दिल्ली : चल रही थी रामलीला, सीने में उठा दर्द तो मंच पर बैठ गए ‘कुंभकर्ण’ और शाहदरा में लाइव परफॉर्मेंस के दौरान ही ‘राम’ की भी हार्ट अटैक से हुई मौत

   मंच पर राम (बाएँ) का किरदार निभाते हुई थी मौत, अब कुंभकर्ण (दाएँ) की मौत (फोटो साभार: वायरल वीडियो/पंजाब      केसरी)
अनेक बार जीवन में ऐसे घटनाक्रम सामने आते है, वर्षों पूर्व घटित घटनाएं भी मुखरित हो जाती है। घटना उस समय की जब प्राइमरी में पढ़ते थे, जब रामलीला मैदान में दिल्ली की बहुचर्चित रामलीला में दशहरा के पावन दिवस पर राम-रावण युद्ध के दौरान जब राम ने रावण को अमृतकुंड पर तीर मारा, रावण को स्वाभाविक है मरने का ड्रामा करना ही था, लेकिन वह मरने का ड्रामा नहीं, वास्तव में रावण का अभिनव करने वाले ने अपने जीवन की अंतिम साँस ले ली। मुझसे बड़े बताते थे कि रावण की शव-यात्रा में लीला में निकलने वाले सारे बैंड सम्मिलित हुए थे। 
रामायण केवल एक धार्मिक ग्रन्थ नहीं, बल्कि मानव को जीवन का मार्ग दर्शन करवाने वाला ग्रन्थ है। लेकिन किया जाता है केवल राम का गुणगान और रावण को एक अपवाद। जबकि रावण जैसा महान पंडित, ज्ञानी, तपस्वी और पराक्रमी न कोई इस धरती पर आया और शायद नहीं आएगा। जिस पर प्रकाश डाला रामानंद सागर के सीरियल रामायण में। जब कुंभकर्ण को जगाया जाता है और अपने बड़े भाई के पास जाने पर पीढ़ियों पूर्व ब्रह्मा, विष्णु और महेश(शिव) एवं ऋषियों की भविष्यवाणियों का स्मरण करवाया। रावण कितना महान था कि अपना वचन पूरा करने विष्णु को राम रूप में धरती पर आना पड़ा, क्योकि रावण का अंत विष्णु के हाथों ही होना था। खर और दूशण की मृत्यु का समाचार मिलते ही रावण को अपनी जीवनलीला के अंत होने का आभास हो गया था। क्योकि इनका अंत भी विष्णु के हाथों होना निश्चित था। कहते है कि रावण पुराण में लिखा है कि रावण ने सीता माता का अपहरण करते समय सीता माता को 'माता' कहा था कि ''माता' क्या अपने इस पुत्र को मोक्ष नहीं दिलवाएगी?' लेकिन हिन्दू ग्रंथों में दिए संदेशों को मनोरंजन बनाकर रख दिया, जिसमे इन ग्रंथों में दिए जीवन सन्देश और धार्मिक वास्तविक उपदेश लुप्त हो गए। यही कारण है कि सनातन विरोधी रामायण पर कीजड़ फेंकने का दुस्साहस कर रहे है और हिन्दू मूर्कदर्शक बना हुआ है। खैर।             
दिल्ली के चिराग इलाके में चल रही रामलीला के दौरान एक दुखद घटना घटी, जब कुंभकर्ण का किरदार निभा रहे अभिनेता की मंच पर ही मौत हो गई। यह हादसा तब हुआ जब पश्चिम विहार के रहने वाले विक्रम तनेजा, जो मालवीय नगर में रामलीला के मंच पर कुंभकर्ण की भूमिका निभा रहे थे। उन्हें अचानक सीने में तेज दर्द महसूस हुआ, और वह मंच पर ही बैठ गए। घटना के तुरंत बाद उन्हें आकाश अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उनकी गंभीर स्थिति को देखते हुए उन्हें पीएसआरआई अस्पताल रेफर कर दिया गया।

पुलिस के अनुसार, इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। डॉक्टरों का अनुमान है कि उनकी मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई। पुलिस ने तनेजा के परिवार वालों के बयान दर्ज कर लिए हैं और मौत की वजह की जाँच जारी है। यह घटना शारदीय नवरात्रि के दौरान दूसरी बार हुई है, जब रामलीला में भूमिका निभाते समय किसी कलाकार की जान चली गई। विक्रम तनेजा की मौत से रामलीला समिति और उनके परिवार में शोक का माहौल है।

भगवान राम का किरदार निभाते हुए शाहदरा में हुई थी कलाकार की मौत

इससे पहले, नवरात्रि के दौरान दिल्ली के शाहदरा स्थित विश्वकर्मा नगर में जय श्री रामलीला समिति द्वारा आयोजित रामलीला के दौरान भगवान राम की भूमिका निभाते समय एक अन्य दुखद हादसा हुआ था। शाहदरा में भगवान राम का किरदार निभाने वाले सुनील कौशिक (59 वर्ष), जो पेशे से प्रॉपर्टी डीलर थे और रामलीला समिति के संस्थापक सदस्यों में से एक थे, मंच पर दिल का दौरा पड़ने से गिर पड़े।
यह घटना तब हुई जब सुनील रामलीला के सीता स्वयंवर के दृश्य में धनुष तोड़ने का प्रदर्शन कर रहे थे। गाना गाते समय अचानक उन्हें सीने में दर्द हुआ, और वह मंच के पीछे चले गए। वहां उपस्थित उनके परिवार के सदस्यों ने तुरंत उन्हें पास के अस्पताल पहुँचाया, जहाँ डॉक्टरों ने उन्हें वेंटिलेटर पर रखा। हालाँकि, एक घंटे बाद डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। सुनील के भतीजे राहुल कौशिक के अनुसार, सुनील 1987 से राम की भूमिका निभा रहे थे और उनका यह अंतिम प्रदर्शन था।

1 comment:

SHANTI SWAROOP said...

अत्यन्त दुःखद