पंजाब इस वक्त बाढ़ की भीषण मार से जूझ रहा है। दावा किया जा रहा है कि यह पिछले 37 वर्षों की सबसे भयावह बाढ़ है। राज्य के सभी 23 जिले इस भीषण बाढ़ की चपेट में हैं। अब तक 37 लोगों की मौत हो चुकी है और 3.5 लाख से अधिक लोग इससे प्रभावित हैं।
बाढ़ की भयावहता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि 1,650 से ज्यादा गाँव पानी में डूब गए हैं। 1,75,286 हेक्टेयर फसल बाढ़ से प्रभावित है। घर-मकान ढहे जा रहे हैं और इलाके झील में बदल गए हैं। वहीं, हालातों से निपटने के लिए राज्य में NDRF की 22 टीमें तैनात की गई हैं और सेना भी मदद में जुटी हुई है।
पंजाब विधानसभा के स्पीकर कुलतार सिंह संधवां ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इस बाढ़ को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने और विशेष राहत पैकेज जारी करने की माँग की है। कुलतार सिंह ने केंद्र से 60,000 करोड़ रुपए का फंड तुरंत जारी करने की अपील की है। वहीं, मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्र से माँग की है कि फसल के नुकसान पर ₹50,000 प्रति एकड़ मुआवजा दिया जाना चाहिए।
AAP सरकार की नाकामी बनी आफत की वजह
पंजाब की बाढ़ लोगों पर आफत बनकर टूटी है लेकिन इसकी जितनी जिम्मेदार कुदरत है, उनकी ही सत्तारूढ AAP भी है। बीते फरवरी में जब बाढ़ की तैयारियों के लिए AAP पंजाब के नेताओं को बैठकें करनी थी तब वे दिल्ली के विधानसभा चुनावों में जुटे हुए थे।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब सरकार की लापरवाही के चलते बाढ़ की तैयारियों से जुड़ी पहली बैठक 5 जून को हुई और AAP सरकार को तैयारी के लिए केवल 17 दिनों का वक्त मिला। 22 जून को राज्य में मॉनसून ने दस्तक दे दी है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि 2,800 किलोमीटर धुसी बाँध की मरम्मत और नालों की सफाई के लिए सरकार ने 117 करोड़ रुपए जारी किए लेकिन यह टाइमलाइन व्यावहारिक नहीं थी। उन्होंने कहा, “30 जून की समय-सीमा अवास्तविक थी।”
इससे पहले बाढ़ की तैयारियों के लिए फरवरी और मार्च में बाढ़ नियंत्रण बैठकें आयोजित जाती थीं। अधिकारी ने कहा, “मौसम विभाग ने भारी बारिश की चेतावनी जारी की थी लेकिन सरकार ने उसे नजरअंदाज कर दिया। दो वर्ष पहले ही राज्य ने भीषण बाढ़ झेली थी।”
पूर्व मंत्रियों ने भी उठाए AAP पर सवाल
पूर्व सिंचाई मंत्री जनमेजा सिंह सेखों ने कहा, “प्रकाश सिंह बादल के कार्यकाल में, बैठकें अप्रैल या मई में होती थीं। जब भारी बारिश का अनुमान था, तो उन्होंने फ़रवरी में भी बैठकें बुलाईं। वित्तीय वर्ष की शुरुआत में ही धनराशि जारी कर दी जाती थी और सभी काम 30 जून तक पूरे करने होते थे।” सेखों ने दावा किया कि माधोपुर हेडवर्क्स में 28 में से केवल 4 गेट ही चालू थे क्योंकि उनकी मरम्मत नहीं हुई थी।
कांग्रेस के पूर्व जल संसाधन मंत्री सुखबिंदर सिंह सरकारिया ने कहा, “इससे पहले फरवरी में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में सभी उपायुक्तों की उपस्थिति में बैठकें होती थीं। हमने 100 करोड़ रुपये जारी किए थे और यह पर्याप्त था। आज, वे 200 करोड़ रुपए खर्च होने का दावा करते हैं लेकिन मुझे कोई काम नजर नहीं आता।”
रिपोर्ट के मुताबिक, NHAI ने सड़क परियोजनाओं के लिए सरकार से गाद माँगी थी लेकिन उन्हें मना कर दिया गया। वहीं, एक पूर्व चीफ इंजीनियर अमरजीत सिंह दुल्लत ने माधोपुर हेडवर्क्स की गड़बड़ी को लेकर कहा कि अपने इंजीनियरों को भरोसा करने के बजाय निजी कंपनी को रिपोर्ट के लिए 23 लाख दिए गए। दुल्लत ने कहा, “117 करोड़ रुपए जारी किए होंगे लेकिन कोई काम नजर नहीं आया।”
हालाँकि, जल संसाधन मंत्री बरिंदर कुमार गोयल ने मरम्मत का काम पूरा किए जाने का दावा किया है। वहीं, एक इंजीनियर ने बाढ़ के लिए नदियों के अपना रास्ता बदलने को जिम्मेदार ठहराया है।
पंजाब में हालात खराब हैं और अब तमाम सरकारी एजेंसियाँ, NGO और लोग प्रभावितों को राहत पहुँचाने में जुटे हुए हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने पंजाब के मुख्यमंत्री से बात की है। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान भी जायजा लेने जा रहे हैं। अगर पंजाब सरकार ने वक्त रहते तैयारियाँ की होतीं, चुनाव में हार-जीत से पहले लोगों को महत्व दिया होता तो हालात आज ऐसे नहीं होते।
No comments:
Post a Comment