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प्रयागराज में ही छिपी है शाइस्ता और आयशा, साथ में है ‘बुर्का गैंग’ और शूटर साबिर; अतीक अहमद का खास असद कालिया गिरफ्तार

                                                                                    शाइस्ता और कालिया (साभार: आजतक/जागरण)
उमेश पाल हत्याकांड की सूत्रधार कही जा रही 50 हजार की ईनामी शाइस्ता परवीन अभी भी पुलिस की पकड़ से दूर है। कहा जा रहा है कि वह प्रयागराज में छुपी हुई है और उसके साथ कई शूटर भी हैं। वहीं, अतीक के गैंग के एक प्रमुख शूटर असद कालिया को उत्तर प्रदेश पुलिस ने बुधवार (19 अप्रैल 2023) को प्रयागराज से गिरफ्तार कर लिया है। 

दरअसल, काल‍िया गैंगस्टर अतीक अहमद का बेहद करीबी सदस्य बताया जाता है। असद कालिया कई मामलों में वांछित चल रहा था। उत्तर प्रदेश की पुलिस ने उस पर 50,000 रुपए का इनाम भी घोषित कर रखा था। प्रयागराज के धूमनगंज से कालिया के साथ-साथ उसके दो साथियों को भी गिरफ्तार किया है।

उधर, अतीक की बीवी शाइस्ता परवीन अभी भी पुलिस को चकमा दे रही है। उसके बेटे असद के एनकाउंटर और फिर अतीक एवं अशरफ की हत्या के बावजूद वह पुलिस के सामने नहीं आई। पुलिस का मानना है कि शाइस्ता के साथ-साथ अतीक की बहन आयशा नूरी प्रयागराज में छिपी हुई है।

आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक, शाइस्ता और आयशा के साथ आधा दर्जन से अधिक महिलाएँ उसके साथ चल रही हैं। ये सभी महिलाएँ बुर्के में हैं। इतना ही नहीं, शाइस्ता और आयशा के साथ शूटर साबिर भी साए की तरह चल रहा है।

आजतक ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि शाइस्ता और आयशा प्रयागराज-कौशांबी के कछार इलाके में छिपी हुई है। दोनों लोकेशन के साथ-साथ अपने फोन और सिम कार्ड को भी लगातार बदल रही है। पुलिस लगातार उसका लोकेशन ट्रैस करने की कोशिश कर रही है।

यूपी एसटीएफ के डीआईजी आनंद देव तिवारी ने कहा था कि बुर्के की वजह से शाइस्ता को खोजने में मुश्किल पैदा हो रही है। वहीं, बम बनाने में माहिर गुड्डू मुस्लिम को लेकर तिवारी ने कहा कि वह छिपने में माहिर है, लेकिन पुलिस उसे जल्दी ही गिरफ्तार कर लेगी।

असद कालिया की गिरफ्तारी के बाद शाइस्ता के अन्य सहयोगियों की जानकारी मिलने की उम्मीद है। असद कालिया पर दिसंबर 2021 से अब तक धमकाने और रंगदारी माँगने के चार मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। पुलिस ने उस पर 50,000 रुपए का इनाम भी घोषित किया था।

उत्तर प्रदेश STF ने बमबाज गुड्डू मुस्लिम को भी नासिक से दबोचा

महाराष्ट्र के नासिक से गुड्डू मुस्लिम को गिरफ्तार कर लिया
उत्तर प्रदेश पुलिस की STF ने बमबाज गुड्डू मुस्लिम को गिरफ्तार कर लिया है। उसे महाराष्ट्र के नासिक से दबोचा गया है। बता दें कि उमेश पाल हत्याकांड के बाद सामने आए सीसीटीवी वीडियो में बमबाज गुड्डू मुस्लिम का चेहरा भी दिखा था। ये भी जानने वाली बात है कि जब अतीक अहमद और उसके भाई की हत्या हुई, उससे ठीक पहले उसका भाई अशरफ गुड्डू मुस्लिम का ही नाम ले रहा था। बात पूरी करने से पहले ही दोनों भाइयों की हत्या कर दी गई।

गुड्डू मुस्लिम पर 5 लाख रुपए का इनाम घोषित है। वो इस पूरे मामले को सुलझाने में पुलिस के सामने एक अहम कड़ी शामिल हो सकता है। उधर अब सामने आया है कि शौहर और देवर के जनाजे और उन्हें दफ़न किए जाने के बाद बीवी शाइस्ता परवीन भी पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण करेगी। इस मामले में वो भी आरोपित है। फॉरेंसिक टीम ने सैम्पल ले लिए हैं और अतीक-अशरफ के लिए कब्र भी खोद दी गई है। सीएम योगी ने अधिकारियों को हर दो घंटे में रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस प्रकरण के अलावा अपने सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं। गुड्डू मुस्लिम के बारे में बता दें कि वो पुराना हिस्ट्रीशीटर है। वो गोली नहीं, बल्कि बम मार कर हत्या करता था। लखनऊ के नाका इलाके में भी उसने बम मार कर एक हत्याकांड को अंजाम दिया था, जिसके बाद वो जेल भी गया था। लखनऊ के पीटर गोम्स हत्याकांड में भी उसका नाम सामने आया था। उत्तर प्रदेश के कई माफियाओं के साथ उसके संबंध रहे हैं।

गुड्डू मुस्लिम की तलाश के लिए यूपी STF की 10 टीमें लगी हुई थीं। बता दें कि लाइव कैमरे के सामने जैसे ही अशरफ ने कहा था, ‘मेन बात ये है कि गुड्डू मुस्लिम…’ तभी उसके बगल में खड़े अतीक अहमद को हमलावरों ने सिर से सटाकर गोली मार दी। फिर अशरफ की भी हत्या हो गई। इलाहाबाद का गुड्डू मुस्लिम लखनऊ में बाहुबलियों अभय सिंह और धनंजय सिंह के संपर्क में आकर बड़ा अपराधी बना था। हालाँकि, इससे पहले से वो अपराध करता रहा था। वो श्रीप्रकाश शुक्ल और ISI के भी संपर्क में रहा है।


अतीक अहमद के बेटे असद को UP एसटीएफ ने मार गिराया, झाँसी में हुआ एनकाउंटर


उत्तर प्रदेश के माफिया अतीक अहमद के बेटे असद अहमद का आज (13 अप्रैल 2023) यूपी की एसटीएफ ने एनकाउंटर कर दिया। ये एनकाउंटर झाँसी में हुआ। इस दौरान शूटर मोहम्मद गुलाम को भी ढेर किया गया।

उमेश पाल मर्डर केस में ये दोनों आरोपित थे। इनके ऊपर प्रयागराज में 5-5 लाख रुपए का इनाम रखा गया था। समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार जिस टीम ने इनका एनकाउंटर किया उसे DySP नवेंदु और DySP विमल झाँसी में लीड कर रहे थे। छानबीन में पुलिस को दोनों आरोपितों के पास से विदेशी हथियार बरामद हुए हैं।


इस एनकाउंटर की जानकारी होने पर अतीक अहमद के फूट-फूटकर पर रोने और चक्कर खाकर गिरने व बेहोश होने की भी खबर सोशल मीडिया में दी जा रही है। बताया जा रहा है कि असद के मारे जाने की सूचना पाकर अतीक खुद को संभाल नहीं पा रहा। वहीं कोर्ट में इस घटना के बाद ‘योगी आदित्यनाथ जिंदाबाद’ के नारे लगाए गए हैं। उमेश पाल की हत्या के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने माफियाओं को मिट्टी में मिलाने की बात कही थी। जिस पर अतीक ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा था, “सरकार ने कहा है कि मिट्टी में मिला देंगे। मिट्टी में तो मिल चुके है। अब सरकार से से अपील है कि घर की औरतों-बच्चों को ना परेशान करे।” हालाँकि, असद के बारे में सवाल करने पर अतीक ने कहा, “मैं क्या जानूँ। मैं तो जेल में हूँ।”

उमेश पाल की माँ ने इस एनकाउंटर के बाद यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ को धन्यवाद दिया और कहा कि आगे भी उनके साथ ऐसा ही न्याय किया जाए।

एनकाउंटर की खबर ऐसे वक्त में आई है जब अतीक अहमद और उसके भाई को आज कोर्ट में पेश किया गया। इससे पहले अतीक ने गिड़गिड़ाते हुए कहा था, “मेरा परिवार पूरी तरह से बर्बाद हो गया है। मैं जेल में था। मैंने वहाँ से कोई साजिश नहीं रची है। मैंने वहाँ से कोई फोन नहीं किया। वहाँ जैमर लगे हुए हैं। प्रदेश से माफियागीरी पहले ही खत्म हो चुकी है। अब तो सिर्फ रगड़ा जा रहा है।”

उमेश पाल की हत्या के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने माफियाओं को मिट्टी में मिलाने की बात कही थी। जिस पर अतीक ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा था, “सरकार ने कहा है कि मिट्टी में मिला देंगे। मिट्टी में तो मिल चुके है। अब सरकार से से अपील है कि घर की औरतों-बच्चों को ना परेशान करे।” हालाँकि, असद के बारे में सवाल करने पर अतीक ने कहा, “मैं क्या जानूँ। मैं तो जेल में हूँ।”

19 वर्ष पूर्व भी विकास दुबे का एनकाउंटर करने का प्रयास हुआ था

विकास दुबे और लल्लन वाजपेयी
विकास दुबे की हिट लिस्ट में थे लल्लन वाजपेयी (दाएँ)
गैंगस्टर विकास दुबे को 10 जुलाई की सुबह मार गिराया गया। उसे उज्जैन से गिरफ्तार किया गया था। कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या करने और उज्जैन पहुॅंचने से पहले वह फरीदाबाद में भी रुका था।
फरीदाबाद में उसको शरण देने के आरोप में अंकुर मिश्रा और उनके पिता श्रवण मिश्रा पहले ही गिरफ्तार किए जा चुके हैं। अब दैनिक जागरण के सुशील भाटिया ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया है कि कैसे विकास और उसके साथियों को मिश्रा के घर शरण मिली थी।
श्रवण मिश्रा की पत्नी शांति मिश्रा और बहू गुंजन मिश्रा के हवाले से रिपोर्ट में बताया गया है कि विकास उनका दूर का रिश्तेदार है। 6 जुलाई को वह अपने साथी प्रभात मिश्रा और अमर दुबे के साथ मिश्रा के घर में दाखिल हुआ था। चेहरे पर मास्क लगाए ये लोग जब उनके घर में घुसे तब घर के पुरुष सदस्य बाहर थे। महिलाओं ने उनसे जाने की गुजारिश की, लेकिन हथियार के बल पर उसने उन्हें बंधक बना लिया और उनके मोबाइल ले लिए। जब रात में अंकुर और श्रवण लौटे तो ये लोग उनके घर में ही थे।


रिपोर्ट में बताया गया है कि विकास ने श्रवण के पहचान पत्र ले लिए और अंकुर को अपने साथ लेकर होटल में कमरा बुक करने चला गया। वहीं इस दौरान प्रभात और अमर उनके घर ही रुके रहे। शांति और गुंजन ने उम्मीद जताई है कि विकास के एनकाउंटर में मारे जाने के बाद अंकुर और श्रवण जल्द बाहर आ जाएँगे। उन्होंने मामले की निष्पक्ष जॉंच की मॉंग भी उच्चाधिकारियों से की है।
उल्लेखनीय है कि अमर दुबे को 8 जुलाई को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया था। इसके बाद उसका वह बाप भी जिंदा पकड़ा गया था जो पॉंच साल से अपने मौत की अफवाह फैलाकर भूमिगत था
19 वर्ष पूर्व भी विकास दुबे का एनकाउंटर करने का प्रयास हुआ था 
इधर दैनिक भास्कर ने एक रिपोर्ट में दावा किया है कि विकास दुबे को 19 साल पहले भी एनकाउंटर में मार गिराने की तैयारी की गई थी। लेकिन वह बच गया था। यह दावा अमर उजाला की एक पुरानी रिपोर्ट और स्थानीय पत्रकारों के हवाले से किया गया है।
यह मामला तब का है जब विकास दुबे ने थाने में घुसकर संतोष शुक्ला की हत्या कर दी थी। शुक्ला को तत्कालीन राजनाथ सरकार में राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त था। इस मामले में उसके खिलाफ बाद में कोई गवाह नहीं मिले थे।
रिपोर्ट में एक पत्रकार के हवाले से बताया गया है कि तब के डीजीपी वीके गुप्ता ने विकास दुबे पर 50 हजार का इनाम घोषित कर कानपुर पुलिस को उसके एनकाउंटर के निर्देश दिए थे। उसकी तलाश में 120 पुलिसकर्मियों की टीम बनाई गई थी। बाद में जब उसके पकड़े जाने की खबर फैली तो आसपास के गॉंवों के लोगों ने थाने को घेर लिया था ताकि उसका एनकाउंटर न किया जा सके।
विकास दुबे की मौत के बाद शिवली के पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष लल्लन वाजपेयी चर्चा में आए हैं। साल 2002 में चुनावी रंजिश के चलते विकास दुबे ने लल्लन वाजपेयी पर हमला करवाया था। लेकिन उस कोशिश में भाजपा नेता संतोष शुक्ला मारे गए थे।
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कानपुर शूटआउट के बाद से ही मुख्य आरोपित विकास दुबे, जिसका आज(10 जुलाई 2020) की सुबह एनकाउंटर में जीवनलीला को विराम लग गय.....
विकास दुबे की मौत पर लल्लन वाजपेयी ने कहा, “आज ऐसा लग रहा है जैसे हम सदियों बाद स्वतंत्र हुए हों। एक आतंक युग का अंत और शांत युग का प्रारंभ हुआ है। शाम को संगीत की व्यवस्था भी की गई है।”
एसटीएफ ने अपने बयान में बताया है कि उज्जैन से लाते वक्त रास्ते में जानवरों को बचाने के चक्कर में वह गाड़ी पलट गई जिसमें विकास सवार था। एक पुलिसकर्मी की बंदूक छीन वह कच्चे रास्ते से भाग रहा था। इसी दौरान मुठभेड़ में वह मारा गया। कानपुर में 3 जुलाई को शूटआउट में आठ पुलिसकर्मी मारे गए थे। विकास दुबे इस घटना का मुख्य आरोपित था और इसके बाद से ही उसकी सरगर्मी से तलाश की जा रही थी।

कानपुर : विकास दुबे के एनकाउंटर पर विवाद क्यों?

एनकाउंटर विकास दुबे
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
बीती 2 जुलाई की रात कानपुर के बिकरु गाँव में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या करने का आरोपित और उत्तर प्रदेश का मोस्ट वांटेड गैंगस्टर विकास दुबे शुक्रवार (जुलाई 10, 2020) सुबह भागने की कोशिश करते हुए पुलिस एनकाउंटर में मारा गया।
किसी फिल्म की स्क्रिप्ट की तरह पुलिस ने एक बार फिर कहानी सुना दी कि विकास दुबे को लाने तीन गाड़ियां गई थी। कानपुर पहुंचने से एक गाड़ी पलट गई जिसमें विकास दुबे था। इस दौरान उसने भागने की कोशिश की और जिसके बाद मजबूरी में पुलिस को गोली चलानी पड़ी जिसमें विकास दुबे मारा गया
पुलिस का कहना है कि एसटीएफ की गाड़ी पलटते ही विकास ने घायल पुलिसकर्मियों का हथियार छीनकर भागने की कोशिश की और मारा गया। सवाल ये है कि क्या वाकई ये एनकाउंटर वैसा ही है जैसा यूपी पुलिस बता रही है? इस पूरे मामले में पुलिस ने पांच अपराधियों को मारा और सबको एनकाउंटर का नाम दिया, सबकी कहानी भी एक जैसी सुनाई। कहीं टायर खराब हुआ तो कहीं गाड़ी पलट गई और फिर अपराधी ने भागने की कोशिश की और मारा गया
एनकाउंटर में गंभीर रूप से घायल विकास को पुलिस अस्पताल लेकर गई है। जिसके बाद उसकी मौत हो गई। पुलिस की ओर से इसकी पुष्टि कर दी गई है।




झाँसी में रात करीब 3:15 बजे रक्सा बार्डर से एसटीएफ की टीम विकास दुबे को लेकर कानपुर के लिए रवाना हुई। लेकिन रास्ते में अचानक उत्तर प्रदेश एसटीएफ के काफिले की कार दुर्घटनाग्रस्त हो गई है। इस काफिले में कल ही मध्य प्रदेश के उज्जैन में गिरफ्तार मोस्ट वांटेड गैंगस्टर विकास दुबे सवार था।
विकास दुबे एनकाउंटर में मारा गया
रिपोर्ट के अनुसार, जिस गाड़ी में विकास दुबे सवार था, वह हादसे का शिकार हुई है। यह घटना बर्रा थाना क्षेत्र के पास की है। हादसे में कार पलट गई है जिसके बाद विकास दुबे ने भागने की कोशिश की और पुलिस एनकाउंटर में मारा गया।
गाड़ी पलटने के बाद विकास दुबे ने घायल यूपी एसटीएफ के पुलिसकर्मियों की पिस्टल छीन कर भागने की कोशिश की। जवाबी फायरिंग में गोली लगने से बुरी तरह घायल विकास दुबे की मौत हो गई।
विकास दुबे कल सुबह ही उज्जैन के महाकाल मंदिर परिसर में मिला था। 6 दिन की तलाश के बाद मध्य प्रदेश पुलिस उसे गिरफ्तार करने में कामयाब रही थी।
विकास दुबे एक अपराधी था जिसके सिर पर आठ पुलिसकर्मियों समेत कई लोगों की हत्या, हत्या की कोशिश जैसे केस दर्ज थे। लेकिन हमारी न्याय व्यवस्था में अपराधी को अदालत के जरिए सजा देने का प्रावधान है। सरेआम लोगों की हत्या करने वाले आतंकी आमिर अजमल कसाब को भी हमारे देश की न्यायिक व्यवस्था के जरिए ही फांसी दी गई। वैसे ही याकूब मैनन हो या फिर अफजल गुरू… पिछले दिनों निर्भया के दोषियों को भी पूरी न्यायिक प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही फांसी दी गई। इस तरह अपराधी को बिना अदालत में पेश किए सरेआम एनकाउंटर के नाम पर मार दिया जाता है तो ये हमारी न्यायिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर देगा
अजमल कसाब हो या फिर याकूब मेनन, अफ़ज़ल या फिर निर्भया के दोषी, इन अपराधियों की तुलना विकास से करना बेमानी होगी। निर्भया के एक अपराधी को दिल्ली में अरविन्द केजरीवाल की सरकार ने सिलाई की मशीन और धन से नवाजा जाने पर किसने विरोध किया, जनता ने फिर मुफ्त की हड्डियां चूसते हुए केजरीवाल के हाथों दिल्ली सौंप दी। यानि अपराधियों को जब राजनीतिक दल ही समर्थन दे रहे हों, फिर किस आधार पर एनकाउंटर पर प्रश्न किए जा रहे हैं? याकूब, अफ़ज़ल और अजमल का जहाँ तक सवाल है, इनका कोई पार्टी खुलकर इनका समर्थन नहीं कर रही थी, वह जानती थीं कि इनका खुलकर समर्थन करना या इनकी फांसी रुकवाने में जनता के रोष का सामना करना पड़ेगा। 
अब बात करते हैं विकास दुबे की। ऐसा नहीं है कि विकास पहली बार पुलिस के हत्थे चढ़ा है, पहले जेल से क्यों बरी हुआ, इतने खूंखार बदमाश के खिलाफ कोई गवाही नहीं दे पाया। उस समय इन लोगों ने कोर्ट में खड़े होकर यह कहने का साहस क्यों नहीं किया कि यदि कोर्ट ने इस पर कोई सख्त कार्यवाही नहीं की, भविष्य में यह खूंखार रूप धारण कर सकता है, और एनकाउंटर में विकास के मारे जाने पर क्यों प्रश्न खड़े किए जा रहे हैं? 
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आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार जब तक विकास दुबे की गिरफ़्तारी नहीं हुई थी, कांग्रेस उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर संरक...
विकास दुबे की बात करें तो उसने 20 सालों में जिस तरह अपना सामराज्य फैलाया था जिसे देखते हुए अंदाजा लगाया जा सकता है कि उसके उपर कई नेताओं और अधिकारियों का हाथ था। अगर वो पकड़ा जाता और पूछताछ होती तो इन सभी नेताओं और अधिकारियों के नाम सार्वजनिक होते। लोगों को पता चलता कि ये अपराधी कैसे इतने बड़े बन जाते हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि विकास दुबे की मौत एक स्क्रिप्ट के तहत लिखी गई और उसे अंजाम दिया गया

कमलेश तिवारी हत्याकांड: कामरान के बाद अब सौदागरन मोहल्ला आया रडार पर, दाउद कनेक्शन भी आ रहा सामने


आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
जिस प्रकार कमलेश की हत्या के प्रकाश में आते नए-नए तार पैगेम्बर के विरुद्ध बयान नहीं कुछ और नहीं किसी षड़यंत्र के मातहत खेल खेला जा रहा है। जिस ओर केन्द्र और सभी राज्य सरकारों को वोट बैंक की तुच्छ राजनीति को त्याग देशहित में बहुत ही सतर्कता और गहन जाँच करनी चाहिए। इस बात की भी गहन जाँच होनी चाहिए कि अपने आपको मजलूम और गरीब बताने वाली कौम के पास फतवों के लिए कहाँ से इतना धन आता है? देशहित में सरकार को देश का सौहार्द बिगाड़ने वालों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही करनी चाहिए, चाहे वह किसी भी जाति, पार्टी अथवा सम्प्रदाय से हो। 
कमलेश के विरुद्ध बोलने वाले
अनवर शेख की पुस्तकों
को जरूर पढ़ें 
वोट के भूखे नेता आतंकवाद के विरुद्ध होती किसी सख्त कार्यवाही पर सरकार से सबूत मांगने वालों को अमेरिका से शिक्षा लेनी चाहिए, अमेरिकी फौज ने आईएसआईएस (ISIS) के सरगना बगदादी को मारे जाने पर किसी ने कोई सबूत नहीं माँगा। ये सबूत मांग वाले देश का सौहार्द बिगाड़ने वालों को राजनीतिक संरक्षण देते हैं। वोट के भूखे नेताओं का वोट बैंक हिन्दू देवी-देवताओं के विरुद्ध क्या भद्र टिप्पणी नहीं की, किसी हिन्दू ने सर कलम करने का फतवा नहीं दिया। प्रदर्शन और धरना आदि से विरोध किया, लेकिन खून-खराबे का फतवा नहीं दिया।  
कमलेश तिवारी हत्याकांड में हत्यारोपियों की मदद करने वालों की फेहरिस्त इतनी लंबी है कि आए दिन पुलिस किसी न किसी को गिरफ्तार कर रही है। इस कड़ी में अभी हाल में पुलिस ने पेशे से वकील नावेद और उसके 3 साथियों को गिरफ्तार किया। लेकिन अब खबर है कि एटीएस, एसटीएफ समेत तमाम जाँच एजेंसियों की नजर सौदागरन नाम के मोहल्ले पर है। मीडिया खबर के अनुसार यहाँ कादरी होटल से लेकर कई संगठन सक्रिय है, जिनपर कार्रवाई करने के लिए पुलिस उनके नाम और नंबर की लिस्ट जुटा रही है।
उल्लेखनीय है कि बीते दिनों नावेद की गिरफ्तारी के बाद मौलाना सैयद कैफी अली को भी एटीएस गिरफ्तार कर चुकी है। इसके अलावा अशफाक का फोन ट्रेन में रखकर पुलिस को भ्रमित करने वाले कामरान को भी जाँच में जुटी टीम ने गिरफ्तार कर लिया है। इसी तरह के तमाम खुलासे होने के बाद अब जाँच टीमों ने सौदागरान मोहल्ले की हर गतिविधि पर अपनी नजर टिकाई हुई है।
जानकारी के मुताबिक, खुफिया एजेंसियों ने ऐसे तमाम संगठन और मशहूर लोगों के नाम की सूची बनाकर उनके नंबर जुटाने शुरू कर दिए हैं, जिनसे मामले के संबंध में पूछताछ होनी है। कहा जा रहा है पुलिस इन लोगों से पूछताछ में उन नामों के बारे में पूछेगी, जिन्होंने बरेली में हत्यारों की हर मुमकिन मदद की।
कमलेश तिवारी हत्याकांड हालिया जाँच के दौरान पूरा नया मोड़ लेता नजर आ रहा है। दरअसल, जाँच एजेंसियों की रडार पर इस मोहल्ले के अलावा एक नया कोड वर्ड भी आया है, जिसे अभी तक ‘दाउद इब्राहिब’ की डी कंपनी से जुड़ा हुआ माना जा रहा है। न्यूज 18 की खबर के अनुसार हत्याकांड की जाँच में जुटी टीम इस संबंध में जल्द ही नया खुलासा कर सकती है।

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हिंदू समाज पार्टी के अध्यक्ष कमलेश तिवारी की दिन-दहाड़े गला रेत कर, गोली मार कर हत्या कर दी जाती है। हत्या करने वाले...


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अनवर शेख आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार स्मरण हो, जब मोदी सरकार अयोध्या में रामजन्मभूमि पर राममन्दिर बनाने…
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जाँच एजेंसियों ने अपनी जाँच में कुछ फोन कॉल ट्रेस किया है। जिसमें प्रमोद नाम का खुलासा हुआ। जिसके बाद बताया गया कि प्रमोद नाम का शख्स हकीकत में मुस्लिम समुदाय का है, जो देश से बाहर है और जाँच एजेंसियों से बचने के लिए हिंदू नाम का इस्तेमाल कर रहा है। प्रमोद के मिडिल ईस्ट कंट्री में होने की आशंका जताई जा रही है। वहीं जाँच एजेंसियों का दावा है कि वो जल्द ही प्रमोद नाम के कोड को डिकोड कर लेंगे और इस शख्स का असली नाम का पता लगा लेंगे।