हिन्दुओं को जातियों में बांटने वाले नेताओं और उनकी पार्टियों का सामाजिक बहिष्कार हो; मुस्लिम आतंकियों ने धर्म पूछकर हिंदुओं को चुन-चुनकर मारा; ‘बर्बर हमला, निर्ममता से छीन लीं ज़िंदगियाँ’: पहलगाम हमले पर सुप्रीम कोर्ट के जजों-वकीलों ने रखा 2 मिनट का मौन, कश्मीर को बताया भारत का मुकुट मणि

दिल्ली हो, बंगाल हो या कश्मीर हिन्दुओं का कत्लेआम धर्म के आधार पर हो रही है जाति के आधार पर नहीं। कथावाचक पूजनीय देवकी नंदन ठाकुर ने ठीक ही कहा कि पहलगाम में हत्या जाति पूछकर नहीं धर्म पूछ कर की गयी है। समस्त सनातनियों को एकजुट हो सेकुलरिज्म और हिन्दुओं को जातियों में बांटने से दूरी बनाने का समय आ गया है।  
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले में 27 लोग मारे गए हैं। ये आतंकी नहीं, मुस्लिम आतंकी हमला था, क्योंकि इन्होंने धर्म पूछ कर गैर-मुस्लिमों की चुन-चुनकर हत्या की। जो मुस्लिम नहीं था, उन्हें ये गोली मारते गए। इन इस्लामी आतंकियों ने पैंट खोलकर खतना चेक किए। जिन लोगों का खतना नहीं हुआ था, उन्हें गोली मार दी। इन मुस्लिम आतंकियों ने पर्यटकों से कलमा पढ़ने को कहा। जो कलमा नहीं सुना पाए, उन्हें गोली मार दी। हिंदुओं के इस कत्लेआम को लेकर लोगों में काफी गुस्सा हैं। ये मुस्लिम तु्ष्टिकरण करने वाले और उन लोगों पर अपना गुस्सा निकाल रहे हैं जो कहते हैं कि आतंक को कोई धर्म नहीं होता। लोग उन कथित सेकुलर-लिबरल लोगों पर भी अपना भड़ास निकाल रहे हैं जिनका भाईचारे का ज्ञान सिर्फ हिंदुओं के लिए निकलता है और मुस्लिमों के मामले में चु्प्पी साध लेते हैं। इसको लेकर लोग सोशल मीडिया पर किस तरह से अपना गुस्सा निकाल रहे हैं आप भी देखिए…

पहलगाम हमले पर सुप्रीम कोर्ट के जजों-वकीलों ने रखा 2 मिनट का मौन

सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर के पहलगाम के बैसरन घाटी में आतंकी गोलीबारी में 28 लोगों की मौतों की निंदा की है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट पिछले कुछ दिनों से वक़्फ़ क़ानून की स्क्रूटनी और राष्ट्रपति के लिए राज्यों के बिल को लेकर डेडलाइन तय करने के कारण जनता में सुप्रीम कोर्ट के प्रति आजकल आक्रोश वाला माहौल है। मुर्शिदाबाद में हिन्दुओं के पलायन को लेकर पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की याचिका भी सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज कर दी थी। अब पहलगाम में 28 पर्यटकों की निर्मम हत्या के बाद सुप्रीम कोर्ट ने बयान जारी किया है।

हमले के एक दिन बाद बुधवार (23 अप्रैल, 2025) को जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति में गहरा दुःख और क्षोभ व्यक्त करते हुए कहा कि इस पाशविक व अंधाधुंध गोलीबारी ने पूरे समाज की अंतरात्मा को झकझोरकर रख दिया है। इस नृशंस कृत्य को आतंकवाद करार देते हुए देश की सर्वोच्च न्यायालय ने पारित किए गए प्रस्ताव में कहा कि ये आतंकवाद की क्रूरता और अमानवीयता की भयावहता की याद दिलाता है। सुप्रीम कोर्ट ने उन 28 मृतकों को श्रद्धांजलि भी अर्पित की, जिनकी ज़िंदगियाँ इस बर्बर हमले में असमय ही बड़ी निर्ममता से छीन ली गईं।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने बयान में कहा, “हम शोक संतप्त परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदनाएँ व्यक्त करते हैं। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि दिवंगत आत्माओं को शांति मिले और घायल लोग शीघ्र स्वस्थ हों। यह देश पीड़ितों और उनके परिजनों के साथ इस असीम वेदना की घड़ी में पूरी मजबूती से खड़ा है। भारत की मुकुटमणि कश्मीर की सुंदरता का आनंद ले रहे पर्यटकों पर किया गया यह हमला मानवता के मूल्यों और जीवन की पवित्रता पर एक गहरा प्रहार है, और सुप्रीम कोर्ट इसकी कड़ी भर्त्सना करता है।"

साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने सभी न्यायधीशों, अधिवक्ताओं, अदालती कर्मचारियों और रजिस्ट्री के सभी सदस्यों ने मृतकों को श्रद्धांजलि देते हुए और पीड़ित परिजनों के प्रति एकजुटता दर्शाते हुए 2 मिनट का मौन भी रखा। बता दें कि लश्कर-ए-तैय्यबा (LeT) के सीनियर कमांडर सैफुल्लाह खालिद को हमले के पीछे का साजिशकर्ता बताया है। NIA ने 3 आतंकियों का स्केच भी जारी किया है। मृतकों में सेना के लेफ्टिनेंट समेत IB के अधिकारी तक शामिल हैं।


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