बुर्का/ हिजाब में महिलाएं चेहरा नहीं छुपाएँगी, अपनी संस्कृति को देंगे बढ़ावा: 70% मुस्लिम आबादी वाले देश में चेहरा ढकने पर रोक; क्या इस्लामिक मुल्कों और भारत के इस्लाम में फर्क है?

         कजाखस्तान में चेहरा ढकने पर रोक, सांस्कृतिक परंपरा को अपनाएगा देश (फोटो साभार: Caspian post)
Organiser Weekly के संपादक प्रो वेद प्रकाश भाटिया(स्व) अपना बहुचर्चित कॉलम Cabbage & Kings लिखते जिसे विपक्षियों और मुस्लिमों द्वारा भी बहुत उत्सकता से पढ़ते थे। अपने इस कॉलम में लगभग हर सातवें/आठवें कॉलम में बुर्के के विरुद्ध लिखते थे कि "...burqa is not an islamic culture but during mughal rule but charming and attractive boys were asked to out in parda..." किसी भी मुस्लिम पाठक ने कभी इस बात का खंडन नहीं किया। लेकिन जिस तरह मुस्लिम देश बुर्का/हिजाब पर पाबन्दी लगा रहे हैं, भारत के इस्लाम और मुस्लिम देशों के इस्लाम पर सोंचने पर मजबूर करता है। 
जिस तरह मुस्लिम मुल्कों में महिलाओं को छूट दी जा रही है विपरीत इसके भारत में मुस्लिम कट्टरपंथी मुसलमानों को रूढ़िवादी सोंच से बाहर क्यों नहीं आने दे रहे? जहां इस्लामिक देश अपनी महिलाओं को बुर्का/हिजाब से आजाद कर रहे है जबकि भारत में कट्टरपंथी बुर्का/हिजाब को लेकर उपद्रव करते रहते हैं।        
मुस्लिम बहुल कजाखस्तान में चेहरा ढकने पर सरकार ने रोक लगा दी है। इस्लामी मुल्कों में औरतें अक्सर हिजाब/बुर्का से चेहरा ढकने का चलन रहा है। वैसे इस तरह की पाबंदी लगाने वाला कजाखस्तान पहला मुल्क नहीं है।

कजाखस्तान की आबादी करीब 2 करोड़ है, इनमें से 70 प्रतिशत लोग इस्लाम को मानने वाले हैं। चेहरा ढकने पर पाबंदी से जुड़े कानून पर राष्ट्रपति कासिम जोमार्ट टोकायेव ने 20 जून 2025 को हस्ताक्षर किए।

कानून के अनुसार, सार्वजनिक स्थान पर चेहरा ढकने पर पांबदी लगाई गई है। अब ऐसी किसी भी तरह के कपड़े नहीं पहने जाएँगे, जिससे चेहरे की पहचान नहीं की जा सके। हालाँकि, इसमें रियायत भी दी गई है। जहाँ मेडिकल कारणों और खराब मौसम में चेहरा ढकने पर रोक नहीं है। वहीं स्पोर्ट्स और सांस्कृतिक कार्यक्रम में पहने जाने वाले कपड़ों में चेहरा ढका जा सकता है।

कजाखस्तान ने चेहरा ढकने पर क्यों लगाई रोक ?

कजाखस्तान में अधिकतर मुस्लिम आबादी है, जो हिजाब पहनती है। खासकर महिलाएँ यहां चेहरा ढककर रहती हैं। लेकिन बावजूद इसके कजाखस्तान ने हिजाब और चेहरे ढकने वाले हर परिधान पर प्रतिबंध लगा दिया है। ऐसा इसीलिए क्योंकि कजाखस्तान अब अपनी राष्ट्रीय पहचान बनाने में लगा है। देश अपनी संस्कृति को बढ़ावा देना चाहता है।

राष्ट्रपति टोकायेव ने भी कहा कि चेहरा ढकने पर प्रतिबंध लगाने से कजाखस्तान की असली सांस्कृतिक पहचान सामने आएगी। उन्होंने कहा, “चेहरा छुपाने वाले काले हिजाब पहनने के बजाय, देश के अपने परिधानों को महत्व दिया जाए। इससे देश अपनी खुद की संस्कृति को बढ़ावा देगा।”

स्कूल-कॉलेज में ‘हिजाब’ पर पहले ही बैन लगा चुका है कजाखस्तान

बता दें कि इससे पहले भी कजाखस्तान में हिजाब पर रोक लगाई जा चुकी है। लेकिन वह केवल स्कूल-कॉलेज में पढ़ रही छात्राओं के लिए प्रतिबंध लगाया गया था। साल 2023 में टोकायेव सरकार ने स्कूल-कॉलेज में हिजाब पहनने पर पाबंदी लगाई थी। इस पाबंदी का खूब विरोध किया गया था। यहाँ तक की इसके बाद 150 छात्राओं ने स्कूल आना बंद कर दिया था।

कजाखस्तान की 70 प्रतिशत आबादी मुस्लिम

कजाखस्तान में चेहरे ढकने पर प्रतिबंध खासकर मुस्लिम समुदाय को प्रभावित करेगा। मुस्लिम महिलाएँ हिजाब पहनती हैं, जिससे चेहरा ढका जाता है। ऐसे में प्रतिबंध का असर मुस्लिम आबादी पर अधिक पढ़ेगा। वैसे भी कजाखस्तान में कुल आबादी 2.03 करोड़ में से 70 प्रतिशत आबादी मुस्लिमों की है। बाकी दूसरे नंबर पर लोग ईसाई धर्म को मानते हैं।

कभी सोवियत संघ का हिस्सा था कजाखस्तान

कजाखस्तान एक समय पर सोवियत समाजवादी गणराज्यों का संघ (USSR) का हिस्सा रह चुका है। 1991 में कजाखस्तान इस संघ से अलग हुआ। संघ में रूस, यूक्रेन, बेलारूस, उज्बेकिस्तान समेत 16 देश शामिल थे। इन देशों में भी कुछ देशों ने हिजाब पर बैन लगाया है। ये सभी देश अपनी राष्ट्रीय परंपरा को बढ़ावा देने में लगे हुए हैं।

इन मुस्लिम देशों में भी हिजाब पर है प्रतिबंध

कजाखस्तान से पहले भी कई मुस्लिम देशों में हिजाब पर प्रतिबंध लगाया गया है। कई देशों में महिलाओं को आजादी से जीने के अधिकार के तौर पर, तो कहीं राष्ट्रीय पहचान का हवाला देते हुए हिजाब पर बैन लगाया है। इनमें अधिकतर सोवियत संघ से जुड़े देश शामिल हैं, जो अपनी संस्कृति को अपनाने में लगे हैं।
ताजिकिस्तान में 95 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम आबादी है। इसके बावजूद ताजिकिस्तान में साल 2024 में हिजाब को प्रतिबंधित करने के लिए कानून पास किया गया। इस कानून के तहत हिजाब पर बिक्री, उसे पहनना या उसे बढ़ावा देना भी अपराध होगा। कानून में हिजाब को ‘विदेशी संस्कृति’ भी बताया गया है। देश में हिजाब पहनने या बेचने पर 750 डॉलर (62,000 रूपए) से लेकर 3724 डॉलर (3.10 लाख रूपए) तक का जुर्माना लगाया गया है।
वहीं, कजाखस्तान के ही पड़ोसी मुल्क किर्गिस्तान में भी जनवरी 2025 में हिजाब या बुर्का पहनने पर पूरी तरह बैन लगा दिया है। देश ने निकाब को ‘समाज में एलियन’ का दर्जा दिया है। किर्गिस्तान में मुस्लिमों का कहना है कि इस नकाब से दुश्मनों को पहचान छिपाने में आसानी होती है।
इससे पहले सितंबर 2023 में इजिप्ट में स्कूल-कॉलेज में छात्राओं के निकाब पहनने पर रोक लगा दी थी। उज्बेकिस्तान में भी साल 2021 में स्कूल-कॉलेज में पढ़ने वाली छात्राओं को हिजाब पहनने से प्रतिबंधित कर दिया था।
मुस्लिम बहुल देशों के अलावा स्विट्जरलैंड, बेल्जियम, डेनमार्क, ऑस्ट्रिया, बुल्गेरिया, इटली, फ्रांस, रूस जैसे देशों में भी हिजाब पहनने और चेहरा ढकने पर पाबन्दी है।

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