आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
लोकसभा चुनाव 2019 में धर्म और जाति के आधार पर वोट देने की बात चाहे हम कितना ही नकारते रहें, लेकिन कोई ना कोई धार्मिक संगठन या नेता धर्म या जाति के आधार पर वोट देने की अपील कर ही देता है।ताजा मामला मुसलमानों के धार्मिक संगठन जमात-ए-इस्लामी हिंद का समाने आया है। जमात-ए-इस्लामी हिंद ने मुसलमानों से धर्म के नाम पर वोट डालने की अपील की है।मुस्लिम संगठन ने चिट्ठी लिखकर अपील की है कि मुसलमान महागठबंधन को वोट करें।
अगर मुस्लिम समाज ने जमात की अपील अथवा फतवा को स्वीकारते गठबंधन को वोट दे भी दिया और उत्तर प्रदेश में गठबन्धन सभी सीटें जीत भी लें, तो क्या केन्द्र में सरकार बना सकता है गठबंधन। क्यों मुस्लिम समाज को बदनाम कर रहे हो। भाजपा को छोड़ कर कोई भी पार्टी पूर्ण बहुमत के लिए लड़ ही नहीं रही है। बहुमत के लिए 272 सीट चाहिए और कांग्रेस कुल 230 सीटो पर चुनाव लड़ रही है जबकि सपा 37, माया 38, लालू 20, ममता 42 सीटों पर, मतलब सरकार बनाने के लिए कोई चुनाव नही लड़ रहा सिर्फ भाजपा को बहुमत न मिले इसलिए चुनाव लड़ रहे हैं।
स्मरण हो, कुछ वर्ष पूर्व तक कांग्रेस दिल्ली जामा मस्जिद के तत्कालीन इमाम अब्दुल्ला बुखारी और देवबन्द से मुसलमानों को कांग्रेस के लिए वोट करने के फतवा जारी करवाती थी, अब कांग्रेस की उसी नीति को मायावती ने अपनाया है। सत्ता के गलियारों में चर्चा है कि निश्चित रूप से भाजपा को सत्ता से रोकने के लिए जमात को मोदी और योगी का मुस्लिम समाज को भय दिखाकर यह अपील करवाई गयी हो।

अब हिन्दुओं को नहीं समस्त देशवासियों को वोट देने से पूर्व निर्णय करना होगा कि "देश में साम्प्रदायिकता का जहर कौन फैला रहा है?" ये हैं जहरीले लोग जो आम मुसलमान को डरा-धमका कर मुख्यधारा से जुड़ने से रोकते हैं। धर्म-निरपेक्षता, समाजवाद और सौहार्द का चोला ओढ़कर देश को साम्प्रदायिकता की आग में झोंकते हैं।
क्या प्रधानमन्त्री जनधन योजना और अन्य योजनाओं का लाभ लेने वाले मुसलमान भी मोदी को वोट देने से डरेंगे? यदि हाँ, तो उन्हें इन योजनाओं से अपने नाम और बैंकों में खाते बंद देने चाहिए। आखिर ये नेता और संगठन कब तक समाज में जहर फैलाते रहेंगे। हकीकत यह है कि कांग्रेस, बसपा और सपा कभी धर्म-निरपेक्ष ही नहीं रहीं। मायावती पहले ही कह चुकी है "तिलक, तराज़ू और तलवार! इनको मारो जूते चार !!" और समाजवादी पार्टी के मुलायम सिंह अयोध्या में निहत्थे कारसेवकों पर गोलियाँ चलवा चुके हैं। कांग्रेस की तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गाँधी ने देश में गौ-हत्या का विरोध कर रहे साधु समाज पर गोलियाँ चलवा कर दिल्ली में पार्लियामेंट स्ट्रीट को साधुओं के खून से रंग दिया था। फिर भी कुर्सी के भूखे हिन्दू इन पार्टियों में घुस रहे हैं।
इस सन्दर्भ में अवलोकन करें:-
आखिरकार वह गैंग बाहर आ ही गया, जिसका इन्तजार था। समझ नहीं आ रहा था कि #metoo, #not in my name, #intolerance, #mob lynching, #award vapsi आदि गैंग कहाँ है, चुनावों की बिसात बिछ चुकी है, लेकिन ये गैंग पता नहीं कहाँ है? चलो देर आए, दुरुस्त आए। अपनी औकात दिखाने आ ही गए। इस गैंग को केवल सिक्के का एक ही पहलु दिखता है, दूसरा नहीं। जब तक ये गैंग सक्रीय रहेगा, भारत देश में सौहार्द रह ही नहीं सकता। इस गैंग को इस वीडियो को देख माफ़ी माँगनी चाहिए:
खत्म होना चाहिए हरा वायरस
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि ये वे लोग (महागठबंधन) हैं, जो मुस्लिम लीग जैसे हरे वायरस के साथ मिलकर देश को बर्बाद करना चाहते हैं। अब समय आ गया है कि इस हरे वायरस को सदैव के लिए खत्म किया जाना चाहिए।
हिन्दुओं के पास नहीं हैं विकल्प
सीएम योगी ने कहा कि जिस तरह बीएसपी प्रमुख मायावती ने मुस्लिमों के लिए वोट मांगे हैं. मुस्लिमों से कहा है कि वे सिर्फ गठबंधन के लिए वोट करें और अपना वोट बंटने न दें। अब हिंदुओं के पास भारतीय जनता पार्टी के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।
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