
आर.बी.एल.निगम
शीला दीक्षित कांग्रेस का बड़ा नाम था। उनको गांधी परिवार का काफी करीबी माना जाता रहा था। शीला दीक्षित कांग्रेस के उन कद्दावर नेताओं में शुमार थी जिनका संबंध राजीव गांधी से लेकर आज की कांग्रेस पीढ़ी राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ भी बहुत मधुर था।
जीवन परिचय
शीला दीक्षित का जन्म 31 मार्च 1938 को पंजाब के कपूरथला में एक खत्री परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी शुरूआती शिक्षा नई दिल्ली के कॉन्वेंट ऑफ जीसस एंड मैरी स्कूल से की थी। इसके बाद उन्होंने परास्नातक (एमए) इतिहास में दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाऊस से की थी। शीला दीक्षित का विवाह विनोद दीक्षित से हुआ था। विनोद दीक्षित भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी थे। शीला दीक्षित के दो बच्चे हैं- संदीप दीक्षित और लतिका सैयद। शीला दीक्षित भी शादी के बाद अपने ससुर के साथ राजनीति में सक्रिय हो गई।
राजनीतिक इंट्री
शीला दीक्षित ने राजनीति में कदम अपने ससुर की वजह से रखा था। शीला के पति विनोद दीक्षित के पिता उमा शंकर दीक्षित एक स्वतंत्रा सेनानी थे। उमा शंकर उत्तर प्रदेश के उन्नाव के रहने वाले थे। उन्होंने गणेश शंकर विद्यार्थी के साथ आजादी के आंदोलन में बढ़- चढ़कर हिस्सा लिया था। उमा शंकर दीक्षित कानपुर जिला कांग्रेस के सचिव थे। शीला दीक्षित भी शादी के बाद अपने ससुर के साथ राजनीति में सक्रिय हो गई।शीला दीक्षित की राजनीति में सक्रियता उस वक्त और ज्यादा बढ़ गई जब संजय गांधी कांग्रेस में युवाओं की फौज खड़ा चाहते थे।

शीला अपने पीछे दिल्ली के विकास की अनगिनत निशानियां छोड़ गई हैं। कहा जा सकता है कि मौजूदा दिल्ली की कल्पना शीला दीक्षित के बिना नहीं हो सकती।
शीला दीक्षित ने दिल्ली के मुख्यमंत्री(तत्कालीन मुख्य महानगर पार्षद) प्रो विजय कुमार मल्होत्रा और मदन लाल खुराना द्वारा दिल्ली के विकास के श्रीगणेश को रोका नहीं, बल्कि उसे और तेजी देकर, दिल्ली का नक्शा ही बदल दिया।
लगातार पंद्रह साल तक मुख्यमंत्री का गद्दी संभालने वाली देश की इकलौती महिला रहीं शीला दीक्षित के प्रशासनिक कौशल पर दलीय बंदिशें भी हावी नहीं हो सकीं। पांच साल केंद्र में विरोधी भाजपा की सरकार होने के बावजूद उन्होंने दिल्ली के विकास का पहिया थमने नहीं दिया। यह वही दौर था, जब दिल्ली की सबसे महत्वाकांक्षी योजना दिल्ली मेट्रो का पहिया ट्रैक पर आ रहा था। दिल्ली सरकार के तत्कालीन परिवहन मंत्री अजय माकन बताते हैं कि 24 दिसंबर 2002 को दिल्ली मेट्रो का उद्घाटन होना था। इससे हफ्ते भर पहले केंद्र सरकार ने मदन लाल खुराना को डीएमआरसी बोर्ड का चेयनमैन बना दिया। बतौर परिवहन मंत्री अजय माकन ने मुख्यमंत्री से इसके विरोध की सलाह दी। इस पर शीला दीक्षित ने कहा कि विकास के काम में सियासत नहीं करनी है। अभी दिल्ली की जरूरत मेट्रो है।
Sad to hear of the passing of Smt Sheila Dikshit, former Chief Minister of Delhi and a senior political figure. Her term in office was a period of momentous transformation for the capital for which she will be remembered. Condolences to her family and associates #PresidentKovind
Deeply saddened by the demise of Sheila Dikshit Ji. Blessed with a warm and affable personality, she made a noteworthy contribution to Delhi’s development. Condolences to her family and supporters. Om Shanti.
Former PM Manmohan Singh: I'm shocked to hear the sudden passing away of Smt #ShielaDixit. In her death the country has lost a dedicated Congress leader of the masses. People of Delhi will always remember her contribution to Delhi's development during her tenure as CM for 3 terms
एलिवेटेड रोड तैयार करवाने में दिखाया प्रशासनिक कौशल
कॉमनवेल्थ गेम्स से पहले बारापूरा नाले के ऊपर दिल्ली की पहली एलिवेटर रोड तैयार करवा ले जाना शीला दीक्षित के प्रशासनिक कौशल का ही कमाल था। हालांकि, जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम की तरफ की झुग्गी-बस्तियों को लेकर केंद्र की कांग्रेस सरकार इसके लिए पहले तैयार नहीं थी। वहीं, अक्षरधाम से पंजाबी बाग के लिए एलिवेटेड कॉरिडोर की रूपरेखा भी तैयार कर ली थी। इसके अलावा शांति वन से नोएडा तक सिग्नल फ्री कॉरिडोर, गाजीपुर व अप्सरा बॉर्डर, लक्ष्मी नगर चुंगी, धौला कुआं, जनकपुरी-मुकरबा चौक सिग्नल-फ्री कॉरिडोर जैसी विकास की अनगिनत निशानियां शीला दीक्षित अपने पीछे छोड़ गई हैं, जिससे दिल्लीवालों को जाम से निजात मिली और प्रदूषण में कमी लाने में भी मददगार साबित हुए।
Just now got to know about the extremely terrible news about the passing away of Mrs Sheila Dikshit ji. It is a huge loss for Delhi and her contribution will always be remembered. My heartfelt condolences to her family members. May her soul rest in peace
I’m devastated to hear about the passing away of Sheila Dikshit Ji, a beloved daughter of the Congress Party, with whom I shared a close personal bond.
My condolences to her family & the citizens of Delhi, whom she served selflessly as a 3 term CM, in this time of great grief.
My condolences to her family & the citizens of Delhi, whom she served selflessly as a 3 term CM, in this time of great grief.
Deeply pained to hear the sad and sudden demise of Sheila Dixit Ji Ex CM Delhi.. May God bless her soul and give her eternal peace..
Delhi will miss you Ma’am, u were a mother figure in my life...#RIPSheilaDixit
Delhi will miss you Ma’am, u were a mother figure in my life...#RIPSheilaDixit
केरोसिन फ्री दिल्ली के लिए केंद्र से किए दो-दो हाथ
शीला दीक्षित ने ही दिल्ली को केरोसिन फ्री करने की योजना तैयार की थी। वर्ष 2012 में लांच हुई इस योजना के तहत 3.5 लाख से ज्यादा गरीब परिवारों को एलपीजी कनेक्शन और चूल्हा दिया गया। दिल्ली सरकार में तत्कालीन खाद्य व आपूर्ति मंत्री हारून युसुफ बताते हैं कि जब वह इसका प्रस्ताव लेकर मुख्यमंत्री के पास गए तो वह एक पल में तैयार हो गईं। इसके लिए केंद्र के सहयोग की जरूरत थी। अगले दिन केंद्रीय मंत्री जयपाल रेड्डी के पास पहुंच गए, लेकिन वह इसके लिए तैयार नहीं हुए। इसके बाद वह तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी से मिलीं। तीनों के बीच इस पर लंबी चर्चा हुई। घंटे भर से ज्यादा की बातचीत के बाद प्रणब मुखर्जी इस पर तैयार हुए। आगे आई बाधाओं के बाद भी उन्होंने 2012 में योजना को लागू करवा लिया।
शीला दीक्षित ने ही दिल्ली को केरोसिन फ्री करने की योजना तैयार की थी। वर्ष 2012 में लांच हुई इस योजना के तहत 3.5 लाख से ज्यादा गरीब परिवारों को एलपीजी कनेक्शन और चूल्हा दिया गया। दिल्ली सरकार में तत्कालीन खाद्य व आपूर्ति मंत्री हारून युसुफ बताते हैं कि जब वह इसका प्रस्ताव लेकर मुख्यमंत्री के पास गए तो वह एक पल में तैयार हो गईं। इसके लिए केंद्र के सहयोग की जरूरत थी। अगले दिन केंद्रीय मंत्री जयपाल रेड्डी के पास पहुंच गए, लेकिन वह इसके लिए तैयार नहीं हुए। इसके बाद वह तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी से मिलीं। तीनों के बीच इस पर लंबी चर्चा हुई। घंटे भर से ज्यादा की बातचीत के बाद प्रणब मुखर्जी इस पर तैयार हुए। आगे आई बाधाओं के बाद भी उन्होंने 2012 में योजना को लागू करवा लिया।
दिल्ली को बनाया सांस्कृतिक राजधानी
दिल्ली का कायाकल्प करने के साथ शीला दीक्षित ने इसे देश की सांस्कृतिक राजधानी भी बनाया। दिल्ली प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष शर्मिष्ठा मुखर्जी के मुताबिक, मेरा राजनीति में आने के पहले से उनसे परिचय था। बतौर डांसर मेरे ऊपर उनका बहुत स्नेह रहा। उन्होंने दिल्ली में शास्त्रीय संगीत के कार्यक्रमों को सीरीज के तौर पर शुरू किया। वह हर कार्यक्रम में जातीं और पूरे वक्त लुत्फ उठाती थीं। कालाकारों को वह निजी तौर पर प्रोत्साहित करती थीं। पंद्रह दिन पहले उनसे मुलाकात हुई थी। मिलते ही उन्होंने कहा, अरे शर्मिष्ठा, डांस करना क्यों छोड़ दिया। उनकी सलाह थी संस्कृतिधर्मिता नहीं छोड़नी चाहिए।
दिल्ली का कायाकल्प करने के साथ शीला दीक्षित ने इसे देश की सांस्कृतिक राजधानी भी बनाया। दिल्ली प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष शर्मिष्ठा मुखर्जी के मुताबिक, मेरा राजनीति में आने के पहले से उनसे परिचय था। बतौर डांसर मेरे ऊपर उनका बहुत स्नेह रहा। उन्होंने दिल्ली में शास्त्रीय संगीत के कार्यक्रमों को सीरीज के तौर पर शुरू किया। वह हर कार्यक्रम में जातीं और पूरे वक्त लुत्फ उठाती थीं। कालाकारों को वह निजी तौर पर प्रोत्साहित करती थीं। पंद्रह दिन पहले उनसे मुलाकात हुई थी। मिलते ही उन्होंने कहा, अरे शर्मिष्ठा, डांस करना क्यों छोड़ दिया। उनकी सलाह थी संस्कृतिधर्मिता नहीं छोड़नी चाहिए।
दिल्ली की आबोहवा साफ रखने की दिशा में उठाया बड़ा कदम
21वीं सदी के मुहाने पर खड़ी दिल्ली की आबोहवा दमघोंटू हो चली थी। सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद दिल्ली में डीजल से चलने वाली डीटीसी बसों को सीएनजी में बदलने का फैसला लिया गया। शीला दीक्षित के मुख्यमंत्रित्व काल में 2001 में 2000 डीटीसी बसों की पहली खेप सड़कों पर आई। इसके बाद चरणबद्ध तरीके से डीटीसी के पूरे बेड़े को सीएनजी में बदल दिया गया। लो फ्लोर सीएनजी और वातानुकूलित बसों का संचालन शीला दीक्षित की देन है। प्रकृति प्रेमी दिवंगत मुख्यमंत्री दिल्ली की हरियाली बढ़ाने को लेकर भी सजग थीं।
21वीं सदी के मुहाने पर खड़ी दिल्ली की आबोहवा दमघोंटू हो चली थी। सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद दिल्ली में डीजल से चलने वाली डीटीसी बसों को सीएनजी में बदलने का फैसला लिया गया। शीला दीक्षित के मुख्यमंत्रित्व काल में 2001 में 2000 डीटीसी बसों की पहली खेप सड़कों पर आई। इसके बाद चरणबद्ध तरीके से डीटीसी के पूरे बेड़े को सीएनजी में बदल दिया गया। लो फ्लोर सीएनजी और वातानुकूलित बसों का संचालन शीला दीक्षित की देन है। प्रकृति प्रेमी दिवंगत मुख्यमंत्री दिल्ली की हरियाली बढ़ाने को लेकर भी सजग थीं।
बिजली वितरण व्यस्था का निजीकरण, 24 घंटे बिजली
शीला दीक्षित सरकार ने बिजली वितरण व्यवस्था का निजीकरण किया। इसके लिए तीन अधिकारियों की कमेटी की नियुक्ति की थी। इस पर सीधी निगरानी शीला दीक्षित की थी। निजीकरण के बाद राजधानी में बिजली की कटौती तकरीबन खत्म हो गई है। वहीं, प्रेषण व वितरण में होने वाला नुकसान भी काबू में आया।
शीला दीक्षित सरकार ने बिजली वितरण व्यवस्था का निजीकरण किया। इसके लिए तीन अधिकारियों की कमेटी की नियुक्ति की थी। इस पर सीधी निगरानी शीला दीक्षित की थी। निजीकरण के बाद राजधानी में बिजली की कटौती तकरीबन खत्म हो गई है। वहीं, प्रेषण व वितरण में होने वाला नुकसान भी काबू में आया।
राजनीतिक सफर
शीला दीक्षित का राजनीतिक सफर शानदार रहा और उन्होंने कांग्रेस पार्टी के अंदर बेहद अहम भूमिका निभाई। उन्होंने दिल्ली और केंद्र की सत्ता में भी योगदान दिया। राजनीतिक जीवन के अलावा शीला दीक्षित अपने निजी जीवन को लेकर भी तब सुर्खियों में आई थीं जब उन्होंने अपनी किताब 'सिटीजन दिल्ली: माय टाइम्स, माय लाइफ' में निजी जिंदगी के किस्सों का जिक्र किया था।
उन्होंने किताब अपने जीवन के बारे में खुलकर लिखा था। किताब में उन्होंने बताया था कि उनके पति विनोद दीक्षित ने उन्हें एक बस में शादी के लिए प्रपोज किया था और दोनों को एक दूसरे का जीवनसाथी बनने के लिए 2 साल का इंतजार भी करना पड़ा था। जिस समय विनोद दीक्षित से उनकी मुलाकात हुई तब शीला प्राचीन भारतीय इतिहास का अध्ययन कर रही थीं।
शीला अपनी किताब में लिखती हैं कि विनोद काफी अलग से थे और उनकी धारणा भी विनोद को लेकर अलग थी। शीला दीक्षित के अनुसार विनोद एक अच्छे क्रिकेटर थे। जब दोनों के दोस्तों के बीच प्रेम को लेकर विवाद हुआ था तो शीला और विनोद ने उसे सुलझाने में मदद की थी और इसी बहाने दोनों एक दूसरे के करीब आ गए थे।
100 रुपए वेतन में शीला दीक्षित ने की नौकरी
जब विनोद ने शीला को शादी के लिए प्रपोज किया था तो दोनों के माता पिता इस बात को लेकर आशंकित थे कि उनका गुजारा कैसे होगा। शीला ने मोतीबाग में एक दोस्त की मां के नर्सरी स्कूल में 100 रुपए के वेतन पर नौकरी की थी और इस दौरान पति विनोद आईएएस की तैयारी में लगे रहे थे। साल 1959 में विनोद का चयन भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में हो गया था। उन्होंने यूपी कैडर को चुना था।
जब विनोद ने शीला को शादी के लिए प्रपोज किया था तो दोनों के माता पिता इस बात को लेकर आशंकित थे कि उनका गुजारा कैसे होगा। शीला ने मोतीबाग में एक दोस्त की मां के नर्सरी स्कूल में 100 रुपए के वेतन पर नौकरी की थी और इस दौरान पति विनोद आईएएस की तैयारी में लगे रहे थे। साल 1959 में विनोद का चयन भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में हो गया था। उन्होंने यूपी कैडर को चुना था।
इंदिरा लहर में जीता चुनाव
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की मौत के बाद पूरे देश में कांग्रेस की लहर चल रही थी। इस दौरान कांग्रेस ने शीला दीक्षित को उत्तर प्रदेश के कन्नौज सीट से लोकसभा का टिकट दिया। शीला चुनाव यहां से जीतकर पहली लोकसभा की सांसद चुनी गई थी। इसी दौरान उन्होने महिलाओं की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र आयोग में प्रतिनिधित्व किया था।
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की मौत के बाद पूरे देश में कांग्रेस की लहर चल रही थी। इस दौरान कांग्रेस ने शीला दीक्षित को उत्तर प्रदेश के कन्नौज सीट से लोकसभा का टिकट दिया। शीला चुनाव यहां से जीतकर पहली लोकसभा की सांसद चुनी गई थी। इसी दौरान उन्होने महिलाओं की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र आयोग में प्रतिनिधित्व किया था।
इंदिरा गांधी के देहांत के बाद राजीव गांधी जब देश के प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने शीला दीक्षित को पहले संसदीय कार्य राज्यमंत्री और फिर पीएमओ का मंत्री बनाया था। साल 1998 में शीला दीक्षित को बीजेपी के लालबिहारी तिवारी ने लोकसाभा चुनाव हरा दिया। लेकिन इसके बाद सोनिया गांघी के हाथ पर पार्टी की कमान आई तो उन्होंने शीला दीक्षित को दिल्ली का सीएम उम्मीदवार घोषित किया।
पहली महिला मुख्यमंत्री
शीला दीक्षित 1998 से 2013 तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रही थी। वह ऐसी पहली महिला थी जो लगातार 15 वर्ष तक किसी राज्य
की मुख्यमंत्री रही थी। शीला दीक्षित के समय में राजधानी में मेट्रो, बीआरटी कॉरिडोर बनाया था। इसके साथ ही शीला दीक्षित ने दिल्ली को ग्रीन कैपिटल भी बनाया था।
शीला दीक्षित 1998 से 2013 तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रही थी। वह ऐसी पहली महिला थी जो लगातार 15 वर्ष तक किसी राज्य
की मुख्यमंत्री रही थी। शीला दीक्षित के समय में राजधानी में मेट्रो, बीआरटी कॉरिडोर बनाया था। इसके साथ ही शीला दीक्षित ने दिल्ली को ग्रीन कैपिटल भी बनाया था।
मृद भाषी
कांग्रेस की वरिष्ठ नेता शीला दीक्षित उन नेताओं की सूची में शामिल थी जो अपने बयानों को लेकर काम बल्कि अपने कामों की वजह से ज्यादा जानी जाती थी। उनके आम तौर पर सभी दल के नेताओं के साथ मधुर संबंध थे। वह बहुत मृद भाषी थी। शीला दीक्षित का जनता के साथ सीधा जुड़ाव था। आज भी जनता शीला दीक्षित के राजधानी दिल्ली में किए गए कामों को याद करती है।
कांग्रेस की वरिष्ठ नेता शीला दीक्षित उन नेताओं की सूची में शामिल थी जो अपने बयानों को लेकर काम बल्कि अपने कामों की वजह से ज्यादा जानी जाती थी। उनके आम तौर पर सभी दल के नेताओं के साथ मधुर संबंध थे। वह बहुत मृद भाषी थी। शीला दीक्षित का जनता के साथ सीधा जुड़ाव था। आज भी जनता शीला दीक्षित के राजधानी दिल्ली में किए गए कामों को याद करती है।
गांधी परिवार की करीबी
शीला दीक्षित गांधी परिवार की काफी खास थी। इंदिरा गांधी के देहांत के बाद जब उनका पार्थिव शव लेकर राजीव गांधी हवाई जहाज से कोलकाता से दिल्ली आ रहे थे, तो उस वक्त भी शीला उसी प्लेन में मौजूद थी। शीला दीक्षित का राजीव गांधी, सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी सभी के साथ हमेशा करीबी संबंध था।
शीला दीक्षित गांधी परिवार की काफी खास थी। इंदिरा गांधी के देहांत के बाद जब उनका पार्थिव शव लेकर राजीव गांधी हवाई जहाज से कोलकाता से दिल्ली आ रहे थे, तो उस वक्त भी शीला उसी प्लेन में मौजूद थी। शीला दीक्षित का राजीव गांधी, सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी सभी के साथ हमेशा करीबी संबंध था।
उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री चेहरा थी शीला दीक्षित
हालांकि 2013 में दिल्ली की सत्ता से हाथ धोने के बाद भी शीला दीक्षित का राजनीतिक कद कम नहीं हुआ। उनके राजनीतिक रसूक का अंदाजा इसी बात से लागाया जा सकता है कि पार्टी ने उन्हें केरल का राज्यपाल बनाकर भेज दिया। इसके बाद जब 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव होने थे तो पार्टी ने सीएम चेहरा भी घोषित किया, हालांकि उन्होंने सपा- कांग्रेस का गठबंधन होने के बाद बीच चुनाव में ही अपना नाम वापस ले लिया था।
हालांकि 2013 में दिल्ली की सत्ता से हाथ धोने के बाद भी शीला दीक्षित का राजनीतिक कद कम नहीं हुआ। उनके राजनीतिक रसूक का अंदाजा इसी बात से लागाया जा सकता है कि पार्टी ने उन्हें केरल का राज्यपाल बनाकर भेज दिया। इसके बाद जब 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव होने थे तो पार्टी ने सीएम चेहरा भी घोषित किया, हालांकि उन्होंने सपा- कांग्रेस का गठबंधन होने के बाद बीच चुनाव में ही अपना नाम वापस ले लिया था।
राज्य कांग्रेस की चीफ थी शीला दीक्षित
कांग्रेस को जब भी शीला दीक्षित की जरूरत पड़ी वह हमेशा पार्टी के लिए तैयार रही। चाहे वह 1998 में दिल्ली में कांग्रेस को सत्ता दिलाने की रही हो या फिर 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान दिल्ली प्रदेश कांग्रेस की कमान। शीला ने हमेशा पार्टी के लिए बढ़- चढ़कर काम किया। कांग्रेस ने दिल्ली में आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए शीला दीक्षित को 10 जनवरी 2019 को प्रदेश अध्यक्ष बनाया था।
कांग्रेस को जब भी शीला दीक्षित की जरूरत पड़ी वह हमेशा पार्टी के लिए तैयार रही। चाहे वह 1998 में दिल्ली में कांग्रेस को सत्ता दिलाने की रही हो या फिर 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान दिल्ली प्रदेश कांग्रेस की कमान। शीला ने हमेशा पार्टी के लिए बढ़- चढ़कर काम किया। कांग्रेस ने दिल्ली में आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए शीला दीक्षित को 10 जनवरी 2019 को प्रदेश अध्यक्ष बनाया था।
शीला दीक्षित पहली बार दिल्ली विधानसभा के लिए 1998 में गोल मार्केट निर्वाचन क्षेत्र से चुनी गई थी। वह यहां से 10 साल विधायक रही। इसके बाद वह 2008 में नई दिल्ली विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर विधायक बनी। इस दौरान शीला दीक्षित को उनके कामों के लिए कई संस्थानों ने सम्मानित भी किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शीला दीक्षित के निधन पर गहरा दुख जताते हुए उनके साथ अपनी एक पुरानी तस्वीर को ट्वीट करते हुए लिखा, 'शीला दीक्षित जी के निधन से गहरा दुख हुआ हैष मिलनसार व्यक्तित्व के साथ उन्होंने दिल्ली के विकास में उनका उल्लेखनीय योगदान हमेशा याद रहेगा। उनके समर्थकों और परिवजनों के प्रति मेरी संवेदनाएं।'
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी दिल्ली शीला दीक्षित के निधन पर दुख जताते हुए ट्वीट कर कहा, 'अभी अभी श्रीमती शीला दीक्षित जी के निधन की बेहद दुखद खबर के बारे में पता चला है। यह दिल्ली के लिए बहुत बड़ी क्षति है और उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। उनके परिवार के सदस्यों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना। उनकी आत्मा को शांति मिले।
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