आर.बी.एल. निगम, वरिष्ठ पत्रकार
कहते हैं, "साझे की हांड़ी चौराहे पर ही फूटती है", लेकिन परिवार समर्पित बन चुकी कांग्रेस की हांड़ी को चौराहा भी नसीब नहीं होने वाला। जिस कार्यकर्ता से लेकर वरिष्ठ नेता तक एक ही परिवार की गुलामी के आगे नत-मस्तक है, लगता है ये सभी वर्तमान समय के गुलाम हैं। इनके झूठ का पुलंदा तो 1971 इंडो-पाक युद्ध के दौरान देशभक्ति का खुल गया था। जैसाकि सर्वविदित है कि युद्ध के समय हर एयरलाइन को अपने-अपने पायलट को 24 घंटे ड्यूटी पर रहने का नियम है, लेकिन राजीव गाँधी इकलौता ऐसा पायलट था, जो विवाहित आनंद का सुख भोगने इटली गया हुआ था, परन्तु तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी का बेटा होने के कोई कार्यवाही नहीं हुई। क्यों? क्या इसका नाम देशभक्ति है?
दूसरे, संजय झा "कहाँ चील के घोंसले में गोस्त" ढूंढने निकले हैं। पार्टी में परिवार गुलामी तो उस समय मुखर हो चुकी थी, जब पार्टी अध्यक्ष दलित सीताराम केसरी को दूध में से मक्खी की तरह बाहर फेंक दिया। बात यहीं नहीं ख़त्म होती, भूतपूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के निधन होने पर उनके शव तक को आखिरी दर्शन के लिए रखने के लिए पार्टी ऑफिस के दरवाजे तक नहीं खोले। फिर परिवार के अतिरिक्त किसी बाहरी व्यक्ति को अध्यक्ष न बनाये जाने से सिद्ध होता है कि कांग्रेस में लोकतंत्र के नाम पर बेवकूफ बनाया जा रहा है।
पार्टी में परिवार के अतिरिक्त एक से बढ़कर एक प्रभावशाली नेता हुआ, परन्तु किसी को महत्व देने की बजाए कदम-कदम पर उनका अनादर ही होता रहा। परिवार गुलाम भलीभांति जानते हैं कि अब परिवार का कोई सदस्य भारतीय संविधान के अनुसार प्रधानमंत्री तो क्या मंत्री भी नहीं बन सकता। और यह यूपीए के 10 वर्ष के कार्यकाल में सिद्ध भी हो गया। सोनिया गाँधी परदे के पीछे बैठ मनमोहन सिंह के नाम से राज करती रहीं, राहुल को किसी भी मंत्रालय का मंत्री तक नहीं बनाया गया। लेकिन जनता को मुंगेरी लाल के सपने दिखाने से कोई नहीं चूक रहा।
लेकिन संजय झा ने एक बार कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति गरमा दी है। उन्होंने अगस्त 17, 2020 को ट्वीट कर दावा किया कि लगभग 100 कांग्रेस नेता (सांसद सहित) पार्टी के आंतरिक मामलों से परेशान हैं और इसे लेकर उन्होंने पार्टी हाईकमान को पत्र लिखा है।
झा को पार्टी ने पिछले दिनों निलंबित कर दिया था। अब इस ट्वीट के बाद पार्टी ने उनसे पूरी तरह पल्ला झाड़ने की कोशिश करते हुए कहा है कि वे बीजेपी के इशारे पर ऐसा कर रहे हैं।
संजय झा ने अपने ट्वीट में दावा किया कि सोनिया गाँधी को लिखे पत्र में इन नेताओं ने राजनीतिक नेतृत्व बदलने की माँग की है। साथ ही कांग्रेस कार्यसमिति में पारदर्शी चुनावों की भी माँग की है।
इस ट्वीट के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई। कांग्रेस ने उनके दावे को खारिज करते हुए कहा कि ऐसी कोई चिट्ठी ने लिखी गई और न उन्हें मिली है।
कॉन्ग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, “गलत सूचना फैलाने वाले टीवी चैनलों को आज वॉट्सऐप पर निर्देश आ चुका है कि क्या करना है। आज उनको कांग्रेस नेताओं के ऐसे पत्र पर स्टोरी चलाने को कहा गया है, जो कभी लिखा ही नहीं गया है। ये फेसबुक से भाजपा के लिंक की खबरों से ध्यान हटाने की एक कोशिश है।”
पिछले दिनों संजय झा को कांग्रेस ने प्रवक्ता पद से हटा दिया था। गहलोत-पायलट के विवाद के बीच ट्वीट को लेकर उन्हें बाद में पार्टी से निलंबित कर दिया गया। महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने पार्टी के खिलाफ काम करने और अनुशासन तोड़ने को लेकर संजय झा के खिलाफ ये कार्रवाई की थी।
इससे पहले जून में एक लेख लिखने पर उन्हें प्रवक्ता पद से हटा दिया गया था। संजय झा ने कोरोना के दौरान कांग्रेस नेतृत्व की आलोचना करते हुए एक प्रमुख अखबार में एक लेख लिखा था और पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र की कमी की बात कही थी।
कहते हैं, "साझे की हांड़ी चौराहे पर ही फूटती है", लेकिन परिवार समर्पित बन चुकी कांग्रेस की हांड़ी को चौराहा भी नसीब नहीं होने वाला। जिस कार्यकर्ता से लेकर वरिष्ठ नेता तक एक ही परिवार की गुलामी के आगे नत-मस्तक है, लगता है ये सभी वर्तमान समय के गुलाम हैं। इनके झूठ का पुलंदा तो 1971 इंडो-पाक युद्ध के दौरान देशभक्ति का खुल गया था। जैसाकि सर्वविदित है कि युद्ध के समय हर एयरलाइन को अपने-अपने पायलट को 24 घंटे ड्यूटी पर रहने का नियम है, लेकिन राजीव गाँधी इकलौता ऐसा पायलट था, जो विवाहित आनंद का सुख भोगने इटली गया हुआ था, परन्तु तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी का बेटा होने के कोई कार्यवाही नहीं हुई। क्यों? क्या इसका नाम देशभक्ति है?
दूसरे, संजय झा "कहाँ चील के घोंसले में गोस्त" ढूंढने निकले हैं। पार्टी में परिवार गुलामी तो उस समय मुखर हो चुकी थी, जब पार्टी अध्यक्ष दलित सीताराम केसरी को दूध में से मक्खी की तरह बाहर फेंक दिया। बात यहीं नहीं ख़त्म होती, भूतपूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के निधन होने पर उनके शव तक को आखिरी दर्शन के लिए रखने के लिए पार्टी ऑफिस के दरवाजे तक नहीं खोले। फिर परिवार के अतिरिक्त किसी बाहरी व्यक्ति को अध्यक्ष न बनाये जाने से सिद्ध होता है कि कांग्रेस में लोकतंत्र के नाम पर बेवकूफ बनाया जा रहा है।
पार्टी में परिवार के अतिरिक्त एक से बढ़कर एक प्रभावशाली नेता हुआ, परन्तु किसी को महत्व देने की बजाए कदम-कदम पर उनका अनादर ही होता रहा। परिवार गुलाम भलीभांति जानते हैं कि अब परिवार का कोई सदस्य भारतीय संविधान के अनुसार प्रधानमंत्री तो क्या मंत्री भी नहीं बन सकता। और यह यूपीए के 10 वर्ष के कार्यकाल में सिद्ध भी हो गया। सोनिया गाँधी परदे के पीछे बैठ मनमोहन सिंह के नाम से राज करती रहीं, राहुल को किसी भी मंत्रालय का मंत्री तक नहीं बनाया गया। लेकिन जनता को मुंगेरी लाल के सपने दिखाने से कोई नहीं चूक रहा।
लेकिन संजय झा ने एक बार कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति गरमा दी है। उन्होंने अगस्त 17, 2020 को ट्वीट कर दावा किया कि लगभग 100 कांग्रेस नेता (सांसद सहित) पार्टी के आंतरिक मामलों से परेशान हैं और इसे लेकर उन्होंने पार्टी हाईकमान को पत्र लिखा है।
झा को पार्टी ने पिछले दिनों निलंबित कर दिया था। अब इस ट्वीट के बाद पार्टी ने उनसे पूरी तरह पल्ला झाड़ने की कोशिश करते हुए कहा है कि वे बीजेपी के इशारे पर ऐसा कर रहे हैं।
संजय झा ने अपने ट्वीट में दावा किया कि सोनिया गाँधी को लिखे पत्र में इन नेताओं ने राजनीतिक नेतृत्व बदलने की माँग की है। साथ ही कांग्रेस कार्यसमिति में पारदर्शी चुनावों की भी माँग की है।
It is estimated that around 100 Congress leaders (including MP's) , distressed at the state of affairs within the party, have written a letter to Mrs Sonia Gandhi, Congress President, asking for change in political leadership and transparent elections in CWC.— Sanjay Jha (@JhaSanjay) August 17, 2020
Watch this space.
Transparent elections happen in Parties, Sanjay - not in Proprietorship Firms !— Taansane (@BesuraTaansane) August 17, 2020
Proprietorship mein phir bhi merit ke naam pe aacha khaasa sahi decision toh hota hai...— De'Buck (@Listen2Buck) August 17, 2020
Ye bhai kitne saal naacha...
Note gori bua le gayi
Kuch badde sikke piddi ke beeskoot ke liye le gaye...
Small change... yet expected 😉😂
What option Congress has ? Change in leadership comes with handing over keys to the coffers .Those contributed with huge sums will never trust anyone except the family and the family will not let go of the control on money easily . Hopeless hoping the change at the top !— 🇮🇳 Padmaja (@prettypadmaja) August 17, 2020
One who complained about no democracy in the party now says 100 leaders write to Sonia Gandhi ji ? Is this absence of democratic values within congress ?— Daksha2000 (@VermaDaksha2000) August 17, 2020
First and foremost step in winning back the trust of the voters is to get rid of Gandhis. An ordinary voter like me will keep on voting to every other alternative except congress till this dynasty holds sway.— TopDog (@topdog43935860) August 17, 2020
INC can never be transparent and it will always remain under Gandhis (duplicate). Remember Sitaram Keshri, Narashimha Rao, Rajesh Pilot, and many.— मिश्रा जि mishraji (@subrat76mishra) August 17, 2020
INC thumb rule is, either bow to Gandhi (duplicate) family or get lost
इस ट्वीट के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई। कांग्रेस ने उनके दावे को खारिज करते हुए कहा कि ऐसी कोई चिट्ठी ने लिखी गई और न उन्हें मिली है।
कॉन्ग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, “गलत सूचना फैलाने वाले टीवी चैनलों को आज वॉट्सऐप पर निर्देश आ चुका है कि क्या करना है। आज उनको कांग्रेस नेताओं के ऐसे पत्र पर स्टोरी चलाने को कहा गया है, जो कभी लिखा ही नहीं गया है। ये फेसबुक से भाजपा के लिंक की खबरों से ध्यान हटाने की एक कोशिश है।”
TO WHOM IT MAY CONCERN— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) August 17, 2020
“Special Misinformation Group on Media-TV Debate Guidance” in its what’sapp of today directed to run the story of a non existant letter of Congress leaders to divert attention from Facebook-BJP links.
Of course, BJP stooges have started acting upon it.
Very much true sir...but why should NDTV put it on their site which also confirms that the said letter is not confirmed by any other source so far....— Raghurama Sastry M (@raghu_madgula) August 17, 2020
How can they do that without proper sources confirming?
Detailed Misinformation Campaign should be challenged & a Counter Information Campaign should be made Viral with the help of Twitter / Facebook & Vaats Up group awareness...— ( Gandhi ) Umesh k Shetty (@UmeshkShetty3) August 17, 2020
Jai Jagat, Jai Congress
@rssurjewala super spokesperson of Sonia Rahul Congress has surpassed all records of super sycophancy.— Parmananda Pathak (@ParmanandaP) August 17, 2020
Past 6 years Anna Hazare team has gone underground, some got favor from thisGovtAny one can understand what benefit our country got from that 2013 Anna movement— West Bengal Congress (@withcongresswb) August 17, 2020
It was fake movement with the help of media they got upper hand
What is the ultimate result of that movement after6yrs
We believe you @rssurjewala— Jayarama Korikkar (@korikkar) August 17, 2020
In effect you are confirming :
1. Post of 'interim preseident' of @INCIndia is a permanent one;
2. News transparent elections in your party is a non-existent story run by opponents to malign you; Congress will never hold transparent elections!
पिछले दिनों संजय झा को कांग्रेस ने प्रवक्ता पद से हटा दिया था। गहलोत-पायलट के विवाद के बीच ट्वीट को लेकर उन्हें बाद में पार्टी से निलंबित कर दिया गया। महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने पार्टी के खिलाफ काम करने और अनुशासन तोड़ने को लेकर संजय झा के खिलाफ ये कार्रवाई की थी।
इससे पहले जून में एक लेख लिखने पर उन्हें प्रवक्ता पद से हटा दिया गया था। संजय झा ने कोरोना के दौरान कांग्रेस नेतृत्व की आलोचना करते हुए एक प्रमुख अखबार में एक लेख लिखा था और पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र की कमी की बात कही थी।
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