राहुल गाँधी (फोटो साभार - एआई चैटजीपीटी)
लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस के सांसद राहुल गाँधी एक बार फिर विदेश यात्रा पर निकल गए हैं। इस बार वे दक्षिण अमेरिका के चार देशों का दौरा करेंगे। कांग्रेस का कहना है कि इस यात्रा के दौरान उनका उद्देश्य राजनीतिक नेताओं, विश्वविद्यालय के छात्रों और व्यापारिक समुदाय से मुलाकात करना है।
कांग्रेस के मीडिया और प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा के अनुसार, राहुल गाँधी ब्राजील और कोलंबिया जाएँगे। वहाँ वे विश्वविद्यालयों में छात्रों को संबोधित करेंगे, राष्ट्रपति और शीर्ष नेताओं से मुलाकात करेंगे और व्यापार और तकनीक जैसे मुद्दों पर व्यवसायियों से बातचीत करेंगे।
Leader of the Opposition in Lok Sabha, Shri Rahul Gandhi, has embarked on a visit to South America. He is scheduled to engage with political leaders, university students, and members of the business community across four countries.
— Pawan Khera 🇮🇳 (@Pawankhera) September 27, 2025
कांग्रेस ने इस दौरे को दक्षिण अमेरिका के साथ भारत के रिश्तों को मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया है। खासकर जब भारत और दक्षिण अमेरिका के बीच गुटनिरपेक्ष आंदोलन (Non-Aligned Movement) और ग्लोबल साउथ के जरिए ऐतिहासिक संबंध भी रहे हैं।
कांग्रेस पार्टी इस यात्रा को लोकतांत्रिक और रणनीतिक साझेदारी बनाने के प्रयास के रूप में पेश कर रही है, लेकिन राहुल गाँधी की इस यात्रा की टाइमिंग को लेकर फिर से देश में सवाल खड़े हो रहे हैं।
बिहार चुनाव नजदीक आने पर विदेश यात्रा
लोकसभा में विपक्षी नेता राहुल गाँधी देश के प्रधानमंत्री नहीं हैं और न ही किसी सरकारी प्रतिनिधि मंडल का हिस्सा हैं। फिर भी, इसके बावजूद वे विदेशों में भाषण देने की भूमिका निभा रहे हैं और वो भी ऐसे समय में जब बिहार में महत्वपूर्ण चुनाव नजदीक है।
इस पर आलोचना भी हो रही है कि उनकी प्राथमिकताएँ गलत हैं। एक जिम्मेदार नेता इतने बड़े चुनाव से पहले, अपना समय चुनाव की रणनीति बनाने, जनता से संपर्क करने और अपने दल को मजबूत करने में लगाता लेकिन राहुल गाँधी ने एक और विदेशी यात्रा को चुना है।
विदेशी विश्वविद्यालयों के छात्रों से मिलने का उनका निर्णय भी सवालों के घेरे में है। वे न तो कोई शैक्षणिक विशेषज्ञ हैं और न ही किसी विषय के जानकार, फिर भी उन्होंने छात्रों और विचारकों के साथ लेक्चर और बहसें तय की हैं। आलोचक कहते हैं कि कोलंबिया और ब्राजील में भाषण देने के बजाय उन्हें बिहार के मतदाताओं से मिलकर कॉन्ग्रेस की स्थिति मजबूत करनी चाहिए।
ऐसे वक्त पर फिर से वही आलोचना सामने आता है कि राहुल गाँधी राजनीति को गंभीरता से नहीं लेते और इसे पार्ट-टाइम काम की तरह देखते हैं, जबकि इसे पूर्णकालीन जिम्मेदारी की तरह संभालना चाहिए।
कुछ सप्ताह पहले मलेशिया में मौज करते हुए दिखे थे राहुल
इस धारणा को और मजबूत करता है उनका हालिया मलेशिया दौरा। इसी महीने की शुरुआत में राहुल गाँधी ने बिहार में अपनी तथाकथित ‘वोटर अधिकार यात्रा’ पूरी की थी। इसके बाद राजनीतिक संपर्क को आगे बढ़ाने के बजाय, यात्रा खत्म होते ही वे मलेशिया छुट्टियों पर चले गए।
उनकी यह यात्रा तब विवादों में आ गई, जब सोशल मीडिया पर उनकी लंगकावी, मलेशिया में छुट्टियाँ बिताते हुए तस्वीरें वायरल हुईं। भाजपा नेताओं और सोशल मीडिया यूजर्स ने उन पर एक बार फिर महत्वपूर्ण राजनीतिक समय में गायब होने का आरोप लगाया।
भाजपा IT सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने X पर लिखा, “राहुल गाँधी फिर से लापता हो गए, इस बार लंगकावी, मलेशिया में गुप्त छुट्टी पर। लगता है बिहार की राजनीति का दबाव कांग्रेस के युवराज के लिए ज्यादा था, इसलिए उन्हें आराम के लिए भागना पड़ा। या फिर यह कोई ऐसा गुप्त मीटिंग थी, जिसे किसी को पता नहीं होना चाहिए था। किसी भी तरह, जब लोग असली मुद्दों से जूझ रहे हैं, राहुल गाँधी गायब होने और छुट्टियाँ बिताने की कला में व्यस्त हैं।”
Rahul Gandhi has slipped away yet again—this time on a clandestine vacation in Langkawi, Malaysia.
— Amit Malviya (@amitmalviya) September 6, 2025
Looks like the heat and dust of Bihar’s politics was too much for the Congress Yuvraj, who had to rush off for a break. Or is it another one of those secret meetings that no one is… pic.twitter.com/NdiA4TP2bT
साथ ही, राहुल गाँधी की मलेशिया यात्रा को लेकर यह भी अटकलें थीं कि उन्होंने वहाँ इस्लामी कट्टरपंथी जाकिर नाइक से मिलने के लिए जा सकते हैं, जिन्होंने भारत छोड़ने के बाद मलेशियाई नागरिकता ले ली थी। एक X यूजर ने लिखा, “वे अपने गुरु जाकिर नाइक से मिलने मलेशिया गए हैं।”
बिहार यात्रा के तुरंत बाद की यह मलेशिया यात्रा इस बात को और पुष्ट करती है कि राहुल गाँधी राजनीतिक कार्यक्रमों को जैसे असाइनमेंट की तरह देखते हैं, जिन्हें जल्दी पूरा करके विदेश जाकर आराम करना जरूरी है।
राज्य चुनावों से पहले उज़्बेकिस्तान की गुप्त यात्रा
यह पहला मौका नहीं है जब राहुल गाँधी ने चुनावों से पहले विदेश यात्रा करना चुना हो। अक्टूबर 2023 में, उन्होंने कई राज्यों में महत्वपूर्ण विधानसभा चुनावों से पहले गुप्त रूप से भारत छोड़कर उज़्बेकिस्तान की यात्रा की थी।
जब वे वापस लौटे, तो मीडिया को इसके बारे में तब ही पता चला जब उन्हें दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर देखा गया। उन्होंने यात्रा का उद्देश्य अभी तक सार्वजनिक नहीं किया। उनकी विदेश यात्राएँ अक्सर गोपनीयता में होती हैं और यह उनकी आदत जैसी बन गई है। आलोचकों का कहना है कि इस तरह का व्यवहार एक वरिष्ठ विपक्षी नेता के लिए ठीक नहीं है।
कांग्रेस के राजकुमार का चुनाव के दौरान विदेश जाने का इतिहास रहा है
राहुल गाँधी की आदत रही है कि वे चुनावी समय या तब भी विदेश यात्रा पर चले जाते हैं जब उनकी पार्टी को उनकी सबसे ज्यादा जरूरत होती है। उन्हें पार्टी में संकट के दौरान विदेशी यात्राओं और भारत के आंतरिक मामलों में विदेशी दखल को बढ़ावा देने के लिए भी जाना जाता है।
उनका 2019 का बैंकॉक दौरा भी उतना ही विवादित रहा। उस समय भी वे चुनावों के बीच विदेश यात्रा पर निकल गए थे। उनकी विदेश यात्राओं पर उठने वाले सवाल बेबुनियाद नहीं हैं, क्योंकि कई बार ऐसी यात्राओं के दौरान उनकी मुलाकात भारत विरोधी तत्वों से भी हुई है।
उदाहरण के लिए, 2023 में अमेरिका यात्रा के दौरान उन्होंने हिंदू फॉर ह्यूमन राइट्स (HfHR) की सह-संस्थापक सुनीता विश्वनाथ से मुलाकात की। HfHR एक इस्लामी समूह है, जो भारत में हिंदुओं पर भेदभाव का आरोप लगाता है।
अप्रैल 2022 में, जब कांग्रेस को नेतृत्व की जरूरत थी और पार्टी में प्रशांत किशोर को शामिल करने की अटकलें थीं, राहुल गाँधी विदेश चले गए। इसके बाद जब प्रशांत किशोर ने कांग्रेस जॉइन करने से मना कर दिया, तो राहुल गाँधी लगभग 10 दिन अचानक गायब रहे, बिना किसी जानकारी दिए। इस दौरान, कांग्रेस को नेतृत्व के बिना ही काम करना पड़ा।
दिसंबर 2021 में, जब पाँच राज्यों में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को भारी हार का सामना करना पड़ा तो राहुल गाँधी इटली की व्यक्तिगत यात्रा पर थे। उनकी यात्रा के कारण पंजाब में चुनावी गतिविधियों में बड़ी बाधा आई और अधिकांश रैलियाँ उनकी वापसी तक टाल दी गईं। यह यात्रा आम आदमी पार्टी की जीत और कॉन्ग्रेस की हार का कारण भी बनी।
सितंबर 2021 में, जब पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस्तीफे के बाद कांग्रेस मुश्किल में थी, गाँधी परिवार शिमला में छुट्टी मना रहा था।
दिसंबर 2020 में, कांग्रेस पार्टी के 136वें स्थापना दिवस के दौरान भी राहुल गाँधी इटली चले गए। इसी तरह अक्टूबर 2019 में, हरियाणा और महाराष्ट्र चुनाव से केवल 15 दिन पहले, वे बैंकॉक गए।
इसी तरह, 2019 के लोकसभा चुनावों के तुरंत बाद वे नतीजों का इंतजार किए बिना लंदन छुट्टियाँ मनाने चले गए। यहाँ तक कि उन्होंने अपनी माँ सोनिया गाँधी द्वारा बुलाई गई अहम बैठक में भी हिस्सा नहीं लिया।
इसके अलावा, राहुल गाँधी अक्सर विदेश यात्राओं के दौरान SPG सुरक्षा (विशेष सुरक्षा समूह) नहीं लेते थे और सुरक्षा नियमों का उल्लंघन करते रहे। इसी वजह से सरकार ने उनकी SPG सुरक्षा वापस ले ली थी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में भी इस पर सवाल उठाए थे।
गलत प्राथमिकताओं को दिखाने वाला पैटर्न
बिहार चुनाव नजदीक हैं लेकिन राहुल गांधी का दक्षिण अमेरिका दौरा पुरानी आलोचनाओं को फिर से उभार रहा है। राजनीतिक समय बिहार में बिताने के बजाय वे विदेश में छात्रों और नेताओं से बातें कर रहे हैं जबकि उनकी पार्टी के लिए राज्य में बहुत कुछ दाँव पर है।
कई विशेषज्ञों के लिए यह उनकी प्राथमिकताओं की गलत दिशा को दर्शाता है। जब कांग्रेस पार्टी भारत के सबसे राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण राज्यों में से एक में अपनी पकड़ बनाने के लिए संघर्ष कर रही है, उसका नेता हजारों किलोमीटर दूर है। राहुल गाँधी का चुनावों से पहले विदेश चले जाने का यह पैटर्न उनके राजनीतिक गंभीरता पर सवाल उठाता है और यह भी कि क्या वे खुद को पूर्णकालिक नेता मानते हैं या नहीं।
No comments:
Post a Comment