
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
आज नेताओं में इतना अधिक आक्रोश और संकुचित सोंच हो गयी है, कि इनके भाषण सुनने पर कई बार तो अब यह सोंचना पड़ता है कि बोलने वाला जनता हितैषी या कोई मवाली? जम्मू-कश्मीर में अब्दुल्ला परिवार और महबूबा मुफ़्ती अनुच्छेद 370 और 35A हटाए जाने के विरुद्ध भड़काऊ भाषण दे रहे हैं, तो जम्मू-कश्मीर से बाहर दूसरे नेता भी कम नहीं। क्या ऐसी अशोभनीय भाषा बोलने वाले नेताओं के हाथ देश अथवा प्रदेश की बाग़डोर देना हितकारी हो सकती है? क्यों नहीं ऐसे नेताओं का सामाजिक बहिष्कार किया जाए? जनता को चाहिए ऐसे नेताओं को एक भी वोट ना दी जाए।
आभास होता है कि मोदी विरोध में अधिकतर नेता अपना मानसिक संतुलन खो चुके हैं। भारत में चुनाव पहले भी होते थे, तब विरोधी केवल नीतिगत एवं तर्कपूर्ण तथ्यों पर लड़ाई लड़ते थे, परन्तु आज अब पिछले कुछ चुनावों से विरोधी अशोभनीय भाषा का इस्तेमाल कर पता नहीं किस संस्कृति का पालन कर भारतीय संस्कृति को ही नहीं, अपितु अपने माता-पिता एवं पूर्वजों को भी बदनाम कर, पता नहीं ऐसे नेता देश को किस पाताललोक में लेकर जा रहे हैं। प्रधानमंत्री का विरोध करने को बहुत मुद्दे हैं, लेकिन उस ओर किसी का लेशमात्र भी ध्यान नहीं। जिस तरह दिल्ली मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल का विरोध करने को दस-बीस नहीं हज़ारों कारण हैं, लेकिन कोई नहीं बोलता, क्योकि सभी नेताओं एवं पार्टियों का उसमे निजी स्वार्थ छुपा है, जिसे जनमानस समझ नहीं पाता।
अपने राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ बयान देते हुए आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने अप्रैल 8 को वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष जगनमोहन रेड्डी और टीआरएस के अध्यक्ष व तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव को 'मोदी का पालतू कुत्ते' कहा है। मचिलीपटनम में अप्रैल 8 को एक रैली को संबोधित करते हुए नायडू ने कहा, 'बेशर्म जगनमोहन रेड्डी कत्ते के बिस्किट खा रहे हैं। वह ये बिस्किट हमें भी बांट रहे हैं। जगनमोहन और केसीआर मोदी के पालतू कुत्ते हैं, जो एक बिस्किट के लिए अपने घुटनों पर बैठे रहेंगे। होशियार रहिए, जगन ये बिस्किट आपको भी देने की कोशिश करेंगे।'
चंद्रबाबू नायडू ने बीजेपी और टीआरएस पर वाईएसआर कांग्रेस पार्टी को फंड देने का आरोप भी लगाया और कहा कि करोड़ो रुपए खर्च करने के बाद भी राज्य में उन्हें वोट नहीं मिलेगा। चंद्रबाबू नायडू ने जगनमोहन रेड्डी को फंडिंग की बात करते हुए कहा, 'मोदी और केसीआर ने 1000 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। केसीआर तुमने ये पैसे क्यों खर्च किए? तुम अपने राज्य का पैसा हमारे यहां क्यों खर्च कर रहे हो। एक हजार करोड़ रुपए खर्च करने के बावजूद यहां से तुम्हें एक भी वोट नहीं मिलने वाला। हमारे लोग तुमसे बहुत नाराज हैं।'
गौरतलब है कि चंद्रबाबू नायडू ने ऐसे समय में ये विवादित टिप्पणी की है जब राज्य में लोकसभा चुनाव 2019 के लिए सियासी गर्मी उच्चतम स्तर पर है। 11 अप्रैल को आंध्र प्रदेश में लोकसभा और विधानसभा सीटों के लिए वोटिंग होने जा रही है। मतगणना 23 मई को होगी।
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