उत्तर प्रदेश : क्या सनातन विरोधियों की उलटी गिनती शुरू हो गयी है? समाजवादी पार्टी MLA इकबाल महमूद ने काँवड़ यात्रा को ‘महापर्व’ बताने की आड़ में की बदजुबानी, काँवड़ियों को बताया ‘गुंडा-मवाली’: कहा- 2027 में सपा सरकार में किए जाएँगे ‘अलग इंतजाम’

समाजवादी पार्टी के मुखिया अगर इस मुगालते हैं कि राहुल गाँधी की खटाखट रेवड़ी से अगर बीजेपी को से ज्यादा सीटें लेकर जो सुरमा भोपाली बने घूम रहे हैं, उन्हें नहीं मालूम ये सनातन के विरुद्ध जो बयानबाज़ी हो रही है, पार्टी को अंदरखाने उस तरह ख़त्म कर रही है जिस तरह लकड़ी में लगी दीमक। राममन्दिर के जीणोद्धार पर, महाकुंभ पर किस तरह उपद्रव किया और अब कांवड़ यात्रा पर। जिस तरह मायावती की बहुजन पार्टी का हाल हुआ है, अब उसी तरह समाजवादी पार्टी का होने वाला है। वह दिन दूर नहीं जब समाजवादी पार्टी परिवार तक भी सीमित नहीं रहने वाली।    
उत्तर प्रदेश में काँवड़ यात्रा के पावन अवसर पर समाजवादी पार्टी (सपा) के संभल से विधायक इकबाल महमूद ने एक बार फिर अपनी जहरीली जुबान से सनातन धर्म और शिवभक्तों को अपमानित करने का घिनौना काम किया है। काँवड़ यात्रा को आस्था का महापर्व बताने की आड़ में इकबाल महमूद ने शिवभक्तों को ‘गुंडा’ और ‘मवाली’ करार दे दिया।

इतना ही नहीं इकबाल महमूद ने 2027 में सपा की सरकार बनने की धमकी देते हुए कहा कि तब काँवड़ियों के लिए ‘अलग इंतजाम’ किए जाएँगे। यह बयान न सिर्फ सपा की सांप्रदायिक मानसिकता को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि यह पार्टी गुंडागर्दी और नफरत की राजनीति की असली पोषक है।

इकबाल महमूद ने एक चैनल से बातचीत में काँवड़ यात्रा को निशाना बनाते हुए कहा, “इसमें शिवभक्तों से ज्यादा गुंडे और मवाली हैं, जो सड़कों पर बदतमीजी और तोड़फोड़ करते हैं।” उन्होंने मुजफ्फरनगर की एक घटना का जिक्र करते हुए दावा किया कि काँवड़ियों ने स्कूल वैन पर हमला किया।

यह बयान न सिर्फ शिवभक्तों की आस्था पर चोट है, बल्कि लाखों काँवड़ियों की श्रद्धा को बदनाम करने की साजिश भी है। इकबाल ने धमकी भरे लहजे में कहा कि 2027 में सपा की सरकार बनेगी और तब काँवड़ियों को ‘सबक’ सिखाया जाएगा। यह साफ है कि सपा की नजर में श्रद्धालु नहीं, बल्कि सिर्फ वोटबैंक की राजनीति मायने रखती है।

सपा की यह करतूत कोई नई बात नहीं है। पार्टी के नेता पहले भी हिंदू धर्म, मंदिरों और आस्था के प्रतीकों पर विवादित बयान देकर माहौल बिगाड़ते रहे हैं। चाहे वह महबूब अली का मुस्लिम आबादी बढ़ने का दंभ हो या इंद्रजीत सरोज का मंदिरों और देवी-देवताओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी, सपा बार-बार साबित करती है कि वह सांप्रदायिकता और नफरत की राजनीति की असली ठेकेदार है। इकबाल महमूद का ताजा बयान भी इसी कड़ी का हिस्सा है, जो काँवड़ यात्रा जैसे पवित्र आयोजन को बदनाम करने की कोशिश है।

इस बीच, सीएम योगी आदित्यनाथ ने काँवड़ यात्रा को बदनाम करने वालों को कड़ा संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि उपद्रवियों की पहचान कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। यात्रा मार्ग पर सीसीटीवी और ड्रोन से निगरानी की जा रही है, ताकि अराजक तत्वों को बेनकाब किया जाए। योगी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति के तहत गुंडागर्दी करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। लेकिन सवाल यह है कि सपा जैसे दल जो खुद को ‘गुंडों की पार्टी’ साबित कर चुके हैं, क्या ऐसी कार्रवाई से सबक लेंगे?

इकबाल महमूद का यह बयान न सिर्फ काँवड़ियों, बल्कि पूरे हिंदू समाज के लिए अपमानजनक है। सपा की हरकत दिखाती है कि वह आस्था और संस्कृति का सम्मान करने के बजाय, समाज को बाँटने और नफरत फैलाने में विश्वास रखती है। साल 2027 की धमकी देकर सपा ने अपनी मंशा साफ कर दी है कि वह सत्ता के लिए किसी भी हद तक गिर सकती है।

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