मजहबी मुस्लिम मर्द न छेड़छाड़ कर सकते हैं, न ही बलात्कार : सदानंद धुमे

आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
तबलीगी जमात की लापरवाही ने भारत की बड़ी आबादी को कोरोना वायरस से बचाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और देश के स्वास्थ्यकर्मियों की कोशिशों पर काफी हद तक पानी फेर दिया है। देशव्यापी लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग के जरिए कोरोना वायरस संक्रमण पर काफी हद तक लगाम लगाने की उम्मीद थी, मगर अब आलम यह है कि तबलीगी जमात से जुड़े कोरोना वायरस मामले में लगातार वृद्धि देखने को मिल रही है।
अब ये जाहिल जमाती इलाज के दौरान महिला मेडिकल स्टाफ के साथ बदतमीजियाँ कर रहे हैं और डॉक्टरों के ऊपर थूक कर उन्हें संक्रमित करने की बेहूदी कोशिश कर रहे हैं। एक तरफ जहाँ पूरा देश इन तबलीगी जमात द्वारा फैलाए गए संकट से लड़ने में जुटा है, वहीं दूसरी तरफ इतना बड़ा क्राइम करने के बाद भी ये लोग अपनी बेहूदगी से बाज नहीं आ रहे। गाजियाबाद और कानपुर समेत कई जगहों से इनके द्वारा महिला स्टाफ के साथ बदतमीजियाँ की खबरें सामने आई। गाजियाबाद के एमएमजी हॉस्पिटल के आइसोलेशन वार्ड में रखे गए तबलीगी जमाती बिना कपड़ों, पैंट के नंगे घूम रहे थे, अश्लील वीडियो चलाने के साथ ही ये जमाती नर्सों को गंदे-गंदे इशारे कर रहे थे और नर्सों से बीड़ी-सिगरेट की माँग भी कर रहे थे।
आरफा खानम शेरवानी
आरफा का मानना है कि नर्सें झूठ बोल रही हैं 
वायर की आरफा खानम का दिल है कि मानता नहीं
जैसे ही यह खबर सामने आई, इस्लामी कट्टरपंथियों की वकालत करने वाला समूह सक्रिय हो गया। इनको हमेशा माफ कर देने वाले समूह ने इनके समर्थन में उतरकर उनके बचाव की भरपूर कोशिश की। इन्हीं में से एक थे- वॉल स्ट्रीट जर्नल (WSJ) के स्तंभकार सदानंद धुमे। उन्होंने ये साबित करने का भरसक प्रयास किया कि देश को कोरोना संकट में डालने वाले तबलीगी जमात के सदस्य निर्दोष हैं।
प्रोपेगेंडा वेबसाइट द वायर की वरिष्ठ संपादक आरफा खानम शेरवानी को तबलीगी जमात के सदस्यों की नंगई पर यकीन नहीं हो रहा। उन्हें लगता है कि गाजियाबाद से एमएमजी हॉस्पिटल में नर्सों के सामने जमात के सदस्यों के पतलून उतारने की खबरें झूठी हैं। आरोप लगाने वाली नर्सें प्रोपेगेंडा में शामिल हैं। यह दूसरी बात है कि एडीएम और एसपी के ज्वाइंट इन्वेस्टीगेशन में नर्सों के आरोप सही पाए गए हैं और इस तरह की हरकत करने वाले जमात के 5 सदस्यों पर मुकदमा भी दर्ज किया गया है।
लेकिन, आरफा ने यह मानने से इनकार कर दिया है कि तबलीगी जमात वाले महिलाओं के साथ बदसलूकी या उनका शोषण कर सकते हैं। उसने ट्वीट कर रहा है, “वे नि:स्वार्थ भाव से सेवा करने वाले लोग हैं, जो मजहब/समाज की सेवा के लिए दुनियादारी यहॉं तक कि अपने परिवार से भी दूर रहते हैं।” आगे आरफा ने जोर देकर कहा है कि प्रोपेगेंडा अब बंद होना चाहिए।
आरफा ने चिर-परिचित विक्टिम कार्ड से भी तबलीगी जमात के करतूतों पर पर्दा डालने की कोशिश की है। उसके मुताबिक तबलीगी जमात को जिस तरह मीडिया निशाना बना रहा है वह सही नहीं है। इसके बहाने पूरे मुस्लिम समुदाय को नीचा दिखाया जा रहा है। उसने कहा, “खुदा न करे लेकिन जमात के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान की वजह से यदि मुसलमानों पर हमला होता है तो मीडिया का प्रोपेगेंडा और अधिकारियों की चुप्पी इसके लिए जिम्मेदार होगी।”
आरफा जिन लोगों का बचाव कर रही हैं उनकी करतूतें केवल एक अस्पताल तक ही सीमित नहीं है। यूपी के अलग-अलग जिलों से जमातियों द्वारा हॉस्पिटल में बदतमीजी किए जाने की ख़बरें आ रही हैं। बिजनौर में 8 इंडोनेशियाई जमातियों ने अंडा-करी और बिरयानी की माँग की थी। साथ ही उन्होंने सफाई कर्मचारियों के साथ भी अभद्रता की थी। बस्ती और आगरा में भी बिरयानी माँग कर हॉस्पिटल कर्मचारियों को परेशान किया। मुरादाबाद में जमातियों ने दाल-रोटी खाने से इनकार कर दिया। दिल्ली के एलएनजेपी हॉस्पिटल और हैदराबाद के गॉंधी हॉस्पिटल में इनके उपद्रव के बाद पुलिस की तैनाती करनी पड़ी। इनलोगों ने सड़कों पर, अस्पतालों में, डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मियों पर थूक कर संक्रमण तक फैलाने की कोशिश की है। देश में जो नए मामले सामने आए हैं उनमें आधे से अधिक तबलीगी जमात के निजामुद्दीन स्थित मरकज से जुड़े हैं।



ऐसे में आरफा की प्रतिक्रिया से साफ है कि उम्माह के आगे उनके लिए कुछ भी मायने नहीं रखता। महिलाओं का सम्मान भी नहीं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि नारी अधिकारों की कथित पैरोकार वामपंथी और मीडिया गिरोह के दूसरे सदस्य महिलाओं के इस उत्पीड़न और तबलीगी जमात की करतूतों का किस तरह बचाव करते हैं।
सदानंद धुमे
सदानंद धुमे 
मजहबी मुस्लिम मर्द न छेड़छाड़ कर सकते हैं, न ही बलात्कार : सदानंद धुमे
सदानंद धुमे ने द वायर की पत्रकार आरफा खानम शेरवानी, जिन्होंने भी तबलीगी जमात के सदस्यों का बचाव किया और नर्सों पर झूठ बोलने का आरोप लगाया, के ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वो तबलीगी जमात के विचारों के प्रशंसक नहीं है, लेकिन जिस किसी ने भी उनके साथ समय बिताया है, उनको पता है कि उनका रुढ़िवाद महिलाओं के लिए कितना उपयुक्त और पवित्र है। सदानंद धुमे यहीं पर नहीं रुके। उन्होंने आगे यह भी आरोप लगाया कि तबलीगी जमात के सदस्यों के अभद्रता की बातें झूठी हैं और सामान्य तौर पर मुसलमानों को बरगलाने की यह कोशिशें नीचता से परे है।
धुमे अपने ट्वीट के माध्यम से यह कहना चाह रहे थे कि सबसे पहली बात तो ये कि मजहबी मुस्लिम मर्द न तो छेड़छाड़ कर सकते हैं और न ही बलात्कारी हो सकते हैं और दूसरी बात उन्होंने कही कि जिन नर्सों ने तबलीगी जमात के सदस्यों के खिलाफ दुर्व्यवहार की शिकायत की थी, वे झूठ बोल रही थीं क्योंकि वो मुसलमानों की छवि को धूमिल करना चाहती थीं। धुमे ने मुसलमानों को धार्मिक पुरुष साबित करने की कोशिश और उनके बचाव में नर्सों द्वारा लिखित शिकायत को नकार दिया।
इन जाहिलों और अशिष्ट व्यक्तियों के बचाव में उतरने पर कई लोगों ने उन्हें आड़े हाथों लिया। लोगों ने ना सिर्फ उनसे कट्टरपंथी इस्लाम के लिए माफी माँगने के लिए कहा, बल्कि उन्हें महिला के खिलाफ हो रहे अपराध के लिए भी जिम्मेदार ठहराया।
दरअसल 2011 का एक मामला ही साबित करता है कि वास्तव में धूमे का ज्ञान कितना छिछला, तुच्छ और अधूरा है। 2011 में टोरंटो में एक इमाम पर यौन उत्पीड़न के लिए 13 मामलों के तहत आरोप लगाया गया था। 48 वर्षीय मोहम्मद मसरूर ने एक इमाम के रूप में काम किया और कई देशों का दौरा किया था, जिसमें बच्चों और युवाओं को कुरान की शिक्षा दी थी। पुलिस ने अपनी जाँच में मसरूर के पास से उसके खुद के पासपोर्ट के अलावा तीन अन्य नाम का पासपोर्ट पाया था। मसरूर के खिलाफ पाँच पूर्व छात्राओं ने खिलाफ दुर्व्यवहार के 13 आरोप लगाए गए थे। जानकारी के मुताबिक इमाम तबलीगी जमात का सदस्य था, जिसका उद्देश्य इस्लामिक आंदोलन को जमीनी स्तर पर चलाना था। यह आंदोलन काफी हद तक बांग्लादेश में सक्रिय है।
अवलोकन करें:-
About this website

NIGAMRAJENDRA.BLOGSPOT.COM
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार केंद्र की सत्ता पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के काबिज होने पर वर्षों से सत्ता की मल.....
About this website

NIGAMRAJENDRA.BLOGSPOT.COM
साभार एक तरफ जहाँ पूरा देश कोरोना वायरस संकट...
सदानंद धुमे ने अपने ट्वीट में कहा कि चूँकि उन्होंने तबलीगी जमात के कुछ लोगों से मुलाकात की है और उनके अनुसार वो लोग ‘पवित्र’ थे, तो इसका मतलब ये है कि तबलीगी जमात का कोई भी सदस्य महिलाओं के साथ छेड़छाड़ नहीं कर सकता है। इसलिए महिलाएँ झूठ बोल रही हैं।

No comments: