
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने शासनकाल के दौरान जनता को ठगने का काम किया है। ऐसा हम नहीं बल्कि सूचना के अधिकार (RTI) के तहत पूछे गए सवालों के वो जवाब कह रहे हैं, जिनके सामने आने पर उनके वादों की पोल खुल गई है।
इंडिया टीवी ने अपनी एक्सक्लूसिव ख़बर के माध्यम से उन सभी सवालों के जवाब को सिलसिलेवार तरीके से जनता के सामने रखा है। इन सवालों के जवाब देखने के बाद आपको पता चल जाएगा कि आम आदमी पार्टी (AAP), झुग्गी झोपड़ी (जेजे) क्लस्टर के निवासियों की शिक्षा, परिवहन, स्वास्थ्य सेवा और पुनर्वास के मोर्चों पर किए गए वादों को पूरा करने में विफल रही है।

नई दिल्ली स्थित RTI कार्यकर्ता तेजपाल सिंह ने 2019 में RTI के तहत कुछ सवाल पूछे थे। उन्हें आधिकारिक तौर पर जो जवाब दिए गए उनकी इमेज नीचे लगाई गई है।
फेक सर्वेक्षण प्रमाण-पत्र
सूचना के अधिकार के माध्यम से यह पता चला कि सरकार ने 1 फरवरी, 2015 से 30 सितंबर, 2019 के बीच 3,00,000 जेजे क्लस्टर के निवासियों के पुनर्वास के लिए कोई निर्माण शुरू नहीं किया। जबकि दिल्ली सरकार को इसके लिए सर्वेक्षण पूरा करने संबंधी प्रमाण-पत्र दिया गया। RTI से पता चला है कि उक्त तारीखों के दौरान ऐसा कोई सर्वेक्षण हुआ ही नहीं था। सर्वेक्षण पूरा करने वाले प्रमाण-पत्रों में से एक इमेज जेजे निवासी द्वारा शेयर की गई।
इसके अलावा, दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डीयूएसआईबी) की ओर से 21 नवंबर, 2019 को दिए गए RTI जवाब में बताया गया था, “1 फरवरी, 2015 से 30 सितंबर, 2019 के बीच किसी भी जेजे क्लस्टर में कोई सर्वेक्षण नहीं किया गया था।”

RTI के जवाबों से पता चला है कि सरकार 900 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बनाने और दिल्ली सरकार द्वारा संचालित अस्पतालों में 30,000 बेड जोड़ने के अपने अभियान में पिछड़ गई।
इसके अलावा, एक अन्य RTI जवाब से पता चलता है कि 1 अप्रैल, 2015 और 31 मार्च, 2019 के बीच न कोई नया अस्पताल शुरू हुआ और न ही निर्माण हुआ।
दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य सेवा निदेशालय से 3 जुलाई, 2019 को एक RTI जवाब में बताया, “अप्रैल 2015 और 31 मार्च, 2019 के बीच कोई नया अस्पताल नहीं बनाया गया।”
2015 के मुकाबले सड़क पर कम बसें

अपने घोषणा पत्र में, आम आदमी पार्टी ने वादा किया था कि वो 5,000 नई बसें खरीदेंगे।
शिक्षक पद आज तक खाली
आम आदमी पार्टी ने 500 नए स्कूलों के निर्माण का वादा किया था, जबकि सच्चाई यह है कि 1 अप्रैल, 2015 से 31 अगस्त, 2019 के बीच केवल एक ही स्कूल के निर्माण को मँजूरी दी गई।
RTI के एक अन्य जवाब में बताया गया कि 1 फरवरी 2015 को 9,598 शिक्षक पद रिक्त थे, 30 सितंबर 2019 तक यह संख्या बढ़कर 15,702 पहुँच गई।
नगर निगम स्कूल में धर्म के नाम पर अलग कक्षाएं
अब इस स्कूल की वीडियो देखिए, जो दिल्ली के स्कूलों में साम्प्रदायिकता का जहर घोले जाने को उजागर कर रही है। समझ में नहीं आता इस गंभीर मुद्दे पर #intolerance, #award vapsi, #not in my name गैंग के अलावा गंगा-यमुना की तहजीब और संविधान की दुहाई देने वाले छद्दम धर्म-निरपेक्ष क्यों खामोश हैं? इतना ही नहीं, हिन्दू की दुहाई देने वाली भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस भी चुप्पी साधे हुए हैं। इस साम्प्रदायिकता के कौन है जिम्मेदार, आम आदमी पार्टी या नगर निगम में सत्ताधारी भाजपा? किसके आदेश पर स्कूल में धर्म के आधार पर कक्षाओं का विभाजन हुआ? मोदी जी क्या इसी तरह "सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास" होगा? जब इस स्कूल का यह हाल है, अन्य स्कूलों का भगवान ही मालिक है।
RTI कार्यकर्ता तेजपाल सिंह का कहना है कि दिल्ली में विधानसभा चुनाव पर मतदान होने से पहले केजरीवाल की यह सच्चाई जनता के सामने आना बेहद ज़रूरी है। ताकि जनता को यह पता चल सके कि केजरीवाल ने दिल्ली के निवासियों से एक नहीं कई झूठ बोले हैं, जिन पर उनकी जवाबदेही बनती है।( सभी RTI चित्र साभार India TV )
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