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मौलाना उस्मानी दिल्ली से गिरफ्तार ; दरगाह के पीछे मिली किशन भारवाड़ की हत्या में इस्तेमाल पिस्तौल और बाइक

किशन भारवाड़ (दाएँ) की हत्या में धराया मौलाना उस्मानी
किशन बोलिया (भारवाड़) की हत्या के मामले में गुजरात पुलिस और गुजरात ATS को अहम कामयाबी मिलती है। गुजरात ATS ने मौलाना कमर गनी उस्मानी को दिल्ली से गिरफ्तार किया है। उस्मानी पर किशन के हत्यारे शब्बीर को उकसाने का आरोप है। वहीं, गुजरात पुलिस ने हत्या में इस्तेमाल हथियार को बरामद कर लिया है।

देश गुजरात की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने धंधुका में सर मुबारक बुखारी दादा दरगाह के पीछे एक जगह से किशन भारवाड़ की हत्या में इस्तेमाल की गई एक पिस्तौल और बाइक बरामद की है। इस मामले की जाँच कर रही पुलिस टीम आरोपित शब्बीर और इम्तियाज को लेकर सर मुबारक के पीछे पहुँची थीं, जहाँ से हत्या में इस्तेमाल की गई बाइक और पिस्तौल बरामद की गई है। दोनों आरोपितों ने 25 जनवरी 2022 को किशन भरवाड़ को मारने के लिए पहले उसका बाइक से पीछा किया था और फिर धंधुका शहर के मोढवाडा-सुंदकुवा इलाके में शब्बीर ने उस (किशन) पर राउंड फायरिंग करके उसकी हत्या कर दी थी।

रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने एक अन्य आरोपित अजीम बचा समा के भाई वसीम समा को भी पूछताछ के लिए मोरबी से गिरफ्तार किया है। अजीम ने अहमदाबाद के मौलवी को हथियार दिए थे और इस मौलवी ने आरोपितों को हथियार मुहैया कराए थे। पुलिस मुख्य आरोपितों के खिलाफ GUCTOC और UAPA के कड़े कानून के तहत मामला दर्ज की है। किशन बोलिया की हत्या (Kishan Boliya Bharwad Murder) के मामले में दो मौलवियों की भूमिका भी सामने आई है, जबकि कई संदेह के दायरे में हैं। इनमें से एक अहमदाबाद का है और दूसरा मुंबई का है। अहमदाबाद के जमालपुर इलाके का मौलवी अय्यूब इन हत्यारों को हथियार मुहैया कराता था। वहीं, मुंबई के मौलवी ने उन्हें किशन की हत्या करने का आदेश दिया था।

गुजरात सरकार ने शनिवार (29 जनवरी 2022) को किशन बोलिया (भरवाड़) की हत्या की जाँच आतंकवाद विरोधी (ATS) दस्ते को सौंप दी है। गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी ने ट्वीट कर बताया, “धंधुका की हिंसक घटना का मामला एटीएस को सौंप दिया गया है। गुजरात पुलिस पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है।”

किशन ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट अपलोड किया था, जिसके बाद से वह इस्लामी कट्टरपंथी के निशाने पर था। बताया गया था कि किशन ने जो वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड किया था, वो मुस्लिमों के पैगंबर मुहम्मद से संबंधित था। किशन की पोस्ट पर कई लोगों ने आपत्ति भी जताई थी। पुलिस ने भी किशन के खिलाफ एक्शन लिया था। पोस्ट के बाद से ही किशन को जान से मारने की धमकियाँ मिल रही थीं। इस घटना के बाद से किशन अपने घर से नहीं निकल रहा था। मंगलवार को अचानक ही वो अपनी बाइक से निकला था, लेकिन कुछ ही दूरी पर उसकी हत्या कर दी गई।

एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया था कि किशन पर गोली चलाने वाले बाइक सवार उसके पीछे चल रहे थे, जैसे ही वो मोढवाड़ा मोड़ के पास पहुँचे तो किशन पर पहली गोली चलाई गई, लेकिन वह बच गया। इसके बाद उस पर दोबारा हमला किया गया और घटनास्थल पर ही उसकी मौत हो गई। इस घटना के बाद से हिन्दू संगठन बेहद आक्रोशित हैं। उन्होंने बीते दिनों धंधुका में बंद का ऐलान किया था। विश्व हिन्दू परिषद् (VHP) के इस आह्वान को स्थानीय लोगों और अन्य हिन्दू संगठनों का पूरा समर्थन मिला।

सिमी का पूर्व अध्यक्ष शाहिद बद्र आजमगढ़ से गिरफ्तार

शाहिद बद्र गिरफ्तार
शाहिद बद्र 
देशद्रोह के मामले में एक मुस्लिम कट्टरपंथी संगठन स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया(SIMI) के पूर्व अध्यक्ष शाहिद बद्र को गिरफ्तार करके गुजरात पुलिस ने आज (सितम्बर 6) बड़ी सफलता हासिल की है। जानकारी के मुताबिक कुछ समय पहले गुजरात की भुज अदालत ने शाहिद बद्र के ख़िलाफ़ वारंट जारी किया था। जिसमें वह पेश नहीं हुआ था, इसके बाद ही शाहिद को गुजरात पुलिस ने यूपी के आजमगढ़ से गिरफ्तार किया।
हालाँकि, शाहिद का इस गिरफ्तारी पर कहना है, “मैं सिमी का अध्यक्ष रहा हूँ। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में मैं केस लड़ रहा हूँ। मेरे खिलाफ जो भी केस चल रहे हैं, मैं उनमें पेश होता रहा हूँ, मुझे नहीं मालूम कब वारंट जारी किया गया था।” वहीं शाहिद के घरवालों का भी ये कहना है कि उनको इस वारंट के बारे जानकारी नहीं थी। क्योंकि जब से सिमी पर प्रतिबंध लगा है तब से उनके (शाहिद) नाम पर कोई गतिविधि नहीं हुई।
आजमगढ़ के एसपी पंकज पांडेय ने इस बारे में बात करते हुए मीडिया को बताया है कि शाहिद आजमगढ़ निवासी हैं और उनको गुजरात पुलिस ने आईपीसी की धारा 353 / 143 ,147 के तहत दर्ज मुकदमें में गिरफ्तार किया है।
जानकारी के मुताबिक गुजरात में वर्ष 2001 में दर्ज भड़काऊ भाषण के एक मामले में गुजरात की भुज व कच्छ पुलिस को शाहिद बद्र की तलाश थी। इसके अलावा बताया जा रहा है कि शाहिद के ख़िलाफ़ 2012 में भी भुज में मामला दर्ज हुआ था और पुलिस का यह भी कहना है कि आजमगढ़ में उनके ख़िलाफ़ बहुत से मामले दर्ज हैं।


जिस संगठन का शाहिद पूर्व अध्यक्ष रहा है, उस सिमी को भारत में आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त रहने के कारण 2002 में केंद्र सरकार द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया था। लेकिन फिर 6 अगस्त 2008 को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस प्रतिबंध को हटा दिया गया था। लेकिन शाहिद इस प्रतिबंध के ख़िलाफ़ कोर्ट में केस लड़ रहा