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आज हेमंत करकरे पर जो प्रहार हो रहे हैं, 2013 से ही एटीएस निशाने पर थी, लेकिन किसी मीडिया ने तत्कालीन यूपीए सरकार के डर से उजागर करने का साहस नहीं किया था। |

मुंबई 26/11 के हमलों में पाकिस्तानी आतंकवादियों की गोलियों का शिकार हुए शहीद हेमंत करकरे को लेकर फिर जबरदस्त बयान दिया गया है। इस बार यह बयान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार ने दिया है। इंद्रेश कुमार ने जुलाई 27 को भोपाल में कहा कि मुंबई आतंकी हमलों में शहीद हुए पुलिस अधिकारी हेमंत करकरे का बतौर शहीद सम्मान तो किया जा सकता है, लेकिन प्रज्ञा सिंह ठाकुर के साथ उन्होंने जो अत्याचार किया, उसे सही नहीं ठहराया जा सकता। कुमार ने कहा कि महाराष्ट्र के पूर्व एटीएस चीफ ने जिस तरह की अमानवीयता की, उसके बाद भी प्रज्ञा ठाकुर ने उनको लेकर दिया गया बयान बदल लिया, यह बड़ी बात है।
अब सांसद बनने पर साध्वी प्रज्ञा को इस मुद्दे को संसद में उठाकर इस्लामिक आतंकवाद को बचाने की खातिर हिन्दुओं को अपमानित करने वालों को बेनकाब करना चाहिए। उन्हें किस-किस तरह प्रताड़ित किया गया था, संसद को बताना चाहिए।
आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार ने शहीद हेमंत करकरे को लेकर दिए गए बयान के जरिए तत्कालीन कांग्रेस सरकार पर भी निशाना साधा।उन्होंने कहा कि तत्कालीन सरकार ने सुरक्षा एजेंसियों का बेजा इस्तेमाल किया। शहीद हेमंत करकरे को लेकर दिए अपने बयान में इंद्रेश कुमार ने कहा है, ‘महाराष्ट्र के पूर्व एटीएस प्रमुख आतंकवादियों की गोलियों से मारे गए, इस नाते वह शहीद हैं और उनका सम्मान होना चाहिए। हालांकि तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने जिस तरह "भगवा आतंकवाद" और "हिन्दू आतंकवाद" के नाम पर सुरक्षा एजेंसियों का बेजा इस्तेमाल कर एक महिला (भोपाल सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर) को प्रताड़ित किया, यह भी गौर किया जाना चाहिए।’ इंद्रेश कुमार ने यह भी आरोप लगाया कि शहीद हेमंत करकरे ने प्रज्ञा सिंह ठाकुर को टॉर्चर किया।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ नेता ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, ‘हेमंत करकरे ने प्रज्ञा सिंह ठाकुर को टॉर्चर किया। उनके साथ अमानवीयता से पेश आए, फिर भी प्रज्ञा ने मानवता दिखाई। प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने हेमंत करकरे के खिलाफ बयान दिया, लेकिन बाद में उसमें बदलाव कर लिया। यह प्रज्ञा ठाकुर की मानवता को दिखाता है।’
इस कटु सच्चाई से कोई इंकार नहीं कर सकता कि "भगवा आतंकवाद" और "हिन्दू आतंकवाद" के नाम पर इस्लामिक आतंकवादियों को बचाने के लिए बेकसूर हिन्दू साधु-संत और साध्वियों को जेलों में डालकर अमानवीय रूप से प्रताड़ित किया जा रहा था, यदि उसका .00000001 प्रतिशत भी कसाब या दूसरे पकडे गए आतंकवादियों के साथ किया होता, सारे मानवाधिकार वाले, #pseudo secularists, #not in my name आदि गैंग सड़क से लेकर संसद और संसद से लेकर यूएनओ तक आसमान को सिर पर उठा लिया होता। लेकिन तत्कालीन यूपीए सरकार मीडिया सहायता से विश्व में "हिन्दू आतंकवाद" और "भगवा आतंकवाद" के नाम पर हिन्दुओं को अपमानित कर रही थी, और हिन्दू समाज मुँह में दही जमाए चुपचाप बैठ विश्वास कर रहा था। समय चक्र ऐसा घुमा कि सच्चाई सामने आने पर हिन्दू विरोधियों की नींद, रोटी और पानी हराम हो गयी है।
2012 में सेवानिर्वित होने उपरान्त एक हिन्दी पाक्षिक को सम्पादित करते जो कुछ भी प्रकाशित किया, आज एक-एक शब्द सत्यापित हो रहा है। एक निष्पक्ष कलम के सिपाही का यही उद्देश्य होता है। 80 के दशक से लेकर आज तक अपने लेखन में बदलाव नहीं किया, जिस तरह आज मीडिया ने किया हुआ है, 2014 में मोदी सरकार बनने से पूर्व जो मीडिया अपनी टीआरपी बढ़ाने के लिए, मोदी और हिन्दू संगठनों पर प्रहार कर रही थी, आज वही 80 प्रतिशत मीडिया फूल बरसा रही है।
अवलोकन करें:-
साध्वी को जबरदस्ती आतंकवाद का आरोप स्वीकार करवाने के लिए जिस तरह उन्हें और अन्य बेकसूरों को प्रताड़ित किया गया था, काश ऐसी प्रताड़ना किसी मुस्लिम के साथ हुई होती, #metoo, #intolerance, #not in my name, #mob lynching, #award vapsi आदि आदि जितने भी गैंग हैं, सबके सब सडकों पर आकर हेमंत करकरे के विरुद्ध प्रदर्शन कर उनको ऐसा निर्दयी निर्देश करने वालो को फांसी की माँग कर रहे होते। आधी रात को अदालतें खुलवा दी जाती। परन्तु, अफ़सोस, यह प्रताड़ना किसी मुस्लिम के साथ नहीं बल्कि एक हिन्दू के साथ हुई। आतंकवादियों को खूब बिरयानी खिलाई जाती थी, और बेकसूरों को बेल्टों से पिटाई और भूखा रखा जाता था?
काश! आज हेमंत जीवित होते, बताते प्रताड़ित करवाने वालों के नाम
हिन्दू धर्म तो मृतात्माओं का सम्मान करने को कहता है। रावण की मृत्यु के बाद भगवान श्री राम ने उन्हें बाकायदा प्रणाम किया था और लक्ष्मण समेत दूसरों को भी उन्हें प्रणाम करने को कहा था, क्योंकि हिन्दू धर्म मृतकों का इसी तरह सम्मान करना सिखाता है। उसके बावजूद एक साध्वी एक मृतक को कलंकित कर रही है, क्यों? बल्कि चुनाव उपरान्त साध्वी प्रज्ञा को हेमंत करकरे की फाइल खुलवाने के लिए केन्द्र और राज्य सरकारों को मजबूर करना चाहिए। करकरे एक अफसर थे और उन्हें आदेशों को पालन करना था, जिस कारण वह बलि का बकरा बन गए और उनको आदेश देने वाले मालपुए खा रहे हैं। काश! आज हेमंत करकरे जीवित होते। राजनीति में भूचाल नहीं बवंडर आ गया होता, जब "हिन्दू आतंकवाद" और "भगवा आतंकवाद" के नाम पर बेकसूरों को प्रताड़ित करवाने वालों के नाम बोलते। वोट बैंक की राजनीति में देश की संस्कृति से खिलवाड़ किया गया और लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी छूट गए।
काश! आज हेमंत जीवित होते, बताते प्रताड़ित करवाने वालों के नाम
हिन्दू धर्म तो मृतात्माओं का सम्मान करने को कहता है। रावण की मृत्यु के बाद भगवान श्री राम ने उन्हें बाकायदा प्रणाम किया था और लक्ष्मण समेत दूसरों को भी उन्हें प्रणाम करने को कहा था, क्योंकि हिन्दू धर्म मृतकों का इसी तरह सम्मान करना सिखाता है। उसके बावजूद एक साध्वी एक मृतक को कलंकित कर रही है, क्यों? बल्कि चुनाव उपरान्त साध्वी प्रज्ञा को हेमंत करकरे की फाइल खुलवाने के लिए केन्द्र और राज्य सरकारों को मजबूर करना चाहिए। करकरे एक अफसर थे और उन्हें आदेशों को पालन करना था, जिस कारण वह बलि का बकरा बन गए और उनको आदेश देने वाले मालपुए खा रहे हैं। काश! आज हेमंत करकरे जीवित होते। राजनीति में भूचाल नहीं बवंडर आ गया होता, जब "हिन्दू आतंकवाद" और "भगवा आतंकवाद" के नाम पर बेकसूरों को प्रताड़ित करवाने वालों के नाम बोलते। वोट बैंक की राजनीति में देश की संस्कृति से खिलवाड़ किया गया और लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी छूट गए।
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