क्या दलवई जैसे कांग्रेस नेताओं की वजह से कश्मीर से आतंकवाद ख़त्म नहीं हो रहा? दिल्ली ब्लास्ट को कांग्रेस नेता हुसैन दलवई ने किया जस्टिफाई; देखिए वीडियो, आतंकवादियों को जेल से छुड़ाने मेहबूबा के अब्बू ने अपनी ही बेटी के किडनैप का ड्रामा किया था


जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटने और पत्थरबाज़ी पर अंकुश लगाने से जनता को वहां से आतंकवाद के ख़त्म होने पर राहत की साँस ली थी कश्मीर जाने से वहां के पर्यटन को बढ़ावा देकर अर्थव्यवस्था को सुधारने में लग गयी। लेकिन जिसे भीख मांगने की आदत हो राज्य को आत्मनिर्भर होते कैसे बर्दाश्त कर सकते हैं। हुसैन दलवई जैसे नेताओं ने आतंकवादियों को राज्य से बाहर जाकर अपने काम को अंजाम देने के लिए शायद भेज रहे हैं? वैसे आतंकवादियों पर होती कार्यवाही से अब्दुल्ला परिवार और मेहबूबा मुफ़्ती भी पीछे नहीं। केंद्र में मोदी सरकार को आतंकवाद को समर्थन देने वालों पर भी सख्ती करनी होगी। शंका है, शंका गलत भी हो सकती है, कश्मीर से लेकर भारत के शेष भागों में फैले आतंकवादियों की शायद इनको जानकारी हो? जब तक आतंकवाद के इन sleeper cells पर कार्यवाही नहीं होगी सच्चाई सामने नहीं आ सकती। देखना है कि सरकार कब कार्यवाही करती है।      

मेहबूबा मुफ़्ती परिवार की आतंकवादियों को समर्थन देना बहुत पुराना है। तत्कालीन वी पी सिंह की सरकार में गृह मंत्री रहे इनके अब्बू मुफ़्ती मोहम्मद सईद ने जेलों में बंद आतंकवादियों को छुड़ाने के लिए अपनी ही बेटी रुपैया सईद के अपहरण का ड्रामा खेला था। क्या ऐसे नेताओं से राज्य में शांति की उम्मीद की जा सकती है? आखिर किस लालच में मेहबूबा दामाद की तरह आतंकवादियों को संरक्षण दे रही है। देखिए रुबैया अपहरण कांड वीडियो: 

        

कांग्रेस नेता हुसैन दलवई ने लाल किले में हुए कार ब्लास्ट में शामिल जिहादी और आतंकी डॉक्टर मॉड्यूल के प्रति सहानुभूति जताई है। उन्होंने कहा है कि कश्मीर में जिस तरह से ‘अन्याय’ हुआ है, उसका असर तो दिखेगा। उन्होंने कहा कि चुनाव आते ही बम फटते हैं इसकी जाँच होनी चाहिए। आरएसएस जिस तरह से प्रचार करते हैं इसकी भी जाँच होनी चाहिए।

ऐसा कहते हुए उन्होंने आतंकियों के देश विरोधी और मानवता विरोधी कार्यों को सही ठहराने की कोशिश की है।

क्या कहा हुसैन दलवई ने?

कांग्रेस नेता हुसैन दलवई ने आतंकियों के पास मिले 2900 किलो विस्फोटक, उनकी साजिश पर पर्दा डालने की कोशिश की है। राम मंदिर को उड़ाने और देश के अहम हिस्सों में धमाका करने की साजिश को नजरअंदाज किया है। इनके मन में लालकिले में हुए कार विस्फोट में मारे गए 12 निर्दोष लोगों के प्रति कोई सहानुभूति नहीं है, कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं और जिंदगी-मौत के बीच झूल रहे हैं, ये भी मायने नहीं रखता।

सैन जैसे लोगों को सिर्फ कश्मीर में ‘अत्याचार’ नजर आता है। कश्मीर में निर्दोष पर्यटकों को मारा गया, उस वक्त इनकी बोलती बंद हो जाती है। इसमें भी इन्हें सीमा पार से मिल रहे आतंकी सहयोग नजर नहीं आते। आतंकियों की बर्बरता नजर नहीं आती। दिखाई देती है तो कथित ‘अत्याचार’ और वह भी सिर्फ कश्मीरी इस्लामिक कट्टरपंथियों के प्रति। वरना 90 के दशक में कश्मीरी हिन्दुओं पर हुए अत्याचार पर भी उनके मुँह से कभी कुछ निकल गया होता, तो ये समझा जा सकता था।

हुसैन दलवई का कहना है कि कश्मीरियों पर जो अत्याचार हुए हैं उसकी वजह से लालकिल पर कार विस्फोट हुआ। उन्होंने बिहार चुनाव की ओर इशारा करते हुए कहा कि चुनाव आते ही बम फटते हैं, इसकी जाँच होनी चाहिए। आरएसएस जिस तरह से प्रचार करते हैं इसकी भी जाँच होनी चाहिए।

कांग्रेस नेता ने पहले कश्मीरियों पर ‘अत्याचार’ की बात कही। कार विस्फोट में शामिल डॉक्टरों के गैंग को देश में क्या-क्या ‘अत्याचार’ हुए। मामूली फीस देकर सरकारी मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई, सरकारी नौकरी और बाकी सभी सुविधाएँ। हालाँकि कई डॉक्टरों ने सरकारी नौकरी छोड़ कर जिहाद फैलाने के लिए अल फलाह यनिवर्सिटी ज्वाइन किया। अब इन डॉक्टरों पर किस तरह के ‘अत्याचार’ हुए हैं, जिसकी वजह से कट्टरपंथ और जिहाद का रास्ता इनलोगों ने चुना, ये तो हुसैन दलवई ही बता पाएँगे।

आरएसएस को आतंकी संगठन कह जाँच की बात कही

आरएसएस पर हुसैन दिलवई हमेशा विवादित बयान देते रहे हैं। कांग्रेस नेता ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को आतंकवादी संगठन तक कह डाला और इसके कामकाज की जाँच करने की बात कही। उन्होंने कहा कि आरएसएस लोगों को हिंसा सिखाते हैं। इससे पहले नवंबर 2024 में दलवई RSS को आतंकी संगठन कहते हुए लोगों को हिंसा सिखाने की बात कही थी।

दलवई को दुनिया के सबसे अनुशासित समाज सेवी संगठन के काम आतंकी दिखते हैं और ‘खतरनाक’ लगते हैं, लेकिन आतंकी कार्रवाई, हिंसक घटनाएँ ‘अन्याय का बदला’ नजर आता है।

मुंबई हमले के वक्त भी आरएसएस को घसीटा गया

दिल्ली ब्लास्ट से जुड़े डॉक्टर जिहादी कंपनी के प्रति ये ‘प्यार’ कांग्रेस नेताओं का कोई नया नहीं है। पहले भी मुंबई ब्लास्ट के वक्त कॉन्ग्रेस नेता एआर अंतुले ने आतंकवादियों के प्रति नरमी बरतते हुए आरएसएस को इसमें घसीटा था।

कांग्रेस की मुस्लिम तुष्टिकरण का ये असर था कि 26/11 मुंबई हमले में अगर कसाब नहीं पकड़ा जाता तो शायद सारे सबूत होने के बावजूद इस घटना को ‘भगवा आतंकवाद’ कह दिया जाता। पाकिस्तान को ये चाहता ही था, कांग्रेस ने भी इसकी तैयारी कर रखी थी। इसलिए कसाब का नाम समीर अजमल कसाब को ‘समीर दिनेश चौधरी’ नाम दिया गया था, उसकी पहचान बेंगलुरु के एक छात्र की बनाई गई थी और उसे कलावा पहनाया गया था। ये सब इसीलिए, ताकि वो हिन्दू दिखे।

अजमल कसाब को ‘अरुणोदय डिग्री कॉलेज’ के छात्र की नकली पहचान दी गई थी। वो हमले से कुछ दिन पहले सिद्धिविनायक मंदिर भी पहुँचा था, वहाँ तस्वीरें क्लिक करवाई थी और 15-20 कलावा खरीदे थे। उसने पाकिस्तान जाकर साजिशकर्ता साजिद मीर को ये सारा कलावा दिया था और उसे भी लगा कि ये एक अच्छा विचार है। सोचिए, अगर अजमल कसाब नहीं पकड़ा जाता तो फिर पाकिस्तान की साजिश सफल हो जाती, कॉन्ग्रेस का साथ उसे मिल तो रहा ही था।

दिसंबर 2008 में, अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री ए.आर. अंतुले ने 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमलों को लेकर विवादित बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) के प्रमुख हेमंत करकरे की हत्या का संबंध 2006 के मालेगांव विस्फोटों में हिंदू दक्षिणपंथी समूहों की करकरे द्वारा की गई जांच से जुड़ी हो सकती है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विजय नामदेव वडेट्टीवार ने यहाँ तक कह दिया था कि IPS हेमंत करकरे की जिस गोली से हत्या हुई वो अजमल कसाब या अन्य आतंकियों ने नहीं चलाई थी, बल्कि एक RSS के समर्पित पुलिस अधिकारी के हथियार से चली थी।

No comments: