रट्टू तोते की तरह भाई राहुल की बातों को दोहरा रही प्रियंका गाँधी, फिर से EC को बनाया निशाना

                           राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी (साभार - पीटीआई और एसजीटी टाइम्स)
बिहार के रीगा विधानसभा क्षेत्र में 6 नवंबर 2025 को कांग्रेस नेता प्रियंका वाड्रा ने चुनाव आयोग (ECI) पर सीधा हमला बोलते हुए वही राग अलापा जो उनके भाई राहुल गाँधी पहले से गा रहे हैं।
भागवत गीता में लिखा है "विनाश काल विपरीत बुद्धि" जो INDI गठबंधन पर सटीक बैठता है। जितना वोट चोरी का रोना रोया जायेगा उतना ही उल्टा असर हो रहा है। राहुल तो कांग्रेस को बर्बाद करने के लिए बहुत था लेकिन प्रियंका के आने बहुत जल्दी कांग्रेस अपने अंजाम पर पहुँचने वाली है या यूँ भी कह सकते "बर्बाद करने को एक ही उल्लू काफी है, यहाँ(मतलब कांग्रेस) हर शाख पर उल्लू बैठा है, अंजामे गुलिस्तां क्या होगा।"       

प्रियंका ने सभा में दावा किया कि हाल ही में समाप्त हुए विशेष मतदाता सूची संशोधन के दौरान बिहार में 65 लाख मतदाताओं के नाम गलत तरीके से हटा दिए गए। उन्होंने देश के वरिष्ठ चुनाव अधिकारियों मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार, चुनाव आयुक्त सुखबीर सिंह संधू और विवेक जोशी के नाम लेकर जनता से पूछा कि क्या उन्होंने कभी इनके नाम सुने हैं और खुद ही कहा, “आपने इनके नाम कभी नहीं सुने होंगे, क्योंकि ये सब अपनी कुर्सियों और आयोग के पीछे छिपते रहते हैं।”

प्रियंका ने आगे कहा कि ये वही लोग हैं जो “देश के संविधान और लोकतंत्र से खिलवाड़ कर रहे हैं।” उन्होंने लोगों से अपील की कि इन अधिकारियों के नाम याद रखें क्योंकि “इन्हीं के कारण जनता के अधिकारों से खिलवाड़ हो रहा है।”

दरअसल, प्रियंका गाँधी के ये आरोप उनके भाई राहुल गाँधी की बयानबाजी की तर्ज पर हैं। राहुल गाँधी ने अगस्त 2025 में चुनाव आयोग के अधिकारियों को खुलेआम धमकी दी थी कि अगर कॉन्ग्रेस सत्ता में आई तो उन्हें परिणाम भुगतने होंगे। उन्होंने आरोप लगाया था कि कर्नाटक की मतदाता सूची में चुनाव आयोग ने वोट चोरी की, लेकिन कोई सबूत नहीं दिया। हाल ही में राहुल ने हरियाणा चुनाव को लेकर भी यही आरोप दोहराया।

चुनाव आयोग ने राहुल गाँधी से इन आरोपों के लिए औपचारिक शिकायत दर्ज करने को कहा था, ताकि तथ्यों की जाँच की जा सके। लेकिन राहुल गाँधी ने ऐसा करने से इनकार कर दिया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, राहुल गाँधी को मालूम था कि उनके आरोप सबूतों की कसौटी पर टिक नहीं पाएँगे, इसलिए उन्होंने कोई आधिकारिक शिकायत नहीं की।

यह पहली बार नहीं है जब गाँधी परिवार ने हार की झुंझलाहट चुनाव आयोग पर निकाली हो। 2019 में भी राहुल गाँधी ने संवैधानिक संस्थाओं, चुनाव आयोग, सुप्रीम कोर्ट और RBI पर समझौते के आरोप लगाए थे, लेकिन तब भी वो अपने दावों को साबित नहीं कर पाए थे।

अब प्रियंका गाँधी ने उसी पुराने ‘वोट चोरी’ नैरेटिव को दोहराते हुए न केवल चुनाव आयोग बल्कि उसके वरिष्ठ अधिकारियों को भी निशाने पर लिया है, ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कॉन्ग्रेस अब हार से पहले ही बहाने गढ़ने में लग गई है?

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