
जस्टिस सीकरी ने कहा है कि ज्वाइंट सेक्रेटरी और ऊपर के अधिकारियों की ट्रांसफर व पोस्टिस एलजी करेंगे जबकि ग्रेड 3, 4 के अधिकारियों की ट्रांसफर व पोस्टिंग सीएम ऑफिस करेगा. अगर कोई मतभेद होता है तो एलजी के विचार को तरजीह दी जाएगी. दो जजों की बेंच में शामिल जस्टिस अशोक भूषण ने कहा सर्विसेज केंद्र के पास रहेगा.

पहली नजर में ये फैसला केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली की सरकार के लिए झटका लग रहा है, क्योंकि प्रदेश के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सरकार ने जिस सबसे अहम अधिकार की मांग की थी वो उसे नहीं मिला है. जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण की पीठ हालांकि भ्रष्टाचार निरोधक शाखा, जांच आयोग गठित करने, बिजली बोर्ड पर नियंत्रण, भूमि राजस्व मामलों और लोक अभियोजकों की नियुक्ति संबंधी विवादों पर अपने विचारों पर सहमत रही. शीर्ष अदालत के इस फैसले को आम आदमी पार्टी ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. पार्टी ने कहा कि इसमें कोई स्पष्टता नहीं है, दिल्ली के लोग परेशान होते रहेंगे. आइए हम 10 प्वाइंट्स में आपको इस फैसले के बारे में बताते हैं….
1. सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ की इस सवाल पर अलग-अलग राय है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सेवाओं पर नियंत्रण किसके पास हो
2. सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी में सेवाओं के नियंत्रण पर अपना खंडित फैसला वृहद पीठ के पास भेज दिया है
3. दो सदस्यीय पीठ भ्रष्टाचार रोधी शाखा, राजस्व, जांच आयोग और लोक अभियोजक की नियुक्ति के मुद्दे पर सहमत हुई.
4. शीर्ष अदालत ने केंद्र की इस अधिसूचना को बरकरार रखा कि दिल्ली सरकार का एसीबी भ्रष्टाचार के मामलों में केंद्र के कर्मचारियों की जांच नहीं कर सकता.
5. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र के पास जांच आयोग नियुक्त करने का अधिकार होगा.
6. बहरहाल, दिल्ली सरकार के पास बिजली आयोग या बोर्ड नियुक्त करने या उससे निपटने का अधिकार मिल गया है.
7. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उपराज्यपाल के बजाय दिल्ली सरकार के पास लोक अभियोजकों या कानूनी अधिकारियों को नियुक्त करने का अधिकार होगा.
8. भूमि राजस्व की दरें तय करने समेत भूमि राजस्व के मामलों को लेकर अधिकार दिल्ली सरकार के पास होगा.
9. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उपराज्यपाल को अनावश्यक रूप से फाइलों को रोकने की जरुरत नहीं है.
10. राय को लेकर मतभेद होने की स्थिति में फाइलों को राष्ट्रपति के पास भेजा जाना चाहिए.
केंद्र के पक्ष में फैसले
दिल्ली सरकार बनाम एलजी मामले में अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने 6 मामलों पर फैसला दिया. इनमें से 4 फैसले केंद्र के पक्ष में रहे. एंटी करप्शन ब्यूरो, ग्रेड 1 व ग्रेड 2 के अधिकारियों के ट्रांसफर, पोस्टिंग का अधिकार और जांच आयोग गठित करने का अधिकार केंद्र सरकार के अधिकार में रहेगा.
Supreme Court refers the issue to a larger bench to decide whether the Delhi government or Lieutenant Governor should have jurisdiction over ‘Services’ in Delhi.
दिल्ली सरकार को मिले ये अधिकार
अश्विनी उपाध्याय ने बताया कि इलेक्ट्रिसिटी डिपार्टमेंट, रेवेन्यू डिपार्टमेंट, ग्रेड 3 और ग्रेड 4 के अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग का अधिकार दिल्ली सरकार के अधीन रहेगा. मतभेद की स्थिति में एलजी के विचार को तरजीह मिलेगी.
दिल्ली सरकार करेगी स्पेशल पब्लिक प्रॉसीक्यूटर की नियुक्ति
शीर्ष अदालत के फैसले के तहत स्पेशल पब्लिक प्रॉसीक्यूटर की नियुक्ति का अधिकार दिल्ली सरकार के पास रहेगा. वहीं, एंटी-करप्शन ब्रांच केंद्र के अधीन रहेगी क्योंकि पुलिस केंद्र के पास है. रेवेन्यू पर एलजी की सहमति लेनी होगी. इलेक्ट्रिसिटी मामले में डायरेक्टर की नियुक्ति सीएम के पास होगी.
जमीन का मामला दिल्ली सरकार के पास
सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कहा गया है कि जमीन से जुड़े मामले दिल्ली सरकार के नियंत्रण में रहेंगे। इसके मुताबिक दिल्ली सरकार जमीनों के रेट और मुआवजे की राशि तय कर सकती है। दिल्ली सरकार को राहत मिली है कि जमीनों का सर्किल सीएम ऑफिस के कंट्रोल में होगा।
क्या कहता है 2015 का नोटिफिकेशन?
गृह मंत्रालय की ओर से 21 मई 2015 को एक नोटिफिकेशन जारी किया था जिसमें सर्विस मैटर, पब्लिक ऑर्डर, पुलिस और भूमि से जुड़े मामले एलजी के अधिकार क्षेत्र में दिए गए थे. ब्यूरोक्रेट की सर्विस के मामले भी एलजी को दिए गए थे. केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार की कार्यकारी शक्तियों को सीमित कर दिया था.
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