सोरोस के हाथ बिकाऊ विपक्ष वोट चोरी पर कर रहा उपद्रव; CSDS का ट्वीट, राहुल का वोट चोरी राग और विपक्षी नैरेटिव- क्या यह महज संयोग है! उठ रही है कार्रवाई की मांग


2014 में केंद्र में मोदी सरकार बनते ही सारा विपक्ष INDI गंठबंधन भारत विरोधी विदेशियों के हाथ बिकाऊ या कहें देशभक्त बन फिरने वाले हकीकत में गुलाम बन देश में उपद्रव कर जनता को गुमराह करते आ रहे हैं। पहले भी कई बार लिखा जा चुका है कि 
INDI गंठबंधन International भिखारी है। भारत विरोधियों से मिली भीख पर देश में उपद्रव करते रहते हैं। अब जब संजय कुमार ने गलत आंकड़े देकर इतने दिन संसद भंग करवाकर रोज कर करोड़ों रूपए बर्बाद कर उपद्रव करने के आरोप पर केंद्र सरकार ही नहीं चुनाव आयोग को सख्त कानूनी कार्यवाही करनी चाहिए। दूसरे, निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक को भारतीय का चोला ओढे इन जयचन्दों पर भी सख्ती से पेश आना चाहिए। वोट विश्लेषण में सिर्फ हिन्दुओं की जाति आधारित बखान किया जा जाता है लेकिन मुस्लिमों का नहीं कि अंसारी, शिया, सुन्नी, पठान, अहमदिया आदि अन्य मुस्लिम जातियों ने किस पार्टी को वोट दिया? यानि इन जयचन्दों को असली मकसद हिन्दुओं को ही जातियों में बाँटने की हिम्मत कर सकते हैं, लेकिन 
INDI गंठबंधन में किसी ने भी माँ का दूध नहीं पिया जो मुसलमानों का जाति आधारित विश्लेषण कर सके।  
      

 

 

चुनावी सर्वे और एग्जिट पोल के लिए चर्चित संस्था Centre for the Study of Developing Societies (CSDS- सीएसडीएस) एक बार फिर विवादों में है। मामला तब शुरू हुआ जब सीएसडीएस के प्रमुख संजय कुमार ने महाराष्ट्र चुनाव को लेकर चुनाव आयोग पर सवाल उठाते हुए एक ट्वीट किया, जिसे बाद में डिलीट कर दिया। लेकिन तब तक राहुल गांधी की कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने उसी ट्वीट को आधार बनाकर ‘वोट चोरी’ का नैरेटिव गढ़ दिया था। अब उसी नैरेटिव के आधार पर तमाम विपक्षी दल संसद से लेकर सड़क तक चुनाव आयोग के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी तो संसद से लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस और अब बिहार में वोटर अधिकार यात्रा तक चुनाव आयोग पर जमकर हमला बोल रहे हैं। राहुल चुनाव आयोग पर लगातार पक्षपाती रवैये का आरोप लगा रहे हैं। हाल ही में एक घंटे से ज्यादा चली प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने प्रेजेंटेशन के जरिए दावा किया कि बीजेपी के लिए वोट ट्रांसफर कराए गए। आयोग पर वोट चोरी का आरोप लगाते हुए उन्होंने यहां तक कहा कि उनकी सरकार बनने पर आयोग से जुड़े लोगों से निपट लिया जाएगा।

दरअसल में सीएसडीएस ने कुछ दिन पहले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट डाल चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाए थे। यह ट्वीट कुछ ही घंटों में वायरल हो गया। कांग्रेस और आप समेत कई विपक्षी नेताओं ने इस पोस्ट को जमकर शेयर किया और कहा कि “ईवीएम से वोट चुराए गए हैं”। लेकिन हैरानी की बात ये रही कि जब बवाल बढ़ा, तो संजय कुमार ने चुपचाप वह ट्वीट डिलीट कर दिया। सवाल उठता है अगर ट्वीट में दम था तो हटाया क्यों गया? और अगर वह तथ्यहीन था, तो फिर उसे जारी ही क्यों किया था? क्या संजय कुमार ने वो ट्वीट कांग्रेस को राजनीतिक फायदा पहुंचाने के लिए पोस्ट किया था?

अब जब सीएसडीएस प्रमुख ने ट्वीट डिलीट कर दिया है, तब लोग सोशल मीडिया पर उनपर कांग्रेस के साथ राजनीतिक मिलीभगत कर देश को अराजकता में झोंकने का आरोप लगा रहे हैं। सोशल मीडिया पर कई लोग कह रहे हैं कि यह सब एक सोची-समझी रणनीति थी। पहले CSDS की ‘रिसर्च’ के नाम पर नैरेटिव गढ़ो, फिर विपक्ष के जरिए उसे विस्तार दो। सोशल मीडिया पर संजय कुमार को जमकर लताड़ लग रही है। लोग सरकार से सीएसडीएस के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

इस पूरे विवाद पर बीजेपी आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने सीधा हमला करते हुए कहा कि सीएसडीएस एक शोध संस्थान नहीं, बल्कि एजेंडा चलाने वाली संस्था है, जिसका मकसद समाज में जातीय दरारें फैलाकर राजनीतिक लाभ पहुंचाना है। सीएसडीएस का पूरा ध्यान हिंदू समाज की जातियों को बांटकर ओबीसी, दलित, सवर्ण जैसे वर्गों के वोट पैटर्न को उजागर करने पर रहता है, जबकि मुस्लिम समाज की भीतरी जातीय संरचना पर यह संस्था संपूर्ण चुप्पी साध लेती है।

उन्होंने आरोप लगाया कि CSDS को वर्षों से फोर्ड फाउंडेशन, आईडीआरसी और अन्य विदेशी एजेंसियों से फंडिंग मिलती रही है, जिनका इतिहास भारत में सामाजिक विघटन को बढ़ावा देने से जुड़ा रहा है। इसके अलावा, उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि सीएसडीएस के सर्वे वैज्ञानिक पद्धति पर आधारित नहीं होते, फिर भी इन्हें “डेटा एनालिसिस” बताकर बड़े-बड़े मीडिया हाउसेज में छापा जाता है। बीते कुछ वर्षों में कई बार ऐसा हुआ है कि सीएसडीएस द्वारा चुनाव पूर्व या बाद में जारी किए गए अनुमान और विश्लेषण हकीकत से कोसों दूर निकले। लेकिन हर बार गलती मानने की बजाय यह कहा गया कि “राजनीतिक हवा आखिरी वक्त पर बदल गई।”

यह सिर्फ अनुमान की गलती नहीं है, बल्कि एक सुनियोजित एजेंडा है। “नतीजे जब कांग्रेस के पक्ष में हों, तो प्रचार करो; जब ना हों, तो ईवीएम और आयोग पर शक पैदा करो।”

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सीएसडीएस के पूर्व सहयोगी योगेंद्र यादव और वर्तमान प्रमुख संजय कुमार दोनों पर कांग्रेस के प्रति झुकाव के आरोप लग चुके हैं। अब जब CSDS का ट्वीट खुद विपक्षी रणनीति का हिस्सा बनता दिख रहा है, तो देश को यह जानने का हक है कि क्या ‘शोध’ की आड़ में समाज को तोड़ने का खेल खेला जा रहा है?

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