बांग्लादेश में HIV संक्रमण के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इससे स्वास्थ्य विशेषज्ञों और मानवीय संगठनों में गंभीर चिंता पैदा हो गई है। विश्व एड्स दिवस (1 दिसंबर) पर जारी सरकारी आँकड़ों के अनुसार, नवंबर 2024 से अक्टूबर 2025 के बीच 1,891 नए मामले दर्ज किए गए। यह हाल के वर्षों में दर्ज हुई सबसे बड़ी वार्षिक वृद्धि है। पिछले वर्ष से तुलना करें तो यह संख्या 453 अधिक है।
इन नए मामलों में 217 संक्रमण अकेले कॉक्स बाजार स्थित रोहिंग्या शरणार्थी कैंपों में मिले और विशेषज्ञ ‘गंभीर रूप से चिंताजनक’ बता रहे हैं। यह इसलिए भी जोखिम की बात है कि विस्थापित आबादी पहले से ही संवेदनशील और जोखिमग्रस्त मानी जाती है।
बांग्लादेश में AIDS के आँकड़े
रिपोर्ट्स के मुताबिक, बांग्लादेश में HIV का पहला मामला 1989 में सामने आया था। इस साल तक HIV पॉजिटिव मामलों की कुल संख्या 14,313 थी। इनमें से 2,666 की मौत हो गई है। स्वास्थ्य अधिकारियों का मानना है कि HIV से संभावित रूप से संक्रमित लगभग 18% लोग अपनी स्वास्थ्य स्थिति से अनजान हैं यानी उन्हें संक्रमण का अंदाजा ही नहीं है। ऐसे मामलो की संख्या करीब 17,480 है।
बांग्लादेश के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (DGHS) के तहत चलते वाले राष्ट्रीय एड्स और यौन संचारित रोग नियंत्रण कार्यक्रम की रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में AIDS के 1,438 नए मामले और 195 मौतें दर्ज हुई थीं जबकि 2023 में संक्रमण के 1,276 मामले और 266 मौतें हुईं। हालाँकि, आधिकारिक रूप से जिन मरीजों की पहचान की गई है, उनकी संख्या काफी कम है।
नए आँकड़ों से पता चलता है कि पिछले एक साल में 14.21 लाख लोगों ने HIV टेस्ट कराया जो पिछले वर्ष की तुलना में 1.91 लाख कम है। इसके अलावा, इसी अवधि के दौरान स्वास्थ्य जाँच के तहत 10.72 लाख लोगों का HIV टेस्ट किया गया जो पिछले वर्ष की तुलना में 10.34 लाख अधिक है।
अस्पतालों की कमी और स्वास्थ्य सुविधाओं का संकट
रिपोर्ट्स के मुताबिक, बांग्लादेश में HIV रोगियों के लिए केवल एक ही विशेष अस्पताल, ढाका स्थित मोहाखाली संक्रामक रोग अस्पताल है। और यहाँ भी HIV/AIDS मरीजों के लिए सिर्फ 40 बेड उपलब्ध हैं। ये बेड लगभग पूरे साल भरे रहते हैं, जिसके चलते कई मरीजों को फर्श पर इलाज करवाना पड़ता है।
सर्जरी की ज़रूरत वाले मरीजों को लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता है और डॉक्टरों का कहना है कि बुनियादी ढाँचे की कमी मरीजों की जान पर खतरा बन रही है। कार्यक्रम के निदेशक डॉ. एम. खैरुज्जमान के अनुसार इसकी जाँच के लिए टेस्टिंग किटों की भी कमी है। साथ ही, इलाज करने के लिए प्रशिक्षित कर्मियों की भी जरूरत है।
प्रवासी श्रमिक और सामाजिक कलंक का डर
इन सबके अलावा HIV/AIDS से जुड़ा कलंक भी एक बड़ी बाधा है। बड़ी संख्या में लोग समाज में बदनामी के डर से इसकी जाँच तक कराने या फिर इलाज कराने से बचते हैं। बांग्लादेश में रहने वाले प्रवासी श्रमिकों को भी HIV का बड़ा वाहक माना जाता है। मध्य पूर्वी देशों से लौटने वाले कई श्रमिक HIV के साथ लौटते हैं और अंतत: बांग्लादेश में HIV के मामलों में बढ़ोतरी की वजह बनते हैं।
बांग्लादेश में ‘खास आबादी’ के कारण बढ़ रहे HIV के केस
बांग्लादेश में नैशनल AIDS/STD कंट्रोल प्रोग्राम की डिप्टी डायरेक्टर जुबैदा नसरीन देश में बढ़ते मामलों के लिए ‘खास आबादी’ में की गई टेस्टिंग को जिम्मेदारी बताती हैं। इस खास आबादी में ‘ड्रग्स लेने वाले लोग, महिला और पुरुष सेक्स वर्कर और ट्रांसजेंडर लोग’ शामिल हैं। नवंबर-अक्टूबर के दौरान इस आबादी के 1.17 लाख लोगों का टेस्ट किया गया जो पिछले साल से करीब 20,000 अधिक है।
बांग्लादेश में नई अंतरिम सरकार के बाद भी दिक्कतें बढ़ी हैं। अधिकारियों ने कहा कि पिछले साल मध्य में सरकारी प्रोग्राम के खत्म होने से खास आबादी के बीच कंडोम, सुई और सिरिंज बांटने जैसी बचाव सेवाओं में रुकावट आई है।
डेटा के मुताबिक, नए मामलों में 56% मुख्य आबादी के, 12% माइग्रेंट, 11% रोहिंग्या और बाकी आम लोग थे। इनमें भी 81% पुरुष, 18% महिलाएँ और 1% ट्रांसजेंडर थे। आँकड़ों को और गहराई से देखने पर पता चलता है कि इनमें भी शादीशुदा लोगों की संख्या अधिक थी। 52% शादीशुदा और 42% सिंगल थे जबकि अन्य लोग विधवा या तलाकशुदा थे।
बांग्लादेश में नहीं कम हो रहे HIV के मामले
बांग्लादेश के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी देश में HIV इन्फेक्शन और मौतों को लेकर परेशान हैं। 2010 से दुनिया भर में HIV इन्फेक्शन में 40% और AIDS से जुड़ी मौतों में 56% की कमी आई है। हालाँकि, बांग्लादेश के लिए इस सफलता को दोहराना अभी भी चुनौती ही बना हुआ है। हाल के वर्षों में टेस्टिंग बढ़ी है लेकिन सरकार के रोकथाम के उपाय अभी भी बढ़ती मौतों की संख्या में दिखाई देने वाली तेजी को कम नहीं कर पा रहे हैं।
DGHS अब डेडिकेटेड सेंटर्स पर HIV मरीजों के लिए टेस्टिंग जारी रखने और दवा देने के लिए विदेशी डोनर्स पर निर्भर है। हालाँकि, यहाँ भी फंडिंग की कमी के कारण 25 जिले इन सेवाओं की कवरेज से बाहर हैं। बांग्लादेश में HIV के केसों की संख्या बढ़ती जा रही है लेकिन इनके लिए बचाव की सेवाओं की भारी कमी है और इसके चलते हेल्थ एक्सपर्ट्स में चिंता बढ़ गई है।
बांग्लादेश ने 2030 तक AIDS को खत्म करने का टारगेट रखा है लेकिन जिस तरह मामलों में कमी की जगह बढ़ोतरी हो रही है इस लक्ष्य का हासिल होना लगभग नामुमकिन ही लग रहा है। इसके उलट डर है कि प्रिवेंटिव सर्विस के लिए कम फंडिंग से पॉजिटिविटी रेट और बढ़ सकता है।
2015 में शुरू किया गया था कॉक्स बाजार में एड्स जांच कार्यक्रम
कॉक्स बाजार जिला सदर अस्पताल के रेजिडेंट मेडिकल ऑफिसर (आरएमओ) और एचआईवी फोकल पर्सन डॉ. आशिकुर रहमान ने बताया कि 2015 में कॉक्स बाजार सदर अस्पताल में HIV जांच कार्यक्रम शुरू हुआ था। 6 जुलाई तक 710 लोगों में एचआईवी का पता चला है। ट्रांसजेंडर लोगों में भी एचआईवी के कीटाणु पाए गए हैं और इस बीमारी से 61 रोहिंग्या समेत 118 लोगों की मौत हो चुकी है। अशिकुर ने कहा कि विभिन्न गैर-सरकारी संगठनों की 12 टीमें उखिया और टेकनाफ में फील्ड स्तर पर जागरूकता पैदा करने के लिए काम कर रही हैं। इसके अलावा जिला सदर अस्पताल में एड्स/एचआईवी की रोकथाम के लिए विभिन्न पहल की गई हैं। कॉक्स बाजार के सार्वजनिक स्वास्थ्य पेशेवर डॉ. मोहम्मद महबूबुर रहमान ने कहा: "एचआईवी के प्रसार में बहुत अधिक अज्ञानता और सामाजिक पूर्वाग्रह है। एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति उनसे संक्रमित होने के डर से समाज से अलग-थलग पड़ जाते हैं। और जिनके शरीर में यह वायरस होता है, वे इलाज कराने से कतराते हैं।"
असुरक्षित यौन संबंध बने जानलेवा
कॉक्स बाजार सिविल सोसाइटी के अध्यक्ष अबू मोर्शेद चौधरी खोका ने कहा कि रोहिंग्या कॉक्स बाजार इलाके में होटल और मोटल में घूमते दिख जाएंगे। वे स्थानीय लोगों से असुरक्षित यौन संबंध बनाना रहे हैं, जिससे एचआईवी फैल रहा है।
एक खबर यह भी: कॉक्स बाजार में याबा गोलियां, क्रिस्टल मेथ 26 सी जब्त
बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) के सदस्यों ने रविवार को कॉक्स बाजार के टेकनाफ उपजिला में एक अभियान के दौरान 25.89 करोड़ रुपये मूल्य के क्रिस्टल मेथामफेटामाइन और याबा की गोलियां जब्त कीं। टेकनाफ बटालियन (बीजीबी-2) के कमांडर लेफ्टिनेंट कर्नल शेख खालिद मोहम्मद इफ्तेखार ने बताया कि सूचना मिलने पर बीजीबी-2 की एक टीम ने एक नाव को रोका, जिसमें म्यांमार से तीन से चार संदिग्ध तस्कर जलियर द्वीप की ओर जा रहे थे। हालांकि तस्कर नफ नदी में कूद गए और भागने में सफल रहे। बाद में, बीजीबी के लोगों ने 4 किलो से अधिक क्रिस्टल मेथम्फेट जब्त किया।
कॉक्स बाजार क्या है?
कॉक्स बाजार बांग्लादेश के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित एक शहर है। यह अपने बहुत लंबे रेतीले समुद्र तट के लिए जाना जाता है। यह उत्तर में सी बीच से लेकर दक्षिण में कोलाटोली बीच तक फैला हुआ है। यहां अग्गामेदा ख्यांग मठ में कांस्य की मूर्तियां और सदियों पुरानी बौद्ध पांडुलिपियां हैं। शहर के दक्षिण में हिमचारी नेशनल पार्क के उष्णकटिबंधीय वर्षावन में झरने और कई पक्षी हैं। उत्तर में समुद्री कछुए पास के सोनादिया द्वीप पर प्रजनन करते हैं। कॉक्स बाजार चटगांव से 150 किमी दक्षिण में स्थित है।
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