ड्रोन से हमले कर दिल्ली को दहराने की कोशिश को किया नाकाम; ‘जूता बम’ की भी हो रही जाँच

जैसे-जैसे बिलों में छिपे आतंकवादियों को गिरफ्तार किया जा रहा है, और उनसे पूछताछ की जा रही है चौकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े जितने भी डॉक्टर हैं सभी पर होती कार्यवाही से देश स्तब्ध है। चर्चा यह भी हो रही है कि क्या अल-फलाह यूनिवर्सिटी आतंकवाद का अड्डा है?

दिल्ली ब्लास्ट केस में ऐसे लोग सामने आ रहे हैं जिनकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। अब रोहतक की रहने वाली प्रियंका शर्मा जो कश्मीर के पुलवामा के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में लेक्चरर थी उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है। डॉक्टर प्रियंका शर्मा अशांति दूतो के बीच रहते-रहते घोर सेकुलर बन चुकी थी। 

डॉक्टर नदीम ने उनसे कहा कि वह कुछ समस्या में है उसे 8,00,000 रूपए की जरूरत है और डॉक्टर प्रियंका ने उसके अकाउंट में 8,00,000 ट्रांसफर कर दिया। 

फिर वह पैसे मेवात में विस्फोटक खरीदने के लिए ट्रांसफर किए गए

और इस तरह डॉक्टर प्रियंका इस मामले में फंस गई

समाचार है कि डॉक्टर प्रियंका के ऊपर भी वही धाराएं लगा दी गई है जो आतंकवादी फंडिंग केस में लगती है

मां बाप ने एमबीएस कराया एमडी कराया गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में जॉब मिली लेकिन सेकुलरिज्म की घुट्टी पीने की वजह से माथे पर आतंकवादी का ठप्पा लग गया 

अब देखना है कि इस आतंकवादी गिरोह की जड़ें कितनी गहरी और कहां-कहां तक फैली हुई है। अगर समय रहते इस गिरोह को नहीं पकड़ा जाता है दिल्ली ही नहीं पूरे भारत को बारूद के ढेर पर बैठा दिया होता। अभी कुछ दिन पहले किसी चैनल पर बीजेपी प्रवक्ता, शायद शहजाद पूनावाला, ने बताया कि एक महीने में हमारी सुरक्षा एजेंसियों ने कम से कम 30 हमलों को नाकाम किया है। यानि Operation Sindoor के बाद से हमारी सुरक्षा एजेंसियों खामोश नहीं बैठी है। बल्कि जनता को चैन की सोने के लिए अपनी नींद हराम किए हुए हैं।         

दिल्ली में लाल किले के करीब 10 नवंबर को हुए आत्मघाती कार धमाके की जाँच में राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) को एक और चौंकाने वाला सुराग मिला है। इस हमले को लेकर पकड़े गए आतंकी मॉड्यूल ने न सिर्फ आत्मघाती धमाके की योजना बनाई थी बल्कि यह मॉड्यूल हमास की तर्ज पर ड्रोन और छोटे रॉकेट का इस्तेमाल करके बड़े पैमाने पर हमला करने की तैयारी भी कर रहा था।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जाँच में सामने आया है कि यह मॉड्यूल भीड़भाड़ वाले इलाकों में ड्रोन के जरिए बम गिराने की साजिश पर भी काम कर रहा था। यह हमला ठीक वैसे करने की योजना थी जैसे हमास ने 7 अक्टूबर 2023 को इजरायल पर किया था।

जाँच एजेंसी ने जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के काजीगुंड के रहने वाले जसीर बिलाल वानी उर्फ दानिश को गिरफ्तार किया है। NIA की टीम ने उसे चार दिन पहले श्रीनगर से उठाया था जिसके बाद पूछताछ में सामने आई जानकारी से इस हमले को लेकर कई नए खुलासे हुए हैं।

दानिश को सोमवार (17 नवंबर 2025) को गिरफ्तार किया गया। एजेंसी का कहना है कि दानिश छोटे ड्रोन हथियार बनाने में सक्षम था और उसे बड़ी बैटरियों से लैस ऐसे ड्रोन डिजाइन करने का अनुभव था जो कैमरे और भारी विस्फोटक सामग्री दोनों को ढो सकें।

NIA के अनुसार दानिश ने आत्मघाती हमलावर डॉ. उमर उन नबी को तकनीकी सहायता दी थी। वह ड्रोन को मॉडिफाई करने और रॉकेट बनाने की कोशिशों में से शामिल था। एजेंसी का कहना है कि मॉड्यूल का मकसद भीड़भाड़ वाले इलाकों में ड्रोन से बम गिराकर अधिक से अधिक लोगों को मारना था। यह पद्धति सीरिया, इराक, अफगानिस्तान और इजरायल में हमास तथा ISIS जैसे संगठनों द्वारा किए जाने वाले हमलों से मिलती-जुलती है।

जाँच में सामने आया है कि जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ा यह मॉड्यूल छोटे रॉकेट भी बनाने पर काम कर रहा था। इन रॉकेट्स को सीरियल ब्लास्ट में इस्तेमाल किया जा सकता था। एजेंसी को आशंका है कि मॉड्यूल का उद्देश्य सिर्फ एक आत्मघाती हमला ही नहीं बल्कि बड़े पैमाने पर मल्टी-स्टेज आतंकी हमला करना था। जाँच टीम को धमाके वाली जगह से एक जूता भी मिला है। इस जूते में विस्फोटक होने की आशंका जताई गई है। इस कथित ‘जूता बम’ को लेकर भी फॉरेंसिक की जाँच चल रही है। 

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