मोदी और भाजपा सरकार के खिलाफ राहुल गांधी बार-बार बना रहे Fake Narrative, हर बार हुए फेल; मुसलमानों की भी सारी जातियां सामने आने से डरने लगे


नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की अगुवाई में उनकी पार्टी हार का शतक लगाने के करीब है। हार-दर-हार से सबक लेने के बजाए राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा के खिलाफ झूठे नैरेटिव गढ़ने में लगे हैं। यह जानते हुए भी कि हर बार राहुल गांधी के झूठे नैरेटिव की पोल खुल जाती है। गांधी परिवार के साथ-साथ लेफ्ट लिबरल गैंग और इंडी गठबंधन उसकी झूठ की हां में हां मिलाने में जुटा है। राहुल गांधी की नफरत का तो यह आलम में कि उन्हें अपने इन फैक नैरेटिव के लिए कोर्ट तक से फटकार लग चुकी है, लेकिन वे अपनी ‘बालक-बुद्धि’ वाली हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं। केंद्र में जब से मोदी सरकार आई है, वे तब से उनके खिलाफ झूठ का पिटारा लिए घूम रहे हैं। लेकिन जनता-जनार्दन के सामने कांग्रेस और इंडी गठबंधन की पोल खुल चुकी है। इसलिए उसने लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री के रूप में पीएम मोदी को चुना है।

चोर कह रहे – वोट चोर, गद्दी छोड़

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी जैसे एक के बाद एक चुनाव में हार का स्वाद चख रहे हैं, वैसे ही उनके और विपक्षी नेताओं के जनता को भ्रमित करने वाले नैरेटिव भी फुस्स हो रहे हैं। एक दर्जन से ज्यादा नैरेटिव फेल होने के बाद अब बिहार विधानसभा चुनाव से पहले वे नया शिगूफा लाए हैं- वोट चोरी। वे बार-बार प्रेस कांफ्रेंस करके वोट चोरी का नैरेटिव गढ़ते हैं और हर बार पहले चुनाव आयोग और फिर जिनको उन्होंने वोट चोरी का पीड़ित बताकर पेश किया, वे ही खुद मीडिया में कहते हैं कि उनका वोट चोरी नहीं हुआ है। कर्नाटक, बिहार और मध्य प्रदेश के वोटर ने राहुल गांधी के फेक नैरेटिव का पर्दाफाश किया है। पहले राहुल गांधी ने महाराष्ट्र में वोट चोरी के खुलेआम आरोप लगाए और इसके पक्ष में सीएसडीएस के डेटा देकर यह साबित करने का प्रयास किया कि महाराष्ट्र चुनाव में कितनी धांधली हुई है। यह अलग बात है कि जिस CSDS के डेटा के आधार पर आरोप लगाए थे, उसी ने अपनी गलती और बड़ी गड़बड़ी के लिए माफी मांग ली। राहुल की बहन प्रियंका भी वोट चोरी के आरोप के लिए जिस महिला की टी-शर्ट पहनी थी। उसी ने प्रियंका गांधी को झूठा साबित कर दिया। इधर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव भी ‘वोट चोरी’ के झूठा नैरेटिव में फंस गए। उनका वायरल वीडियो निकला एडिटेड निकला और चुनाव आयोग पर विपक्ष की साजिश बेनकाब कर दिया।

जातिगण जनगणना में भी हुई बोलती बंद

इस साल के शुरू में राहुल गांधी जातिगत जनगणना का शिगूफा लेकर आए। जातिगण जनगणना कराओ। राहुल गांधी ने कांग्रेस शासित राज्यों में खुद जातिगत जनगणना नहीं कराया, लेकिन मोदी सरकार कराए, इसका नैरेटिव जरूर बनाया। प्रधानमंत्री मोदी की सरकार ने सोचा कि जातिगत जनगणना के पीछे अपनी तो कोई गलत मंशा है नहीं, चलो करवा ही लेते हैं। और जैसे ही पीएम मोदी ने बोला, तो राहुल गांधी समेत सब पीछे भाग गए। आज किसी ने कहीं जातिगत जनगणना कराने के बारे में किसी कांग्रेसी को बोलते देखा है।

सारे INDI गठबंधन में मातम मनना शुरू हो गया है क्योकि जातिगत जनगणना मुसलमानों की भी होने की चर्चा है। हिन्दुओं को जातियों में बांट हिन्दुओं से कहीं ज्यादा जातियां मुसलमानों में है फिर भी उनको सिर्फ एक मुसलमान बता हिन्दुओं को डराने का इनका घिनौना खेल बंद होने वाला है।    

चुनाव के लिए बोले, संविधान खतरे में है!

लोकसभा और विधानसभा चुनावों में लगातार हार रहे राहुल गांधी ने पिछले लोकसभा चुनाव में नैरेटिव गढ़ा- संविधान को खतरा है। मोदी सरकार फिर आई तो ये लोग संविधान को बदल देंगे। भाजपा ने इस बार 400 पार का नारा क्या दिया, राहुल गांधी और इंडी गठबंधन के लोग डराने लगे कि ये संविधान बदल देंगे। आरक्षण खत्म कर देंगे। हारने के बाद विपक्षी दलों का ईवीएम का नैरेटिव तो अक्सर चलता ही है। आज कोई राहुल गांधी से पूछे क्या संविधान ख़त्म हो गया? क्या भारत में संविधान नहीं बचा हैं? जिसकी बुनियाद पर कांग्रेसी झूठ बोल रहे थे। लोगों को भ्रमित कर रहे थे।

लोकतंत्र खतरे में है!

एक ओर पीएम मोदी दुनियाभर को यह गौरवशाली संदेश देते हैं कि भारत ‘मदर ऑफ डेमोक्रेसी’ है। दूसरी ओर राहुल गांधी यह नैरेटिव बनाने में लगे हैं कि देश में लोकतंत्र खतरे में है। वो लोकतंत्र बचाने के अगुआ बनने लगे हैं। एक नया नाम दिया गया तो पता चल गया कि ये सिर्फ अल्पसंख्यकों के लिए काम करते हैं। बोले की अम्ब्रेला बदलो, इसका नाम इंडिया करो। जो हम इंडिया अलायंस कहते हैं। भले ही काम सब वही करो। सनातन धर्म को भी खत्म करो। मणिपुर का एक वायरल वीडियो भला कैसे भूला जा सकता है, जिसमें भारत माता की हत्या का नैरेटिव बनाया गया। ये सारे नैरेटिव फेल फुस्स हो गए। पीएम मोदी ने लोकसभा में कहा हमारा देश ना केवल सबसे बड़ा लोकतंत्र हैं, बल्कि हम लोकतंत्र की जननी भी हैं। पीएम मोदी ने कहा, “भारत का लोकतंत्र भारत का गणतांत्रिक अतीत बहुत ही समृद्ध रहा है, विश्व के लिए प्रेरक रहा है और तभी तो भारत आज ‘मदर ऑफ डेमोक्रेसी’ के रूप में जाना जाता है। असलियत में राहुल गांधी को पहले अपनी पार्टी में लोकतंत्र की चिंता करनी चाहिए।

पेगासस जासूसी को लेकर फिर झूठ

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने 2022 में पेगासस जासूसी कांड को लेकर एक देशद्रोही का नैरेटिव बनाने की कोशिश की। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में छात्रों के एक समूह से कहा कि भारतीय लोकतंत्र खतरे में है और इजरायली स्पाइवेयर पेगासस का उपयोग करके उनके सहित कई विपक्षी नेताओं की जासूसी की जा रही है। इसके अलावा राहुल गांधी ने संसद भवन के पास विजय चौक पर संवाददाताओं से कहा, ‘पेगासस एक हथियार है जिसका उपयोग आतंकवादियों और अपराधियों के खिलाफ किया जाता है। लेकिन हमारे यहां इसका उपयोग भारत की संस्थाओं और लोकतंत्र के खिलाफ किया जा रहा है। लेकिन यह भी मनगढ़ंत नैरेटिव ही साबित हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस जासूसी मामले में तकनीकी पैनल की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि देश की सुरक्षा और संप्रभुता से जुड़ी किसी भी रिपोर्ट का खुलासा नहीं किया जाएगा।

किसान आंदोलन की आग को और भड़काया

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और विपक्ष के बार-बार फेल हो रहे नैरेटिव के बीच 2021 में किसान आंदोलन में मानों अंधे के हाथ बटेर लग गई। कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने किसान आंदोलन की आग को और भड़काने में सारी कोशिशें कीं। यहां तक कि खालिस्तानी आतंकियों की मदद से आंदोलन को मजबूती देने के प्रयास भी हुए। आज किसानों को भी अफसोस होता है कि उनके भले के लिए आए तीन किसान कानून अगर होते, तो आज किसानों का कितना भला हो रहा होता। पीएम मोदी अपने अन्नदाताओं के फायदे के लिए ही ट्रंप टैरिफ के खिलाफ लड़ रहे हैं। आज पूरी दुनिया नीचे जा रही है, लेकिन भारत ऊपर जा रहा है। पूरी दुनिया में महंगाई ऊपर जा रही है, लेकिन भारत में यह लगातार नीचे है।

CAA -NRC पर बोले नागरिकता चली जाएगी

साल 2020 में CAA-NRC आने के बाद कांग्रेस समेत पूरे विपक्ष को लगा कि इसमें बहुत मसाला है। मोदी सरकार को नया नैरेटिव गढ़कर इसमें लपेट दिया जाए। विपक्ष ने इसके लिए क्या-क्या नहीं किया। मुसलमानों को फिर डराया गया कि इसके आते ही तुम्हारी नागरिकता चली जाएगी। तुमको देश से बाहर फेंक दिया जाएगा। तुम कहीं के नहीं रहोगे। इस झूठे नैरेटिव के साथ देश के लोगों को भ्रमित करके शाहीन बाग का एक नया मॉडल ही खड़ा किया गया। लेकिन झूठ की बुनियाद पर खड़े नैरेटिव ज्यादा दिन चल नहीं पाते। मोदी सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया था कि CAA-NRC नागरिकता छीनने का नहीं, बल्कि नागरिकता देने का कानून है। कांग्रेस और वामियों की प्रोपेगेंडा फैलाने की सारी कोशिशें पानी में चली गईं।

कोरोना वैक्सीन पर भ्रम और ‘मोविड’

इसी साल भारत समेत पूरी दुनिया को कोरोना महामारी ने अपनी चपेट में लिया। ऐसी विकराल महामारी के बीच भी राहुल गांधी और अखिलेश यादव समेत कई विपक्षी नेता राजनीति करने से बाज नहीं आए। राहुल गांधी ने तो शर्मनाक हरकत करते हुए कोविड महामारी को प्रधानमंत्री मोदी से जोड़कर इसे ‘मोविद’ बता दिया। यानी इसके लिए भी पीएम मोदी को जिम्मेदार बताया। दूसरी ओर उनके सहयोगी अखिलेश यादव ने देश की वैक्सीन को भाजपा की वैक्सीन बताकर लगवाने से इनकार करके हुए यूपी में लोगों को भड़काने की नाकाम कोशिश की। दूसरी ओर असलियत यह थी पीएम मोदी की दूरदर्शिता के चलते ही भारत ने ना सिर्फ कोरोना वैक्सीन बनाई, बल्कि दुनियाभर के 100 के अधिक देशों की हमने इस महामारी में मदद भी की। ये देश उस वैश्विक महामारी में मदद करने के लिए आज भी पीएम मोदी का आभार जताते थकते नहीं हैं। इस वैक्सीन से देशवासियों के साथ-साथ कई देशों के लोगों में यह विश्वास बढ़ा कि विकट आपदा के समय पीएम मोदी संकटमोचक बनते हैं।

देश का चौकीदार चोर है

2019 के लोकसभा चुनाव से पहले ऐसे ही फेक नैरेटिव को आगे बढ़ाते हुए राहुल गांधी और कांग्रेस ने चौकीदार चोर है का नैरेटिव गढ़ा। गली-गली में पर्चे बांटे गए। उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी ने तो बच्चों तक से नारे लगवा दिए- गली गली में शोर है, देश का चौकीदार चोर है। सीएम-पीएम के रूप में इतने साल साल से नरेन्द्र मोदी की साफ-सुथरी राजनीति देख रही देश की जनता इस झूठे नैरेटिव को समझ गई। जनता इस बात को महसूस किया और पीएम मोदी का साथ दिया। इतना ही नहीं तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को चौकीदार चोर है बयान पर अदालत से फटकार लगने के बाद सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगनी पड़ी। राहुल ने अवमानना के मामले में पहले दायर किए गए दो हलफनामों में सिर्फ खेद जताया था। इस पर कोर्ट ने उन्हें फटकार लगाई थी। इसके बाद कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने माफी मांगी और इनका यह नैरेटिव भी बुरी तरह से फेल हो गया।

राफेल खरीद में घोटाले का शिगूफा

राहुल गांधी 2018 में राफेल का नया शिगूफा लेकर आए। उन्होंने ये झूठा नैरेटिव बनाने की कोशिश की कि राफेल खरीद में घोटाला हुआ है। राहुल गांधी ने झूठी-झूठी कहानियों के जरिए कभी अनिल अंबानी, कभी मनोहर परिकर, तो कभी कभी फ्रांस सरकार के नाम पर मोदी सरकार को बदनाम करने का नैरेटिव चलाया। इससे एक तबके में ये विश्वास पैदा होने लगा कि कहीं ये सरकार चली ना जाए। लेकिन मोदी सरकार में विश्नास तब और पुख्ता हो गया जब वे हर प्लेटफार्म, हर हर अदालत में बेदाग साबित होते रहे। विपक्ष ने अटल सरकार में भी ताबूत घोटाले का जिन्न खड़ा किया था। बाद में पता चला की ताबूत घोटाला तो है ही नहीं। ऐसे ही क्लीन चिट मिलने के बाद राफेल खरीद का नैरेटिव भी फुस्स साबित हो गया। अब ऑपरेशन सिंदूर में राफेल ने भी पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर किया तो राफेल को मुद्दा बनाने वालों का सिर शर्म में झुका होगा!

जीएसटी को बताया गब्बर सिंह टैक्स

राहुल गांधी का जब नोटबंदी का नैरेटिव नहीं चला तो इसी साल दूसरा नैरेटिव लेकर आ गए। दरअसल, मोदी सरकार ने देशहित में 1 जुलाई 2017 को जीएसटी लागू किया। राहुल गांधी ने इसके नाम पर मध्यम वर्ग को भड़काने की पूरी कोशिश की। जीएसटी को गब्बर सिंह टैक्स नाम दिया। उन्होंने कहा कि जीएसटी देश के मध्यम वर्ग की जेब पर चोट है, लेकिन मध्यम वर्ग तो इंडी गठबंधन नहीं, पीएम मोदी के साथ है। वो इनके नैरेटिव के बहकावे में नहीं आया। क्योंकि उनको पता था कि जीएसटी आने वाले समय में उनके लिए बहुत बड़ी राहत लेकर आएगा। और 2025 में ऐसा हो गया। जीएसटी की वजह से आम आदमी को बड़ी राहत मिली। पूरा देश गदगद है। आंकड़े गवाह हैं कि जहां-जहां जीएसटी का इम्प्लिमेंटेशन हुआ, उन सरकारों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा। लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ा। लेकिन इस देश के लोगों ने समझा कि प्रधानमंत्री मोदी सच्ची नीयत से काम कर रहे हैं, इसलिए वे उनके साथ खड़े नजर आए। 2019 में उन्हें प्रचंड बहुमत से दोबारा प्रधानमंत्री बनाया। इसके साथ ही राहुल गांधी का नैरेटिव फेल हो गया। 

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