आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
महाराष्ट्र में आज हिंदुत्व की बात करने वाली शिवसेना की सरकार है। लेकिन इस सरकार में हिन्दू सुरक्षित नहीं है। हिन्दुओं पर लगातार हमले हो रहे हैं। पालघर में जिस तरह पुलिस की मौजूदगी में दो संतों और उनके ड्राइवर की मॉब लिंचिंग की गई है, उससे पूरा देश हैरान है। इस घटना को गुरुवार को अंजाम दिया गया, लेकिन इस मॉब लिंचिंग पर न तो उद्धव ठाकरे का बयान आया है और न ही लिबरल और सेक्युलर गिरोह का।
हैरानी की बात यह है कि गौ-तस्करों के मामले में लिंचिंग-लिंचिंग की रट लगाने वाले बुद्धिजीवी संतों की हत्या पर मौन है। न तो टीवी चैनलों पर डिबेट हो रही और न ही कोई मार्च निकाला जा रहा है। इस घटना ने फिर साबित कर दिया है कि तथाकथित बुद्धिजीवियों को सिर्फ गौ-तस्करों की चिंता है।अब कोई #mob lynching, #intolerance, #award vapsi, #not in my name आदि किसी गैंगस्टर की आवाज़ नहीं निकल रही, किस बिल में छिपे बैठे हैं या उनके घर कोई महाशोक है? इतना ही नहीं एक्टर आमिर खान और उसकी पत्नी की भी आवाज़ नहीं निकल रही, जबकि यह मॉब लिंचिंग महाराष्ट्र से बाहर नहीं, महाराष्ट्र में ही हुई है। राहुल गाँधी, अरविन्द केजरीवाल, किसी वामपंथी तक की बोलती बंद है, मुंह में दही जमाए बैठे हैं, क्यों नहीं बोलते अब?
मॉब लिंचिंग की यह घटना उस समय घटी जब पालघर जिले के गडचिनचले गांव के लोगों ने चोर होने के शक में तीन लोगों को उनकी कार से बाहर निकालकर उनकी पीट-पीटकर हत्या कर दी। पुलिस के मुताबिक सुशील गिरि महाराज, जयेश और नरेश येलगडे एक वैन में बैठ कर सूरत में किसी शख्स के अंतिम संस्कार के लिए जा रहे थे। इन तीनों में से ही एक शख्स कार चला रहा था। इसी बीच 200 से अधिक ग्रामीणों ने तीनों को चोर समझकर रोक लिया। उन्होंने शुरुआत में तो उन पर पथराव किया और एक बार जब गाड़ी रुकी, तो तीनों को बाहर निकाला गया और लाठी-डंडों से जमकर पीटा गया। इसी दौरान ड्राइवर ने पुलिस को कॉल भी किया कि उनके वाहन पर हमला किया जा रहा है और ग्रामीण उन्हें रोकने की कोशिश कर रहे थे। जल्द ही पुलिस टीम भी मौके पर पहुंच गई।
पुलिस टीम के पहुंचने पर भी ग्रामीण नहीं रूके, यहां तक कि उन्होंने पुलिस के वाहनों पर भी हमला कर दिया। खबरों के मुताबिक इस हमले में कुछ पुलिसकर्मी भी घायल हो गए हैं। पालघर के कलेक्टर कैलाश शिंदे ने बताया, ‘जिन तीन लोगों की भीड़ ने पिटाई की उन्हें अस्पताल लाया गया था जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। मामले में लगभग 110 गांवों वालों को पूछताछ के लिए पुलिस थाने में लाया गया है और आगे की जांच जारी है।’
महाराष्ट्र के पालघर में दो साधु और एक ड्राइवर की मॉब लिंचिंग के मामले में FIR दर्ज कर 110 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें से 101 लोगों को 30 अप्रैल तक पुलिस कस्टडी में भेजा गया है, जबकि 9 नाबालिगों को जुवेनाइल सेंटर होम में भेज दिया गया है।
साधुओं की निर्मम हत्या को लेकर साधु-संतों सहित नेताओं ने रोष जताया है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी ने रविवार(अप्रैल 19) को इस घटना की कड़े शब्दों में निंदा की और चेतावनी दी कि अगर हत्यारों की शीघ्र गिरफ्तारी नहीं की गई तो महाराष्ट्र सरकार के विरुद्ध आंदोलन किया जाएगा।
पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कड़ी कार्यवाही की मांग
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, “पालघर में जिस क्रूरता के साथ मॉब लिंचिंग हुई, वह मानवता को शर्मसार करने वाली है। पालघर में भीड़ हिंसा की घटना का वीडियो हैरान करने वाला और अमानवीय है। ऐसे संकट के समय इस तरह की घटना और भी ज्यादा परेशान करने वाली है। मैं राज्य सरकार से गुजारिश करता हूँ कि वह इस मामले की उच्च स्तरीय जाँच करवाएँ और जो दोषी हैं उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।”
भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और प्रवक्ता बैजयंत पांडा ने भी घटना को लेकर रोष जताया है। उन्होंने इस घटना को शर्मनाक बताया और उद्धव सरकार को निशाने पर लिया। पांडा ने ट्वीट किया, “पालघर में पुलिस के सामने भीड़ हिंसा की घटना का वीडियो दहला देने वाला है। वह भी तब, जब कुछ ही दिन पहले उद्धव सरकार के शासन में एक पुलिसकर्मी और डॉक्टर पर हमला हुआ था। मीडिया के एक वर्ग ने इसे ‘संतों के भेष में चोरों’ का मामला बताकर घटना को कमतर दिखाया।”
स्टेट स्पॉन्सर्ड? या पुलिस स्पॉन्सर्ड?- रोहित सरदाना, आजतक पत्रकार
आज तक के पत्रकार रोहित सरदाना ने भी इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कई सवाल खड़े किए। उन्होंने घटना का वीडियो शेयर करते हुए लिखा, “महाराष्ट्र के पालघर में हुई इस हत्या को क्या कहें? स्टेट स्पॉन्सर्ड? या पुलिस स्पॉन्सर्ड? महाराष्ट्र सरकार की शान में आए दिन कसीदे पढ़ने वाले फिल्मी सितारों में से कितनों ने इस बारे में ट्वीट किया?”
वहीं आज तक की पत्रकार श्वेता सिंह ने भी इसे प्रायोजित हत्या बताते हुए कहा, “एक वृद्ध साधु वर्दी से उम्मीद लगाए पीछे छिपे। तो उसने खुद उन्हें भीड़ को सौंप दिया! ‘चोर समझकर’ मारने वाली पूरी रिपोर्ट मनगढ़ंत दिख रही है। ये वीडियो तो प्रायोजित हत्या का है।” बता दें कि मीडिया गिरोह साधुओं की मॉब लिंचिंग कर हत्या की खबर की रिपोर्टिंग ‘चोर समझकर’ पीट-पीट कर हत्या के रूप में की है।
“आज भगवा के साथ हुए नरसंहार पर मुझे भारत का मौन खल रहा?-- एक्टर मुकेश खन्ना
एक्टर मुकेश खन्ना ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा, “आज भगवा के साथ हुए नरसंहार पर मुझे भारत का मौन खल रहा? क्या संन्यासी साधु संत का कोई मानवाधिकार नहीं होता? हिंदुत्व का राग अलापने वाली भगवा ध्वज लेकर चलने वाली सरकार क्या मर चुकी है? क्या सनातन के संहार के बाद देश खड़ा रह सकेगा? कोई अन्य संप्रदाय का धर्मगुरू होता फिर?”
सोशल मीडिया पर भी घटना को लेकर लोगों में काफी आक्रोश देखने को मिला। लोगों ने इस पर कड़ी प्रतिक्रियाएँ दीं। एक ने लिखा, “अगर पालघर ग़लती से यूपी में होता और मरने वाला तबरेज या अखलाक होता तो चूड़ियाँ टूटने की इतनी आवाज़ आती कि कोरोना मर जाता।”
आहत इंदौरी नाम के एक यूजर ने लिखा, “हिन्दुओं ने बेवजह किसी मौलवी की पुलिस के सामने पीट पीट कर हत्या कर दी होती तो ये अब तक अंतराष्ट्रीय खबर बन गई होती और कॉन्ग्रेस, सपा, बसपा आदि दलों का रो-रो कर बुरा हाल होता।”
एक अन्य यूजर ने लिखा, “बालासाहेब होते तो आज संतों को मारने वालों के हाथों को काट देते, लेकिन दुर्भाग्य से आज उनके बेटे की सरकार है जो कॉन्ग्रेस की गोदी में खेल रहा है।”
एक ने लिखा, “अखलाक ओर पहलू खान पर आँसू बहाने वाले लिबरल्स महाराष्ट्र के पालघर में 2 संत और उनके ड्राइवर को बड़े ही बेरहमी से लिंचिंग कर मौत के घाट उतार दिया गया तब चुप क्यों हैं?? कहाँ हैं लोकतंत्र के ठेकेदार?? क्यों… ये तो संतों की मृत्यु हुई है, कौन पूछता है संतों को?”
घटना की जानकारी मिलने पर शुरुआत में पहुंचे पुलिसकर्मी पीड़ितों को बचा नहीं सके क्योंकि हमलावरों की संख्या बहुत अधिक थी और भीड़ ने पुलिस वाहन में भी पीड़ितों की पिटाई की। कासा पुलिस स्टेशन के निरीक्षक आनंदराव काले ने बताया कि यह वीभत्स घटना गुरुवार को रात में 9.30 से 10 बजे के बीच हुई।
एक सीनियर पुलिस अधिकारी का कहना है कि फिलहाल मामले की सभी एंगल से जांच की जा रही है। इस बात की भी जांच की जा रही है कि क्या इलाके में सोशल मीडिया के जरिए अफवाह फैलाई जा रही है? आखिर इतने सारे ग्रामीण एक साथ कैसे जमा हो गए? ग्रामीणों से भी इसको लेकर पूछताछ की जा रही है।
जिस बेरहमी से संतों और उनके ड्राइवर को पीट-पीटकर मौत के घाट उतारा गया है और पुलिस पर पथराव किया गया। उससे पता चलता है कि महाराष्ट्र में सरकार बदलते ही देश और हिन्दू विरोधियों के हौसले बुलंद है। उन्हें न तो पुलिस का डर है और न कानून का। अब उनके निशाने पर बेकसूर साधु-संत हैं।
महाराष्ट्र में अपराधियों के हौसले इसलिए बुलंद है,क्योंकि उद्धव सरकार को कांग्रेस और एनसीपी का समर्थन हासिल है। इसलिए उद्धव सरकार कांग्रेस और एनसीपी नेताओं के संरक्षण में चलने वाले अपराधी गिरोहों पर लगाम लगाने में नाकाम साबित हो रही है। आज प्रदेश में अपराधी गिरोहों का बोलबाला है। बैशाखी पर चल रही उद्धव सरकार की कमजोरी और नाकामी का खामियाजा प्रदेश की बेकसूर जनता को भुगतना पड़ रहा है।
क्या है पालघर मामला
जूना अखाड़ा के 2 महंत कल्पवृक्ष गिरी महाराज (70 वर्ष), महंत सुशील गिरी महाराज (35 वर्ष) अपने ड्राइवर निलेश तेलगडे (30 वर्ष) के साथ मुंबई से गुजरात अपने गुरु भाई को समाधि देने के लिए जा रहे थे। दरअसल, श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा 13 मंडी मिर्जापुर परिवार के एक महंत राम गिरी जी गुजरात के वेरावल सोमनाथ के पास ब्रह्मलीन हो गए थे। दोनों संत महाराष्ट्र के कांदिवली ईस्ट के रहने वाले थे और मुंबई से गुजरात अपने गुरु की अंत्येष्टि में शामिल होने जा रहे थे।
इसी दौरान रास्ते में उन्हें महाराष्ट के पालघर जिले में स्थित दहाणु तहसील के गडचिनचले गाँव में पालघर थाने के पुलिसकर्मियों ने पुलिस चौकी के पास रोका। इसके बाद ड्राइवर के साथ दोनों संतों को भी गाड़ी से बाहर निकलने के लिए कहा गया और उन लोगों को पुलिस वालों ने, सड़क के बीच में ही बैठा दिया, कहा जा रहा है वहाँ गाँव के करीब 200 के आस पास लोग अचानक ही इकट्ठे हो गए।
फिर भीड़ ने, पुलिस वालों के सामने ही डंडे और पत्थरों से मार-मार कर दोनों सन्तों और ड्राइवर की बेरहमी से हत्या कर दी। बता दें कि यह गाँव और इलाका आदिवासी बहुल है और ग्रामीणों में ज़्यादातर ईसाई और कुछ के मुस्लिम समुदाय का होने का दावा भी संत समाज के कुछ लोगों द्वारा किया गया है।
महाराष्ट्र में आज हिंदुत्व की बात करने वाली शिवसेना की सरकार है। लेकिन इस सरकार में हिन्दू सुरक्षित नहीं है। हिन्दुओं पर लगातार हमले हो रहे हैं। पालघर में जिस तरह पुलिस की मौजूदगी में दो संतों और उनके ड्राइवर की मॉब लिंचिंग की गई है, उससे पूरा देश हैरान है। इस घटना को गुरुवार को अंजाम दिया गया, लेकिन इस मॉब लिंचिंग पर न तो उद्धव ठाकरे का बयान आया है और न ही लिबरल और सेक्युलर गिरोह का।
हैरानी की बात यह है कि गौ-तस्करों के मामले में लिंचिंग-लिंचिंग की रट लगाने वाले बुद्धिजीवी संतों की हत्या पर मौन है। न तो टीवी चैनलों पर डिबेट हो रही और न ही कोई मार्च निकाला जा रहा है। इस घटना ने फिर साबित कर दिया है कि तथाकथित बुद्धिजीवियों को सिर्फ गौ-तस्करों की चिंता है।अब कोई #mob lynching, #intolerance, #award vapsi, #not in my name आदि किसी गैंगस्टर की आवाज़ नहीं निकल रही, किस बिल में छिपे बैठे हैं या उनके घर कोई महाशोक है? इतना ही नहीं एक्टर आमिर खान और उसकी पत्नी की भी आवाज़ नहीं निकल रही, जबकि यह मॉब लिंचिंग महाराष्ट्र से बाहर नहीं, महाराष्ट्र में ही हुई है। राहुल गाँधी, अरविन्द केजरीवाल, किसी वामपंथी तक की बोलती बंद है, मुंह में दही जमाए बैठे हैं, क्यों नहीं बोलते अब?
मॉब लिंचिंग की यह घटना उस समय घटी जब पालघर जिले के गडचिनचले गांव के लोगों ने चोर होने के शक में तीन लोगों को उनकी कार से बाहर निकालकर उनकी पीट-पीटकर हत्या कर दी। पुलिस के मुताबिक सुशील गिरि महाराज, जयेश और नरेश येलगडे एक वैन में बैठ कर सूरत में किसी शख्स के अंतिम संस्कार के लिए जा रहे थे। इन तीनों में से ही एक शख्स कार चला रहा था। इसी बीच 200 से अधिक ग्रामीणों ने तीनों को चोर समझकर रोक लिया। उन्होंने शुरुआत में तो उन पर पथराव किया और एक बार जब गाड़ी रुकी, तो तीनों को बाहर निकाला गया और लाठी-डंडों से जमकर पीटा गया। इसी दौरान ड्राइवर ने पुलिस को कॉल भी किया कि उनके वाहन पर हमला किया जा रहा है और ग्रामीण उन्हें रोकने की कोशिश कर रहे थे। जल्द ही पुलिस टीम भी मौके पर पहुंच गई।
पुलिस टीम के पहुंचने पर भी ग्रामीण नहीं रूके, यहां तक कि उन्होंने पुलिस के वाहनों पर भी हमला कर दिया। खबरों के मुताबिक इस हमले में कुछ पुलिसकर्मी भी घायल हो गए हैं। पालघर के कलेक्टर कैलाश शिंदे ने बताया, ‘जिन तीन लोगों की भीड़ ने पिटाई की उन्हें अस्पताल लाया गया था जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। मामले में लगभग 110 गांवों वालों को पूछताछ के लिए पुलिस थाने में लाया गया है और आगे की जांच जारी है।’
महाराष्ट्र के पालघर में दो साधु और एक ड्राइवर की मॉब लिंचिंग के मामले में FIR दर्ज कर 110 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें से 101 लोगों को 30 अप्रैल तक पुलिस कस्टडी में भेजा गया है, जबकि 9 नाबालिगों को जुवेनाइल सेंटर होम में भेज दिया गया है।
साधुओं की निर्मम हत्या को लेकर साधु-संतों सहित नेताओं ने रोष जताया है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी ने रविवार(अप्रैल 19) को इस घटना की कड़े शब्दों में निंदा की और चेतावनी दी कि अगर हत्यारों की शीघ्र गिरफ्तारी नहीं की गई तो महाराष्ट्र सरकार के विरुद्ध आंदोलन किया जाएगा।
Maharashtra: 3 people were beaten to death by villagers in Palghar on suspicion of theft on 17th April. FIR filed against villagers & 110 people have been arrested, of which 101 have been sent to police custody till 30 April & 9 minors have been sent to a juvenile shelter home.— ANI (@ANI) April 19, 2020
Maharashtra: 3 people lynched on suspicion of theft in Gadchinchle village of Palghar. Kailas Shinde, Collector says, "They were declared brought dead at the hospital. About 110 villagers have been brought to police stations for questioning. Further probe underway". (17.4.20) pic.twitter.com/A7rWWwPSqX— ANI (@ANI) April 18, 2020
Respected @DGPMaharashtra this has happened in front of policeman of @Palghar_Police .Strict action needs to be taken in this matter.These were Sadhus and Saints from Juna Akhada not any dacoits.— Pratik Karpe (@CAPratikKarpe) April 19, 2020
CM @OfficeofUT Is this Shivshahi or MogulRule ? pic.twitter.com/CTLfJVe87A
महाराष्ट्र के पालघर में 2 संत और उनके ड्राइवर को बड़े ही बेरहमी से लिंचिंग कर मौत के घाट उतार दिया गया।ये घटना वीरवार की है।आज तक सारे liberals पूरी तरह से ख़ामोश है।— Sambit Patra (@sambitswaraj) April 19, 2020
कोई लोकतंत्र या संबिधान की दुहाई नहीं दे रहा।
देंगे भी क्यों ..ये तो संतो की मृत्यु हुई है
कौन पूछता है संतो को?? pic.twitter.com/iAyE0Fberz
पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कड़ी कार्यवाही की मांग
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, “पालघर में जिस क्रूरता के साथ मॉब लिंचिंग हुई, वह मानवता को शर्मसार करने वाली है। पालघर में भीड़ हिंसा की घटना का वीडियो हैरान करने वाला और अमानवीय है। ऐसे संकट के समय इस तरह की घटना और भी ज्यादा परेशान करने वाली है। मैं राज्य सरकार से गुजारिश करता हूँ कि वह इस मामले की उच्च स्तरीय जाँच करवाएँ और जो दोषी हैं उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।”
The cruelty with which the mob lynching in #Palghar happened, is beyond inhuman.— Devendra Fadnavis (@Dev_Fadnavis) April 19, 2020
I demand a High Level Enquiry and strictest action be taken at the earliest.#Maharashtra #Mumbai pic.twitter.com/tnagputI7J
Horrific video of a mob lynching in cops’ presence in #Palghar Maharashtra, run by @OfficeofUT whr a few days ago a cop & doctor had been assaulted.— Baijayant Jay Panda (@PandaJay) April 19, 2020
Media downplayed, said “mistaken suspicion as robbers” & suppressed that they were in Hindu religious robes.
Why this hypocrisy?
भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और प्रवक्ता बैजयंत पांडा ने भी घटना को लेकर रोष जताया है। उन्होंने इस घटना को शर्मनाक बताया और उद्धव सरकार को निशाने पर लिया। पांडा ने ट्वीट किया, “पालघर में पुलिस के सामने भीड़ हिंसा की घटना का वीडियो दहला देने वाला है। वह भी तब, जब कुछ ही दिन पहले उद्धव सरकार के शासन में एक पुलिसकर्मी और डॉक्टर पर हमला हुआ था। मीडिया के एक वर्ग ने इसे ‘संतों के भेष में चोरों’ का मामला बताकर घटना को कमतर दिखाया।”
स्टेट स्पॉन्सर्ड? या पुलिस स्पॉन्सर्ड?- रोहित सरदाना, आजतक पत्रकार
आज तक के पत्रकार रोहित सरदाना ने भी इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कई सवाल खड़े किए। उन्होंने घटना का वीडियो शेयर करते हुए लिखा, “महाराष्ट्र के पालघर में हुई इस हत्या को क्या कहें? स्टेट स्पॉन्सर्ड? या पुलिस स्पॉन्सर्ड? महाराष्ट्र सरकार की शान में आए दिन कसीदे पढ़ने वाले फिल्मी सितारों में से कितनों ने इस बारे में ट्वीट किया?”
वहीं आज तक की पत्रकार श्वेता सिंह ने भी इसे प्रायोजित हत्या बताते हुए कहा, “एक वृद्ध साधु वर्दी से उम्मीद लगाए पीछे छिपे। तो उसने खुद उन्हें भीड़ को सौंप दिया! ‘चोर समझकर’ मारने वाली पूरी रिपोर्ट मनगढ़ंत दिख रही है। ये वीडियो तो प्रायोजित हत्या का है।” बता दें कि मीडिया गिरोह साधुओं की मॉब लिंचिंग कर हत्या की खबर की रिपोर्टिंग ‘चोर समझकर’ पीट-पीट कर हत्या के रूप में की है।
एक वृद्ध साधु वर्दी से उम्मीद लगाए पीछे छिपे। तो उसने खुद उन्हें भीड़ को सौंप दिया! ‘चोर समझकर’ मारने वाली पूरी रिपोर्ट मनगढ़ंत दिख रही है। ये विडियो तो प्रायोजित हत्या का है। https://t.co/HwnUymAE6L— Sweta Singh (@SwetaSinghAT) April 19, 2020
“आज भगवा के साथ हुए नरसंहार पर मुझे भारत का मौन खल रहा?-- एक्टर मुकेश खन्ना
महाराष्ट्र के पालघर का एक और विडीओ सामने आया है ..हृदयविदारक ..बेबस संत पुलिस के पीछे अपनी जान बचाने भाग रहा है और ऐसा साफ़ दिख रहा है की पुलिस न केवल अपनी ज़िम्मेदारी से पीछे हट रही है अपितु ऐसा लगता है की बेचारे संत को भीड़ में धकेला जा रहा है।— Sambit Patra (@sambitswaraj) April 19, 2020
ये महाराष्ट्र में क्या हो रहा है? pic.twitter.com/6KC3gJQPgn
एक्टर मुकेश खन्ना ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा, “आज भगवा के साथ हुए नरसंहार पर मुझे भारत का मौन खल रहा? क्या संन्यासी साधु संत का कोई मानवाधिकार नहीं होता? हिंदुत्व का राग अलापने वाली भगवा ध्वज लेकर चलने वाली सरकार क्या मर चुकी है? क्या सनातन के संहार के बाद देश खड़ा रह सकेगा? कोई अन्य संप्रदाय का धर्मगुरू होता फिर?”
सोशल मीडिया पर भी घटना को लेकर लोगों में काफी आक्रोश देखने को मिला। लोगों ने इस पर कड़ी प्रतिक्रियाएँ दीं। एक ने लिखा, “अगर पालघर ग़लती से यूपी में होता और मरने वाला तबरेज या अखलाक होता तो चूड़ियाँ टूटने की इतनी आवाज़ आती कि कोरोना मर जाता।”
आहत इंदौरी नाम के एक यूजर ने लिखा, “हिन्दुओं ने बेवजह किसी मौलवी की पुलिस के सामने पीट पीट कर हत्या कर दी होती तो ये अब तक अंतराष्ट्रीय खबर बन गई होती और कॉन्ग्रेस, सपा, बसपा आदि दलों का रो-रो कर बुरा हाल होता।”
महाराष्ट्र के पालघर का एक और विडीओ सामने आया है ..हृदयविदारक ..बेबस संत पुलिस के पीछे अपनी जान बचाने भाग रहा है और ऐसा साफ़ दिख रहा है की पुलिस न केवल अपनी ज़िम्मेदारी से पीछे हट रही है अपितु ऐसा लगता है की बेचारे संत को भीड़ में धकेला जा रहा है।— Sambit Patra (@sambitswaraj) April 19, 2020
ये महाराष्ट्र में क्या हो रहा है? pic.twitter.com/6KC3gJQPgn
महाराष्ट्र के पालघर का एक और विडीओ सामने आया है ..हृदयविदारक ..बेबस संत पुलिस के पीछे अपनी जान बचाने भाग रहा है और ऐसा साफ़ दिख रहा है की पुलिस न केवल अपनी ज़िम्मेदारी से पीछे हट रही है अपितु ऐसा लगता है की बेचारे संत को भीड़ में धकेला जा रहा है।— Sambit Patra (@sambitswaraj) April 19, 2020
ये महाराष्ट्र में क्या हो रहा है? pic.twitter.com/6KC3gJQPgn
महाराष्ट्र के पालघर का एक और विडीओ सामने आया है ..हृदयविदारक ..बेबस संत पुलिस के पीछे अपनी जान बचाने भाग रहा है और ऐसा साफ़ दिख रहा है की पुलिस न केवल अपनी ज़िम्मेदारी से पीछे हट रही है अपितु ऐसा लगता है की बेचारे संत को भीड़ में धकेला जा रहा है।— Sambit Patra (@sambitswaraj) April 19, 2020
ये महाराष्ट्र में क्या हो रहा है? pic.twitter.com/6KC3gJQPgn
महाराष्ट्र के पालघर का एक और विडीओ सामने आया है ..हृदयविदारक ..बेबस संत पुलिस के पीछे अपनी जान बचाने भाग रहा है और ऐसा साफ़ दिख रहा है की पुलिस न केवल अपनी ज़िम्मेदारी से पीछे हट रही है अपितु ऐसा लगता है की बेचारे संत को भीड़ में धकेला जा रहा है।— Sambit Patra (@sambitswaraj) April 19, 2020
ये महाराष्ट्र में क्या हो रहा है? pic.twitter.com/6KC3gJQPgn
एक अन्य यूजर ने लिखा, “बालासाहेब होते तो आज संतों को मारने वालों के हाथों को काट देते, लेकिन दुर्भाग्य से आज उनके बेटे की सरकार है जो कॉन्ग्रेस की गोदी में खेल रहा है।”
एक ने लिखा, “अखलाक ओर पहलू खान पर आँसू बहाने वाले लिबरल्स महाराष्ट्र के पालघर में 2 संत और उनके ड्राइवर को बड़े ही बेरहमी से लिंचिंग कर मौत के घाट उतार दिया गया तब चुप क्यों हैं?? कहाँ हैं लोकतंत्र के ठेकेदार?? क्यों… ये तो संतों की मृत्यु हुई है, कौन पूछता है संतों को?”
घटना की जानकारी मिलने पर शुरुआत में पहुंचे पुलिसकर्मी पीड़ितों को बचा नहीं सके क्योंकि हमलावरों की संख्या बहुत अधिक थी और भीड़ ने पुलिस वाहन में भी पीड़ितों की पिटाई की। कासा पुलिस स्टेशन के निरीक्षक आनंदराव काले ने बताया कि यह वीभत्स घटना गुरुवार को रात में 9.30 से 10 बजे के बीच हुई।
एक सीनियर पुलिस अधिकारी का कहना है कि फिलहाल मामले की सभी एंगल से जांच की जा रही है। इस बात की भी जांच की जा रही है कि क्या इलाके में सोशल मीडिया के जरिए अफवाह फैलाई जा रही है? आखिर इतने सारे ग्रामीण एक साथ कैसे जमा हो गए? ग्रामीणों से भी इसको लेकर पूछताछ की जा रही है।
जिस बेरहमी से संतों और उनके ड्राइवर को पीट-पीटकर मौत के घाट उतारा गया है और पुलिस पर पथराव किया गया। उससे पता चलता है कि महाराष्ट्र में सरकार बदलते ही देश और हिन्दू विरोधियों के हौसले बुलंद है। उन्हें न तो पुलिस का डर है और न कानून का। अब उनके निशाने पर बेकसूर साधु-संत हैं।
महाराष्ट्र में अपराधियों के हौसले इसलिए बुलंद है,क्योंकि उद्धव सरकार को कांग्रेस और एनसीपी का समर्थन हासिल है। इसलिए उद्धव सरकार कांग्रेस और एनसीपी नेताओं के संरक्षण में चलने वाले अपराधी गिरोहों पर लगाम लगाने में नाकाम साबित हो रही है। आज प्रदेश में अपराधी गिरोहों का बोलबाला है। बैशाखी पर चल रही उद्धव सरकार की कमजोरी और नाकामी का खामियाजा प्रदेश की बेकसूर जनता को भुगतना पड़ रहा है।
क्या है पालघर मामला
जूना अखाड़ा के 2 महंत कल्पवृक्ष गिरी महाराज (70 वर्ष), महंत सुशील गिरी महाराज (35 वर्ष) अपने ड्राइवर निलेश तेलगडे (30 वर्ष) के साथ मुंबई से गुजरात अपने गुरु भाई को समाधि देने के लिए जा रहे थे। दरअसल, श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा 13 मंडी मिर्जापुर परिवार के एक महंत राम गिरी जी गुजरात के वेरावल सोमनाथ के पास ब्रह्मलीन हो गए थे। दोनों संत महाराष्ट्र के कांदिवली ईस्ट के रहने वाले थे और मुंबई से गुजरात अपने गुरु की अंत्येष्टि में शामिल होने जा रहे थे।
इसी दौरान रास्ते में उन्हें महाराष्ट के पालघर जिले में स्थित दहाणु तहसील के गडचिनचले गाँव में पालघर थाने के पुलिसकर्मियों ने पुलिस चौकी के पास रोका। इसके बाद ड्राइवर के साथ दोनों संतों को भी गाड़ी से बाहर निकलने के लिए कहा गया और उन लोगों को पुलिस वालों ने, सड़क के बीच में ही बैठा दिया, कहा जा रहा है वहाँ गाँव के करीब 200 के आस पास लोग अचानक ही इकट्ठे हो गए।
फिर भीड़ ने, पुलिस वालों के सामने ही डंडे और पत्थरों से मार-मार कर दोनों सन्तों और ड्राइवर की बेरहमी से हत्या कर दी। बता दें कि यह गाँव और इलाका आदिवासी बहुल है और ग्रामीणों में ज़्यादातर ईसाई और कुछ के मुस्लिम समुदाय का होने का दावा भी संत समाज के कुछ लोगों द्वारा किया गया है।
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