एफेडेविट देना होगा या माफ़ी मांगे : ‘वोट चोरी’ के आरोपों पर चुनाव आयोग ने कांग्रेस को दिया करारा जवाब : पूछा, जब राजनैतिक दलों को पहले ही मिल जाती है वोटर लिस्ट, तब गलती क्यों नहीं बताई


चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट पर उठे सवालों का खुलकर बड़ी बेबाकी से जवाब दिया है। मुख्य चुनाव आयुक्त ने जिस तरह वोटर लिस्ट पर फैलाए जा रहे जहर का जवाब देने से कांग्रेस और INDI गठबंधन के पेटों में जरूर मरोड़ होनी शुरू हो गयी है। आयोग ने कहा कि कुछ विपक्षी दल (कांग्रेस) अब गलतियों का आरोप लगा रहे हैं। ये गलतियाँ पहले क्यों नहीं बताई गईं? राजनीतिक दलों को वोटर लिस्ट की जाँच के लिए काफी समय दिया गया था। उन्हें लिस्ट की कॉपी भी मिलती थी। अगर कोई गलती थी तो उन्हें समय रहते शिकायत करनी चाहिए थी।

चुनाव आयोग का कहना है कि वोटर लिस्ट बनाने की प्रक्रिया पारदर्शी होती है। इसमें सभी दल शामिल होते हैं। चुनाव आयोग रविवार (17 अगस्त 2025) को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी करेगा, जिसमें वह इस मुद्दे पर और जानकारी देगा।

सही समय पर उठानी थी आपत्तियाँ

ECI का कहना है कि वोटर लिस्ट से जुड़ी आपत्तियाँ ड्राफ्ट प्रकाशन के समय उठानी चाहिए थी। उस समय दावों और आपत्तियों के लिए एक महीना दिया गया था। वोटर लिस्ट का ड्राफ्ट प्रकाशित होने के बाद, इसकी डिजिटल और फिजिकल कॉपी सभी राजनीतिक दलों को दी जाती है।

साथ ही, इसे आयोग की वेबसाइट पर भी डाला जाता है ताकि कोई भी इसे देख सके। ड्राफ्ट प्रकाशित होने के बाद, मतदाताओं और राजनीतिक दलों को आपत्ति और सुधार के लिए एक महीने का पूरा समय मिलता है। इस दौरान, वे किसी भी गलती को सुधारने के लिए आवेदन कर सकते थे।

वोटर लिस्ट बनाने की प्रक्रिया

भारत में चुनाव के लिए वोटर लिस्ट बनाना एक तय प्रक्रिया है। यह काम कई स्तरों पर किया जाता है। वोटर लिस्ट बनाने की जिम्मेदारी SDM स्तर के अधिकारियों की होती है। इन्हें ERO यानी इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर कहा जाता है। ये अधिकारी बूथ-लेवल ऑफिसर (BLO) की मदद लेते हैं।

इनका काम होता है कि वोटर लिस्ट सही और पूरी हो। हर योग्य वोटर का नाम उसमें हो। चुनाव आयोग इन अधिकारियों को साफ निर्देश देता है। इन्हीं निर्देशों के आधार पर लिस्ट तैयार की जाती है।

गलती होने पर की जाती है अपील

अगर किसी को अंतिम वोटर लिस्ट में भी कोई गलती लगती है, तो वह शिकायत कर सकता है। पहली अपील जिला मजिस्ट्रेट (DM) के पास की जा सकती है। अगर बात नहीं बनती, तो दूसरी अपील राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी (CEO) के पास की जा सकती है।

चुनाव आयोग ने कहा कि आपत्ति दर्ज करने का सही समय ड्राफ्ट लिस्ट के बाद था। उस समय सभी को एक महीना दिया गया था। अब कुछ पार्टियाँ और लोग पुरानी लिस्ट की गलतियों पर सवाल उठा रहे हैं। अगर ये बातें सही समय पर कही जातीं, तो SDM या ERO उन्हें ठीक कर सकते थे।

साफ-सुथरी वोटर लिस्ट जरूरी- चुनाव आयोग

चुनाव आयोग ने कहा है कि वह वोटर लिस्ट की जाँच का स्वागत करता है। आयोग ने कहा कि हर पार्टी और हर मतदाता को वोटर लिस्ट देखनी चाहिए। अगर कोई गलती दिखे तो समय पर बतानी चाहिए। इससे SDM और ERO को गलती ठीक करने में मदद मिलेगी।

इस कार्य से वोटर लिस्ट और सही और साफ बन सकेगी। आयोग का मानना है कि साफ-सुथरी वोटर लिस्ट बहुत जरूरी है। सही लिस्ट ही लोकतंत्र को मजबूत बनाती है।

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