दिल्ली : कांग्रेस के साथ आम आदमी पार्टी का नहीं हो सका गठबंधन

2014 में पाक्षिक को सम्पादित
करते आमुख रपट 
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन को लेकर चल रही कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की बातचीत बेनतीजा रही। कांग्रेस के साथ गठबंधन को लेकर आम आदमी पार्टी के सीनियर नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने अप्रैल 10 को कहा कि कांग्रेस गठबंधन के पक्ष में नहीं है। इससे पता चलता है कि कांग्रेस बीजेपी को फायदा पहुंचाना चाहती है। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी दिल्ली में अकेले सातों सीटों पर चुनाव लड़ेगी और जीतेगी।
संजय सिंह ने कहा कि पंजाब में हमारे पास चार सांसद और 20 विधायक हैं। कांग्रेस वहां सीट शेयर करना नही चाहती है। यही हालात हरियाणा, गोवा और चंडीगढ़ में है। दिल्ली में कांग्रेस के पास एक भी एमएलए नहीं है ना ही एमपी है। वे तीन सीटें मांग रहे हैं। इसलिए नहीं गठबंधन संभव नहीं है।
मजेमजे की बात यह है कि जिस कांग्रेस की  तत्कालीन अध्यक्षा सोनिया गाँधी ने अपनी राष्ट्रीय सलाहकार समिति के सदस्यों को आम आदमी पार्टी के रूप में लोकसभा चुनाव 2014 में मनोनीत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लहर को रोकने मैदान में उतारा था, आज वही पार्टी कांग्रेस को आँख दिखा रही है। सर्वप्रथम, केजरीवाल, सिसोदिया और योगेन्द्र यादव आदि के एनजीओस का लाभ दामिनी काण्ड के दौरान कर, कांग्रेस ने संसद में चल रहे घोटालों की सरगर्मी से ध्यान हटाने के लिए इन सबका भरपूर प्रयोग किया। अपने इस प्रयोग के  सफल होने पर मोदी लहर को रोकने के लिए इन्हे राजनीति पार्टी के रूप में मैदान में उतार दिया। चुनावों में इस नवोदित पार्टी ने योजनावृद्ध कांग्रेस की भरपूर आलोचना कर जनता को भ्रमित करने में सफल तो हो गयी, लेकिन मोदी लहर को रोकने में पूर्णरूप से असफल रही, परन्तु तब से लेकर आज तक भाजपा से अधिक कांग्रेस के गर्भ से निकली आम आदमी पार्टी ही नुकसान पहुंचा रही है। कांग्रेस को होते नुकसान को देख, कांग्रेस बुद्धिजीवियों ने इसे गुप्त सहयोग देने से मना किया, लेकिन विनाश काले विपरीत बुद्धि यानि सोनिया गाँधी पर कोई असर नहीं हुआ। मतलब चिकने घड़े पर जितना पानी डाल दो, एक बूंद नहीं टिकती, ठीक वही स्थिति बुद्धिजीवियों की सलाह का सोनिया पर हुआ। क्योकि सोनिया चुनाव परिणामों उपरान्त दूसरे खेल की व्यूरचना में व्यस्त थी, परन्तु खोदा पहाड़, निकला चूहा। यही कारण है कि इतने वर्ष जिस सोनिया की छत्रसाया में अपना यौवन सींचा, उसी सोनिया की कांग्रेस को आज वही पार्टी घास नहीं डाल रही। यूपीए के कार्यकाल में साथ रही पार्टियाँ कमोवेश कांग्रेस से समझौता कर रही हैं, लेकिन आम आदमी पार्टी नहीं। और इस दुर्गति के लिए गाँधी परिवार जिम्मेदार है।  
दूसरे, कांग्रेस के पतन का मुख्य कारण है कांग्रेस में बढ़ता चर्चों का वर्चस्व। जैसाकि सर्वविदित है की सोनिया गाँधी कैथोलिक ईसाई है, इसलिए कांग्रेस में अगर मिशनरीज का हस्तक्षेप होता है, कोई हैरानी की बात नहीं।  


AAP MP Sanjay Singh on alliance with Congress in Delhi: Congress is not in favour of alliance and it seems they want to benefit BJP. AAP will contest & win all seven seats in Delhi.
इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने अप्रैल 10 को प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष शीला दीक्षित से मुलाकात की। सूत्रों के मुताबिक यह बैठक करीब 45 मिनट तक चली। दिल्ली में गठबंधन को लेकर लंबे समय से बातचीत चल रही थी, अंतत: दोनों पार्टियां किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी।
अवलोकन करें:--
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