विजयादशमी पर CJI गवई की माँ ने दिखाई हिंदूघृणा, बताया सामाजिक चेतना को नुकसान पहुँचाने वाला त्योहार

     CJI बीआर गवई की माता ने RSS कार्यक्रम का निमंत्रण ठुकराते हुए पत्र लिखा ( फोटो साभार: NagpurToday)
महाराष्ट्र के अमरावती जिले में 5 अक्टूबर 2025 को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का एक कार्यक्रम होना है। यह कार्यक्रम विजयादशमी और संघ के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित किया जाएगा। भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई की माँ कमलताई गवई को भी इस कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया था।

लेकिन कमलताई गवई ने निमंत्रण ठुकरा दिया है। खुद को ‘आंबेडकरवादी’ बताते हुए हिंदू विरोधी भावनाओं का इजहार भी किया है। संघ के कार्यक्रम में शामिल होने का दावा करने वाली मीडिया रिपोर्टों को खारिज करते हुए कमलताई गवई ने मराठी में एक पत्र लिखा है।

 पत्र में खुद को आंबेडकरवादी विचारधारा में ओत-प्रोत और भारतीय संविधान के प्रति प्रतिबद्ध बताया है। उन्होंने लिखा है कि वह किसी भी परिस्थिति में RSS के कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगी। साथ ही कहा है कि किसी हिंदू त्यौहार के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने से ‘सामाजिक चेतना को नुकसान’ होगा।

कमलताई गवई ने पत्र में लिखा है, “महाराष्ट्र के अमरावती स्थित श्रीमती नरसम्मा महाविद्यालय मैदान में 5 अक्टूबर को शाम 6:30 बजे होने वाले RSS के विजयादशमी कार्यक्रम में मेरे शामिल होने के बारे में हाल ही में प्रकाशित खबरें पूरी तरह से झूठी हैं। आंबेडकरवादी विचारधारा से प्रेरित दादा साहेब गवई चैरिटेबल ट्रस्ट की संस्थापक अध्यक्ष और भारतीय संविधान के प्रति अपनी अटूट प्रतिबद्धता के कारण मैं ऐसे किसी कार्यक्रम में शामिल नहीं होऊँगी या उसका समर्थन करूँगी। विश्वास दिलाती हूँ कि मैं किसी भी तरह से सामाजिक चेतना को कोई नुकसान नहीं पहुँचाऊँगी।”

कमलताई गवई ने कहा है कि विजयादशमी का हिंदू संस्कृति में महत्व है। लेकिन उनके जैसे बौद्धों के लिए ‘अशोक विजयादशमी’ या मौर्य सम्राट अशोक द्वारा कलिंग युद्ध के बाद बौद्ध धर्म अपनाने और हिंसा का त्याग करना स्मरणोत्सव है। हालाँकि, यह उल्लेख करना जरूरी है कि इतिहासकारों का एक वर्ग और यहाँ तक कि पुरातात्विक साक्ष्य भी संकेत देते हैं कि अशोक का बौद्ध धर्म में परिवर्तन कलिंग युद्ध से पहले का है।

कमलताई गवई ने मीडिया में आई उन खबरों की कड़ी निंदा की और उन्हें ‘RSS का प्रोपेगेंडा’ बताया। जबकि ज्यादातर रिपोर्ट्स में सिर्फ इतना कहा गया था कि RSS ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) की माता को अपने कार्यक्रम में आमंत्रित किया है, न कि उन्होंने उसमें शामिल होने की सहमति दी है।

उन्होंने कहा, “मैं महाराष्ट्र और पूरे भारत के लोगों से अपील करती हूँ कि इस बात पर ध्यान दें। विजयादशमी हिंदू संस्कृति में महत्वपूर्ण है लेकिन हमारे लिए धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस है, जिसे अशोक विजयादशमी भी कहा जाता है, जो कि सबसे ज्यादा मायने रखता है। मैं हाल ही में प्रकाशित खबरों को गलत जानकारी मानती हूँ और लोगों से आग्रह करती हूँ कि ऐसे सामाजिक दृष्टिकोण से भटकाने वाले प्रोपेगेंडा का शिकार न हों। मैं अपने सभी आंबेडकरवादी साथियों से कहती हूँ कि इस बात को समझें और मुझ पर भरोसा रखें। मेरी अनुमति या लिखित सहमति के बिना इस खबर को फैलाना RSS की साजिश है। मैं इस निमंत्रण को स्वीकार नहीं करती।”

कमलताई के दूसरे बेटे ने RSS कार्यक्रम में जाने का किया दावा

हालाँकि, कमलताई की तीखी प्रतिक्रिया के तुरंत बाद उनके दूसरे बेटे ने दावा किया कि वह RSS के कार्यक्रम में शामिल होंगी। रिपब्लिकन पार्टी के नेता और कमलताई के बेटे डॉ. राजेंद्र गवई ने एक वीडियो जारी कर कहा कि कमलताई RSS के कार्यक्रम में जरूर शामिल होंगी और उन्होंने खुद भी निमंत्रण स्वीकार कर लिया है।

दिवंगत पूर्व राज्यपाल आरएस गवई ने दीक्षाभूमि स्थित डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर स्मारक समिति के अध्यक्ष थे और उन्होंने इसके विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनके बेटे डॉ. राजेंद्र गवई वर्तमान में स्मारक समिति के सदस्य हैं।

दिलचस्प बात यह है कि कमलताई गवई की शुरुआती प्रतिक्रिया कि वह RSS द्वारा आयोजित किसी भी कार्यक्रम या विजयादशमी जैसे हिंदू त्योहार मनाने वाले किसी भी कार्यक्रम में कभी शामिल नहीं होंगी- क्योंकि वह और उनका परिवार ‘आंबेडकरवादी विचारधारा’ और भारतीय संविधान के प्रति प्रतिबद्ध हैं- मानो भारतीय संविधान बौद्धों या ‘आंबेडकरवादियों’ को RSS के कार्यक्रमों में शामिल होने या हिंदू त्योहार मनाने से रोकता हो।

  1981 में RSS कार्यक्रम में शामिल आरएस गवई, साथ में भय्याजी सहस्रबुद्धे, बालासाहेब देवरस और बाबासाहेब पथाडे।

हालाँकि उनके दिवंगत पति रामकृष्ण सूर्यभान गवई, जिन्हें दादासाहेब गवई के नाम से भी जाना जाता है और जो रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (RPI) के वरिष्ठ नेता थे। वे साल 1981 में नागपुर में आयोजित संघ शिक्षा वर्ग के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए थे।

आरएस गवई, बाबासाहेब अंबेडकर के करीबी सहयोगी थे और नागपुर स्थित दीक्षाभूमि स्मारक समिति के अध्यक्ष भी रहे। साल 1998 में वे रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर अमरावती लोकसभा सीट से सांसद चुने गए। इसके बाद 2006 से 2011 तक, जब केंद्र में कॉन्ग्रेस नेतृत्व वाली UPA सरकार थी। उस वक्त वे बिहार, सिक्किम और केरल के राज्यपाल रहे।

साल 2009 में केरल के राज्यपाल रहते हुए आरएस गवई ने मुख्यमंत्री अच्युतानंदन की अगुवाई वाली राज्य कैबिनेट की सिफारिश को दरकिनार कर दिया और CBI को कम्युनिस्ट नेता और वर्तमान में मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के खिलाफ SNC-लावालिन भ्रष्टाचार मामले में मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी। उस समय केरल में कॉन्ग्रेस-UDF विपक्ष में थी। वहीं केंद्र की कॉन्ग्रेस नेतृत्व वाली UPA सरकार ने राज्यपाल गवई के इस फैसले का स्वागत किया।

CJI भूषण रामकृष्ण गवई ने खुद बताया कि उनके पिता दादासाहेब गवई कॉन्ग्रेस पार्टी से 40 साल से भी ज्यादा समय तक जुड़े रहे। वे कॉन्ग्रेसस के समर्थन से सांसद और विधायक भी रहे। CJI गवई के भाई राजेंद्र गवई, जो रिपब्लिकन पार्टी के नेता हैं, वे भी कॉन्ग्रेस से जुड़े हुए हैं।

इधर कमलताई गवई के पत्र ने विवाद खड़ा कर दिया। कुछ दिन पहले CJI बीआर गवई ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका की सुनवाई के दौरान भगवान विष्णु पर की गई टिप्पणी से देशभर में नाराजगी फैली। यह मामला 16 सितंबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट की उस पीठ के सामने आया, जिसकी अध्यक्षता CJI गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह कर रहे थे।

याचिकाकर्ता राकेश दलाल, जो भगवान विष्णु के भक्त हैं, ने अदालत में कहा कि मूर्ति की पुनर्स्थापना सिर्फ पुरातत्व का मामला नहीं है बल्कि यह आस्था, सम्मान और हिंदुओं के अपने देवी-देवताओं की संपूर्ण रूप में पूजा करने के मूल अधिकार से जुड़ा है।

लेकिन CJI गवई ने इस याचिका को खारिज करते हुए हिंदू आस्था को लेकर कुछ अनावश्यक और तंज भरी बातें कह दीं। उन्होंने कहा, “यह सिर्फ पब्लिसिटी के लिए दायर याचिका है। जाओ, अब खुद भगवान से कहो कि कुछ करें। तुम कहते हो कि भगवान विष्णु के कट्टर भक्त हो तो जाओ और प्रार्थना करो।”

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