आधार को लेकर कांग्रेस का दोहरापन और राजनीतिक अवसरवाद फिर से उजागर; 2022 में सुप्रीम कोर्ट में आधार को नागरिकता का प्रमाण नहीं मानने वाले अब 2025 में प्रमाण मान रहे हैं

कांग्रेस की स्थापना से लेकर आज तक इसके इतिहास को देखा जाये तो (1) मुस्लिम पक्ष की तरफ ज्यादा झुकाओ, (2) दोगलापन और (3) जनता को गुमराह करना आदि आदि क्योकि पार्टी की स्थापना किसी भारतीय ने नहीं ब्रिटिश मूल के नागरिक ने की थी और उसका उद्देश्य भारत को आज़ादी नहीं बल्कि स्वतंत्रता संग्राम से जनता का ध्यान भटकाना था। अगर ये उद्देश्य नहीं होता तो ब्रिटिश सरकार ने देशद्रोह के इल्जाम में जेल में बंद कर दिया होता। लेकिन ऐसा नहीं हुआ जिसका मतलब समझा जा सकता है, कुछ कहने की जरुरत नहीं और ना ही किसी तर्क वितर्क की। हाथ कंगन को आरसी क्या पढ़े लिखे को फ़ारसी क्या। 

भारत को आज़ादी गाँधी के 'दे दी हमें आज़ादी बिना खड़क बिना ढाल" से नहीं नेताजी सुभाषचंद्र बोस, चंद्रशेखर आज़ाद, भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु आदि महान क्रांतिकारियों के कारण मिली थी। कांग्रेस के सुरमा भोपाली कहो या चौधरी बने फिर रहे महात्मा गाँधी ने तो ब्रिटिश सरकार से नेताजी को ब्रिटिश सरकार के हवाले करने का समझौता किया था। गाँधी ने किस आधार पर समझौते पर हस्ताक्षर किये थे?
(देखिए नीचे कटिंग) 
मेरे पिताश्री मगन बिहारी लाल निगम बताते थे कि जब आज़ादी की लड़ाई चरम पर थी गाँधी ने नमक आंदोलन से जनता को भटकाने का काम ही नहीं किया, उसका असर यह हुआ की टके सेर बिकने वाला नमक 1 पैसे सेर हो गया। नेताजी के लोहे को ब्रिटिश सरकार ने भी स्वीकार किया है। देखिए अंग्रेजी अख़बार The Tribune(12 फरवरी 2006) में प्रकाशित समाचार।(देखिए पृष्ठ ऊपर) भारत की आज़ादी में जिन क्रांतिकारियों ने अपना जीवन ही नहीं सबकुछ देश पर न्योछावर कर दिया कांग्रेस ने कभी उनका गुणगान नहीं किया विपरीत इसके जो गुप्त रूप ब्रिटिश सरकार से मिले हुए थे उनको आज़ादी का सुरमा भोपाली बना जनता के आगे परोस दिया। इतना ही नहीं जब जलियावालां का उधम सिंह द्वारा जनरल डायर को मार बदला लेने पर बताओ क़ी गाँधी ने ब्रिटिश सरकार से क्या कहा था?
LoP राहुल से कोई पूछे कि अगर वीर दामोदर सावरकर ने ब्रिटिश सरकार से माफ़ी मांगी थी फिर उनको काला पानी की सजा क्यों हुई थी? इस LoP को नहीं मालूम काला पानी की सजा कितनी कठोर होती है। दूसरे यह कि किसी भी पत्र के अंत में Yours Faithfully, Very Truely Yours, Yours Obedient या फिर Sincerely Yours आदि ही लिखा जाता है। 
कांग्रेस का दोहरापन एक बार फिर सामने आया है। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) सर्वे में आधार को शामिल करने की कांग्रेस की मांग एक बार फिर राजनीतिक छलावे और अवसरवाद का जीता-जागता उदाहरण बन चुकी है। कुछ ही समय पहले, 2021 में कांग्रेस ने जोर-शोर से कहा था कि आधार केवल निवास प्रमाण है, नागरिकता का प्रमाण नहीं। उन्होंने आधार को वोटर आईडी से जोड़ना अवैध और अलोकतांत्रिक करार दिया था। कांग्रेस ने यह भी चेतावनी दी थी कि इससे गैर-नागरिकों को वोट देने का अधिकार मिल सकता है, जो लोकतंत्र के लिए बड़ा खतरा है। साथ ही निजता के अधिकार का उल्लंघन होने की चिंता भी जताई थी। लेकिन अब, 2025 आते-आते कांग्रेस वही मांग कर रही है, जिसे उसने पहले खारिज किया था। पार्टी चुनाव आयोग से आधार को SIR सर्वे में शामिल करने की जोरदार मांग कर रही है।

यह साफ-साफ दिखाता है कि कांग्रेस की विचारधारा और नीतियां स्थिर नहीं, बल्कि राजनीतिक लाभ के लिए रोजाना बदलती रहती हैं। 2021 में जो आधार लिंकिंग को संविधान विरोधी बताती थी, वही आज इसे चुनाव सुधार का जरिया बता रही है। कांग्रेस का यह दोगलापन और राजनीतिक अवसरवाद इस बात का प्रमाण है कि पार्टी नीति नहीं, केवल अपने राजनीतिक फायदे के लिए काम करती है। जब विरोध करना फायदेमंद था, तब आधार को अवैध बताया, और जब समर्थन से लाभ दिखा, तब उसी आधार को चुनाव सुधार का हथियार बना डाला। सोशल मीडिया पर कांग्रेस की इस दोहरी नीति को लेकर तीखी आलोचना हो रही है। लोग इसे कांग्रेस के दोगलेपन और राजनीतिक छलावे के रूप में देख रहे हैं। आप भी देखिए कांग्रेस के इस दोहरे रवैये को…

2022: कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट गई थी कि आधार कार्ड और वोटर पहचान पत्र को लिंक न किया जाए क्योंकि आधार कार्ड नागरिकता का प्रमाण नहीं है।

2025: कांग्रेस कह रही है कि आधार कार्ड से नागरिकता साबित नहीं होगी तो कैसे होगी। आधार ही नागरिकता का प्रमाण है।

कोई मतलब है इस बात का? pic.twitter.com/crWyzj1AJR

— Dilip Mandal (@Profdilipmandal) July 11, 2025


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