तेलंगाना : हैदराबाद के कैल्वारी चर्च से चल रहा धर्मांतरण का खेल ; 3000 हिन्दू हर महीने बनते हैं ईसाई, 3.5 लाख अब तक हो भी चुके कन्वर्ट: ट्रैकिंग सिस्टम से जुटाए जाते हैं लोग; वीडियो
कैल्वारी चर्च अक्सर हिन्दुओं की घटती आबादी और मुसलमानों की बढ़ती आबादी पर बड़ी-बड़ी चर्चाएं होती है। लेकिन मीडिया से लेकर नेता और नेता से लेकर राज्य और केंद्र सरकारें आंखें बंद किये बैठी हैं। जिस दिन राज्य और केंद्र सरकारों ने हो रहे धर्मान्तरों, रोहिंग्यों, पाकिस्तान और बांग्लादेश के घुसपैठियों को कठोरतम कदम उठाकर देश से नहीं निकालती न ही देश की वास्तविक उन्नति और जनसँख्या का पता नहीं चलेगा।
सोशल मीडिया पर पिछले दिनों सीबीएन न्यूज (The Christian Broadcasting Network Inc) की एक वीडियो सामने आई थी। इस वीडियो के वायरल होने के बाद हैदराबाद के कैल्वारी चर्च की चर्चा तेज हो गई।
दावा है कि ये चर्च हर माह 3000 हिंदुओं को ईसाई धर्म में लाता है और इसे चलाने वाले पादरी सतीश कुमार भी ये दावा करते हैं कि उन्होंने अभी तक 3.5 लाख हिंदुओं को धर्मांतरित किया है और उनका प्लान आने वाले समय में 40 कैल्वारी चर्चाों को देश भर में खोलने का है लेकिन भारत में आरएसएस उन्हें ऐसा करने से रोक रहा है।
**Calvari temple actively converting around 3 thousand hindus every month to Christianity**
Foreign origin news channels are claiming that ...calvari Temple in Hyderabad run by paster Sathish is actively converting around 3 thousand hindus every month to Christianity... so far… pic.twitter.com/6zSDcA5hBb
वीडियो को सोशल मीडिया पर पत्रकार देविका ने साझा किया और उसके बाद लीगल राइट्स प्रोटेक्शन फोरम ने भी इस पर संज्ञान लिया। उन्होंने अपडेट देते हुए अपने ट्वीट में बताया कि इस चर्च की डिजिटल ब्रांच को काकीनाडा के जिला कलेक्टर के आदेश के बाद सील कर दिया गया है। अब ये तो नहीं मालूम कि वीडियो वायरल होने के बाद इस चर्च को लेकर कोई शिकायत हुई या नहीं लेकिन ये पता चला है कि मुख्य चर्च के अलावा इस चर्च की 10 ब्रांच और चल रही हैं।
#BIGNEWS: Following orders from the Kakinada District Collector, revenue officials have confiscated the Calvary Temple, a digital church branch operated by Pastor Satish Kumar from Hyderabad. pic.twitter.com/KL8rCKUIPA
विदेशी ताकतों को भारतीय मामलों में हस्तक्षेप कराता है
साल 2020 में मिशनकली हैंडल से एक वीडियो भी सामने आई थी। इसमें बताया जा रहा था कि कैसे पादरी सतीष, सरकार के पडार में आने से बचने के लिए धर्मांतरण और जबरन धर्मांतरण जैसे शब्दों का प्रयोग नहीं करते बल्कि इसके अतिरिक्त वो ये कहते हैं कि सरकार उनसे खुश हैं क्योंकि वो नेक उद्देश्यों से गरीबों को भोजन देते हैं। वीडियो में दावा किया गया था कि उन्होंने कोरोना महामारी के दौरान 700 टन खाना बाँटा था।
Satish Kumar exposed! A LIAR & TRAITOR! Hypocrisy of appeasing #SleepingHindus on one hand & on the other, complaining about Religious Freedom in 🇮🇳 to the VP of US! Runs the Calvary Temple, Megachurch (3 Lakh membs in Hyd) @MEAIndia This is how USCIRF collects it's atrocity data pic.twitter.com/kc8zIXLi2y
— Mission Kaali - Say No To Conversion (@missionkaali) June 28, 2020
पुराने पोस्ट अगर देखें तो पता चलता है कि सतीश पूर्व अमेरीकी उपराष्ट्रपति माइक पेंस जैसे विदेशी नेताओं से मिलकर भारत में धार्मिक आजादी के मुद्दों पर चर्चा करते हैं और उन्हें यहाँ के मामलों में दखल देने का मौका देते हैं। बाद में विदेशी प्लेटफॉर्मों पर वो रिपोर्ट आती हैं जहाँ भारत पर अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव का आरोप लगता है।
मालूम हो कि पीएम मोदी के सत्ता में आने के बाद यूनाइटेड स्टेट्स कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ़्रीडम (USCIRF) भारत पर वार्षिक रिपोर्ट प्रकाशित करता है जिसमें अक्सर हिंदुओं और मौजूदा सरकार को निशाना बनाया जाता है और अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव का आरोप लगाया जाता है।
Inspiring to meet with Dr. Satish Kumar – pastor of Calvary Temple Church in Hyderabad, India. We discussed the importance of protecting religious freedom with faith leaders including Dr. David Jeremiah, Dr. John Ankerberg, Steve Green, Mart Green, and Dr. Jerry Johnson. pic.twitter.com/8efaTPtFub
— Vice President Mike Pence Archived (@VP45) May 8, 2018
कैल्वारी चर्च की स्थापना
कैल्वारी चर्च की स्थापना 2005 में डॉ. सतीश कुमार ने की थी। आज सतीश कुमार को दुनिया के सामने एक सम्मानित पादरी, लेखक और अंतर्राष्ट्रीय वक्ता के रूप में बताया जाता है, लेकिन उनकी मिशनरी गतिविधियों पर बात नहीं होती। भारत में उनकी मिशनरी गतिविधियों और आक्रामक धर्मांतरण रणनीति को लेकर चिंताएँ हैं। कैल्वारी चर्च का दावा है कि उसके पास 400,000 सदस्य हैं जो लगातार बढ़ रहे हैं। उनके लिए ये विस्तार एक उपलब्धि है लेकिन हिंदुओं के चिंता क्योंकि ये संख्या उन्हीं की मजबूरियों का फायदा उठाकर बढ़ाई जा रही है। चर्च को लेकर यह भी दावा है कि इसका निर्माण मात्र 52 दिनों में किया गया था।
हर महीने हो रहा 3000 हिंदुओं का धर्मांतरण
दिलचस्प बात ये है कि सीबीएन ने जो खबर कैल्वारी चर्च के समर्थन में चलाई उससे उस मिशनरी समूह की हकीकत उजागर हो गई। ये चर्च इतनी तादाद में जुड़ रहे लोगों और हर महीने 3000 हिंदुओं के होने ईसाई बनने को अपनी उपलब्धि बताता है लेकिन सामान्य नजरिए से देखें तो पता चलेगा कि किस तीव्रता से यहाँ धर्मांतरण का काम चल रहा है।
बड़ा कैंपस और उपस्थिति अनिवार्य
हैदराबाद के इस चर्च को देश का सबसे बड़ा चर्च कहा जाता है जिसका कैंपस बहुत बड़ा है। हर रविवार सैंकड़ों लोग सभा को अटेंड करने आते हैं। सुबह 4 बजे से भीड़ लगनी शुरू हो जाती है। चर्च के सदस्य भीड़ को नियंत्रित करते हैं। दिलचस्प ये है कि जरूरी नहीं ये भीड़ अपनी मर्जी से यहाँ आए। उनपर दबाव होता है कि वो चर्च आएँ ही आएँ। अगर कोई नहीं आता तो पूछा जाता है कि उशने ऐसा क्यों किया। दिन में करीबन पाँच सत्र रखे जाते हैं जहाँ पादरी लोगों को अपना ज्ञान देते हैं।
लालच देकर धर्मांतरण
कैल्वरी चर्च निर्धन हिंदुओं की गरीबी और आर्थिक अस्थिरता का फायदा उठाकर उन्हें धर्मांतरित करने का प्रयास करता है। यहाँ रविवार को सभा में आने वाले लोगों को तीन बार फ्री में खाने का लालच देकर बुलाया जाता है और दावा किया जाता है कि रविवार को यहाँ आने वाले लोगों की संख्या 50,000 तक पहुँच जाती है जिनके खाने की व्यवस्था महीने में दिए गए 2 लाख मुफ्त मील के बराबर है। इसके अलावा यहाँ मेडिकल सेवाएँ, विवाह व्यवस्था और अंतिम सस्कार के लिए सुविधा आदि देने की बात होती है। बाद में इन्हीं सेवाओं का हवाला देकर हिंदुओं को ईसाई धर्म की ओर आकर्षित करने के प्रयास होते हैं।
हिंदू मंदिरों में प्रथा पुरानी
ये सारी सेवाएँ वहीं हैं जिन्हें तमाम हिंदू मंदिर बिन किसी प्रचार के और बिन किसी को लालच दिए सालों से करते आए हैं। रही बात निशुल्क खाने की तो जगह-जगह मंदिरों में पवित्र ढंग से खाना बनाकर जरूरतमंदों को दिया जाता है और उसे भंडारा कहते हैं। बावजूद इतने प्रयासों लोग हिंदू मंदिरों पर जातिगत भेदभाव का आरोप लगाते हैं और कैल्वारी चर्च जैसे मिशनरी एजेंडे को परोपकार का नाम देते हैं।
देश में और वैश्विक स्तर पर विस्तार की मंशा
मालूम हो कि ये चर्च पहले ही अपनी 11 ब्रांच खोल चुका है और 40 और बड़े चर्च खोलने के इरादे रखता है। पादरी की यह मंशा चिंताजनक इसलिए है क्योंकि इस विस्तार के जरिए वो हिंदू और अन्य समुदाय के लोगों से जुड़ेंगे और इसके अलावा विदेशी ईसाई संस्थाओं की घुसपैठ होगी। यह चर्च पहले ही भारतीय भाषाओं में टेलिविजन कार्यक्रम प्रसारित करता है तथा खाड़ी देशों में लाखों लोगों तक पहुँचाता है।
ट्रैकिंग सिस्टम में समस्या
हैरान करने वाली बात ये हैं कि इस चर्च से जुड़ने के बाद ये चर्च लोगों को ट्रैक करता है। जब हर रविवार भीड़ जुटती है तो उसकी एंट्री के लिए एक एक्सेस कार्ड की व्यवस्था होता है। चर्च का कहना है कि इससे ये अनुपस्थित लोगों के बारे में पता लगाते हैं मगर ये सोचने वाली बात ये है कि क्या किसी धार्मिक व्यवस्था में इस तरह की निगरानी रखा जाना कोई खतरा नहीं है।
भ्रामक दावे
कैल्वारी चर्च ये आरोप लगाता रहा है कि हिंदू संगठन ईसाइयों पर हमले करते हैं जबकि वो ऐसा सिर्फ इसलिए करते हैं क्योंकि हिंदू उन्हें अब लाचार लोगों को बरगलाने का मौका नहीं दे रहे या उनके चमत्कारों की पोल खोल रहे हैं।
फंडिग का अता-पता नहीं
कैल्वारी चर्च को फंडिंग कहाँ से मिलती है इसकी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। हालाँकि हमारी जाँच से पता चलता है कि उन्हें दो मौकों पर ब्रिटेन स्थित क्रिश्चियन विजन से पर्याप्त फंडिंग मिली थी। 2020 में, उन्हें £74,467 मिले , और 2021 में, उन्हें क्रिश्चियन विजन से £727,394 मिले । ऑपइंडिया इस बात की पुष्टि नहीं कर सका कि कैल्वरी टेम्पल इंडिया के पास FCRA लाइसेंस है या नहीं।
धर्मांतरण पर बढ़ रही चिंताएँ
कैल्वारी चर्च अगर अपने मकसद पर आगे बढ़ता है तो ये भारत के लिए चिंताजनक बात होगी। सरकार को जल्द से जल्द धर्मांतरण कार्यक्रमों को रोकने के लिए कदम उठाने चाहिए वरना ऐसे लोग गरीब, वंचित और शोषित लोगों को बरगलाकर धर्मांतरित कराते रहेंगे।
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