लॉकडाउन के दौरान भी सक्रिय है अवॉर्ड वापसी गैंग


आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
केंद्र की सत्ता पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के काबिज होने पर वर्षों से सत्ता की मलाई खा रहे लोगों को नागवार गुजरा। सत्ता से दूरी ने उन्हें परेशान कर दिया। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार को बदनाम करने के लिए हर हथकंडा अपनाना शुरू कर दिया। कभी मॉब लिंचिंग के नाम पर तो, कभी अवॉर्ड वापसी के रूप में अपनी साजिश को अंजाम देते रहे। आज जब पूरा देश कोरोना वायरस से लड़ रहा है, वहीं अवॉर्ड वापसी गैंग प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है। लॉकडाउन के दौरान वह लोगों को गुमराह कर मोदी सरकार को नाकाम साबित करने में लगा है। इसके लिए मनगढ़ंत और झूठी खबरों का सहारा लेने से भी बाज नहीं आ रहा है। हालांकि पहले की तरह आज भी उसका नापाक चेहरा बेनकाब हो रहा है।
लॉकडाउन बढ़ाये जाने की झूठी खबर
प्रोपगेंडा पत्रकार शेखर गुप्ता ने सोमवार को वेबसाइट ‘द प्रिंट’ से एक बार फिर फेक न्यूज फैलाने की कोशिश की। द प्रिंट में दावा किया गया कि मोदी सरकार कोरोना वायरस लॉकडाउन को 14 अप्रैल के बाद भी कुछ हफ्तों के लिए बढ़ा सकती है।

 ‘Modi govt could extent coronavirus lockdown by a week a migrant exodus triggers alarm’ शीर्षक की ‘एक्सक्लूसिव’ रिपोर्ट में कहा गया कि दिल्ली एनसीआर से पलायन संकट के कारण लॉकडाउन को एक हफ्ते बढ़ाया जा सकता है।

सोशल मीडिया पर खबर फैलायी गयी कि कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए देश को लॉकडाउन के एक और चरण से गुजरना पड़ सकता है। खबर में बताया गया है कि स्वास्थ्य, प्रबंधन, लॉजिस्टिक्स और फाइनेंस से जुड़े विशेषज्ञों की एक समिति ने मई में दूसरे लॉकडाउन की सिफारिश की है। इस रिपोर्ट में 17 अप्रैल से बंदिशें कम करने के बाद 18 अप्रैल से 31 मई तक दोबारा लॉकडाउन की सिफारिश की गयी है।
इस खबर पर प्रसार भारती न्यूज सर्विस (पीबीएनएस) ने यह कहते हुए ट्वीट किया कि कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने लॉकडाउन बढ़ाये जाने से साफ इंकार किया है। पीबीएनएस ने ट्वीट करते हुए कहा कि यह फेक न्यूज है। खबर एकदम झूठी है। पीबीएनएस ने कैबिनेट सचिव से इस खबर के बारे में जानना चाहा तो उन्होंने हैरानी जताते हुए साफ कहा कि लॉकडाउन को बढ़ाये जाने की कोई योजना नहीं है।
सेना ने किया इमरजेंसी की अफवाहों का खंडन
भारतीय सेना को ट्वीट के जरिये सोशल मीडिया पर फैलायी जा रही उन अफवाहों का खंडन करना पड़ा, जिसमें कहा गया था कि अप्रैल के मध्य में इमरजेंसी की घोषणा कर दी जाएगी। सेना ने साफ किया है कि सोशल मीडिया में फैलाया जा रहा ये वायरल मैसेज पूरी तरह से गलत और दुर्भावनापूर्ण है।


‘द वायर’ ने फैलाया सीएम योगी का झूठा बयान
‘द वायर’ जैसे प्रोपेगेंडा पोर्टल्स इस आपदा काल में भी अपना उल्लू सीधा करने में लगे हुए हैं। ताज़ा मामला ‘द वायर’ के संस्थापक सिद्धार्थ वरदराजन का है, जिसने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बारे में फेक न्यूज़ फैलाई है। तबलीगी जमात को बचाने के लिए तड़पते ‘द वायर’ ने फेक न्यूज़ चलाया कि जिस दिन इस इस्लामी संगठन का मजहबी कार्यक्रम हुआ, उसी दिन सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि 25 मार्च से 2 अप्रैल तक अयोध्या प्रस्तावित विशाल रामनवमी मेला का आयोजन नहीं रुकेगा क्योंकि भगवान राम अपने भक्तों को कोरोना वायरस से बचाएंगे।

यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के एमडीए सलाहकार मृत्युंजय कुमार ने सिद्धार्थ वरदराजन की ये चोरी पकड़ ली और उन्हें जम कर फटकार लगाई। उन्होंने ‘द वायर’ और उसके संस्थापक पर झूठ फैलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री योगी ने कभी कोई ऐसी बात कही ही नहीं है, जैसा कि लेख में दावा किया गया है। उन्होंने सिद्धार्थ को चेताया कि अगर उन्होंने अपनी इस फेक न्यूज़ को तुरंत डिलीट नहीं किया तो कार्रवाई की जाएगी और उन पर मानहानि का मुकदमा भी चलाया जाएगा। साथ ही उन्होंने तंज कसते हुए ये भी कहा कि कार्रवाई के बाद वेबसाइट के साथ-साथ केस लड़ने के लिए भी सिद्धार्थ वरदराजन को डोनेशन माँगना पड़ जाएगा।



वैष्णों देवी में श्रद्धालुओं के फंसे होने की झूठी खबर
इसी तरह सोशल मीडिया पर ऐसी फैलाई जा रही हैं कि वैष्णो देवी तीर्थ में करीब 400 श्रद्धालु फंसे हुए हैं। जब पीआईपी की फैक्टचेक टीम ने इस खबर की जांच की तो पाया कि यह पूरी तरह झूठी खबर है। पीआईबी ने ट्वीटकर बताया कि कोई भी श्रद्धालु कटरा या वैष्णो देवी तीर्थ में नहीं फंसा हुआ है। यात्रा को लॉकडाउन होने से बहुत पहले, 18 मार्च को ही रोक दिया गया था।

इतना ही नहीं, शाहीन बाग़ नागरिकता संशोधक कानून पर ठेकेदार बन समाचार चैनलों पर परिचर्चाओं में हिस्सा लेने वाले तथाकथित इस्लामिक स्कॉलर शुएब जमाई निजामुद्दीन में लॉक आउट होने के बावजूद जमा हुए हज़ारों जमातियों के बचाव में कहता है कि कोरोना वैष्णो मंदिर में जमा लोगों से भी फ़ैल सकता है, जबकि अपने आप को इस्लामिक स्कॉलर कहने वाले को नहीं मालूम की लॉक डाउन से पहले ही भारत के जितने भी बड़े मन्दिर हैं, उन्हें बंद कर दिया गया था। दूसरे, यह कि निजामुद्दीन मरकज़ से जगह-जगह फैले जमातियों ने समूचे भारत में कोरोना को बढ़ावा दिया। और अगर मरकज़ इस्लामिक था, फिर क्यों इसके आयोजक फरार हैं? सिद्ध करता है कि किसी सोंची-समझी सियासत के भारत में अराजकता फैलाना ही इनका उद्देश्य था। पहले नागरिकता संशोधक कानून के विरोध में शांति के नाम पर प्रदर्शन और धरनों को आयोजन और अब इस्लाम की आड़ में कोरोना जैसी संक्रामक बीमारी को फैलाना। 
दूसरे, जिस तरह मुसलमानों में मस्जिद जाने, पांचों समय की नमाज और इस्लाम का प्रचार करने वाले जमाती हस्पतालों में डॉक्टरों पर थूक रहे हैं, उन्हें गालियां दे रहे हैं, यह कोई प्रचारक नहीं शैतान का काम है और कोई #award vapsi, #mob lynching, #not in my name आदि गैंग और वामपंथी इन जमातियों की इन शैतानी  हरकतों पर खामोश हैं, क्यों?
इन सब के बावजूद, आम मुसलमानों को इनसे होशियार रहने की जरुरत है, क्योकि ये लोग मुस्लिम समाज में कोरोना बीमारी को फैलाकर उन्ही के जीवन से खिलवाड़ कर रहे हैं, जो चिंता का विषय है।   
सिर्फ आधिकारिक खबर साझा करने की झूठी खबर
गृहमंत्रालय के हवाले से सोशल मीडिया पर खबर फैलायी गई कि कोरोना वायरस के बारे में केवल सरकारी एजेंसियां खबर पोस्ट कर सकती हैं। जब इस खबर की पड़ताल की गई, तो पता चला कि गृह मंत्रालय की ओर से ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया गया था।

‘ऑल्ट न्यूज़’ के संस्थापक ने फैलायी झूठी खबर
इसी तरह कथित फैक्ट-चेकिंग वेबसाइट ‘ऑल्ट न्यूज़’ के संस्थापक प्रतीक सिन्हा ने फेक अकाउंट को रीट्वीट कर झूठी खबर फैलाने की कोशिश की। एक ट्विटर अकाउंट जो कई दिनों से बंद पड़ा हुआ था। उस ट्विटर अकाउंट से अचानक से एक वीडियो ट्वीट किया जाता है, जिसमें एक महिला डॉक्टर बताती है कि किस तरह डॉक्टरों को सरकार द्वारा कुछ भी सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं। वो बताती हैं कि उसने जो मास्क पहना हुआ है, वो काफ़ी पुराना है और उसे बार-बार धो कर उसे पहनना पड़ रहा है। वो डॉक्टर बताती हैं कि वो एक सप्ताह से यही मास्क पहन रही हैं। इस ट्वीट का सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जिस ट्विटर अकाउंट से ट्वीट किया गया था, वह अकाउंट किसी पुरुष के नाम पर था, जिसका हैंडल है- विक्रमादित्य। पहले नाम भी किसी पुरुष का था लेकिन इसको वायरल करने के लिए इसे किसी महिला के नाम पर बना दिया गया।



हैदराबाद में हुए सड़क हादसे को लॉकडाउन से जोड़ा गया
28 मार्च को हैदराबाद के बाहरी इलाके में हुए एक सड़क हादसे में 8 मजदूरों की मौत हो गई। लॉरी मजदूरों को कर्नाटक में उनके गांवों में ले जा रही थी। 31 मजदूर कर्नाटक के रायचूर जिले में अपने गांव लौट रहे थे। यह एक सामान्य सड़क हादसा था, लेकिन इस हादसे को भी लॉकडाउन से जोड़ दिया गया। यानि कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा। जो इनकी क्षीण मानसिकता को दर्शाता है। इस समाचार को पढ़ अथवा सुनने पर जनता कोरोना जैसी संक्रामक बीमारी से बचाव में सरकारी प्रयासों को नकारात्मक दृष्टि से देख सरकार की आलोचना करे। 

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झूठ बोलते हुए पकड़ा गया टाइम्स ऑफ इंडिया का पत्रकार 
बरेली में टाइम्स ऑफ इंडिया के पत्रकार कंवरदीप सिंह ने ट्वीट के जरिए जिला प्रशासन से सवाल किया कि स्प्रे के जरिए कोरोना को मारने की कोशिश हो रही है या लोगों को ? कंवरदीप के बाद अवॉर्ड वापसी और लिबरल गैंग सक्रिय हो गया। इस मामले को मजदूर विरोधी बताकर मोदी और योगी सरकार को बदनाम करने की कोशिश की गई। हालांकि कई ट्विटर यूजर्स ने कंवरदीप पर खबर को सनसनीखेज बनाने का आरोप लगाया। साथ ही ट्वीट कर बताया कि इस तरह के स्प्रे का इस्तेमाल कुछ ही दिन पहले केरल में किया गया था। लेकिन किसी ने इस पर कोई सवाल नहीं उठाया था, क्योंकि वहां पर लेफ्ट की सरकार है।

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