
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
कई बार कोर्ट में ऐसे भी काम होते हैं, जिन्हें देख अथवा सुनने पर सामने वाले को विश्वास नहीं होता। अब तक नाथूराम गोडसे बनाम महात्मा गाँधी का मुकदमा ऐसा था, जहाँ आरोपी को माइक से अपने 150 बयान पढ़ने की इजाजत दी हो, और बयान सुनने उपरांत जस्टिस खोसला यह तो कहते हैं:
"I have however no doubt that had the audience of that day been constituted into a jury and entrusted with the task of deciding Godse's appeal, they would have brought in a verdict of 'not guilty' by overwhelming majority".
Justice Khosla
The Murder of the Mahatma
(page 234)
लेकिन महात्मा गाँधी की postmortem(क्योकि postmortum हुआ ही नहीं था, जो ऐसी परिस्थितियों में कानूनी रूप से बहुत जरुरी होता है) नहीं मांगी, जो यह सिद्ध करता है कि गोडसे के विरुद्ध फैसला एक तरफ़ा था। इतना ही नहीं, भाजपा के सांसद एवं चंद्रशेखर सरकार में रहे कानून मंत्री डॉ सुब्रमण्यम स्वामी ने किसी कार्यक्रम में बताया कि "गाँधी जी गोलियां लगने के 40 मिनट तक जीवित थे, कोई उन्हें हस्पताल तक नहीं लेकर गया", यानि क्या उस समय मौजूद गाँधी भक्त गाँधी के मरने की दुआ मांग रहे थे?
दूसरे, किसी बलात्कारी पर कोर्ट ने मृत्यु दंड देने के साथ-साथ जुर्माना भी लगाया हो। जो राजस्थान की सेशन कोर्ट महिला जज शिल्पा समीर ने किया। गोडसे के साथ हुई माइक की इजाजत शायद कभी दोहराते हुए अपनी ज़िन्दगी में तो क्या अपनी भावी पीढ़ी के जीवन में ऐसा होना संभव प्रतीत नहीं होता, लेकिन राजस्थान सेशन जज शिल्पा द्वारा दिया आदेश बलात्कारी के खिलाफ सुनाए जाने वाले अन्य केसों में मिसाल बन सकता है। बलात्कारी ने चाहे किसी भी उम्र के महिला की ज़िंदगी घिनौना काम किया हो। भारत की हर कोर्ट को इस आदेश को महत्व दिया जाना चाहिए।
जज शिल्पा समीर का अद्वितीय फैसला
राजस्थान के जयपुर के दूदू की अपर सेशन कोर्ट ने क़रीब आठ साल पहले 6 साल की बच्ची से बलात्कार के बाद बेरहमी से उसकी हत्या करने के मामले के बलात्कारी महेंद्र उर्फ़ धर्मेंद्र बैरवा को फाँसी की सज़ा सुनाई है। बच्ची के साथ बलात्कार और हत्या की घटना फागी इलाक़े में हुई थी। कोर्ट ने दोषी को न सिर्फ़ फाँसी की सज़ा सुनाई बल्कि कई धाराओं के तहत उसके ऊपर 8.20 लाख रुपए का ज़ुर्माना भी लगाया।
अपर सेशन की महिला जज शिल्पा समीर ने इस मामले को रेयरेस्ट ऑफ़ रेयरेस्ट माना और फ़ैसला सुनाते हुए मासूम बच्ची की पीड़ा को कविता रूपी मार्मिक शब्दों में कुछ इस तरह बयाँ किया…
मैं नन्हीं सी गुड़िया थी,
मुझे जीना था,
हँसना था,
खेलना था,
फिर क्यों इतना दर्द दिया,
बिना कसूर, बिना ग़लती के,
क्यों निष्ठुरता से तोड़कर,
मुझको फेंक दिया।’
महिला जज ने इस मामले पर फ़ैसला सुनाते हुए कहा कि 6 साल की बच्ची असहाय थी, उसके अंदर इतनी ताक़त नहीं थी कि वो अपने ख़िलाफ़ हो रहे अपराध का प्रतिरोध कर सके। अभियुक्त ने उस मासूम का बलात्कार कर बड़ी बेरहमी से उसका गला घोंटकर हत्या कर दी। यह अपराध ख़ौफ़नाक ही नहीं बल्कि समाज को पूरी तरह से प्रभावित करने वाला है। इस घटना के बारे में मात्र सोचने से ही लोग नि:शब्द हो जाते हैं, भावनाएँ ख़ामोशी का रूप ले लेती हैं। इस दर्दनाक घटना के दौरान मासूम बच्ची की पीड़ा का अनुमान भी नहीं लगाया जा सकता, उसे व्यक्त करने के लिए शब्द भी कम पड़ जाएँगे।
इसके आगे महिला जज कहा कि मासूम बच्ची के सम्मान को तो वापस नहीं लाया जा सकता, लेकिन उसके साथ हैवानियत भरी घटना को अंजाम देने वाले अपराधी को सज़ा देकर दंडित करने का दायित्व अदालत का है। ऐसे अपराधियों को कठोर दंड देकर उनके अंदर डर पैदा किया जा सके, इसके लिए सज़ा-ए-मौत के अलावा दूसरी कोई अन्य सज़ा नहीं हो सकती।
महिला जज शिल्पा समीर ने जब यह फ़ैसला सुनाया तो कोर्ट में मौजूद हर शख़्स मासूम की हत्या व बलात्कार की वारदात को सोचकर बेहद भावुक हो गया, लेकिन इस नृशंस वारदात को अंजाम देने वाले दरिंदे महेंद्र के चेहरे पर एक शिकन भी नहीं आई। हालाँकि, इस सज़ा को सुनने के बाद वो एक पल के लिए हैरान ज़रूर हुआ, लेकिन उसे अपने किए पर बिलकुल पछतावा नहीं था। फ़ैसला सुनाए जाने के बाद गार्ड उसे जेल ले गया।
ख़बर के अनुसार, 21 मई 2011 को आरोपी महेंद्र फागी निवासी अपने परिचित के घर आया था। जहाँ उसने देखा कि 6 वर्षीय बच्ची परिचित की बेटी अकेली है। उसने मौक़े का फ़ायदा उठाया और बच्ची को उठाकर उसके कच्चे मकान के एक कमरे में ले गया। वहाँ उसने बच्ची का बलात्कार किया और उसके बाद सूंतली (रस्सी) से बच्ची का गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी। इसके बाद उसने बच्ची के शव को एक बक्से में डाला और परिचित के घर में बँधे एक बकरे को लेकर वहाँ से फ़रार हो गया।
काफ़ी समय तक जब बच्ची नज़र नहीं आई तो उसके परिजनों ने उसकी तलाश शुरू कर दी। इसके बाद परिजनों को ख़ून से लथपथ बच्ची का शव मिला। पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराने के बाद 27 वर्षीय महेंद्र उर्फ़ धर्मेंद्र बैरवा को गिरफ़्तार कर लिया।
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