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19 वर्ष पूर्व भी विकास दुबे का एनकाउंटर करने का प्रयास हुआ था

विकास दुबे और लल्लन वाजपेयी
विकास दुबे की हिट लिस्ट में थे लल्लन वाजपेयी (दाएँ)
गैंगस्टर विकास दुबे को 10 जुलाई की सुबह मार गिराया गया। उसे उज्जैन से गिरफ्तार किया गया था। कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या करने और उज्जैन पहुॅंचने से पहले वह फरीदाबाद में भी रुका था।
फरीदाबाद में उसको शरण देने के आरोप में अंकुर मिश्रा और उनके पिता श्रवण मिश्रा पहले ही गिरफ्तार किए जा चुके हैं। अब दैनिक जागरण के सुशील भाटिया ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया है कि कैसे विकास और उसके साथियों को मिश्रा के घर शरण मिली थी।
श्रवण मिश्रा की पत्नी शांति मिश्रा और बहू गुंजन मिश्रा के हवाले से रिपोर्ट में बताया गया है कि विकास उनका दूर का रिश्तेदार है। 6 जुलाई को वह अपने साथी प्रभात मिश्रा और अमर दुबे के साथ मिश्रा के घर में दाखिल हुआ था। चेहरे पर मास्क लगाए ये लोग जब उनके घर में घुसे तब घर के पुरुष सदस्य बाहर थे। महिलाओं ने उनसे जाने की गुजारिश की, लेकिन हथियार के बल पर उसने उन्हें बंधक बना लिया और उनके मोबाइल ले लिए। जब रात में अंकुर और श्रवण लौटे तो ये लोग उनके घर में ही थे।


रिपोर्ट में बताया गया है कि विकास ने श्रवण के पहचान पत्र ले लिए और अंकुर को अपने साथ लेकर होटल में कमरा बुक करने चला गया। वहीं इस दौरान प्रभात और अमर उनके घर ही रुके रहे। शांति और गुंजन ने उम्मीद जताई है कि विकास के एनकाउंटर में मारे जाने के बाद अंकुर और श्रवण जल्द बाहर आ जाएँगे। उन्होंने मामले की निष्पक्ष जॉंच की मॉंग भी उच्चाधिकारियों से की है।
उल्लेखनीय है कि अमर दुबे को 8 जुलाई को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया था। इसके बाद उसका वह बाप भी जिंदा पकड़ा गया था जो पॉंच साल से अपने मौत की अफवाह फैलाकर भूमिगत था
19 वर्ष पूर्व भी विकास दुबे का एनकाउंटर करने का प्रयास हुआ था 
इधर दैनिक भास्कर ने एक रिपोर्ट में दावा किया है कि विकास दुबे को 19 साल पहले भी एनकाउंटर में मार गिराने की तैयारी की गई थी। लेकिन वह बच गया था। यह दावा अमर उजाला की एक पुरानी रिपोर्ट और स्थानीय पत्रकारों के हवाले से किया गया है।
यह मामला तब का है जब विकास दुबे ने थाने में घुसकर संतोष शुक्ला की हत्या कर दी थी। शुक्ला को तत्कालीन राजनाथ सरकार में राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त था। इस मामले में उसके खिलाफ बाद में कोई गवाह नहीं मिले थे।
रिपोर्ट में एक पत्रकार के हवाले से बताया गया है कि तब के डीजीपी वीके गुप्ता ने विकास दुबे पर 50 हजार का इनाम घोषित कर कानपुर पुलिस को उसके एनकाउंटर के निर्देश दिए थे। उसकी तलाश में 120 पुलिसकर्मियों की टीम बनाई गई थी। बाद में जब उसके पकड़े जाने की खबर फैली तो आसपास के गॉंवों के लोगों ने थाने को घेर लिया था ताकि उसका एनकाउंटर न किया जा सके।
विकास दुबे की मौत के बाद शिवली के पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष लल्लन वाजपेयी चर्चा में आए हैं। साल 2002 में चुनावी रंजिश के चलते विकास दुबे ने लल्लन वाजपेयी पर हमला करवाया था। लेकिन उस कोशिश में भाजपा नेता संतोष शुक्ला मारे गए थे।
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कानपुर शूटआउट के बाद से ही मुख्य आरोपित विकास दुबे, जिसका आज(10 जुलाई 2020) की सुबह एनकाउंटर में जीवनलीला को विराम लग गय.....
विकास दुबे की मौत पर लल्लन वाजपेयी ने कहा, “आज ऐसा लग रहा है जैसे हम सदियों बाद स्वतंत्र हुए हों। एक आतंक युग का अंत और शांत युग का प्रारंभ हुआ है। शाम को संगीत की व्यवस्था भी की गई है।”
एसटीएफ ने अपने बयान में बताया है कि उज्जैन से लाते वक्त रास्ते में जानवरों को बचाने के चक्कर में वह गाड़ी पलट गई जिसमें विकास सवार था। एक पुलिसकर्मी की बंदूक छीन वह कच्चे रास्ते से भाग रहा था। इसी दौरान मुठभेड़ में वह मारा गया। कानपुर में 3 जुलाई को शूटआउट में आठ पुलिसकर्मी मारे गए थे। विकास दुबे इस घटना का मुख्य आरोपित था और इसके बाद से ही उसकी सरगर्मी से तलाश की जा रही थी।

उज्जैन से मिली मनोज यादव की कार, सपा से क्या है सम्बन्ध ? : विकास दुबे की गिरफ्तारी

विकास दुबे
कानपुर शूटआउट के बाद से ही मुख्य आरोपित विकास दुबे, जिसका आज(10 जुलाई 2020) की सुबह एनकाउंटर में जीवनलीला को विराम लग गया, के सपा-बसपा नेताओं के साथ संबंध को लेकर तथ्य सामने आते रहे हैं। उसकी पत्नी सपा से पंचायत चुनाव भी लड़ चुकी है। अब उज्जैन में यूपी रजिस्ट्रेशन वाली एक कार मिलने के बाद से फिर से सपा से उसके संबंधों को लेकर सोशल मीडिया में दावे किए जा रहे हैं।
उज्जैन से ही जुलाई 9, 2020 विकास दुबे को गिरफ्तार किया गया था। उसकी गिरफ्तारी के बाद यहॉं एक कार मिली है। यह कार हाई कोर्ट के वकील मनोज यादव के नाम पर रजिस्टर्ड है।
दावा किया जा रहा है कि इसी कार से विकास दुबे उज्जैन पहुॅंचा था। साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि मनोज यादव सपा से जुड़ा हुआ है।



अमर उजाला की रिपोर्ट के मुताबिक पड़ताल में अभी तक मालूम चला है कि यह कार मनोज यादव के नाम पर रजिस्टर्ड है। नंबर प्लेट पर हाईकोर्ट लिखा हुआ है।



सोशल मीडिया पर मनोज यादव को समाजवादी पार्टी का कार्यकर्ता बताया जा रहा है। हालाँकि इन दावों की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। मनोज यादव ने भी विकास के साथ किसी तरह के संबंधों को नकार दिया है।
दूसरी ओर, विकास दुबे की माँ ने मीडिया को दिए बयान में कहा है कि विकास सपा से जुड़ा हुआ है। अब पुलिस सभी पहलुओं पर गहराई से जाँच कर रही है।
मनोज यादव भी उज्जैन में ही था। दैनिक जागरण ने उसके हवाले से बताया है कि वह अपने साथी अधिवक्ता तेज बहादुर के साथ 2 जुलाई को लखनऊ से निकला था। बुधवार को उज्जैन पहुँचा और यहॉं एक होटल में ठहरा था। यूपी नंबर की गाड़ी देख पुलिस उसे पूछताछ करने के लिए थाने ले गई थी। उसने अपना नाम घसीटने और गाड़ी की तस्वीर वायरल करने वालों पर केस करने बात भी कही है।
लखनऊ में मनोज यादव की पत्नी से पूछताछ किए जाने की बात भी सामने आ रही है। उसकी पत्नी ने विकास दुबे के साथ परिवार के लोगों का संबंध होने से इनकार करते हुए कहा कि उसके पति काम के सिलसिले में बाहर गए हुए हैं।
विकास दुबे की गिरफ्तारी के बाद से उससे पूछताछ में उसने पुष्टि की है कि चौबेपुर थाने में कई पुलिस वाले उसकी मदद कर रहे थे।   
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आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार बीती 2 जुलाई की रात कानपुर के बिकरु गाँव में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या करने का आरोपित .....
उसने बताया है कि उन लोगों ने एनकाउंटर के डर से फायरिंग की थी। फायरिंग के बाद उनका इरादा पुलिसकर्मियों के शव को जलाकर सबूत मिटाने का था। विकास दुबे का कहना है कि उन्हें खबर मिली थी कि पुलिस सुबह आएगी। मगर, पुलिस सुबह की जगह रात में ही रेड करने आ गई।

कानपुर : विकास दुबे के एनकाउंटर पर विवाद क्यों?

एनकाउंटर विकास दुबे
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
बीती 2 जुलाई की रात कानपुर के बिकरु गाँव में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या करने का आरोपित और उत्तर प्रदेश का मोस्ट वांटेड गैंगस्टर विकास दुबे शुक्रवार (जुलाई 10, 2020) सुबह भागने की कोशिश करते हुए पुलिस एनकाउंटर में मारा गया।
किसी फिल्म की स्क्रिप्ट की तरह पुलिस ने एक बार फिर कहानी सुना दी कि विकास दुबे को लाने तीन गाड़ियां गई थी। कानपुर पहुंचने से एक गाड़ी पलट गई जिसमें विकास दुबे था। इस दौरान उसने भागने की कोशिश की और जिसके बाद मजबूरी में पुलिस को गोली चलानी पड़ी जिसमें विकास दुबे मारा गया
पुलिस का कहना है कि एसटीएफ की गाड़ी पलटते ही विकास ने घायल पुलिसकर्मियों का हथियार छीनकर भागने की कोशिश की और मारा गया। सवाल ये है कि क्या वाकई ये एनकाउंटर वैसा ही है जैसा यूपी पुलिस बता रही है? इस पूरे मामले में पुलिस ने पांच अपराधियों को मारा और सबको एनकाउंटर का नाम दिया, सबकी कहानी भी एक जैसी सुनाई। कहीं टायर खराब हुआ तो कहीं गाड़ी पलट गई और फिर अपराधी ने भागने की कोशिश की और मारा गया
एनकाउंटर में गंभीर रूप से घायल विकास को पुलिस अस्पताल लेकर गई है। जिसके बाद उसकी मौत हो गई। पुलिस की ओर से इसकी पुष्टि कर दी गई है।




झाँसी में रात करीब 3:15 बजे रक्सा बार्डर से एसटीएफ की टीम विकास दुबे को लेकर कानपुर के लिए रवाना हुई। लेकिन रास्ते में अचानक उत्तर प्रदेश एसटीएफ के काफिले की कार दुर्घटनाग्रस्त हो गई है। इस काफिले में कल ही मध्य प्रदेश के उज्जैन में गिरफ्तार मोस्ट वांटेड गैंगस्टर विकास दुबे सवार था।
विकास दुबे एनकाउंटर में मारा गया
रिपोर्ट के अनुसार, जिस गाड़ी में विकास दुबे सवार था, वह हादसे का शिकार हुई है। यह घटना बर्रा थाना क्षेत्र के पास की है। हादसे में कार पलट गई है जिसके बाद विकास दुबे ने भागने की कोशिश की और पुलिस एनकाउंटर में मारा गया।
गाड़ी पलटने के बाद विकास दुबे ने घायल यूपी एसटीएफ के पुलिसकर्मियों की पिस्टल छीन कर भागने की कोशिश की। जवाबी फायरिंग में गोली लगने से बुरी तरह घायल विकास दुबे की मौत हो गई।
विकास दुबे कल सुबह ही उज्जैन के महाकाल मंदिर परिसर में मिला था। 6 दिन की तलाश के बाद मध्य प्रदेश पुलिस उसे गिरफ्तार करने में कामयाब रही थी।
विकास दुबे एक अपराधी था जिसके सिर पर आठ पुलिसकर्मियों समेत कई लोगों की हत्या, हत्या की कोशिश जैसे केस दर्ज थे। लेकिन हमारी न्याय व्यवस्था में अपराधी को अदालत के जरिए सजा देने का प्रावधान है। सरेआम लोगों की हत्या करने वाले आतंकी आमिर अजमल कसाब को भी हमारे देश की न्यायिक व्यवस्था के जरिए ही फांसी दी गई। वैसे ही याकूब मैनन हो या फिर अफजल गुरू… पिछले दिनों निर्भया के दोषियों को भी पूरी न्यायिक प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही फांसी दी गई। इस तरह अपराधी को बिना अदालत में पेश किए सरेआम एनकाउंटर के नाम पर मार दिया जाता है तो ये हमारी न्यायिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर देगा
अजमल कसाब हो या फिर याकूब मेनन, अफ़ज़ल या फिर निर्भया के दोषी, इन अपराधियों की तुलना विकास से करना बेमानी होगी। निर्भया के एक अपराधी को दिल्ली में अरविन्द केजरीवाल की सरकार ने सिलाई की मशीन और धन से नवाजा जाने पर किसने विरोध किया, जनता ने फिर मुफ्त की हड्डियां चूसते हुए केजरीवाल के हाथों दिल्ली सौंप दी। यानि अपराधियों को जब राजनीतिक दल ही समर्थन दे रहे हों, फिर किस आधार पर एनकाउंटर पर प्रश्न किए जा रहे हैं? याकूब, अफ़ज़ल और अजमल का जहाँ तक सवाल है, इनका कोई पार्टी खुलकर इनका समर्थन नहीं कर रही थी, वह जानती थीं कि इनका खुलकर समर्थन करना या इनकी फांसी रुकवाने में जनता के रोष का सामना करना पड़ेगा। 
अब बात करते हैं विकास दुबे की। ऐसा नहीं है कि विकास पहली बार पुलिस के हत्थे चढ़ा है, पहले जेल से क्यों बरी हुआ, इतने खूंखार बदमाश के खिलाफ कोई गवाही नहीं दे पाया। उस समय इन लोगों ने कोर्ट में खड़े होकर यह कहने का साहस क्यों नहीं किया कि यदि कोर्ट ने इस पर कोई सख्त कार्यवाही नहीं की, भविष्य में यह खूंखार रूप धारण कर सकता है, और एनकाउंटर में विकास के मारे जाने पर क्यों प्रश्न खड़े किए जा रहे हैं? 
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आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार जब तक विकास दुबे की गिरफ़्तारी नहीं हुई थी, कांग्रेस उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर संरक...
विकास दुबे की बात करें तो उसने 20 सालों में जिस तरह अपना सामराज्य फैलाया था जिसे देखते हुए अंदाजा लगाया जा सकता है कि उसके उपर कई नेताओं और अधिकारियों का हाथ था। अगर वो पकड़ा जाता और पूछताछ होती तो इन सभी नेताओं और अधिकारियों के नाम सार्वजनिक होते। लोगों को पता चलता कि ये अपराधी कैसे इतने बड़े बन जाते हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि विकास दुबे की मौत एक स्क्रिप्ट के तहत लिखी गई और उसे अंजाम दिया गया

कांग्रेस गिरफ़्तारी का राजनीतिकरण क्यों कर रही है?

विकास दुबे कांग्रेस ब्राह्मण
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
जब तक विकास दुबे की गिरफ़्तारी नहीं हुई थी, कांग्रेस उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर संरक्षण देने की बात कर रही थी, लेकिन मध्य प्रदेश में हुई गिरफ़्तारी से तेवर बदल गए और जाति ढूंढ भाजपा मुख्यमंत्री पर ब्राह्मण विरोधी होने का आरोप लगाने में देरी नहीं की। कांग्रेस शायद यह भूल रही कि योगी स्वयं एक योगी है और एक योगी ब्राह्मण विरोधी कैसे हो सकता है? दूसरे, यह कि विकास ब्राह्मण होकर शातिर क्यों बना? 
कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या करने वाला मोस्टवॉन्टेड गैंगस्टर विकास दुबे को आखिरकार मध्य प्रदेश के उज्जैन में गिरफ्तार कर लिया गया है। आज बृहस्पतिवार (जुलाई 09, 2020) सुबह ही ख़बरों के मुताबिक़ वह उज्जैन के महाकाल मंदिर में दर्शन करने के लिए भीतर दाख़िल हो रहा था तभी उसे मंदिर के एक सुरक्षाकर्मी ने पहचाना। जिसके बाद उसने इस मामले की सूचना पुलिस को दी। 
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस समय मध्य प्रदेश पुलिस गैंगस्टर विकास दुबे से अज्ञात जगह पर पूछताछ कर रही है। अदालत से रिमांड मिलने के बाद उसे उत्तर प्रदेश पुलिस को सौंप दिया जाएगा।
गिरफ्तारी के दौरान पूरे घटनाक्रम के तमाम वीडियो सामने आए। एएनआई द्वारा साझा किए गए इस वीडियो में कुछ बातें मोटे तौर पर समझ आती हैं। गिरफ्तारी के ठीक बाद उसने अपनी पहचान बताई। इस घटना का एक वीडियो है, जिसमें पुलिस उसे पकड़ कर ले जा रही है। तभी वह चिल्ला कर कहता है, “मैं विकास दुबे हूँ, कानपुर वाला।” ऐसा कहने के ठीक बाद पीछे खड़े पुलिसकर्मी ने उसे एक थप्पड़ भी मारा और शांत रहने के लिए कहा


पत्रकार बृजेश मिश्रा के वीडियो में इस गिरफ्तारी के घटनाक्रम का शुरुआती हिस्सा नज़र आता है। जिसमें महाकाल मंदिर के कई सुरक्षाकर्मी और पुलिस वाले विकास दुबे को पकड़ कर बाहर ले आ रहे हैं। इस वीडियो में विकास दुबे स्पष्ट तौर पर अकड़ कर चलता हुआ नज़र आ रहा है। इस वीडियो में पुलिसकर्मी उससे कुछ दूरी पर मौजूद हैं।  
घटनाक्रम के और भी कई वीडियो फेसबुक से लेकर ट्वीटर जैसे तमाम सोशल मीडिया मंच पर वायरल हो रहे हैं। इन वीडियो के माध्यम से एक बात साफ़ होती है और कई सवाल उठते हैं।
कांग्रेस गिरफ़्तारी का राजनीतिकरण क्यों कर रही है?
कांग्रेस के साथ कुछ अन्य राजनीतिक दल भी गैंगस्टर विकास दुबे की गिरफ्तारी को जातिवादी रंग में ढालकर आठ पुलिसकर्मियों की मौत पर भी राजनीतिक लाभ लेने का पूरा प्रयास कर रहे हैं। कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद ने इस पर ट्वीट में लिखा है कि जिस तरह से योगी सरकार विकास दुबे के प्रकरण को लेकर चल रही है, उससे ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार असली कहानी उजागर नहीं करना चाहती।
जितिन प्रसाद ने एनकाउंटर में मारे गए अमर दुबे के परिजनों की गिरफ्तारी का राजनीतिकरण करते हुए लिखा है कि दुबे गैंग के सदस्य के असहाय माता-पिता एवं 9 दिन पहले शादी हुई खुशी दुबे (अमर की विधवा) के उत्पीड़न से क्या होने वाला है?
जितिन प्रसाद ने ट्वीट किया है – “प्रभाकर मिश्रा जो हिरासत में था, उसकी मुठभेड़ दिखाकर एनकाउन्टर करना इस बात को दर्शाता है सरकार असली कहानी को छिपाने में लगी है ताकि बड़े चेहरे बेनकाब न हो जाए।” गौरतलब है कि विकास दुबे का सहयोगी अमर दुबे कल ही एनकाउंटर में मारा गया था और उसकी नौ दिन पहले ही शादी हुई थी।
इतना ही नहीं, जैसे ही विकास दुबे को पकड़ने के लिए UP पुलिस अभियान में जुटी, कांग्रेस के वॉट्सऐप ग्रुपों में योगी सरकार को ब्राह्मण-विरोधी बताने के लिए इसे आधार बनाया जा रहा था। जितिन प्रसाद ने तो यहाँ तक कह डाला था कि योगी सरकार के रहते हुए ब्राह्मणों पर अत्याचार बढ़े हैं।
इसी बीच विकास दुबे की गिरफ्तारी को लेकर मीडिया कई तरह के संदेह जता रही है। कुछ लोगों का मानना है कि विकास दुबे को पुलिस ने गिरफ्तार नहीं किया बल्कि विकास दुबे ने आत्मसमर्पण किया है। ऐसे में गैंगस्टर विकास दुबे की माँ का बयान आया है कि सरकार को जो उचित लगे उन्हें वही करना चाहिए।
एक वीडियो में गैंगस्टर विकास दुबे की माँ कहते सुनाई दे रही हैं – “इस टाइम तो वो सपा में है, भाजपा में है नहीं… सरकार को जो उचित लगे कार्रवाई करे।”

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गैंगस्टर विकास दुबे की गिरफ्तारी पर कहा, “मैं एमपी पुलिस को विकास दुबे की गिरफ्तारी के लिए बधाई देता हूँ। मैं लगातार उत्तर प्रदेश के अधिकारियों के संपर्क में हूँ और यूपी के सीएम आदित्यनाथ से भी बात की है। आगे की जाँच के लिए, उसे यूपी पुलिस को सौंप दिया जाएगा। दोनों राज्यों की पुलिस समन्वय में काम करेंगी।”
वहीं, विकास दुबे के परिवार के करीबियों का कहना है कि गैंगस्टर विकास दुबे नास्तिक था और वह मंदिर में सिर्फ सिर्फ इस कारण से छुपा था ताकि पुलिस मंदिर में गोली ना चलाए और वह ज़िंदा बच सके।




महाकाल मंदिर के पुजारी आशीष का भी कहना है कि पुलिस द्वारा एनकाउंटर में मारे जाने के डर से विकास दुबे आत्मसमर्पण करना चाहता था। पुजारी के अनुसार मंदिर परिसर पहुँचने के बाद विकास दुबे अपने बारे में बताने लगा था।
विकास दुबे की गिरफ्तारी को लेकर मीडिया के एक वर्ग का अभी तक मानना है कि पुलिस की कार्रवाई उनकी समझ से परे है। मीडिया का यह वर्ग यकीन ही नहीं कर पा रहा है कि विकास दुबे पकड़ लिया गया है। मीडिया का यह वर्ग अभी तक यह समझने की कोशिश कर रहा है कि आखिर विकास दुबे की गिरफ्तारी में वो कौन सा कोण अपने लायक तलाश सकते हैं।
उत्तर प्रदेश के कानपुर में पकड़ने गई टीम के 8 पुलिसवालों की हत्या के मामले में वांछित अपराधी विकास दुबे की गिरफ्तारी से पहले उसका बिकरु गाँव स्थित मकान ढहा दिया गया था। इसके साथ ही विकास के मकान में खड़े ट्रैक्टर सहित 60 लाख की कीमत वाली दो एसयूवी गाड़ियाँ भी तोड़ दी थीं।
एक बात साफ़ है कि जिस तरह का अपराध उसने किया है, उसे लेकर उसके ज़हन में कोई मलाल नहीं है। दूसरा क्या यह आत्मसमर्पण था? एक दिन पहले तक विकास दुबे की असल लोकेशन फ़रीदाबाद थी, ख़बर राजस्थान जाने की भी थी? पुलिस हाई एलर्ट पर थी, ऐसे में विकास दुबे मध्य प्रदेश के उज्जैन तक कैसे पहुँचा?