बाबा रामदेव के बयान पर दिल्ली हाई कोर्ट को सच्चाई जानने की कोशिश क्यों नहीं की? रूह अफ़ज़ा का निर्माता मुसलमान है तो फटकार दो सच्चाई बताने वाले को। क्या यही कानून है? क्या कोर्ट ने हमदर्द के खाते जांचने के आदेश दिए? यदि नहीं तो क्यों? आज से लगभग 40 पूर्व हिन्दी साप्ताहिक पाञ्चजन्य ने इसी खबर को प्रकाशित किया था और साप्ताहिक के मुख्य संपादक थे भानु प्रताप शुक्ल। अपनी विस्तृत रपट में उन सभी मुस्लिम संस्थानों के नाम प्रकाशित किये थे जिन्हे हमदर्द फंडिंग करता था। इस समाचार के प्रकाशित होने के बाद से हमदर्द ने पाञ्चजन्य और Organiser दोनों साप्ताहिकों को ब्लैकलिस्ट कर कई वर्षों तक कोई विज्ञापन देना बंद कर दिया था। हमदर्द से पूछिए कि हमदर्द ने पाञ्चजन्य और Organiser दोनों साप्ताहिकों को ब्लैकलिस्ट क्यों किया था?
दूसरे, कुछ साल पहले हमदर्द ने 10वी कक्षा में लड़कियों द्वारा इनके निर्धारित अंक प्रतिशत प्राप्त करने वाले लड़कियों को शायद 2000 रूपए देने की घोषणा की थी। मैंने खुद अपनी पुत्री और उसकी सहेली के फॉर्म हमदर्द में जमा करवाए थे। लेकिन सहेली का चैक आ गया लेकिन मेरी पुत्री का नहीं। क्योकि मेरी पुत्री हिन्दू और सहेली मुस्लिम। उस समय इस विभाग के अध्यक्ष सिद्दीकी थे। जब उनसे संपर्क किया तो बोले देर से जमा किया होगा। जब उनको कहा कि इन दोनों बच्चियों के फॉर्म जमा करने की तारीख देखिए। यानि ये राशि सिर्फ मुस्लिम लड़कियों के लिए है हिन्दू या अन्य के लिए नहीं। सिद्दीकी के पास कोई जवाब नहीं था। लेकिन जज साहब तब से घर में रूहअफजा नहीं आयी और न ही मै कहीं भी पीता हूँ।
दिल्ली हाई कोर्ट बाबा रामदेव के हमदर्द शरबत पर वीडियो बनाने पर नाराज है। उसने बाबा रामदेव की निंदा की है और कहा कि यह वीडियो उसकी ‘आत्मा को झकझोरता’ है। हाई कोर्ट ने कहा है कि इसे किसी भी तरह से जायज नहीं ठहराया जा सकता। बाबा रामदेव ने रूह अफजा पर बनाई वीडियो को हटाने की बात कोर्ट को बताई है।यह सुनवाई दिल्ली हाई कोर्ट में मंगलवार (22 अप्रैल 2025) को हुई। बाबा रामदेव के खिलाफ यह मुकदमा ‘हमदर्द नेशनल फाउंडेशन’ की ओर से दायर किया गया था। हमदर्द के इस मामले में कोर्ट ने बाबा रामदेव से पाँच दिन के भीतर हलफनामा भी माँगा है।
हाई कोर्ट ने बाबा रामदेव से कहा है कि इस हलफनामे में वादा करें कि वह भविष्य में कोई ऐसा बयान, विज्ञापन या सोशल मीडिया पोस्ट नहीं करेंगे जिससे ‘हमदर्द’ को आपत्ति हो। हमदर्द ने कहा कि बाबा रामदेव अपना प्रोडक्ट बिना उनका नाम लिए बेच सकते हैं, क्योंकि उन्हें हर कोई जानता है।
बता दें कि बाबाा रामदेव ने कुछ दिन पहले पतंजलि के गुलाब शरबत प्रचार करते हुए दावा किया था कि हमदर्द कंपनी के रूह अफ़ज़ा से जो पैसा आता है। उससे मदरसे और मस्जिदें बनाई जाती हैं।
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