आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
जब से केन्द्र में मोदी सरकार आयी है, मोदी विरोधियों की ऐसी नींद और रोटी हराम हुई है, कि बौखलाहट में स्वयं वही काम कर रहे हैं, जिसके लिए मोदी और मोदी सरकार का विरोध करते रहते हैं।
एक तरफ कहते हैं, सरकार पत्रकारिता पर अंकुश लगा रही है, जबकि ये लोग स्वयं पत्रकारिता पर हमला यानि अंकुश लगा रहे हैं। नागरिकता संशोधक कानून से लेकर अब विश्वव्यापी कोरोना बीमारी पर अराजकता फ़ैलाने का प्रयत्न कर रहे हैं। दूसरी तरफ कहते हैं कि गरीबों और मजबूर मजदूरों को खाना बाँट रहे हैं, फिर प्रवासी मजदूर क्यों अपने राज्य जाने को मजबूर हो रहे हैं। सभी का यही कहना है कि खाने को नहीं, पैसे नहीं, जबकि कई स्थानों पर दो-दो हज़ार रूपए भी बांटें गए हैं। आखिर ये खाना और रूपए मजदूरों और जरूरतमंदों की बजाए अपने ही लोगों में बांटा गया है? या फिर यह समझा जाए गरीबों की मदद करने की आड़ में तिजोरियां भरी गयीं।
कोरोना संकट काल में जहां भाजपा शासित राज्यों में आम लोगों की मदद के लिए तमाम उपाय किए जा रहे हैं, वहीं कोरोना की आड़ में गैरबीजेपी शासित राज्यों में ज्यादती और मनमानी अपने चरम पर है। गैरबीजेपी राज्यों के क्वारंटीन सेंटरों में अव्यवस्था और खराब खाने की शिकायतों की भरमार लगी है, लेकिन इसकी चर्चा मुश्किल से ही बाहर आ पाती है।
कोरोनाकाल में भी जलाए जा रहे हिंदुओं के घर
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मुस्लिम वोटबैंक को लेकर इतनी अंधी हो चुकी है कि राज्य में कोरोनाकाल में भी उन्मादी तत्वों पर कोई लगाम नहीं है। हुगली जिले के तेलिनीपाड़ा समेत कई हिस्सों में हिंदुओं के घर जलाने के मामले सामने आए हैं। ऑप इंडिया के अनुसार पीड़ितों का कहना है कि पुलिस से शिकायत करने पर उल्टा उन्हें ही मारने की धमकी दी जाती है।
यहां कई दिनों तक हिंदुओं के खिलाफ खुलकर हिंसा हुई। तेलिनीपाड़ा के तांतीपारा, महात्मा गांधी स्कूल के पास शगुनबागान और फैज स्कूल के पास लगातार आगजनी और लूटपाट की घटना जारी रही। प्रशासन मूकदर्शक बना रहा। मालदा के शीतला माता मंदिर में भी तोड़फोड़ और आगजनी की गई।
सच सामने लाने पर मीडिया पर कहर
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोरोना मरीजों के वास्तविक आंकड़ों को छिपाने के लिए मीडिया को भी धमकाया। इंडिया टुडे के अनुसार ममता ने कहा कि वे अगर सही तरीके से बर्ताव नहीं करते तो उनके खिलाफ आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत केस किया जा सकता है।
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनकड़ ने ममता की इस धमकी को लेकर चिंता जाहिर की।
कलकत्ता न्यूज चैनल के प्रसारण को रोका
संकट के इस दौर में भी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कोरोना को नियंत्रित करने से अधिक अपना राजनीतिक रुतबा दिखाने में जुटी हैं। कलकत्ता न्यूज चैनल के प्रसारण को जिस तरह से रोका गया, यह भी ममता की निरंकुशता का ही प्रमाण है। ममता की मानें तो खबर वही है, जो उनके अनुरूप हो।
ममता से परेशान मणिपुर की 185 नर्सों ने छोड़ी नौकरी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जहां एक तरफ कोरोना महामारी को लेकर राजनीति कर रही हैं, वहीं राज्य सरकार और अस्पताल प्रशासन की मनमानी के कारण नर्सेस नौकरियां छोड़ने को मजबूर हैं। कोलकाता में कार्यरत 185 नर्सों ने नौकरी छोड़ दी है। नर्सों का कहना है कि उनके साथ भेदभाव और जातिवादी टिप्पणियां की जाती हैं। यहां तक कि कई बार लोग हम पर थूक भी देते हैं। ये सभी नर्सें मणिपुर की रहने वाली हैं।
ममता सरकार के रवैये से नर्सों का पलायन
कोरोना से जंग में ममता सरकार के कैजुअल रवैये को देखते हुए बड़ी तादाद में कोलकाता समेत पश्चिम बंगाल की नर्सें पलायन को मजबूर हो गईं। नर्सों का कहना है कि प्रशासन उनकी सुरक्षा को नजरअंदाज कर रहा है। पत्रिका के अनुसार बिना उचित व्यवस्था के उन्हें टेस्टिंग के अतिरिक्त कामकाज में भी लगाया जा रहा है। नतीजा ये है कि सैकड़ों नर्सें आंदोलन पर उतर आईं, साथ ही कइयों ने अपने गृह राज्यों का रुख कर लिया।
ममता राज में पुलिसवाले बने बागी
ममता बनर्जी को कोरोना से जंग में जुटे अपने पुलिसवालों की भी सुध नहीं। यही वजह है कि कई पुलिसवाले खुलेआम बागी बन बैठे। प्रभात खबर के अनुसार पुलिस ट्रेनिंग स्कूल में सेनेटाइजर और खाने-पीने की अपर्याप्त व्यवस्था से गुस्साए कॉन्स्टेबलों ने न सिर्फ पुलिस उपायुक्त की पिटाई कर डाली, बल्कि मनाने आईं ममता के सामने प्रदर्शन भी किया।
राजस्थान में पुलिसकर्मी ही खतरे में
कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान के टोंक में कोरोना प्रभावित अल्पसंख्यक इलाकों में गश्त करने गए पुलिसवालों पर लोगों ने घेर कर हमला किया। जागरण के अनुसार 17 अप्रैल को कसाई मोहल्ला इलाके में लाठी-डंडे और तलवार से किए गए इस हमले में कई पुलिसकर्मी घायल हो गए। कोरोना के कर्मवीरों पर हमला सिर्फ इसलिए हुआ, क्योंकि पुलिसवालों ने उन्हें लॉकडाउन में घर जाने को कहा। इससे ठीक दो दिन पहले टोंक में ही संक्रमण को लेकर घर-घर सर्वे करने गई टीम पर भी हमला हुआ था। बताया जाता है कि राज्य सरकार द्वारा सिर पर बिठाए रखने से इन हमलावरों का हौसला बढ़ा हुआ है।
छत्तीसगढ़ के क्वारंटीन सेंटर में दम तोड़ते मजदूर
छत्तीसगढ़ के जांजगीर में क्वारंटीन सेंटर की बदहाली और खानेपीने की बदइंतजामी के बीच एक मजदूर ने दम तोड़ दिया। बिलासपुर के कुछ क्वारंटीन सेंटर में गुजरात, महाराष्ट्र और अन्य प्रदेशों के प्रवासी श्रमिकों और उनके बच्चों को ठहराया गया है। नई दुनिया के अनुसार उन्हें नाश्ता तो दूर, थोड़ा-बहुत जो खाना भी मिलता है, उसमें भी दाल की जगह सिर्फ नमक-पानी दिए जाने की शिकायतें मिल रही हैं।
कोरोनाकाल में चुनिंदा मीडियाकर्मियों पर ज्यादतियां
केरल पुलिस ने जी न्यूज के एडिटर सुधीर चौधरी के खिलाफ 7 मई को गैरजमानती धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की। कोझिकोड में ये एफआईआर उन पर अपने न्यूज शो में जिहाद के अलग-अलग रूप बताने के लिए दर्ज की गई। दो महीने बाद पुलिस की यह कार्रवाई अपने-आपमें कई सवाल उठा जाती है, राजनीतिक मंशा को उजागर कर जाती है।
सुधीर चौधरी ने लिखा, “सच्चाई दिखाने के बदले ये रहा मेरा पुलित्जर प्राइज, सच की रिपोर्टिंग के लिए। प्रशस्ति पत्र साझा कर रहा हूं- मेरे खिलाफ केरल पुलिस द्वारा गैर-जमानती धाराओं के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई है। ये इनाम मुझे असुविधाजनक तथ्यों को उजागर करने के बदले मिला है। ये मीडिया के लिए एक साफ संदेश है। अगर आप दशकों पुरानी तथाकथित सेकुलर रेखा पर घुटने नहीं टेकोगे तो आपको जेल के भीतर डाल दिया जाएगा।”
एबीपी के पत्रकार को किया गिरफ्तार
मुंबई के बांद्रा इलाके में लॉकडाउन के दौरान 14 अप्रैल को प्रवासी लोगों के जमा होने के मामले में एबीपी माझा के पत्रकार राहुल कुलकर्णी को गिरफ्तार किया गया। नवभारत टाइम्स की खबर के अनुसार राहुल कुलकर्णी ने ही उस पत्र का पर्दाफाश किया था जिसमें राज्य सरकार के अधिकारी ने घोटाले के आरोपी वधावन बंधुओं को लॉकडाउन में भी सातारा जाने की अनुमति दी थी। यानि कोरोनाकाल की अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए महाराष्ट्र सरकार दूसरी रंजिशों का बदला लेने में भी जुटी हुई है।
रिपब्लिक के पत्रकार अर्नब गोस्वामी पर हमला
कांग्रेस-एनसीपी के सहयोग से से बनी महाराष्ट्र की उद्धव सरकार ने वरिष्ठ पत्रकार अर्नब गोस्वामी की अभिव्यक्ति की आजादी को भी दबाने की कोशिश की। पुलिस के सामने हुई साधुओं की हत्या को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की चुप्पी पर सवाल उठाने के बाद 22 अप्रैल की मध्यरात्रि में अर्नब गोस्वामी पर मुंबई में हमला किया गया। हमले के आरोपियों को तुरंत जमानत मिलना और अर्नब गोस्वामी से 12 घंटे पूछताछ करना कांग्रेस और उसके साथियों की आपातकाल वाली मानसिकता को उजागर करता है।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने खुलेआम दी धमकी
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला बोलते हुए अर्नब गोस्वामी की पत्रकारिता को अपराध बताते हुए उन्होंने कहा रिपब्लिक को सबक सिखाने में सक्षम हैं। इसके कुछ ही घंटों बाद अर्नब पर हमला हुआ था।
कांग्रेसी नेता दे रहे एफआईआर कराने की धमकी
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए आलाकमान की वफादारी कोरोना मरीजों के स्वास्थ्य से भी बड़ी है। उन्होंने सोनिया पर टिप्पणी के लिए अर्नब गोस्वामी को पागल तक बता दिया।
अल्का लांबा ने हमले के लिए उकसाया
कांग्रेस नेता अल्का लांबा ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को मुंबई में अर्नब गोस्वामी पर हमले के लिए उकसाया। इसके थोड़े समय बाद ही अर्नब पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने अटैक कर दिया।
फिर अर्नब गोस्वामी पर हमले के तुरंत बाद ट्वीट कर अल्का ने कहा – यूथ कांग्रेस जिंदाबाद
सुशांत सिन्हा पर एफआईआर
इंडिया टीवी से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार सुशांत सिन्हा कोरोनाकाल में कांग्रेस की ओछी राजनीति की पोल खोलते रहे हैं। कांग्रेस नेताओं ने उनके खिलाफ राजस्थान में एफआईआर दर्ज कराने की धमकी दी।
महाराष्ट्र में कोरोना योद्धाओं की आवाज दबाने वालों का हौसला बढ़ा
न्यूज18 से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार अमिश देवगन कोरोना योद्धाओं की आवाज को प्रमुखता से उठाते रहे हैं। लॉकडाउन के दौरान मुंबई के कुर्ला इलाके में जमा भीड़ को समझाने पहुंची पुलिस के साथ AIMIM के स्थानीय पार्षद मुर्तजा ने बदतमीजी की थी। इसको लेकर सवाल पूछे जाने के बाद अमिश को मुर्तजा ने धमकाया था। इससे जाहिर होता है कि महाराष्ट्र में मुर्तजा जैसों को राज्य सरकार का कितना संरक्षण हासिल है।
‘हम अपने पे उतर आए तो तुम्हारा बाहर निकलना बंद हो जाएगा’
यह गैरबीजेपी राज्यों की सरकारों से मिली ताकत का ही दंभ है कि मौलाना साद पर टिप्पणी करने के चलते मौलाना अली कादरी ने रिपोर्टरों को धमकाते हुए कहा कि ‘हम अपने पे उतर आए तो तुम्हारा बाहर निकलना बंद हो जाएगा’
जब से केन्द्र में मोदी सरकार आयी है, मोदी विरोधियों की ऐसी नींद और रोटी हराम हुई है, कि बौखलाहट में स्वयं वही काम कर रहे हैं, जिसके लिए मोदी और मोदी सरकार का विरोध करते रहते हैं।
एक तरफ कहते हैं, सरकार पत्रकारिता पर अंकुश लगा रही है, जबकि ये लोग स्वयं पत्रकारिता पर हमला यानि अंकुश लगा रहे हैं। नागरिकता संशोधक कानून से लेकर अब विश्वव्यापी कोरोना बीमारी पर अराजकता फ़ैलाने का प्रयत्न कर रहे हैं। दूसरी तरफ कहते हैं कि गरीबों और मजबूर मजदूरों को खाना बाँट रहे हैं, फिर प्रवासी मजदूर क्यों अपने राज्य जाने को मजबूर हो रहे हैं। सभी का यही कहना है कि खाने को नहीं, पैसे नहीं, जबकि कई स्थानों पर दो-दो हज़ार रूपए भी बांटें गए हैं। आखिर ये खाना और रूपए मजदूरों और जरूरतमंदों की बजाए अपने ही लोगों में बांटा गया है? या फिर यह समझा जाए गरीबों की मदद करने की आड़ में तिजोरियां भरी गयीं।
कोरोना संकट काल में जहां भाजपा शासित राज्यों में आम लोगों की मदद के लिए तमाम उपाय किए जा रहे हैं, वहीं कोरोना की आड़ में गैरबीजेपी शासित राज्यों में ज्यादती और मनमानी अपने चरम पर है। गैरबीजेपी राज्यों के क्वारंटीन सेंटरों में अव्यवस्था और खराब खाने की शिकायतों की भरमार लगी है, लेकिन इसकी चर्चा मुश्किल से ही बाहर आ पाती है।
कोरोनाकाल में भी जलाए जा रहे हिंदुओं के घर
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मुस्लिम वोटबैंक को लेकर इतनी अंधी हो चुकी है कि राज्य में कोरोनाकाल में भी उन्मादी तत्वों पर कोई लगाम नहीं है। हुगली जिले के तेलिनीपाड़ा समेत कई हिस्सों में हिंदुओं के घर जलाने के मामले सामने आए हैं। ऑप इंडिया के अनुसार पीड़ितों का कहना है कि पुलिस से शिकायत करने पर उल्टा उन्हें ही मारने की धमकी दी जाती है।
यहां कई दिनों तक हिंदुओं के खिलाफ खुलकर हिंसा हुई। तेलिनीपाड़ा के तांतीपारा, महात्मा गांधी स्कूल के पास शगुनबागान और फैज स्कूल के पास लगातार आगजनी और लूटपाट की घटना जारी रही। प्रशासन मूकदर्शक बना रहा। मालदा के शीतला माता मंदिर में भी तोड़फोड़ और आगजनी की गई।
सच सामने लाने पर मीडिया पर कहर
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोरोना मरीजों के वास्तविक आंकड़ों को छिपाने के लिए मीडिया को भी धमकाया। इंडिया टुडे के अनुसार ममता ने कहा कि वे अगर सही तरीके से बर्ताव नहीं करते तो उनके खिलाफ आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत केस किया जा सकता है।
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनकड़ ने ममता की इस धमकी को लेकर चिंता जाहिर की।
कलकत्ता न्यूज चैनल के प्रसारण को रोका
संकट के इस दौर में भी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कोरोना को नियंत्रित करने से अधिक अपना राजनीतिक रुतबा दिखाने में जुटी हैं। कलकत्ता न्यूज चैनल के प्रसारण को जिस तरह से रोका गया, यह भी ममता की निरंकुशता का ही प्रमाण है। ममता की मानें तो खबर वही है, जो उनके अनुरूप हो।
ममता से परेशान मणिपुर की 185 नर्सों ने छोड़ी नौकरी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जहां एक तरफ कोरोना महामारी को लेकर राजनीति कर रही हैं, वहीं राज्य सरकार और अस्पताल प्रशासन की मनमानी के कारण नर्सेस नौकरियां छोड़ने को मजबूर हैं। कोलकाता में कार्यरत 185 नर्सों ने नौकरी छोड़ दी है। नर्सों का कहना है कि उनके साथ भेदभाव और जातिवादी टिप्पणियां की जाती हैं। यहां तक कि कई बार लोग हम पर थूक भी देते हैं। ये सभी नर्सें मणिपुर की रहने वाली हैं।
ममता सरकार के रवैये से नर्सों का पलायन
कोरोना से जंग में ममता सरकार के कैजुअल रवैये को देखते हुए बड़ी तादाद में कोलकाता समेत पश्चिम बंगाल की नर्सें पलायन को मजबूर हो गईं। नर्सों का कहना है कि प्रशासन उनकी सुरक्षा को नजरअंदाज कर रहा है। पत्रिका के अनुसार बिना उचित व्यवस्था के उन्हें टेस्टिंग के अतिरिक्त कामकाज में भी लगाया जा रहा है। नतीजा ये है कि सैकड़ों नर्सें आंदोलन पर उतर आईं, साथ ही कइयों ने अपने गृह राज्यों का रुख कर लिया।
ममता राज में पुलिसवाले बने बागी
ममता बनर्जी को कोरोना से जंग में जुटे अपने पुलिसवालों की भी सुध नहीं। यही वजह है कि कई पुलिसवाले खुलेआम बागी बन बैठे। प्रभात खबर के अनुसार पुलिस ट्रेनिंग स्कूल में सेनेटाइजर और खाने-पीने की अपर्याप्त व्यवस्था से गुस्साए कॉन्स्टेबलों ने न सिर्फ पुलिस उपायुक्त की पिटाई कर डाली, बल्कि मनाने आईं ममता के सामने प्रदर्शन भी किया।
हुगली के तेलिनीपाड़ा से एक और वीडियो सामने आया।— Arjun Singh (@ArjunsinghWB) May 12, 2020
लोग मुझे ऐसे वीडियो निरंतर भेज रहे हैं। साफ -साफ दिख रहा है कि पुलिस के होते हुए यह दशा है। मंदिर पर हमले की भी खबर है। प्रशासन से आग्रह है कि यदि मंदिर को क्षति हुई है तो तुरंत मरम्मत हो। पुलिस निष्पक्ष होकर अपना कर्तव्य निभाये। pic.twitter.com/cCAFq2AM2E
बंगाल के हुगली जिले के तेलिनीपाड़ा का वीडियो।— Arjun Singh (@ArjunsinghWB) May 12, 2020
बंगाल की गलियों में लोग तलवार लेकर और अल्लाहु अकबर का नारा लगाकर निकल आये हैं। हिंदुओं के रामनवमी पर तलवार निकालने पर मनाही और लोगों का कत्लेआम करने पर सिर्फ निन्दा? @BJP4Bengal @KailashOnline @shivprakashbjp @DilipGhoshBJP @me_locket pic.twitter.com/nygDf23wfJ
समुदाय विशेष के लोगों द्वारा हुबली जिले के टेलनीपारा के तांतीपारा, महात्मा गांधी स्कूल के पास शगुनबागान और फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ स्कूल के पास लगातार आगजनी और लूटपाट की जा रही है। वहां का प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है।— Kailash Vijayvargiya (@KailashOnline) May 12, 2020
ममताजी, आपके बंगाल में इस तरह की घटनाएं आखिर कब तक ???
पश्चिम बंगाल के हुगली के टेलनिपारा में हिंसा लगातार बढ़ रही है। वहां के प्रशासन की तरफ से हिंसा रोकने के कोई कदम नहीं उठाए जा रहे है।— Kailash Vijayvargiya (@KailashOnline) May 12, 2020
ममताजी आपके राज्य में हिंसा फैल रही है और आप मौन है! pic.twitter.com/G7m72RAjBa
अजमेर शरीफ़ से मालदा लौटे समुदाय विशेष के कुछ लोग कोरोना संक्रमित निकले। फिर भी उन्होंने अपनी दुकाने खोली,जिसका हिन्दूओं ने विरोध किया और अपने इलाके की घेराबंदी कर ली,जिससे चिढ़कर समुदाय विशेष द्वारा मंदिर और हिन्दुओं के घरों पर हमला किया।— Kailash Vijayvargiya (@KailashOnline) May 11, 2020
ममताजी,क्या ये रोका नहीं जा सकता था? pic.twitter.com/zFmnPpUYma
राजस्थान में पुलिसकर्मी ही खतरे में
कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान के टोंक में कोरोना प्रभावित अल्पसंख्यक इलाकों में गश्त करने गए पुलिसवालों पर लोगों ने घेर कर हमला किया। जागरण के अनुसार 17 अप्रैल को कसाई मोहल्ला इलाके में लाठी-डंडे और तलवार से किए गए इस हमले में कई पुलिसकर्मी घायल हो गए। कोरोना के कर्मवीरों पर हमला सिर्फ इसलिए हुआ, क्योंकि पुलिसवालों ने उन्हें लॉकडाउन में घर जाने को कहा। इससे ठीक दो दिन पहले टोंक में ही संक्रमण को लेकर घर-घर सर्वे करने गई टीम पर भी हमला हुआ था। बताया जाता है कि राज्य सरकार द्वारा सिर पर बिठाए रखने से इन हमलावरों का हौसला बढ़ा हुआ है।
छत्तीसगढ़ के क्वारंटीन सेंटर में दम तोड़ते मजदूर
छत्तीसगढ़ के जांजगीर में क्वारंटीन सेंटर की बदहाली और खानेपीने की बदइंतजामी के बीच एक मजदूर ने दम तोड़ दिया। बिलासपुर के कुछ क्वारंटीन सेंटर में गुजरात, महाराष्ट्र और अन्य प्रदेशों के प्रवासी श्रमिकों और उनके बच्चों को ठहराया गया है। नई दुनिया के अनुसार उन्हें नाश्ता तो दूर, थोड़ा-बहुत जो खाना भी मिलता है, उसमें भी दाल की जगह सिर्फ नमक-पानी दिए जाने की शिकायतें मिल रही हैं।
कोरोनाकाल में चुनिंदा मीडियाकर्मियों पर ज्यादतियां
केरल पुलिस ने जी न्यूज के एडिटर सुधीर चौधरी के खिलाफ 7 मई को गैरजमानती धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की। कोझिकोड में ये एफआईआर उन पर अपने न्यूज शो में जिहाद के अलग-अलग रूप बताने के लिए दर्ज की गई। दो महीने बाद पुलिस की यह कार्रवाई अपने-आपमें कई सवाल उठा जाती है, राजनीतिक मंशा को उजागर कर जाती है।
सुधीर चौधरी ने लिखा, “सच्चाई दिखाने के बदले ये रहा मेरा पुलित्जर प्राइज, सच की रिपोर्टिंग के लिए। प्रशस्ति पत्र साझा कर रहा हूं- मेरे खिलाफ केरल पुलिस द्वारा गैर-जमानती धाराओं के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई है। ये इनाम मुझे असुविधाजनक तथ्यों को उजागर करने के बदले मिला है। ये मीडिया के लिए एक साफ संदेश है। अगर आप दशकों पुरानी तथाकथित सेकुलर रेखा पर घुटने नहीं टेकोगे तो आपको जेल के भीतर डाल दिया जाएगा।”
Here’s my Pulitzer Prize for reporting the truth.Sharing the citation— an FIR filed against me by the Kerala police under nonbailable sections.The award for exposing inconvenient facts.A clear msg for media.If u don’t toe the decades old pseudo-secular line you’ll be behind bars. pic.twitter.com/zV3GvNg2YR— Sudhir Chaudhary (@sudhirchaudhary) May 7, 2020
एबीपी के पत्रकार को किया गिरफ्तार
मुंबई के बांद्रा इलाके में लॉकडाउन के दौरान 14 अप्रैल को प्रवासी लोगों के जमा होने के मामले में एबीपी माझा के पत्रकार राहुल कुलकर्णी को गिरफ्तार किया गया। नवभारत टाइम्स की खबर के अनुसार राहुल कुलकर्णी ने ही उस पत्र का पर्दाफाश किया था जिसमें राज्य सरकार के अधिकारी ने घोटाले के आरोपी वधावन बंधुओं को लॉकडाउन में भी सातारा जाने की अनुमति दी थी। यानि कोरोनाकाल की अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए महाराष्ट्र सरकार दूसरी रंजिशों का बदला लेने में भी जुटी हुई है।
रिपब्लिक के पत्रकार अर्नब गोस्वामी पर हमला
कांग्रेस-एनसीपी के सहयोग से से बनी महाराष्ट्र की उद्धव सरकार ने वरिष्ठ पत्रकार अर्नब गोस्वामी की अभिव्यक्ति की आजादी को भी दबाने की कोशिश की। पुलिस के सामने हुई साधुओं की हत्या को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की चुप्पी पर सवाल उठाने के बाद 22 अप्रैल की मध्यरात्रि में अर्नब गोस्वामी पर मुंबई में हमला किया गया। हमले के आरोपियों को तुरंत जमानत मिलना और अर्नब गोस्वामी से 12 घंटे पूछताछ करना कांग्रेस और उसके साथियों की आपातकाल वाली मानसिकता को उजागर करता है।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने खुलेआम दी धमकी
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला बोलते हुए अर्नब गोस्वामी की पत्रकारिता को अपराध बताते हुए उन्होंने कहा रिपब्लिक को सबक सिखाने में सक्षम हैं। इसके कुछ ही घंटों बाद अर्नब पर हमला हुआ था।
रिपब्लिक और आर भारत टीवी के संपादक अर्णब गोस्वामी के इस अनर्गल बकवास को पत्रकारिता कह सकते हैं? यह तो सांप्रदायिक हिंसा भड़काने का कुत्सित प्रयास है। न भाषा की मर्यादा न किसी की मान मर्यादा का ध्यान। यह तो अपराध है। संज्ञेय और दंडनीय अपराध।— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) April 22, 2020
हमारे #रिपब्लिक का कानून फर्जी..
कांग्रेसी नेता दे रहे एफआईआर कराने की धमकी
Attack on mrs Sonia Gandhi by Arnab Goswami is highly condemnable. He has gone insane and crossed all limits, he should be ashamed of himself . I must ask the Editors guild - isn’t this all time low for journalism ? Mr Rajeev Chandrasekhar must sack him immediately.— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) April 22, 2020
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए आलाकमान की वफादारी कोरोना मरीजों के स्वास्थ्य से भी बड़ी है। उन्होंने सोनिया पर टिप्पणी के लिए अर्नब गोस्वामी को पागल तक बता दिया।
अल्का लांबा ने हमले के लिए उकसाया
कांग्रेस नेता अल्का लांबा ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को मुंबई में अर्नब गोस्वामी पर हमले के लिए उकसाया। इसके थोड़े समय बाद ही अर्नब पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने अटैक कर दिया।
फिर अर्नब गोस्वामी पर हमले के तुरंत बाद ट्वीट कर अल्का ने कहा – यूथ कांग्रेस जिंदाबाद
देशभर के कार्यकर्ता #ArnabGoswami द्वारा काँग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी जी पर दिए गए ब्यान को लेकर बेहद आहत हैं,— Alka Lamba India 🇮🇳🙏 (@LambaAlka) April 22, 2020
अगर समय रहते @CMOMaharashtra ने उचित क़ानूनी कार्यवाही नहीं की तो मैं यह #चेतावनी दे रही हूँ कि फिर काँग्रेस कार्यकर्ताओं को सड़को पर उतर आने से कोई नहीं रोक पायेगा. https://t.co/fBBBnnqFj2
युवा काँग्रेस जिंदाबाद :) 🇮🇳👍.— Alka Lamba India 🇮🇳🙏 (@LambaAlka) April 22, 2020
सुशांत सिन्हा पर एफआईआर
इंडिया टीवी से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार सुशांत सिन्हा कोरोनाकाल में कांग्रेस की ओछी राजनीति की पोल खोलते रहे हैं। कांग्रेस नेताओं ने उनके खिलाफ राजस्थान में एफआईआर दर्ज कराने की धमकी दी।
कांग्रेस की #FIRPolitics जारी है। अब मुझे धमकी दे रहे हैं FIR की। ये अच्छा है, जो इनके 'हाथ' में ना आए उसे डराओ-धमकाओ और किसी तरह चुप कराओ। ये सब करने से कोई फायदा नहीं। प्रियंका जी की चिट्ठी और उसमें अटैच लिस्ट भेज दीजिए। हम वो भी दिखा देंगे। खाली हवाबाजी और धमकी से क्या होगा? https://t.co/xGM7vPWItL— Sushant Sinha (@SushantBSinha) May 19, 2020
महाराष्ट्र में कोरोना योद्धाओं की आवाज दबाने वालों का हौसला बढ़ा
न्यूज18 से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार अमिश देवगन कोरोना योद्धाओं की आवाज को प्रमुखता से उठाते रहे हैं। लॉकडाउन के दौरान मुंबई के कुर्ला इलाके में जमा भीड़ को समझाने पहुंची पुलिस के साथ AIMIM के स्थानीय पार्षद मुर्तजा ने बदतमीजी की थी। इसको लेकर सवाल पूछे जाने के बाद अमिश को मुर्तजा ने धमकाया था। इससे जाहिर होता है कि महाराष्ट्र में मुर्तजा जैसों को राज्य सरकार का कितना संरक्षण हासिल है।
‘हम अपने पे उतर आए तो तुम्हारा बाहर निकलना बंद हो जाएगा’
यह गैरबीजेपी राज्यों की सरकारों से मिली ताकत का ही दंभ है कि मौलाना साद पर टिप्पणी करने के चलते मौलाना अली कादरी ने रिपोर्टरों को धमकाते हुए कहा कि ‘हम अपने पे उतर आए तो तुम्हारा बाहर निकलना बंद हो जाएगा’
No comments:
Post a Comment