाद राहुल गांधी को जैसे संजीवनी मिल गई। राहुल गांधी ने मस्क की पोस्ट को रीपोस्ट करते हुए कहा- भारत में EVM ब्लैक बॉक्स की तरह है। डीप स्टेट ने इसके बाद मिड डे में प्लांटेड खबर छपवा दी कि OTP से EVM को अनलॉक किया जा सकता है। जबकि यह भ्रामक बातें हैं। चुनाव आयोग ने कहा कि ईवीएम में किसी फोन या OTP की जरूरत नहीं है।
चुनाव आयोग को बदनाम करना मकसद
कांग्रेस के 99 सांसदों पर अयोग्यता की तलवार लटक रही है। ऐसे में चुनाव आयोग बदनाम करने के लिए ईवीएम मुद्दा उठाया गया है। राहुल गांधी समेत कांग्रेस के सभी 99 नवनिर्वाचित सांसदों के खिलाफ याचिका दायर किया है। नई दिल्ली स्थित वकील विभोर आनंद ने कांग्रेस के सभी 99 सांसदों को अयोग्य ठहराने के लिए याचिका दायर की है। विभोर आनंद ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने सत्ता में आने पर एक लाख रुपये देने का वादा करके मतदाताओं को रिश्वत का झांसा दिया है। उन्होंने याचिका में कहा है कि कांग्रेस ने जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123(1) के तहत अपराध किया है। विभोर आनंद ने इस संबंध राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखा है। उनसे चुनाव आयोग को मामले का तत्काल संज्ञान लेने का निर्देश देने की मांग की है।
भारत की चुनावी प्रक्रिया की दुनिया ने की तारीफ
लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों ने भारत में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) पर सवाल उठाने वालों को चुप तो कराया ही पूरी दुनिया ने भी चुनाव नतीजों के बाद भारत की चुनावी प्रक्रिया की तारीफ की। मगर एलन मस्क ने अब एक अलग ही राग छेड़ा है। ये EVM का भूत खड़ा किया गया है ताकि देश का ध्यान कांग्रेस द्वारा 8500 रुपये वाले चुनावी फ्रॉड से हट सके। वहीं अब तक मुद्दाविहीन विपक्ष और खटाखट गारंटी से परेशान कांग्रेस ने ईवीएम मुद्दे को हाथोंहाथ लिया। राहुल गांधी से लेकर अखिलेश यादव तक ने एलन मस्क के पोस्ट को री-ट्वीट कर ईवीएम पर चिंता जताने लगे। अगर राहुल और अखिलेश को ईवीएम पर भरोसा नहीं है तो उन्हें अपने सभी सांसदों से इस्तीफा दिलवा देना चाहिए और फिर इस पर बात करनी चाहिए। विधवा विलाप करने से कोई फायदा नहीं है क्योंकि देशवासियों को इनकी करतूतें पता चल चुकी है।
लोकसभा चुनाव परिणाम आने के 11 दिन बाद क्यों उठा ईवीएम मुद्दा
लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के 11 दिन बाद एक बार फिर ईवीएम पर सवाल उठे हैं। आखिर 11 दिन बाद इस मुद्दे की उठने की वजह क्या हो सकती है? इसकी टाइमिंग लेकर यह साफ है कि राहुल गांधी की चुनावी गारंटी से ध्यान भटकाने के लिए इस मुद्दे को उछाला गया है। जैसे ही यह मुद्दा उछला राहुल गांधी ने इसे लपक लिया। उन्होंने इसे ब्लैक बॉक्स बताया और कहा कि भारत जैसे देश में किसी को भी इसकी जांच करने की अनुमति नहीं है। राहुल ने इसके अलावा एक न्यूजपेपर की कटिंग भी शेयर की है जिसमें लिखा है कि मुंबई उत्तरपश्चिम लोकसभा सीट जीतने वाले शिवसेना सांसद(शिंदे गुट) रवींद्र वायकर के रिश्तेदार के पास ऐसा फोन है जिससे ईवीएम को आसानी से खोला जा सकता है।
यदि EVM हैक होती तो BJP 272 से नीचे क्यों रहती?
यहां सवाल यह उठता है कि यदि EVM हैक होती तो BJP 272 से नीचे क्यों रहती? यदि EVM हैक होती तो मोदी जी काउंटिंग में पीछे क्यों चलते? यदि EVM हैक होती तो मोदी जी मात्र डेढ़ लाख वोटों से क्यों जीतते? यदि EVM हैक होती तो BJP के 18 मंत्री चुनाव क्यों हारते? यदि EVM हैक होती तो BJP अयोध्या क्यों हारती? यदि EVM हैक होती तो मोदी जी गठबंधन का रिस्क क्यों लेते?
ईवीएम में किसी फोन या OTP की जरूरत नहींः चुनाव आयोग
ओटीपी के जरिए ईवीएम अनलॉक का दावा करने वाली मिड डे अखबार की रिपोर्ट को चुनाव आयोग ने नकार दिया। चुनाव आयोग ने कहा, ‘आज एक न्यूजपेपर (मिड डे) में खबर आई कि ईवीएम को एक फोन से अनलॉक किया जाता है। यह बिलकुल गलत है। ईवीएम में किसी फोन या OTP की जरूरत नहीं है। यह पूरी तरह वायरलेस प्रोसिजर है और स्वतंत्र है। चुनाव आयोग ने साफ कहा कि ईवीएम हैक नहीं हो सकती। यह खबर गलत है। जिस अखबार में यह खबर आई है, उसे हमने गलत खबर फैलाने के लिए धारा 499 और 505 के तहत नोटिस भेजा है।
#WATCH | Mumbai Suburban Returning Officer, Vandana Suryavanshi says, "No OTP is needed to unlock the EVM. There is no mobile OTP needed to unlock the EVM as it is a non-programmable offence...It has advanced technical features and there is no communication device on the EVM...It… pic.twitter.com/EEB4Cn4AlT
— ANI (@ANI) June 16, 2024
मिड डे की न्यूज़ रिपोर्ट अपने आप में भ्रामक
मिड डे की न्यूज़ रिपोर्ट अपने आप में भ्रामक है। ओटीपी जनरेशन सर्विस वोटर के लिए मतदान में शामिल होने की एक प्रक्रिया का हिस्सा है। सर्विस वोटर (सेना, सुरक्षा बल और भारत सरकार में कार्यरत) एन्क्रिप्टेड ईटीपीबी फ़ाइल डाउनलोड करता है और फिर वोट डालने के लिए इस फ़ाइल को खोलने के लिए ओटीपी उत्पन्न होता है। ईटीपीबीएस ईवीएम से बहुत अलग है।
CORRECTION: It’s not about EVM, but about ETPBS (Electronically Transmitted Postal Ballot System)
— Dhruv Rathee (@dhruv_rathee) June 16, 2024
Headline of the article is misleading
Regardless, this is a serious issue involving unauthorized use of mobile phone. Re-election should be done on this seat. pic.twitter.com/brj7CbhwJa
EVM को खत्म कर देना चाहिएः एलन मस्क
दुनिया के सबसे अमीर बिजनेसमैन एलन मस्क ने 15 जून को लिखा- EVM को खत्म कर देना चाहिए। इसे इंसानों या AI द्वारा हैक किए जाने का खतरा है। हालांकि ये खतरा कम है, फिर भी बहुत ज्यादा है। अमेरिका में इससे वोटिंग नहीं करवानी चाहिए। दरअसल, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी के भतीजे और अगले अमेरिकी चुनावों के लिए स्वतंत्र उम्मीदवार रॉबर्ट एफ कैनेडी जूनियर के एक पोस्ट के जवाब में एलन मस्क ने यह ट्वीट किया था। रॉबर्ट एफ कैनेडी जूनियर ने अपने पोस्ट में प्यूर्टो रिको में हुए मतदान में अनियमितताएं बताई थीं। मस्क ने इसी पर एक्स पर पोस्ट कर लिखा, “हमें इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों को खत्म कर देना चाहिए। इंसानों या एआई द्वारा हैक किए जाने का जोखिम, हालांकि छोटा है, फिर भी यह बहुत अधिक है।”
We should eliminate electronic voting machines. The risk of being hacked by humans or AI, while small, is still too high. https://t.co/PHzJsoXpLh
— Elon Musk (@elonmusk) June 15, 2024
भारतीय EVM सुरक्षित हैंः राजीव चंद्रशेखर
एलन मस्क के ट्वीट पर भाजपा नेता और पूर्व IT मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा- मस्क के मुताबिक, कोई भी सुरक्षित डिजिटल हार्डवेयर नहीं बना सकता, ये गलत है। उनका बयान अमेरिका और अन्य स्थानों पर लागू हो सकता है – जहां वे इंटरनेट से जुड़ी वोटिंग मशीन बनाने के लिए नियमित कंप्यूट प्लेटफॉर्म का उपयोग करते हैं। भारतीय EVM सुरक्षित हैं और किसी भी नेटवर्क या मीडिया से अलग हैं। कोई कनेक्टिविटी नहीं, कोई ब्लूटूथ, वाईफाई, इंटरनेट नहीं। यानी कोई रास्ता नहीं है। फैक्ट्री प्रोग्राम्ड कंट्रोलर जिन्हें दोबारा प्रोग्राम नहीं किया जा सकता। EVM को ठीक उसी तरह डिजाइन किया जा सकता है, जैसा कि भारत ने किया है। भारत में इसे हैक करना संभव नहीं है। इलॉन, हमें ट्यूटोरियल (सिखाने वाला संस्थान) चलाकर खुशी होगी।
This is a huge sweeping generalization statement that implies no one can build secure digital hardware. Wrong. @elonmusk 's view may apply to US n other places - where they use regular compute platforms to build Internet connected Voting machines.
— Rajeev Chandrasekhar 🇮🇳 (@RajeevRC_X) June 16, 2024
But Indian EVMs are custom… https://t.co/GiaCqU1n7O
भारत में EVM ब्लैक बॉक्स की तरहः राहुल गांधी
भारत की हर सफलता में नकारात्मकता ढूंढ़ने में माहिर राहुल गांधी ने मस्क की पोस्ट को रीपोस्ट करते हुए कहा- भारत में EVM ब्लैक बॉक्स की तरह है। किसी को भी इसकी जांच की अनुमति नहीं है। हमारी चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता को लेकर गंभीर चिंताएं जताई जा रही हैं। जब संस्थाओं में जवाबदेही की कमी होती है, तो लोकतंत्र एक दिखावा बन जाता है और धोखाधड़ी की संभावना बढ़ जाती है। राहुल गांधी ने इस ट्वीट के साथ ईवीएम को लेकर मिड डे में छपी खबर को भी पोस्ट किया है।
EVMs in India are a "black box," and nobody is allowed to scrutinize them.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) June 16, 2024
Serious concerns are being raised about transparency in our electoral process.
Democracy ends up becoming a sham and prone to fraud when institutions lack accountability. https://t.co/nysn5S8DCF pic.twitter.com/7sdTWJXOAb
ईवीएम में छेड़छाड़ की जा सकती हैः सैम पित्रोदा
इसके बाद राहुल गांधी और उनके राजनीतिक गुरु सैम पित्रोदा ने कहा कि देश में बैलट पेपर से ही चुनाव कराया जाना चाहिए क्योंकि ईवीएम की व्यवस्था ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि मैंने ईवीएम की व्यवस्था का पूरा अध्ययन किया है और मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूं कि यह व्यवस्था ठीक नहीं है और इसमें छेड़छाड़ की जा सकती है। उन्होंने कहा कि ईवीएम से छेड़छाड़ की आशंका को देखते हुए बैलट पेपर से ही चुनाव कराना उचित होगा और इसी के जरिए चुनाव में हार-जीत का फैसला किया जाना चाहिए।
GOLDEN RULE - one who has gold makes the rule. The man with the most Gold has spoken on the EVM and the need to go to the paper ballot as the golden standard. I agree. I hope we listen, learn and act. https://t.co/ZTrPWjmPwN
— Sam Pitroda (@sampitroda) June 17, 2024
आगामी सभी चुनाव बैलेट पेपर होः अखिलेश यादव
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने एक बार फिर से ईवीएम पर शक जताया है। उन्होंने यह बात एलन मस्क के एक बयान के बाद यह बात कही है। सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए अखिलेश ने लिखा कि “टेक्नॉलजी समस्याओं को दूर करने के लिए होती है, अगर वही मुश्किलों की वजह बन जाए, तो उसका इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए। आज जब विश्व के कई चुनावों में EVM को लेकर गड़बड़ी की आशंका ज़ाहिर की जा रही है और दुनिया के जाने-माने टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट्स EVM में हेराफेरी के ख़तरे की ओर खुलेआम लिख रहे हैं, तो फिर EVM के इस्तेमाल की ज़िद के पीछे की वजह क्या है, ये बात भाजपाई साफ़ करें। आगामी सभी चुनाव बैलेट पेपर (मतपत्र) से कराने की अपनी मांग को हम फिर दोहराते हैं।” अखिलेश यादव जब ईवीएम पर शक है तो ऐसे में उन्हें अपने सभी सांसदों से इस्तीफा दिलवा देना चाहिए फिर इस पर बात करें तो लोगों को भरोसा होगा कि वे साफ नीयत से बोल रहे हैं।
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