संकट की घड़ी में ‘द लायर’ ने पेश किए डराने वाले आँकड़े

आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
चीन के बुहान शहर से निकला कोरोना वायरस का कहर आज पूरे विश्व में फैल चुका है। हर कोई इसकी रोकथाम के लिए लगा हुआ है। कोई इससे बचने के उपाय बता रहा है तो कोई घरों से बाहर न निकलने की नसीहत दे रहा है। वहीं आज भारत के प्रधानमंत्री ने पूरे देश में 21 दिनों के लिए लॉकडाउन की घोषणा कर दी है, लेकिन इन सभी सकारात्मक अपील और सकारात्मक खबरों के बीच प्रोपेगेंडा फैलाने वाले पोर्टल ‘द वायर’ ने अपनी एक खबर में केन्द्र सरकार की रिपोर्ट का हवाला देते हुए लोगों के सामने डराने वाले मेडिकल से जुड़े आँकडे पेश किए हैं।
देश में कुछ एजेंडा पत्रकार है, जो मोदी सरकार के खिलाफ हमेशा प्रोपेगेंडा में लगे रहते हैं। जब भी मौका मिलता है, मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए फर्जी खबरों की मदद लेने से भी नहीं चुकते हैं। जब पूरा देश कोरोना वायरस से लड़ने के लिए एकजुट है, वहीं एजेंडा पत्रकार इस मुश्किल समय में भी सरकार और देश की मदद करने की जगह झूठी खबरों के जरिए लोगों में डर पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। हैरानी तब होती है, जब फैक्ट-चेकिंग वेबसाइट का संस्थापक भी झूठी और मनगढ़ंत खबर फैलाते हुए पकड़ा जाता है। आइए आपको बताते हैं किस तरह कथित फैक्ट-चेकिंग वेबसाइट ‘ऑल्ट न्यूज़’ के संस्थापक प्रतीक सिन्हा ने फेक अकाउंट को रीट्वीट कर झूठी खबर फैलाने की कोशिश की।
‘द वायर’ अर्थात ‘द लायर’ ने अपने लेख की शुरूआत कुछ ऐसी हेडलाइन से की है कि उसे पढ़कर कोई भी व्यक्ति इस बात से भयभीत हो सकता है कि अगर मुझे कोरोना हो भी गया तो इसका किसी भी हाल में सही तरीके से इलाज नहीं मिल पाएगा और मैं मौत के मुँह में चला जाउँगा, क्यों कि ‘द लायर’ की रिपोर्ट कुछ ऐसी है। लायर ने लिखा है कि देश के 84,000 लोगों पर एक आइसोलेशन बेड और 36,000 लोगों पर एक क्वारंटाइन बेड है। दरअसल यह आँकड़े देश की पूरी जनसंख्या के हिसाब से पेश किए गए हैं और उसी जनसनसंख्या पर आइसोलेशन के और क्वारंटाइन बेडों की गिनती कर दी गई है, जबकि लायर ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि बेड खाने की रोटी नहीं बल्कि मरीजों के बेहतर इलाज के लिए होते हैं। तो फिर आइसोलेशन और क्वारंटाइन बेड की संख्या का देश की जनसंख्या से क्या संबंध है।
फैक्ट चेक करने वाले खुद फैला रहे हैं फेक न्यूज
अगर बात करें देश में कोरोना आने से पूर्व की तो केन्द्र सरकार ने दिल्ली में सबसे पहला आइसोलेशन सेंटर बना दिया था। देश में कोरोना का मरीज पाए जाने के बाद की बात करें तो आज भी देश में कोरोना से संक्रमित लोगों की जितनी संख्या है उतनी संख्या का योगी सरकार ने गाजियाबाद के हज हाउस को आइसोलेसन सेंटर बना दिया था। तो उत्तर प्रदेश के स्थिति की बात करें तो अकेले लखनऊ में 1268 से अधिक क्वारंटाइन बेड हैं। वहीं राजस्थान में 500 बेड का आइसोलेशन बेड, छत्तीसगढ़ में 1500 मरीजों के लिए क्वारंटाइन बेड और 450 मरीजों के लिए आइसोलेशन बेड हैं, आंध्र प्रदेश की हर विधानसभा में 100 आइसोलेशन बेड की सुविधा है। झारखंड में 200 आइसोलेशन बेड की सुविधा, दिल्ली में 768 आइसोलेशन बेड की सुविधा, कर्नाटक में 1700 बेड, पश्चिम बंगाल में 150 आइसोलेशन बेड, वहीं बिहार में 500 बेड का आइसोलेशन बेड तैयार हैं।
एक ट्विटर अकाउंट जो कई दिनों से बंद पड़ा हुआ था। उस ट्विटर अकाउंट से अचानक से एक वीडियो ट्वीट किया जाता है, जिसमें एक महिला डॉक्टर बताती है कि किस तरह डॉक्टरों को सरकार द्वारा कुछ भी सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं। वो बताती हैं कि उसने जो मास्क पहना हुआ है, वो काफ़ी पुराना है और उसे बार-बार धो कर उसे पहनना पड़ रहा है। 
अब उस अकाउंट ने अपने सारे ट्वीट्स डिलीट कर लिए हैं। अगस्त 2011 में बने उस अकाउंट पर अगर आप अभी जाएंगे तो आपको कुछ नहीं दिखेगा क्योंकि उसने सारे ट्वीट्स हटा दिए हैं। पकड़े जाने के बाद गिरोह विशेष ने ऐसा करवाया है। इस ट्विटर हैंडल को जेएनयू की पूर्व छात्र नेता शेहला रशीद फॉलो कर रही थीं। और भी कई लोग थे, जिन्होंने मोदी सरकार के विरोध में ट्वीट देखते ही इस हैंडल को फॉलो कर दिया। उनमें से एक नाम ज्योति यादव का भी है, जो ‘द प्रिंट’ नामक प्रोपेगंडा पोर्टल में कार्यरत हैं। अब आप समझ सकते हैं कि किसके तार कहां और किस-किस से जुड़े हुए हैं।
वो डॉक्टर बताती हैं कि वो एक सप्ताह से यही मास्क पहन रही हैं। इस ट्विटर अकाउंट के काफ़ी कम फॉलोवर हैं, मात्र 314 ही। फिर वो ट्वीट वायरल कैसे होगा? ऐसे में प्रतीक सिन्हा आगे आते हैं और वो उस ट्वीट को रीट्वीट करते हैं। इसके बाद ‘द प्रिंट’ के संस्थापक शेखर गुप्ता द्वारा उसे रीट्वीट किया जाता है। 
इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जिस ट्विटर अकाउंट से ट्वीट किया गया था, वह अकाउंट किसी पुरुष के नाम पर था, जिसका हैंडल है- विक्रमादित्य। पहले नाम भी किसी पुरुष का था लेकिन इसको वायरल करने के लिए इसे किसी महिला के नाम पर बना दिया गया। लेकिन, चोरी पकड़ी इसीलिए गई क्योंकि इस ट्विटर अकाउंट ने नाम तो बदल लिया लेकिन वो अपना यूजरनेम या फिर ट्विटर हैंडल का नाम नहीं बदल पाए। तैयारी अधूरी रह गई और प्रपंच पकड़ा गया। इसका मतलब है कि प्रतीक सिन्हा ने एक फेक अकाउंट का ट्वीट शेयर किया, ताकि इसके आधार पर मोदी सरकार पर निशाना साधा जा सके।
अब उस अकाउंट ने अपने सारे ट्वीट्स डिलीट कर लिए हैं। अगस्त 2011 में बने उस अकाउंट पर अगर आप अभी जाएंगे तो आपको कुछ नहीं दिखेगा क्योंकि उसने सारे ट्वीट्स हटा दिए हैं। पकड़े जाने के बाद गिरोह विशेष ने ऐसा करवाया है। इस ट्विटर हैंडल को जेएनयू की पूर्व छात्र नेता शेहला रशीद फॉलो कर रही थीं। और भी कई लोग थे, जिन्होंने मोदी सरकार के विरोध में ट्वीट देखते ही इस हैंडल को फॉलो कर दिया। उनमें से एक नाम ज्योति यादव का भी है, जो ‘द प्रिंट’ नामक प्रोपेगंडा पोर्टल में कार्यरत हैं। अब आप समझ सकते हैं कि किसके तार कहां और किस-किस से जुड़े हुए हैं।
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कोरोना वायरस से जहाँ पूरे देश में दहशत फैला हुआ है, वहीं आतंकी मुसलमानों ने इसको लेकर एक अलग ही राग छेड़ रखी है। किस.....
देश में इन चिकित्सा सुविधाओं, सरकार की गंंभीरता और देश की जागरुकता का ही परिणाम है कि 133 करोड़ आबादी वाले देश में कोरोना सबसे धीमी गति से फ़ैल रहा है, लेकिन द लायर जैसे पोर्टल को शायद देश में इटली जैसी तबाही का इंतजार है। खैर, देश की जनता कोरोना से जंग लड़ने के लिए तैयार है और जल्द ही इसमें लोगों को विजय मिलेगी। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक दिन जनता कर्फ्यू लगाने के बाद 21 दिन के पूरे देश में लॉकडाउन करने की घोषणा की है, इस फैसले का देश की जनता ने स्वागत भी किया है। गौरतलब है कि कोरोना वायरस से देश में अब तक दस लोगो की मौत हो चुकी है, जबकि 519 लोग इससे संक्रमित पाए गए हैं।

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