आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
चलो देर आए, दुरुस्त आए। इतने वर्षों उपरान्त बाबरी मस्जिद पक्षकार इक़बाल अंसारी ने अयोध्या विवाद की असलियत से पर्दा हटा ही दिया। लेकिन अब जनता अंसारी और कांग्रेस दोनों से पूछना चाहती है, कि "इस विवाद में जिन हिन्दुओं की जानें गयीं और मन्दिरों को क्षति पहुंची, उसका कौन जिम्मेदार होगा?" अंसारी की आवाज़ पहले क्यों नहीं निकली? इससे पहले तो अंसारी खुद भी खूब मालपुए खा रहे थे, लेकिन केन्द्र और प्रदेश में सख्त प्रशासक के होने से इतने वषों बाद सच्चाई सामने आयी।
ज्ञात हो, जब प्रधानमन्त्री चन्द्रशेखर इस विवाद को समाप्त करने वाले ही थे कि कांग्रेस के समर्थन से चल रही चंद्रशेखर सरकार से राजीव गाँधी ने समर्थन वापस लेकर, सरकार गिरा दी थी। क्योकि चंद्रशेखर ने मुख्य न्यायधीश को प्रधानमन्त्री आवास पर बुलाकर कहा था कि "मुझे रामजन्मभूमि पर अब फैसला चाहिए, तारीख नहीं। " और राजीव गाँधी से यह बर्दाश्त नहीं हुआ। जबकि हर राजनीतिक दल भलीभाँति सच्चाई जानता है, लेकिन कांग्रेस सहित समस्त गैर-भाजपाई पार्टियाँ अपने वोट बैंक को सेधने के चक्कर में अयोध्या मसले को सुलझाने की बजाए विवादित बनाते रहे। पुरुषोत्तम श्रीराम और रामसेतू को लेकर उल्टा-पुल्टे बयान देते रहे, परन्तु अब जब विवाद पैदा करने वालों की असलियत सामने आ गयी है, कांग्रेस, समाजवादी, बसपा, वामपंथी और अन्य दलों की मानसिकता भी जगजाहिर हो गयी है यानि साम्प्रदायिक न भाजपा है, न आरएसएस है और न ही कोई अन्य हिन्दू संगठन, बल्कि इनके विरोधी स्वयं साम्प्रदायिक हैं। इससे बड़ा प्रमाण और क्या हो सकता है।
अंसारी ने उगल दी सच्चाई
अयोध्या विवाद में बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी ने कांग्रेस पर हमला बोला है। अंसारी ने कहा है कि कांग्रेस की वजह से अयोध्या विवाद हल नहीं हो पाया। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने हमेशा हिंदू-मुस्लिमों को लड़ाया है। उन्होंने कहा कि अयोध्या विवाद कांग्रेस की ही देन है। अयोध्या में प्रियंका गांधी सिर्फ राजनीति कर रही हैं। वह वहां केवल राजनीति करने गई हैं. दर्शन पूजा का कोई राजनीतिक फायदा नहीं होगा।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा उत्तर प्रदेश दौरे पर हैं और दौरे के तीसरे दिन वह अयोध्या पहुंची हैं।अमेठी के मोहनगंज पहुंची कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी का कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने फूल मालाओं से स्वागत किया। जानकारी के मुताबिक, प्रियंका गांधी हनुमानगढ़ी के दर्शन कर वहां पूजन करेंगी, लेकिन रामलला के दर्शन नहीं करेंगी। प्रियंका गांधी हनुमानगढ़ी में महंत ज्ञानदास से भी मुलाकात करेंगीं। इस मुलाकात में महंत ज्ञानदास राम मन्दिर पर चर्चा करेंगे। आपको बता दें कि प्रियंका गांधी से पहले प्रधानमंत्री पण्डित जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राहुल गांधी ने भी हनुमानगढ़ी अयोध्या के राजा हनुमान जी का दर्शन कर आशीर्वाद लिया है।
उल्लेखनीय है कि सर्वोच्च न्यायालय ने बीते 8 मार्च को राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद अयोध्या विवाद मामले को बातचीत के जरिए सुलझाने के लिए तीन सदस्यीय समिति से मध्यस्थता कराए जाने का आदेश दिया। इस समिति के अध्यक्ष सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एफ.एम.आई. कलीफुल्ला हैं और उनके साथ आर्ट ऑफ लीविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर व वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू इसके सदस्य हैं। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित तीन सदस्यीय पैनल ने बीते 13 मार्च को बाबरी मस्जिद-रामजन्मभूमि विवाद को सुलझाने के लिए बुधवार को अपनी पहली बैठक फैजाबाद में की। अवध विश्वविद्यालय परिसर में गेस्ट हाउस की ओर जाने वाले मार्ग पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने अपने आदेश में कहा था, "हमने विवाद की प्रकृति पर विचार किया है।इस मामले में पक्षकारों के बीच सर्वसम्मति की कमी के बावजूद, हमारा विचार है कि मध्यस्थता के जरिए विवाद को सुलझाने का एक प्रयास किया जाना चाहिए।"
मुस्लिम वादकारियों ने मध्यस्थता पर सहमति जताई थी, लेकिन हिंदू वादकारियों ने इसका विरोध किया।हिंदू पक्ष ने कहा था कि उनके लिए भगवान राम का जन्मस्थान निष्ठा व मान्यता का विषय है और वे इस मध्यस्थता में विपरीत स्थिति में नहीं जा सकते।
अवलोकन करें:-
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपने 2010 के फैसले में विवादित स्थल को तीन समान भागों में बांटा है, जिसमें निर्मोही अखाड़ा, रामलला व सुन्नी वक्फ बोर्ड प्रत्येक को एक-एक भाग दिया है।
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